जिहादी जुबैर चार दिन और पुलिस हिरासत में
फिल्म के सीन के आधार पर गिरफ्तार किया अब रिमांड मांग रहे हैं, जानें, मोहम्मद जुबैर की तरफ अदालत में दी गईं क्या-क्या दलील
दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को एक हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने से जुड़े मामले में मंगलवार को यहां एक अदालत में पेश किया। पुलिस ने जुबैर की हिरासत में पूछताछ की एक दिन की अवधि समाप्त होने के बाद उसे मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया के समक्ष पेश किया।
हाइलाइट्स
मोहम्मद जुबैर को एक हिंदू देवता के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट मामले में किया था गिरफ्तार
जुबैर को मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने किया पेश, हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग
वकील ने कहा- पूरा मामला बेतुका, मेरे मुवक्किल ने किसी भी इमेज को एडिट नहीं किया है
नई दिल्ली 28 जून : धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किए पत्रकार और ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की हिरासत में पूछताछ की अवधि को चार दिन के लिए बढ़ा दिया। मोहम्मद जुबैर की तरफ से मामले की पैरवी एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने की। एडवोकेट ग्रोवर ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ जो आईपीसी की धारा 153ए और 295 लगाई गई हैं उसमें क्रमश : अधिकतम तीन वर्ष और दो वर्ष की सजा का प्रावधान है। साथ ही पुलिस ने जिस जिस ट्वीट का जिक्र किया है वह 2018 का है। जुबैर की वकील ने कहा कि यह कुछ गुमनाम ट्वीट है, एक ट्वीट जो रिकॉर्ड के अनुसार, मार्च 2018 का है। ट्वीट किस बारे में है? कम से कम इसके कुछ हिस्से हैं जिन्हें मैं बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही हूं। एडवोकट ने कहा कि पब्लिक प्रोसिक्यूटर के अनुसार मेरे मुवक्किल ने इमेज को ए़डिट किया है। जुबैर के वकील ने दलील दी कि एक फिल्म के सीन के आधार पर उनके मुवक्किल को गिरफ्तार किया गया और अब रिमांड मांग रहे हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि मोहम्मद जुबैर ने प्रसिद्धि पाने की कोशिश में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए कथित रूप से विवादास्पद ट्वीट का इस्तेमाल किया।
‘यह फिल्म बैन नहीं है, सबने देखी है’
जुबैर की वकील ने कहा कि यह तस्वीर 1983 में बनी एक फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है। ऐसी कोई एडिटिंग नहीं है जो आरोपी या किसी और ने किया हो। वकील ने कहा कि इसमें फारुख शेख और दीप्ति नवल हैं। फिल्म में एक नवविवाहित जोड़ा है और वे होटल जाते हैं। इस फिल्म को सेंसर से सर्टिफिकेट मिला था और ये फिल्म बैन नहीं हुई थी और सबने देखी थी। दूसरी तरफ आईएफएसओ के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि ट्वीट काफी पुराना होने से फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आपको सिर्फ उसे रीट्वीट कर किसी को टैग कर देना है और वह नया बन जाता हैै।
हनीमून होटल को हनुमान होटल बना दिया
जुबैर ने वकील ने दलील दी कि ऐसे कई ट्विटर हैंडल हैं जो इस बात का जिक्र रहे हैं कि हनीमून होटल को हनुमान होटल बना दिया गया है। कृपया मेरे द्वारा रिकॉर्ड किए गए ट्वीट्स देखें। उन्होंने कहा कि इसी से सोशल मीडिया काम करता है। चाहे जो भी हो, यह एक स्वतंत्र देश है, लोग जो चाहें कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल ने कुछ नहीं किया है। एडवोकेट ग्रोवर ने कहा कि यह तय कानून है कि सेक्शन 153A लगाने के लिए दो समुदायों का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला बेतुकेपन पर आधारित है।
किसी दूसरे मामले में पूछताछ के लिए बुलाया
जुबैर की तरफ से अदालत में कहा गया कि मुझे किसी अन्य मामले में पूछताछ के लिए बुलाकर किसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया। जुबैर की तरफ से कहा गया कि यह एफआईआर एक पुलिस अधिकारी ने दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि क्या पुलिस अधिकारी जानता है कि वह क्या कर रहा है।’ जुबैर ने कहा कि मुझे देर रात एफआईआर मिली। सोशल मीडिया पर सक्रिय मेरे जूनियर्स ने एक न्यूज चैनल से रिमांड कॉपी डाउनलोड की। मुझे यह पुलिस से नहीं मिला।
मेरे नाम की वजह से बनाया जा रहा निशाना?
मेरे ट्वीट में कुछ भी नहीं है, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है जो आपत्तिजनक हो यहां तक कि उसके लिए भी जो हिंदू धर्म को मानता है। इसमें क्या आपत्तिजनक है? जुबैर की तरफ से कहा गया कि अगर यह वही ट्वीट है, तो कई अन्य लोगों ने भी कहा है, उनमें और मेरे बीच एकमात्र अंतर मेरे नाम, मेरे काम का है? क्या यही वजह है कि मुझे निशाना बनाया जा रहा है?
आपत्तिजनक ट्वीट मामले में एक दिन पहले हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को एक हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने से जुड़े मामले में मंगलवार को यहां एक अदालत में पेश किया। पुलिस ने जुबैर की हिरासत में पूछताछ की एक दिन की अवधि समाप्त होने के बाद उसे मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया के समक्ष पेश किया।
नौ महीने पुराने अकाउंट से इकलौते ट्वीट ने मोहम्मद जुबैर को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, पूरी कहानी
Mohammed Zubair Alt News: दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज के मोहम्मद जुबैर को एक ट्वीट के आधार पर गिरफ्तार किया। ‘हनुमान भक्त’ स्क्रीननेम वाले यूजर ने जुबैर के एक ‘आपत्तिजनक’ ट्वीट को कोट करते हुए दिल्ली पुलिस को टैग किया था।
हाइलाइट्स
दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को किया अरेस्ट
सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए हिंदुओं की भावनाएं आहत करने का आरोप
पुलिस ने IPC की धारा 153A और 295A के तहत जुबैर को किया गिरफ्तार
जिस यूजर के ट्वीट का लिया संज्ञान, उसने नौ महीनों में बस 1 पोस्ट किया था
दिल्ली पुलिस ने एक ट्वीट का संज्ञान लेकर मोहम्मद जुबैर को अरेस्ट किया।
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को एक ट्विटर यूजर की शिकायत पर अरेस्ट किया गया। दिल्ली पुलिस के अनुसार, उसे ट्विटर यूजर ने अलर्ट किया कि जुबैर पहले भी आपत्तिजनक ट्वीट्स कर चुके हैं। पुलिस ने ट्विटर पर ‘हनुमान भक्त’ नाम रखने वाले जिस यूजर के अलर्ट पर ऐक्शन किया, उसने अक्टूबर 2021 में अकाउंट बनाया था। दिलचस्प बात यह है कि अकाउंट से 24 घंटे पहले तक बस एक ही ट्वीट किया गया था। यह वही ट्वीट है जिसका दिल्ली पुलिस ने संज्ञान लिया। खबर लिखे जाने तक अकाउंट पर केवल तीन ट्वीट दिख रहे थे। दूसरा ट्वीट ‘फॉलो मी’ का है और तीसरे में जुबैर के साथी और ऑल्ट न्यूज के एक और को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा के एक ट्वीट की शिकायत की गई है। दिल्ली पुलिस और साइबर क्राइम यूनिट को टैग कर प्रतीक के खिलाफ भी ऐक्शन लेने की मांग की गई है।
खबर लिखे जाने तक सिर्फ तीन ट्वीट्स दिख रहे थे
राजस्थान की बताई है लोकेशन
जुबैर और प्रतीक की शिकायत करने वाले ट्विटर अकाउंट के बायो में ‘जय बालाजी महाराज की’ लिखा है। लोकेशन राजस्थान की दी गई है। खबर लिखे जाने तक यह अकाउंट 46 लोगों को फॉलो कर रहा था जिनमें अरविंद केजरीवाल, उमर अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी, दिग्विजय सिंह, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, अशोक गहलोत, महुआ मोइत्रा, असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी यादव, पी चिदंबरम जैसे राजनीतिक अकाउंट्स के अलावा कुछ पत्रकार और मीडिया संस्थान शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस ने जुबैर की गिरफ्तारी पर क्या कहा?
पुलिस के अनुसार, जुबैर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। दिल्ली पुलिस ने जो ट्वीट ‘आपत्तिजनक’ पाया, उसमें ‘हनीमून होटल’ के साइनबोर्ड को ‘हनुमान होटल’ में बदला दिखाया गया था। इसी ट्वीट को कोट करते हुए ‘हनुमान भक्त’ ने पुलिस को टैग किया और कहा कि ‘हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ना सीधे-सीधे हिंदुओं का अपमान है क्योंकि वे ब्रह्मचारी हैं। इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कीजिए।’
दिल्ली पुलिस ने कहा कि मोहम्मद जुबैर की पोस्ट में एक धर्म विशेष के खिलाफ तस्वीर और शब्द थे। ऐसा जानबूझकर किया गया जो नफरत फैलाने के लिए पर्याप्त है। दिल्ली पुलिस के अनुसार, पूछताछ में जुबैर ने सवालों के सही से जवाब नहीं दिए। टेक्निकल इक्विपमेंट भी पुलिस को नहीं सौंपे। पुलिस ने ‘संदेहास्पद’ व्यवहार देखकर जुबैर को अरेस्ट करने का फैसला किया।
जुबैर के पक्ष में उठीं हिंदू विरोधी आवाजें
मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के खिलाफ विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ‘भाजपा की नफरत, कट्टरता और झूठ को उजागर करने वाला प्रत्येक व्यक्ति उनके लिए खतरा है। सत्य की एक आवाज को गिरफ्तार करने से केवल एक हजार लोगों को जन्म मिलेगा। सत्य हमेशा अत्याचार पर विजय प्राप्त करता है।’
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा कि जुबैर को बिना किसी नोटिस के और किसी अज्ञात प्राथमिकी में गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि ‘दिल्ली पुलिस मुस्लिम विरोधी नरसंहार के नारों के बारे में कुछ नहीं करती है, लेकिन अभद्र भाषा की रिपोर्ट करने और गलत सूचना का मुकाबला करने के अपराध के खिलाफ तेजी से कार्य करती है।’
ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मौहम्मद जुबैर
तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नेताओं ने भी जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की। शिवसेना, आम आदमी पार्टी, लेफ्ट दलों, समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी गिरफ्तारी को ‘बदले की कार्रवाई’ करार दिया।
चले थे मोहम्मद ज़ुबैर ‘हिंदुओं’ को डराने, अब मुंह छिपाते फिर रहे हैं,जुबैर की उल्टी गिनती का आरंभ है काफी प्रचंड!
कहते हैं, जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, कभी-कभी वे स्वयं उसी गड्ढे में गिर जाते हैं और मोहम्मद ज़ुबैर से प्रत्यक्ष उदाहरण कोई नहीं हो सकता। फेक न्यूज का पर्दाफाश करने के नाम पर हिन्दू देवी देवताओं को निरंतर अपमानित करने वाले Alt News के सह संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर कानूनी एजेंसियों का शिकंजा जिस प्रकार से कसता जा रहा है, उसके पश्चात अब बंधु अपने मुगलिया पूर्वजों की भांति पतली गली से खिसकते हुए प्रतीत हो रहे हैं।
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट से FIR के विरुद्ध याचिका रद्द होने के पश्चात मोहम्मद ज़ुबैर ने आश्चर्यजनक रूप से अपना फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया। जी हाँ, यहीं सच्चाई है! दूसरों के तथ्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाला मोहम्मद ज़ुबैर अपने ऊपर प्रश्न उठते ही अपना फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट कर बैठा –
परंतु जिसके एक इशारे पर विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक पार्टियों में से एक को अपनी प्रवक्ता को निलंबित होने पर विवश होना पड़ा, जिस ‘फ़ैक्ट चेकर’ के एक इशारे पर सम्पूर्ण इस्लामिक जगत भारत के विरुद्ध ‘एकजुट हो गया, वह अचानक इतना दुर्बल और निरीह कैसे हो गया? उसे अपना फ़ेसबुक अकाउंट डिलीट करने पर क्यों विवश होना पड़ा?
असल में मोहम्मद ज़ुबैर के फ़ेसबुक से संबंधित पेज से जुड़े कई हिन्दू विरोधी पोस्ट्स एक के बाद एक वायरल होने लगे, जिसके पश्चात मोहम्मद ज़ुबैर ने या तो अपने पेज को प्राइवेट कर दिया या फिर इसे डिलीट कर दिया।
इन विवादित पोस्ट्स के कुछ स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए The Hawk Eye नामक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया, “दूसरों के भगवान, धर्म, संस्कृति और शास्त्रों का मजाक बनाना आसान है, क्योंकि इसका कोई अंजाम देखने को नहीं मिलता है। विडंबना यह है कि यह ट्वीट उसी शख्स ने किया, जिसने एक ऐसी घटना को अंजाम दिया जिसने पूरे देश को अशांत कर दिया और हिंसक तबाही अभी भी जारी है। क्या अपने पंथ के लिए ऐसा ये कर सकता है?”
Its easy to make fun of other’s god, religion, culture & scriptures, because there is no consequences.
Ironically its coming from same person who triggered an event that took entire nation on ransom, and the violent mayhem is still on..
Ever tried this for own …?👇🏼 pic.twitter.com/dV7dDWTSAR
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) June 13, 2022
परंतु ये तो कुछ भी नहीं है। अभी कुछ ही दिन पूर्व मोहम्मद जुबैर ने 3 हिंदू संतों को नफरत फैलाने वाला कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। ‘हिंदू विरोध’ के नशे में धुत ये महाशय इस प्राथमिकी को चुनौती देने इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए, लेकिन कोर्ट ने इन्हें धोबी पछाड़ देते हुए जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, जून माह की शुरुआत में एक ट्वीट के माध्यम से ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने तीन हिंदू संतों यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘हेट मांगर’ यानी घृणा फैलाने वाला कहा था। इसके विरुद्ध दर्ज एफआईआर को मोहम्मद ज़ुबैर ने चुनौती दी थी ताकि FIR और कार्रवाई से बच सके। पर यह सपना, एक सपना ही रह गया जिससे ज़ुबैर की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई है, और अभी तो हमने इनके यौन शोषण संबंधी मामलों पर प्रकाश भी नहीं डाला है।
इससे पूर्व में भी गाज़ियाबाद में सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में कोर्ट से इसे फटकार पड़ चुकी है। गाजियाबाद के लोनी में एक आपसी झड़प को इसी व्यक्ति समेत कुछ वामपंथियों ने ये दिखाने की कोशिश की कि एक बुजुर्ग को ‘जय श्री राम’ न बोलने के कारण मारा गया और उनकी दाढ़ी काटी गई। लेकिन जब उत्तर प्रदेश प्रशासन ने साक्ष्य सहित इनकी पोल पट्टी खोली और ट्विटर को इन्हें बढ़ावा देने को हड़काया, तो फेक न्यूज फैलाने वाले इसी मोहम्मद जुबैर को माफी मांगने पर विवश होना पड़ा, और ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि बुराई चाहे जितना भी पर फैला ले, परंतु सत्य के सूर्य को ढंकना उसके लिए असंभव है।