उलझन:पश्चिमी बंगाल में किसे फायदा पहुंचायेंगे राकेश टिकैत?
West Bengal Election 2021: पश्चिम बंगाल की किसान महापंचायत को संबोधित करेंगे किसान नेता राकेश टिकैतभारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत
West Bengal Election 2021 कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में किसान लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। इस कड़ी में मतदान से ठीक 14 दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता राकेश टिकैत बंगाल में होने वाली महापंचायत में शामिल होंगे।
नई दिल्लीः 06 मार्च। तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन की धुरी बन चुके भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार अपने बयानों और टिप्पणियों से राजनीति में हलचल पैदा कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मार्च-अप्रैल में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में क्या राकेश टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चा की एंट्री होगी तो इसका जवाब मिल गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की मानें तो तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसानों को जागरूक किया जाएगा। इस कड़ी में देश भर में आयोजित होने वाली महापंचायतों की श्रृंखला की घोषणा भी की गई है। इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) नेता राकेश टिकैत पश्चिम बंगाल का दौरा करेंगे और वहां महापंचायतों में से एक में भाग लेंगे।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में मतदान होगा। 294 विधानसभा वाले पश्चिम बंगाल में 27 मार्च को पहला मतदान होगा। पश्चिम बंगाल में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता न केवल मौजूद रहेंगे, बल्कि किसानों को जागरूक भी करेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन में किसान लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। इस कड़ी में मतदान से ठीक 14 दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता राकेश टिकैत बंगाल में होने वाली महापंचायत में शामिल होंगे। इस दौरान वह कृषि कानूनों को विसंगतियों के बारे में किसानों को बताएंगे। फिर 12 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता डॉ. दर्शन पाल, योगेंद यादव, बलबीर सिंह राजेवाल आदि महापंचायत में शामिल होंगे तो वहीं 13 मार्च को राकेश टिकैत बंगाल की किसान महापंचायत को संबोधित करेंगे।
बता दें कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से ही दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। फिलहाल किसानों का प्रदर्शन सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और गाजीपुर बॉर्डर पर जारी है।
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राजनीति के दल दल में उलझा किसान आंदोलन। 6 मार्च को 100 दिन।
पश्चिम बंगाल में किस दल को फायदा पहुंचाएंगे राकेश टिकैत?
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कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर लगे जाम को 6 मार्च को 100 दिन पूरे हो रहे हैं। 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष में किसान संयुक्त मोर्चा ने 15 मार्च तक के कार्यक्रमों की घोषणा की है। इसी के अंतर्गत 12 मार्च को किसानों की महापंचायत पश्चिम बंगाल में भी होगी। इस महापंचायत में आंदोलन अगुआ और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत भी भाग लेंगे। लेकिन सवाल उठता है कि बंगाल में किसान नेता किस दल को जीताने की अपील करेंगे? यह सवाल इसलिए उठा है कि राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में किसान नेता खुल कर कांग्रेस के साथ खड़े हैं। इन राज्यों में हुई किसान पंचायतों के मंचों पर कांग्रेस के सांसद, विधायक आदि जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे। राजस्थान में तो किसान पंचायतों को सफल बनवाने में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भूमिका निभाई। सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, लेफ्ट और फुरफुरा शरीफ के इंडियन सैम्युलट फ्रंट का गठबंधन ममता बनर्जी को हराने में लगा हुआ है। जबकि किसान आंदोलन का समर्थन ममता बनर्जी ने भी किया था। क्या पश्चिम बंगाल में होने वाली किसानों की महापंचायतों के मंच पर कांग्रेस और लेफ्ट के नेता भी उपस्थित रहेंगे? क्या कांग्रेस और लेफ्ट सहयोग से होने वाली किसान पंचायतों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी बर्दाश्त कर पाएगी? ममता को पहले ही भाजपा से कड़ा मुकाबला करना पड रहा है। ऐसे में किसान पंचायतें ममता बनर्जी को और नुकसान पहुंचाएगी। पश्चिम बंगाल में किसान नेता मंचों पर भले ही लेफ्ट और कांग्रेस के जन प्रतिनिधियों को बैठा लें, लेकिन केरल में और मुश्किल होगी, क्योंकि केरल में कांग्रेस वामपंथियों की सरकार को उखाडऩे में लगी हुई है। सब जानते हैं कि दिल्ली की सीमाओं पर लम्बे समय तक को बनाए रखने में कामरेडो की महत्वपूर्ण भूमिका है। कामरेड़ों को आंदोलनों को चलाने का लम्बा अनुभव है, इसलिए दिल्ली की सीमाओं पर धरने की रणनीति भी कामरेडो ने ही बनाई है, लेकिन केरल में राकेश टिकैत जैसे किसान नेता क्या करेंगे? यदि केरल की किसान पंचायतों के मंचों पर कांग्रेस के नेता मौजूद रहते हैं तो क्या लेफ्ट के नेता स्वीकार करेंगे? असल में किसान आंदोलन अब राजनीति के दल दल में उलझ गया है। यही वजह है कि दिल्ली की सीमाओं पर दिया जा रहे धरने में लोगों की संख्या लगतार कम हो रही है। राकेश टिकैत जैसे नेताओं ने धरना स्थल पर जाना ही छोड़ दिया है। टिकैत अब राजस्थान, हरियाणा आदि में सभाएं करने में व्यस्त हो गए हैं। अब तो पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी किसान नेता कूद पड़े हैं। हालांकि किसानों का आंदोलन कृषि कनूनों के विरोध में शुरू हुआ था, लेकिन अब यह आंदोलन राजनीति की भेंट चढ़ गया है। देखना होगा कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में किसान आंदोलन का फायदा किस राजनीतिक दल को मिलता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-03-2021)
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भाजपा सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह किसानों के बीच। उन्होंने विस्तार से बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसान बिल लाकर स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह और स्वर्गीय बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के सपने पूरे किए हैं।