सूरत से कांग्रेस प्रत्याशी निलेश कुम्भानी पार्टी से छह साल को निष्कासित
‘घोर लापरवाही या..’: कांग्रेस ने किस आरोप में सूरत के लोकसभा प्रत्याशी निलेश कुंभानी को पार्टी से निकाला
सूरत 27 अप्रैल 2024. कांग्रेस ने सूरत लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी निलेश कुंभानी को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है। कुंभानी का नामांकन पत्र विसंगतियों की वजह से निरस्त कर दिया गया था और इस सीट से भाजपा उम्मीदवार को निर्विरोध जीत मिल चुकी है।
कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन रद्द होने के बाद ऐसे हालात पैदा हुए, जिसमें अन्य उम्मीदवारों ने भी अपने नाम वापस ले लिए, जिससे भाजपा के मुकेश दलाल को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया। इस तरह से चुनाव होने से पहले ही सूरत लोकसभा सीट भाजपा के खाते में चली गई है।
सूरत से अपने प्रत्याशी को कांग्रेस ने 6 साल के लिए निकाला
गुजरात कांग्रेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पार्टी की अनुशासन समिति ने निलेश कुंभानी को निलंबित करने का फैसला किया है। इससे पहले समिति ने इस मसले पर काफी चर्चा की है।
‘उनकी ओर से घोर लापरवाही या भाजपा से मिलीभगत की वजह से’
कांग्रेस ने बयान में कहा है कि अनुशासन समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि उनकी ओर से घोर लापरवाही या ‘भाजपा से मिलीभगत की वजह से’ नामांकन रद्द कर दिया गया।
बालू पटेल की अध्यक्षता वाली अनुशासन समिति की ओर से कहा गया है, ‘आपको निष्पक्ष मौका देने के लिए, हमने आपको अपना मामला समझाने के लिए समय दिया, लेकिन पार्टी अनुशासन समिति के सामने आने के बजाय, आप संपर्क से बाहर चले गए हैं। अधिकारियों की ओर से आपका फॉर्म खारिज किए जाने के बाद भाजपा ने आगे बढ़ते हुए अन्य आठ उम्मीदवारों का फॉर्म वापस करवा दिया। इससे सूरत के लोग अपने मताधिकार से वंचित रह गए।’
निलेश कुंभानी 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित
कांग्रेस ने प्रेस नोट में कहा है, ‘सूरत के लोग और पार्टी कार्यकर्ता आपके काम की वजह से बहुत ही गुस्से में हैं और अपनी नाराजगी अलग-अलग तरह से जाहिर कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि आपको 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित किया जाता है।’
कुंभानी का नामांकन 21 अप्रैल को तब खारिज कर दिया गया था, जब डिस्ट्रिक्ट रिटर्निंग ऑफिसर को उनके तीन प्रस्तावकों ने हलफनामा देकर दावा किया कि दस्तावेज में जो हस्ताक्षर हैं, वे उनके नहीं हैं।
नामांकन पत्रों पर हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगति पाई गई- रिटर्निंग ऑफिसर
सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन भी इसी आधार पर रद्द कर दिया गया था। अपने आदेश में रिटर्निंग ऑफिसर सौरभ पारधी ने कहा कि कुंभानी और पडसाला की ओर से दायर तीन नामांकन पत्रों पर हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगति पाए जाने के बाद उन्हें रद्द कर दिया गया है, जो कि वास्तविक प्रतीत नहीं हुए।
कुंभानी सूरत से पहले कॉर्पोरेटर रह चुके हैं। वे 2022 में कामरेज से विधानसभा चुनाव भी लड़े थे, लेकिन हार गए। 22 अप्रैल को बीएसपी समेत अन्य सभी उम्मीदवारों की ओर से नाम वापस लिए जाने के बाद मुकेश दलाल को निर्विरोध चुन लिया गया। उस दिन नाम वापस लेने का अंतिम दिन था।
सूरत में भाजपा उम्मीदवार को इस तरह से मिली जीत से विपक्ष परेशान है और वह पार्टी पर गड़बड़ी का गंभीर आरोप लगा रहा है।
Surat Lok Sabha Seat सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी ने नामांकन रद्द होने के बाद पहली बार सामने आए हैं। उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं पर जमकर हमला बोला है कि कांग्रेस के प्रमुख नेता मेरे साथ गाड़ी में बैठने तक को तैयार नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि मेरे साथ कोई चुनाव प्रचार में भी शामिल होने को तैयार नहीं थे।
‘2017 और 2022 में मिला था भाजपा में शामिल होने का ऑफर’, उम्मीदवारी रद्द होने के बाद पहली बार सामने आए नीलेश कुंभानी
नीलेश कुंभानी ने कांग्रेस पर साधा निशाना। फाइल फोटो।
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी ने नामांकन रद्द होने के बाद पहली बार सामने आए हैं। एक वीडियो के माध्यम से उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के प्रमुख नेता मेरे साथ गाड़ी में बैठने तक को तैयार नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि मेरे साथ कोई चुनाव प्रचार में भी शामिल नहीं हुआ।
दो बार भाजपा ने दिया ऑफरः नीलेश
उन्होंने दावा किया कि साल 2017 में जब मेरा टिकट काटा गया था, उस दौरान मुझे भाजपा में शामिल होने का ऑफर मिला था। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने और कांग्रेस के खिलाफ बयान देने को कहा था, लेकिन मैंने पार्टी के अहित में एक भी बयान नहीं दिया। उन्होंने आगे कहा कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने एक बार फिर से मुझे ऑफर दिया।
कई लोगों ने प्रस्ताव किया स्वीकार
नीलेश कुंभानी ने आगे दावा किया कि भाजपा ने इसके साथ मुझसे चुनाव अभियान को धीमा करने को भी कहा। उन्होंने आगे कहा कि हमारे कई सहयोगी भाजपा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और अपना अभियान धीमा कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि सहयोगी अपने रिश्तेदारों को भी बीजेपी को वोट देने के लिए मनाते थे।
आप के नेताओं के साथ किया प्रचार
उन्होंने आगे कहा कि जब हमने आम आदमी पार्टी के नेताओं को मंच पर बिठाकर प्रचार किया तो कांग्रेस नेताओं ने ही विरोध करना शुरू कर दिया। और कहा कि आप अपने नेताओं को एक साथ क्यों रख रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि उस समय मैं उन्हें समझाता था कि हम भारत गठबंधन में हैं और हमें आम आदमी पार्टी के नेताओं को एक साथ रखना चाहिए।