रेमडेसिविर कालाबाजारी में डॉ.अल्तमस,जाजिब,कुमैल बंदी,और भी हैं गिरोह

 

रेमडेसिविर की कालाबाजारी में न्यूरो सर्जन मौहम्मद अल्तमश समेत 3 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दबोचा: 70 इंजेक्शन, ₹36 लाख बरामद

रेमडेसिविर की कालाबाजारी में प्रख्यात न्यूरो सर्जन मौहम्मद अल्तमश समेत 3 गिरफ्तार

गाजियाबाद27 अप्रैल।  गाजियाबाद पुलिस  और  अपरााध शाखा की टीम ने कोरोना काल में दिल्ली-एनसीआर में रेमडेसिविर (Remdesivir) इंजेक्शन की कालाबाजारी करते देश के प्रख्यात न्यूरो सर्जन मोहम्मद अल्तमश और उनके दो साथियों को गिरफ्तार किया है। हजरत निजामुद्दीन का रहने वाला डॉक्टर अल्तमश लंबे समय तक एम्स में अपनी सेवाएँ दे चुका है और उसके देश के कई बड़े नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं। पुलिस ने इसके कब्जे से 70 रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलावा दो अक्टेमरा इंजेक्शन व 36 लाख दस हजार रुपए नकद और एक लग्जरी कार भी बरामद की है।


अपराध शाखा प्रभारी इंस्पेक्टर संजय पांडेय ने बताया कि डॉक्टर के इस गिरोह की सूचना तीन दिन पहले पुलिस को मिली थी। एक पीड़ित व्यक्ति ने बताया था कि उसने इस गिरोह से 48 हजार रुपए में एक इंजेक्शन खरीदा है। इस सूचना के बाद पुलिस टीम गिरोह के पीछे पड़ गई और कैला भट्ठा में रहने वाले डॉक्टर के साथी कुमैल अकरम को दबोच लिया। इससे पूछताछ में पता चला कि उसे इंदूवाड़ा दिल्ली का रहने वाला जाजिब इंजेक्शन उपलब्ध कराता है। इसके बाद पुलिस ने जाजिब को भी गिरफ्तार कर लिया और उसी की निशानदेही पर डॉक्टर अल्तमश को गिरफ्तार किया गया।

डॉक्टर ने दिखाई अपने पहुँच की धौंस

पुलिस टीम ने जब डॉक्टर अल्तमश को पकड़ा तो आरोपित डॉक्टर ने पहले तो अपनी ऊँची पहुँच की धौंस दिखाई। बताया कि देश के तमाम बड़े नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों से उसके संबंध हैं, लेकिन जैसे ही पुलिस ने थोड़ी कड़ाई की, आरोपित डॉक्टर की सारी हेकड़ी निकल गई। उसने न केवल गुनाह कबूल कर लिया, बल्कि अपनी गाड़ी में से इन जीवन रक्षक दवाओं की खेप भी बरामद करा दी। पुलिस ने गाड़ी समेत सारा माल कब्जे में ले लिया है।

गाजियाबाद में 40 से 50 हजार में बेचते थे इंजेक्शन
नगर कोतवाल संदीप कुमार सिंह ने बताया कि डॉक्टर अपने नाम पर एम्स से दवाओं को निकलवा कर अपने साथियों को देता था। इसके बाद आरोपित जाजिम अपने साथी कुमैल के साथ मिलकर इसे गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में ले जाकर बेचते थे। उन्होंने बताया कि यहाँ पर आरोपित एक इंजेक्शन 40 से 50 हजार रुपए में बेचता था।

एक दिन में कमाए 36 लाख रुपए

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, डॉक्टर ने केवल रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर महज एक दिन में 36 लाख 10 हजार रुपए कमाए थे। इसके अलावा करीब 50 लाख रुपए आरोपित डॉक्टर ने कुछ अन्य लोगों को भी दिए हैं। यह सारे रुपए कालाबाजारी से ही जुटाए गए हैं। पुलिस को आशंका है कि इस गिरोह में एम्स के कुछ अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस उनकी पहचान का प्रयास कर रही है। आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।

खिलवाड़: रेमडेसिविर की शीशी में पैरासिटामोल बेच रहे चार गिरफ्तार, आरटी-पीसीआर रिपोर्ट में भी फर्जीवाड़ा

महाराष्ट्र के पुणे और बारामती में फर्जी रेमडेसिविर और फर्जी आरटी-पीसीआर की रिपोर्ट कराने का मामला सामने आया है। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच में जुट गई है।

फर्जी रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहे चार लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार

देश में कोरोना के हालात बद से बदतर हो रहे हैं। रोजाना लाखों मामले सामने आने के बीच कई ऐसी खबरें सामने आ रही हैं, जो स्वास्थ्य महकमे की चिंताएं और बढ़ा रही हैं। कई राज्यों से कोरोना की दवा रेमडेसिविर के खत्म होने और कालाबाजारी की खबरें सामने आईं, जिसके बाद सरकार ने सख्ती दिखाकर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का एलान किया।

हाल ही में महाराष्ट्र के बारामती से पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन चारों लोगों पर फर्जी रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का आरोप है। ये लोग रेमडेसिविर की खाली शीशी में पैरासिटामोल की दवाई भरकर कोरोना मरीजों को बेच रहे थे।

ऐसा बताया जा रहा है कि ये गिरोह नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को 35,000 रुपये में बेच रहा था। पुणे ग्रामीण के डिप्टी एसपी नारायण शिवगावकर ने बताया कि आरोपियों के कब्जे से तीन इंजेक्शन बरामद किए गए हैं। इन इंजेक्शन पर रेमडेसिविर लिखा था लेकिन इनके अंदर लिक्विड फॉर्म में पैरासिटामोल ही थी।

दरअसल, इस गिरोह का पर्दाफाश ऐसे हुआ, बारामती में एक मरीज के रिश्तेदार को रेमडेसिविर इंजेक्शन की तत्काल जरूरत थी, उसे पता चला कि एक निजी अस्पताल में ये दवा मिल रही है। शख्स ने गैंग के एक सदस्य से संपर्क किया, आरोपित ने बताया कि वह एक कोविड केंद्र में काम करता है। जब मरीज के रिश्तेदार ने इंजेक्शन की कीमत पूछी तो उसने एक इंजेक्शन की कीमत 35 हजार रुपये बताई।

इसके अलावा पुणे से कोरोना रिपोर्ट के घपलेबाजी की भी खबरें सामने आई हैं। महाराष्ट्र के पुणे में दो लोगों को फर्जी आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट जारी करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और रिपोर्ट में देरी आने की वजह से आरोपित ने कई लोगों की फर्जी रिपोर्ट जारी की हैं। पुलिस ने जानकारी दी कि इस मामले में आगे की जांच की जा रही है।

नकली रेमडेसिविर भी मनमाने दाम पर,धरे गए सात

रेमडेसिविर की खाली शीशी 35 हजार की:नर्स बहन खाली शीशी देती, भाई एंटीबायोटिक भर 8 हजार में दलालों को देता फिर मनमाने दामों पर बिकती थी
नकली रेमडेसिविर बनाने और बेचने वाले 7 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है।

मध्यप्रदेश के रतलाम में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने का बड़ा रैकेट पकड़ा गया है। एक युवक यह गिरोह नर्स बहन के साथ मिलकर चलाता था। बहन मेडिकल कॉलेज से उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशी लाकर देती थी। भाई इसमें सामान्य एंटीबायोटिक सेफ्ट्रिक्सोन पाउडर मिलाकर उसे फेवीक्विक से फिर से पैक कर देता था। इंजेक्शन के खाली खोखे पर लिखे हुए मरीज के नाम को सैनिटाइजर से मिटा कर उसे कालाबाजारी करने वालों को 6 से 8 हजार रुपए में बेच देता था।

दलालों के माध्यम से यह नकली इंजेक्शन जरूरतमंद ग्राहकों तक 30 से 35 हजार रुपए तक में बिकता था। पुलिस ने इस मामले में अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसमें रतलाम के जीवांश हॉस्पिटल के डॉक्टर उत्सव नायक, डॉक्टर यशपाल सिंह, मेडिकल व्यवसायी प्रणव जोशी, मेडिकल कॉलेज की नर्स रीना प्रजापति, रीना का भाई पंकज प्रजापति, जिला अस्पताल में पर्ची बनाने वाले गोपाल मालवीय और रोहित मालवीय शामिल हैं।

ऐसे पकड़ में आया गिरोह

पुलिस ने शनिवार रात को जीवांश हॉस्पिटल पर दबिश देकर वहां के दो ड्यूटी डॉक्टर को 30 हजार लेकर इंजेक्शन की डिलीवरी देते रंगे हाथ पकड़ा था। यहां से डॉक्टर उत्सव नायक और डॉक्टर यशपाल सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में हुए खुलासे पर फरार आरोपित प्रणव जोशी को मंदसौर से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मेडिकल कॉलेज की नर्स रीना प्रजापति, उसके भाई पंकज प्रजापति, गोपाल मालवीय और रोहित मालवीय का नाम सामने आए। चारों को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया।

नकली इंजेक्शन जांच के लिए सागर लैब भेजा जाएगा
पुलिस ने आरोपियों के पास से नकली इंजेक्शन, औजार और अन्य सामान जब्त किया है। जब्त किए गए नकली इंजेक्शन और सामग्री को फॉरेंसिक जांच के लिए सागर भेजा जाएगा। इस मामले में पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। पुलिस जीवन रक्षक इंजेक्शनों की कालाबाजारी करने वालों पर रासुका लगाने की तैयारी में है।

एक्सपर्ट: सिरींज की तरह रेमडेसिविर की खाली शीशियां भी नष्ट की जानी चाहिए

सभी कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन पाउडर के रूप में बेचती हैं। लगाने के पहले ही इसका घोल तैयार किया जाता है। डॉ. अतुल नाहर कहते हैं कहीं से भी लें, पाउडर फॉर्म में ही लें। वैसे भी तैयार इंजेक्शन एक समय सीमा के बाद उपयोग नहीं किया जा सकता। कुछ लोग निजीतौर पर इंजेक्शन लगवा लेते हैं, यह गलत है। अस्पतालों को भी सिरींज की तरह, इसकी खाली शीशियों को नष्ट करना चाहिए ताकि दुरुपयोग न हो।

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