53 करोड़ बकाया डिफाल्टर कंपनी से अनुबंध करता रहा उत्तरांखड जल विद्युत निगम
CAG Report: 53 करोड़ की बकायेदार कंपनी पर मेहरबान UJVNL, भुगतान न करने के बावजूद रिन्यू किया कांट्रैक्ट
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की लापरवाही उजागर हुई है।
CAG Report कैग की रिपोर्ट में इस बात खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक ऊर्जा निगम ने अधिशेष बिजली की बिक्री के लिए मैसर्स क्रिएट एनर्जी (आइ) प्राइवेट लिमिटेड जिसका नाम पूर्व में मैसर्स मित्तल प्रोसेसर लिमिटेड था के साथ अनुबंध दिया।
देहरादून17 मार्च। ऊर्जा निगम के अधिकारी लगातार भुगतान न कर पाने के बावजूद एक कंपनी पर मेहरबान रहे। करीब 53 करोड़ की बकायेदार कंपनी का अनुबंध बार-बार नवीनीकृत किया जाता रहा।
कैग की रिपोर्ट में इस बात खुलासा हुआ है। जिससे ऊर्जा निगम के अधिकारियों की भूमिका संदेह के घेरे में है। वहीं, उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) की भी लापरवाही उजागर हुई है। अग्रिम कर जमा कराने में आय का आकलन न किए जाने से निगम को साढ़े तीन करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऊर्जा निगम ने अधिशेष बिजली की बिक्री के लिए मैसर्स क्रिएट एनर्जी (आइ) प्राइवेट लिमिटेड जिसका नाम पूर्व में मैसर्स मित्तल प्रोसेसर लिमिटेड था के साथ अनुबंध दिया। अनुबंध के अनुसार देय तिथि के बाद बकाया धनराशि पर 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से विलंब भुगतान अधिभार लगता। इस फर्म से 10 लाख रुपये अनुबंध निष्पादन प्रत्याभूति भी प्राप्त की गई थी।
कंपनी की चूक का संज्ञान नहीं लिया
आडिट में पाया गया कि नौ नवंबर 2016 अनुबंध के अनुसार कंपनी एक्सचेंज के माध्यम से बेची गई ऊर्जा के लिए ऊर्जा निगम को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा था। 27 मार्च 2020 से 21 जून 2020 की अवधि में कंपनी पर बकाया 75.74 करोड़ रुपये हो गया।
फर्म की ओर से देरी से भुगतान करने के बावजूद ऊर्जा निगम की स्थायी समिति ने आवंटित कार्यों की निविदा का मूल्यांकन करते हुए कंपनी की चूक का संज्ञान नहीं लिया और ट्रेडिंग मार्जिन के न्यूनतम प्रस्ताव के आधार पर कार्य आवंटित किया।
इसके बाद ऊर्जा सचिव ने फर्म के विरुद्ध लंबित बकाया के निपटारे के लिए समिति का गठन किया और समिति ने कंपनी पर मूलधन 54.77 करोड़ और ब्याज के 20.97 करोड़ रुपये कुल 75.74 करोड़ बकाये की पुष्टि की।
प्रकाश में आया कि कंपनी बेची गई बिजली के सापेक्ष पूरी धनराशि का भुगतान नहीं कर रही थी। साथ ही अलग-अलग तिथियों में वास्तविक देय राशि से काफी कम धनराशि का भुगतान किया जा रहा था।
इसके बाद कंपनी की ओर से 30 जून 2021 तक केवल 27.35 करोड़ रुपये बकाये का भुगतान किया गया। ऊर्जा निगम की ओर से कंपनी को कानूनी नोटिस भेजा गया और दिसंबर 2021 तक फर्म से 27.32 करोड़ मूलधन व 25.62 करोड़ की एलपीएस की धनराशि शेष थी। कैग की रिपोर्ट पर शासन ने भी पुष्टि की, लेकिन 25.62 करोड़ की बकाया विलंब भुगतान अधिभार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
आय के आकलन में विफल यूजेवीएनएल, साढ़े तीन करोड़ का घाटा
कैग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) वर्ष 2025-16 से वर्ष 2018-19 के दौरान देय अग्रिम आयकर की गणना के लिए अपनी आय का ही आकलन नहीं कर पाया। निगम की इस चूक के कारण अग्रिम कर भुगतान में चलते साढ़े तीन करोड़ रुपये ब्याज का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा।