कांग्रेस के महाविद्वान थरुर ने फिर मांगी मोदी के बयान पर माफी

थरूर ने माफी मांगी:बांग्लादेश की आजादी में मोदी ने अपना योगदान बताया तो शशि थरूर ने PM पर निशाना साधा, अब कहा- जल्दबाजी में बयान दिया
नई दिल्ली27 मार्च। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह से जुड़े बयान पर टिप्पणी के लिए माफी मांगी है। उन्होंने अपनी गलती मानते हुए उन्होंने कहा कि मैंने जल्दबाजी में हेडलाइन और ट्वीट पढ़कर उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी। हर कोई जानता है कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया। जिसका मतलब था कि नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी के योगदान को नहीं बताया, लेकिन उन्होंने इसका जिक्र किया। सॉरी।

थरूर ने मोदी के भाषण के उस बयान पर टिप्पणी दी थी, जिसमें पीएम मोदी ने बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह करने और जेल जाने की बात की थी। प्रधानमंत्री शुक्रवार को बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस की स्वर्ण जयंती और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी के अवसर पर ढाका में आयोजित मुख्य समारोह में बोल रहे थे।

शशि थरूर ने दी थी प्रतिक्रया
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के इसी हिस्से पर थरूर ने टिप्पणी करते हुए सोशल मीडिया पर कहा था कि अंतरराष्ट्रीय ज्ञान: हमारे प्रधानमंत्री बांग्लादेश को भारतीय फर्जी खबर का स्वाद चखा रहे हैं। हर कोई जानता है कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया। थरूर का इशारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर था।

क्या कहा था मोदी ने?

मोदी ने कहा था कि बांग्लादेश की आजादी के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया था और इसके लिए जेल भी गए थे। बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी, जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। हालांकि इससे पहले मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की भी तारीफ की थी।

PM मोदी ने नेहरू के बाद इंदिरा गांधी की तारीफ की, बोले- बांग्लादेश को आजादी दिलाने में मैंने भी गिरफ्तारी दी थी

बांग्लादेश की आजादी को सभी समर्थन था : मोदी

इससे पहले बांग्लादेश के 50वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश पहुंचे थे। इस दौरान ढाका में मोदी ने कहा था कि आज का यह अवसर बंगबंधु के विजन और आदर्शों को याद करने का दिन है। ये समय चिरोविद्रोही को, मुक्ति युद्ध की भावना को फिर से याद करने का समय है। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन था।

उन्होंने कहा था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में 6 दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपनी जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, बल्कि इतिहास को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने यह आरोप लगाया था कि बांग्‍लादेश में संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का नाम नहीं लिया था।

कहते हैं ‘जल्‍दी का काम शैतान का’ होता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर को यह बात शनिवार को समझ आ गई। दरअसल उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्‍लादेश दौरे पर दिए एक संबोधन पर टिप्‍पणी की थी। थरूर को लगा कि मोदी ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान का जिक्र नहीं किया है। उन्‍होंने शुक्रवार शाम ट्वीट क‍िया कि ‘सब जानते हैं कि बांग्‍लादेश को किसने आजाद कराया।’

अगले दिन थरूर को एक न्‍यूज रिपोर्ट से पता चला कि मोदी ने तो इंदिरा का नाम लिया था। शनिवार सुबह उन्‍होंने अपनी गलती मानते हुए ‘सॉरी’ लिखा और कहा कि ‘जब मैं गलत होता हूं तो स्‍वीकर करने में कोई समस्‍या नहीं होती।’

मोदी पर खूब बरसे थे कांग्रेसी नेता…

थरूर के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश समेत कई नेताओं ने यह कहा था कि मोदी ने इंदिरा गांधी को नजरअंदाज कर दिया। रमेश ने लिखा, “दुखद है कि हमारे प्रधानमंत्री इसे स्‍वीकार नहीं करेंगे लेकिन 1971 के ऐतिहासिक घटनाक्रम में इंदिरा गांधी का महत्‍वपूर्ण योगदान था, उनके साथ पीएन हसकर भी थे। मैंने इसे जबर्दस्‍त जुगलबंदी के बारे में लिखा है जिसका भारत और पूरे उपमहाद्वीप पर इतना असर हुआ।”
पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने लिखा, “आज पीएम मोदी बांग्‍लादेश की स्‍वतंत्रता के 50 वर्ष का समारोह मनाने गए! क्‍या उन्‍होंने कभी हमारी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और मेरे पिता स्‍वर्गीय श्री प्रणब मुखर्जी की भूमिका को स्‍वीकार किया? शायद इसलिए नहीं क्‍योंकि उनका अपना राजनीतिक एजेंडा है जिसे पूरा करने के लिए वह बेचैन हैं।”

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