कोरोना झटके से उबर प्रिंट मीडिया फिर लय में
जानिए, उतार-चढ़ावों के बीच कैसा रहा इस साल प्रिंट मीडिया का ‘सफर’
नई दिल्ली 25 दिसंबर। साल भर तमाम उतार-चढ़ावों के बीच प्रिंट मीडिया एक बार फिर रफ्तार पकड़ने लगा है और तमाम अन्य बिजनेस की तरह नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहा है।
साल भर तमाम उतार-चढ़ावों के बीच प्रिंट मीडिया एक बार फिर रफ्तार पकड़ने लगा है और तमाम अन्य बिजनेस की तरह नुकसान से उबरने की कोशिश कर रहा है। ऐसे समय में जब प्रिंट मीडिया पुनरुत्थान की ओर बढ़ रहा है, इस ग्रोथ में क्षेत्रीय समाचार पत्र अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इस साल की शुरुआत तमाम अखबारों के लिए खराब रही, क्योंकि कोरोनावायरस (कोविड-19) का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण उनका सर्कुलेशन काफी बाधित हुआ। मुंबई और दिल्ली जैसे कई बड़े मार्केट्स में तमाम अखबार पब्लिशिंग रोकने पर मजबूर हो गए।
इसका सीधा नतीजा विज्ञापन बिलों पर पड़ा और इसके परिणामस्वरूप इस सेक्टर को काफी नुकसान हुआ, जो 2019-20 की आखिरी तिमाही में ही नहीं बल्कि नए वित्त वर्ष की लगातार दो तिमाहियों में भी दिखाई दिया।
इस महामारी ने देश में पहले से ही परेशानियों से जूझ रही न्यूजपेपर इंडस्ट्री की समस्या और बढ़ा दी। सिर्फ छोटे ब्रैंड्स ही नहीं, बल्कि इस इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।
बिजनेस इंटेलीजेंस फर्म ‘टोफलर’ (Tofler) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, ‘बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड’ (BCCL) ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए 451.63 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्शाया, जबकि इससे पहले वित्तीय वर्ष में इसे 484.27 करोड़ रुपये का कुल लाभ हुआ था।
कंपनी का ऐडवर्टाइजिंग रेवेन्यू भी 6,155.32 रुपये से घटकर 5,367.88 करोड़ रुपये रह गया। पब्लिकेशंस की बिक्री से मिलने वाले रेवेन्यू में भी गिरावट आई और यह 656.09 करोड़ रुपये से घटकर 629.96 करोड़ रुपये पर आ गया। सर्कुलेशन में कमी और विज्ञापनदाताओं की गैरमौजूदगी के कारण न्यूजपेपर इंडस्ट्री के लिए मार्केट काफी समय तक सूखा रहा। लेकिन प्रिंट ने मजबूती से लड़ाई की और वापसी की।
अप्रैल की बात करें तो स्थिति को देखते हुए तमाम अखबारों ने अपनी रणनीति बनानी शुरू की, इसके साथ ही जब सरकार ने अखबारों को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल किया तो प्रिंट पब्लिकेशंस को फिर मजबूती मिली। दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, ईनाडु, हिन्दुस्तान, पत्रिका ग्रुप, अमर उजाला, डेली थांथी, साक्षी, डेक्कन हेराल्ड, हिन्दुस्तान टाइम्स और दिव्य भास्कर समेत तमाम अखबारों ने अप्रैल के दूसरे हफ्ते में संयुक्त रूप से एक स्टेटमेंट जारी कर बताया कि फरवरी के आधार पर अखबारों का वितरण किस तरह 75 से 90 प्रतिशत तक स्थिर हो गया। अगले महीने ‘इंडियन रीडरशिप सर्वे’ (IRS) के आंकड़े आए। इसमें रीजनल अखबारों का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा और उन्होंने इस सेक्टर की ग्रोथ में अहम भूमिका निभाई।
मई में जारी इंडियन रीडरशिप सर्वे की रिपोर्ट 2019 की पिछली तीन तिमाही यानी पहली (Q1), दूसरी (Q2) और तीसरी तिमाही (Q3) के साथ चौथी तिमाही के ताजा आंकड़ों के औसत पर आधारित था। इससे पता चला कि विभिन्न केंद्रों पर रीडरशिप में कमी आई है। हालांकि, गहनता से अध्ययन करने पर स्पष्ट हुआ कि मेट्रो शहरों के बाहर रीजनल एरिया में पब्लिशर्स की ग्रोथ ज्यादा हुई।
कुछ प्रादेशिक अखबारों की टोटल रीडरशिप (total readership) में बढ़ोतरी देखी गई, जबकि कुछ की एवरेज इश्यू रीडरशिप (average issue readership) में बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, देश के कुछ लोकप्रिय ब्रैंड्स जैसे अमर उजाला, लोकमत, दैनिक थांथी ने दोनों में बढ़ोतरी दर्ज की।
जुलाई में सरकार ने सरकारी विज्ञापनों के लिए नई गाइडलाइंस जारी कीं। प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति 2020 जिसे सरकारी विज्ञापनों की व्यापक संभव कवरेज के लिए तैयार किया गया था, भारतीय भाषा के दैनिक समाचार पत्रों के लिए फायदेमंद साबित हुई। क्योंकि इसमें विज्ञापन स्पेस (ad space) भी बढ़ाकर 50 से 80 प्रतिशत कर दिया गया। इसके अलावा नई पॉलिसी में प्रिंट में विज्ञापन का संतुलित डिस्ट्रीब्यूशन तय किया गया।
एक अगस्त 2020 से प्रभावी इन गाइडलाइंस में कहा गया है कि सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्वायत्त निकाय और सोसायटीज, केंद्रीय विश्वविद्यालय और भारत सरकार के सभी शैक्षणिक संस्थान अपने डिस्पले विज्ञापनों को ‘ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन’ के माध्यम से देंगे। इन गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि विज्ञापनों को जारी करते समय बीओसी सर्कुलेशन, भाषा, कवरेज क्षेत्र और पाठकों जैसे कारकों की विभिन्न श्रेणियों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करेगी।
जुलाई में प्रिंट की ओर एडवर्टाइजर्स फिर वापस आना शुरू हुए, जिसकी इंडस्ट्री को काफी जरूरत थी। हालांकि, रिकवरी की रफ्तार टियर-दो और टियर-तीन शहरों में अधिक थी। टैम एडेक्स (Tam AdEx) के डाटा के अनुसार, प्रिंट पर वापसी करने वाले विज्ञापनदाताओं में 75 प्रतिशत हिंदी और अंग्रेजी भाषा के थे।
राज्यों की हिस्सेदारी की बात करें तो 17 प्रतिशत ऐड वॉल्यूम शेयर के साथ उत्तर प्रदेश इस लिस्ट में सबसे ऊपर था, इसके बाद 10 प्रतिशत शेयर के साथ महाराष्ट्र और इसके बाद कर्नाटक व तमिलनाडु का नंबर था।
टैम डाटा के अनुसार, अप्रैल से जून की अवधि में 189 कैटेगरीज में 28000 से ज्यादा एडवर्टाइजर्स और 31300 से ज्यादा ब्रैंड्स ने खासतौर पर प्रिंट के लिए विज्ञापन दिया। एडवर्टाइजर्स की वापसी के कारण 13 अगस्त को दैनिक भास्कर ने अपने भोपाल एडिशन को 72 पेज का निकाला। इस दौरान दैनिक भास्कर में जिन सेक्टर्स के विज्ञापन दिए गए, उनमें रियल एस्टेट, इलेक्ट्रॉनिक ड्यूरेबल्स, ऑटोमोबाइल और एफएमसीजी शामिल रहे। इस पब्लिकेशन को सरकारी विज्ञापन भी प्राप्त हुए। अगस्त के पहले सप्ताह से टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी दिल्ली, गुरुग्राम, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद जैसे तमाम प्रमुख मार्केट्स में 30-40 से ज्यादा पेजों का अखबार पब्लिश करना शुरू कर दिया।
पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट 2020 के मिड ईयर रिव्यू के अनुसार, विज्ञापन देने वालों में एफएमसीजी, ऑटो और एजुकेशन जैसी कैटेगरीज आगे रहीं और वर्ष 2020 की पहली छमाही में प्रिंट पर विज्ञापन खर्च के मामले में इनका योगदान करीब 45 प्रतिशत रहा, जो वर्ष 2019 में 38 प्रतिशत था।
प्रिंट पर विज्ञापन खर्च के मामले में एजुकेशन सेक्टर 16 प्रतिशत शेयर के साथ एफएमसीजी सेक्टर से आगे निकल गया। एफएमसीजी सेक्टर 15 प्रतिशत शेयर के साथ दूसरे स्थान पर आ गया। प्रिंट पर विज्ञापन खर्च के मामले में ऑटो इंडस्ट्री 14 प्रतिशत शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रही।
फेस्टिव सीजन प्रिंट के लिए काफी अच्छा रहा। विशेषज्ञों के अनुसार, इस दौरान टेलिविजन न्यूज को लेकर चल रहीं तमाम तरह की बहस ने भी प्रिंट को लाभ पहुंचाने में और मदद की। टैम एडेक्स डाटा के अनुसार, अन्य किसी ट्रेडिशनल मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया को वर्ष 2019 और वर्ष 2020 दोनों में अक्टूबर से नवंबर के बीच काफी ज्यादा एडवर्टाइजर्स मिले। टीवी में इस साल अक्टूबर से नवंबर के बीच जहां 3400 एडवर्टाइजर्स मिले और रेडियो में इन एडवर्टाइजर्स की संख्या 2800 से कम थी, वहीं इसी अवधि में प्रिंट को 30900 से ज्यादा एडवर्टाइजर्स मिले।
हालांकि, साल के अंत से प्रिंट का रेवेन्यू बढ़ना शुरू हुआ है, लेकिन इंडस्ट्री के लिए इससे बुरा समय नहीं हो सकता, जब नुकसान के चलते उन्हें काफी कॉस्ट कटिंग करनी पड़ी। इसके परिणामस्वरूप कई लोगों को नौकरी से हटाया गया अथवा उनकी सैलरी में कटौती करनी पड़ी
दिव्य भास्कर ने निकाला 160 पेज का मेगा एडिशन
‘दैनिक भास्कर’ समूह के गुजराती भाषा के अखबार ‘दिव्य भास्कर’ ने राजकोट एडिशन की 14वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए दो पार्ट में 160 पेज का मेगा एडिशन पब्लिश किया।
‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) समूह के गुजराती भाषा के अखबार ‘दिव्य भास्कर’ (Divya Bhaskar) ने राजकोट एडिशन की 14वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए दो पार्ट में 160 पेज का मेगा एडिशन पब्लिश किया। इससे पहले समूह शिमला में 144 पेज, इंदौर में 128 पेज, बीकानेर में 130 पेज, अहमदाबाद में 80 पेज, भोपाल में 72 पेज, उज्जैन में 60 पेज और होशंगाबाद में 60 पेज के स्पेशल एडिशंस निकाल चुका है।
‘कोरानावायरस’ (कोविड-19) ने तमाम भारतीयों के सामने बहुत चुनौतियां पेश की हैं और उनके जीवन पर इस महामारी का बहुत प्रभाव पड़ा है। इस स्पेशल एडिशन का उद्देश्य इन चुनौतियों के बीच पैदा हुए नए अवसरों को सामने लेकर आना है। इस एडिशन की थीम में बताया गया है कि वर्ष 2030 में राजकोट कैसा होगा और इस चुनौतीपूर्ण समय में सामने आए विभिन्न अवसरों को सकारात्मक तरीके से सामने रखा गया है।
राजकोट के स्पेशल एडिशन के बारे में गुजरात के बिजनेस हेड संजीव चौहान का कहना है, ‘इस साल और उस समय में जब दुनिया महामारी के प्रभावों से उबर रही है, यह एडिशन पाठकों के बीच आशा और सकारात्मकता पैदा कर रहा है। बाजार की स्थिति के बीच यह बिजनेस कम्युनिट के साथ-साथ खरीदारों में विश्वास पैदा करने की दिशा में उठाया गया शानदार कदम है।’
वहीं, सौराष्ट्र और कच्छ के रीजनल हेड जयदीप मेहता का कहना है, ‘राजकोट एडिशन की 14वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए निकाला गया यह मेगा एडिशन पाठकों को श्रेष्ठ देने के दिव्य भास्कर के अपने संकल्प को दोहराता है। यह हमारे पाठकों और व्यापार सहयोगियों के विश्वास और समर्थन के बिना संभव नहीं था, जो हमें चुनौती से निपटने और नए मील के पत्थर स्थापित करने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरित करते हैं।’
बसों से उतारकर नष्ट कर दीं अखबार की 6000 कॉपियां, संपादक ने जताया ये संदेह
ये अखबार त्रिपुरा के तीन जिलों में बांटने के लिए भेजे जा रहे थे। पुलिस ने इस घटना में शामिल लोगों की तलाश का काम शुरू कर दिया है।
त्रिपुरा के गोमती जिले के उदयपुर में शनिवार को कुछ लोगों ने बसों पर लदीं प्रादेशिक अखबार ‘प्रतिवादी कलम’ (Pratibadi Kalam) की तकरीबन छह हजार कॉपियां छीन लीं और उन्हें नष्ट कर दिया। ये अखबार त्रिपुरा के तीन जिलों में बांटने के लिए भेजे जा रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अखबार में राज्य के कृषि विभाग में कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थीं। त्रिपुरा पुलिस का कहना है कि इस मामले में राधाकिशोरपुर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है और इस घटना के जिम्मेदार लोगों की पहचान की जा रही है।
दैनिक ‘प्रतिबादी कलम’ के संपादक अनोल रॉय चौधरी का कहना है, ‘संदेह है कि अखबार द्वारा कथित तौर पर 150 करोड़ रुपये के कृषि घोटाले पर पिछले तीन दिनों में कई खबरों की एक श्रृंखला पब्लिश करने के कारण यह हमला हुआ है। हमने जो रिपोर्ट पब्लिश की थीं, उनमें अन्य लोगों के साथ कृषि मंत्री प्रणजीत एस. राय (Pranajit Singha Roy) का नाम भी सामने आया था।’
अनोल रॉय चौधरी के अनुसार, उदयपुर में अखबार की करीब छह हजार कॉपियां छीन ली गईं और उनमें से आधे से ज्यादा को जला दिया गया व ढेर सारी कॉपियों को फाड़कर इधर-उधर फेंक दिया गया। अपनी शिकायत में चौधरी ने राजू मजूमदार नाम के व्यक्ति समेत 11 लोगों को अखबार की कॉपियां फाड़ने और जलाने की इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि शनिवार को अन्य जगहों पर जा रहीं अखबारों की कॉपियां भी रोकी गईं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और इस घटना में शामिल लोगों की पहचान कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं, अगरतला प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने पुलिस उप-महानिरीक्षक सौमित्र धर से मुलाकात कर इस घटना के लिए दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
फेस्टिव सीजन में प्रिंट मीडिया ने कुछ यूं पकड़ी ‘रफ्तार’
टैम एडेक्स के नवीनतम डाटा के अनुसार, इस साल अप्रैल के मुकाबले अगस्त में प्रतिदिन औसत रूप से विज्ञापन में 5.7 गुना तक की बढ़ोतरी देखी गई है।
टीवी न्यूज को लेकर चल रही तमाम तरह की बहस और फेस्टिव सीजन के बीच प्रिंट मीडिया इस सीजन में एडवर्टाइजर्स की पहली पसंद बनता जा रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगस्त से कुछ प्रमुख मीडिया संस्थानों द्वारा 50 पेज से ज्यादा के एडिशंस निकाले गए हैं। इसका मतलब साफ है कि प्रिंट की वापसी हो चुकी है। सितंबर से विज्ञापन रेवेन्यू बढ़ने के साथ ही सर्कुलेशन और बेहतर हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले अखबारों ने अब अपना 75 प्रतिशत बिजनेस वॉल्यूम हासिल कर लिया है।
सर्कुलेशन और विज्ञापन
टैम एडेक्स (TAM AdEx) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल के मुकाबले अगस्त में प्रतिदिन औसत रूप से विज्ञापन में 5.7 गुना तक की बढ़ोतरी देखी गई है। जुलाई से सितंबर के बीच प्रिंट पर विज्ञापन दे रहीं पांच प्रमुख कैटेगरीज में कार, मल्टीपल कोर्सेज, टू-व्हीलर, रियल एस्टेट और ओटीसी प्रॉडक्ट्स की विस्तृत श्रंखला शामिल रही। अप्रैल से जून के बीच टॉप-5 कैटेगरीज में विज्ञापन वॉल्यूम 21 प्रतिशत के मुकाबले जुलाई और सितंबर के बीच यह 33 प्रतिशत रहा।
इस बारे में मैल्कम राफेल (Malcolm Raphael), SVP and Head, Creative Strategy and Planning, Times Response (BCCL), the creative & media planning unit of BCCL का कहना है, ‘लंबे समय तक लॉकडाउन के बावजूद हम आशावादी हैं और यही कारण है कि ऐड वॉल्यूम और रेवेन्यू महीना दर महीना बढ़ रहा है। फेस्टिव सीजन न सिर्फ मीडिया के लिए बल्कि तमाम अन्य कैटेगरीज के लिए महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान कंज्यूमर्स सबसे ज्यादा खर्च करते हैं और यह ब्रैंड्स के लिए त्योहारी भावनाओं को भुनाने का महत्वपूर्ण समय होता है। पिछले 40 दिन की बढ़त से यही प्रतिबिंबित हो रहा है। तमाम चुनौतियों के बावजूद ब्रैंड्स सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।’
अखबारों का सर्कुलेशन वापस ट्रैक पर आ रहा है और बड़े प्लेयर्स ने सकारात्मक ट्रेंड देखना शुरू कर दिया है। पिछले हफ्ते ‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ (DB Corp Limited) ने अपने तिमाही नतीजों की घोषणा की थी। इसमें बताया था कि जुलाई से सर्कुलेशन बढ़ा है।
इस बारे में ‘डीबी कॉर्प लिमिटेड’ के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधीर अग्रवाल का कहना है, ‘हालांकि पहली तिमाही में हमारे परिणाम में जरूर कुछ व्यवधान देखने को मिला है, लेकिन यह बताना महत्वपूर्ण है कि लगभग सभी मापदंडों में चाहे वह परिचालन हो, एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू हो अथवा सर्कुलेशन, जुलाई के बाद से हमने इनमें सुधार देखा है और यह लगातार आगे बढ़ रहा है। हमें यह बताते हुए खुशी है कि हमारा प्रदर्शन अब कोविड-19 के पहले के स्तर के नजदीक आ रहा है।’