सहायता के बदले धर्म परिवर्तन स्वीकार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
चेरिटी के बदले धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
Supreme Court On Conversion: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा है कि किसी भी यह अधिकार नहीं है कि वह दूसरे के धर्म का परिवर्तन करे। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने हलफनामा दायर कर कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन गंभीर विषय है।
हाइलाइट्स
1-सुप्रीम कोर्ट ने कहा चेरिटी का स्वागत लेकिन उसकी मंशा को चेक किया जाना जरूरी
2-सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया जाए
3-केंद्र सरकार ने धर्म परिवर्तन के मद्देनजर राज्यों से डेटा लेना शुरू कर दिया है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है चेरिटी के बदले धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता
नई दिल्ली05 दिसंबर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चेरिटी धर्म परिवर्तन के लिए नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रलोभन और जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश देने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने इस पीआईएल पर आरंभिक विरोध को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो भी चेरिटी की जाती है उसका स्वागत है लेकिन उसके पीछे की मंशा को चेक किया जाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया जाए।
जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन देना यानी बहलाना फुसलना जैसे किसी को दवाई देना या फिर अनाज मुहैय्या कराया जाना एक गंभीर विषय है। अगर आप समझते हैं कि किसी विशेष व्यक्ति को मदद की जरूरत है तो फिर उसका स्वागत है लेकिन यह धर्म परिवर्तन के लिए मदद नहीं हो सकता है। धर्म परिवर्तन के लिए बहलाया फुसलाया जाना गंभीर विषय है और यह संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ है। भारत में रहने वाले सभी शख्स का अपना कल्चर है। साथ ही धार्मिक सौहार्द के साथ सभी रहते हैं।
धर्म परिवर्तन को लेकर केंद्र ने राज्यों से डेटा मांगा
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि गलत तरीके से धर्म का प्रचार करने की इजाजत नहीं हो सकती है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में राज्यों से डेटा लेना शुरू कर दिया है और साथ ही कहा कि गुजरात में अवैध धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कानून है। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर रोक लगा रखी है। बेंच ने तब कहा कि इस मामले में चीफ जस्टिस के सामने मामला उठा सकते हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई राज्यों ने इसके लिए कानून बनाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र राज्य सरकारों से डेटा एकत्र करे अन्यथा अगर सभी राज्य यहां होंगे तो मामले में देरी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख तय कर दी है।
‘जबरन धर्म परिवर्तन धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है’
सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर को कहा था कि जबरन परिवर्तन गंभीर मसला है और इससे देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल करने को कहा है। 23 सितंबर को जबरन और धोखा देकर धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान किए जाने के खिलाफ दाखिल पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। पिछली सुनवाई में अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन न सिर्फ देश को प्रभावित करेगा बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता को भी प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में यह भी कहा था कि यह बेहद गंभीर मुद्दा है और केंद्र सरकार को इस मामले में दाखिल याचिका पर अपना स्टैंड क्लियर करे।
‘केंद्र सरकार को मामले में स्टैंड क्लियर करना चाहिए’
केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने 22 नवंबर तक एफिडेविट दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि जो मुद्दे उठाए गए हैं और जबरन धर्म परिवर्तन के जो आरोप लगाए गए हैं अगर वह सही है और उसमें सच्चाई है तो फिर यह गंभीर विषय है और इससे आखिरकार देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। साथ ही इससे देश की जनता के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार प्रभावित होते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को इस मामले में स्टैंड क्लियर करना चाहिए। साथ ही हलफनामा दायर कर बताए कि वह कथित जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए क्या कदम उठा रहा है। अदालत ने कहा कि केंद्र बताए कि क्या कदम उठा रही है अन्यथा यह मुश्किल होगा।
‘किसी को भी किसी और का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं’
होम मिनिस्ट्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सबको है लेकिन इस अधिकार में यह अधिकार शामिल नहीं है कि किसी और के धर्म का परिवर्तन कराया जाए। किसी और के धर्म का परिवर्तन का मौलिक अधिकार किसी को नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर केंद्र और तमाम राज्यों को प्रतिवादी बनाया है। तमिलनाडु में 17 साल की लड़की की मौत के मामलेे में छानबीन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है।
Religion Cannot Be Converted For Charity Why Did The Supreme Court Say