कोविड से ज्यादा खतरनाक है उसका डर, लेखक मदन भारती की आपबीती

*कोवीड से ज्यादा उसका डर खौफ़नाक होता है.दिल्ली के लेखक मदन भारती का अपना अनुभव!!(प्रेरक आलेख).

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रे लिए वो तीन सप्ताह जीवन संघर्ष था. Covid या करोना का नाम सुनते ही दिलो-दिमाग में खौफ भर जाता है,क्योंकि ऐसा माहौल बना हुआ है.जिन्हें भी हल्का बुखार होता है ,सर्दी खांसी हुई उन्हें भी शक हो जाता है,वह सिहर जाते हैं ,डर जाते हैं डरने वाली बात भी है.रोजाना इतनी मौतें और अस्पतालों में जो बदतर हालात है वह डराने के लिए काफी है.सच्चाई अपनी जगह है, लेकिन मानसिक रूप से. डर ज्यादा नुकसानदेह साबित होता है* *🌞कहते हैं ना आशावाद एक मानसिक सूर्योदय है.अतः आशावादी बने कि आप स्वस्थ हो जाएंगे,विश्वास कीजिए आप हर समस्या को झेल पाने और सकुशल बचने में सफल हो जाएंगे*.
*अप्रैल के प्रथम सप्ताह में मेरे छोटे पुत्र को बुखार और.सूखी खांसी शुरू हुआ.चार-पांच दिन के बाद दस्त की शिकायत हुई साथ में नाक से खून गिरने लग गया.अभी उसका इलाज करा ही रहे थे एक प्राइवेट क्लीनिक से,उन्हीं दिनों 7 अप्रैल को मुझे तेज बुखार आया जो लगातार 15 दिनों तक बना रहा.पेरासिटामोल खाते रहे. फीवर उतर जाता था और फिर आ जाता था.डॉक्टर ने कई तरह की दवाइयां दी थी.श्रीमती जी को भी फीवर और दस्त की शिकायत हुई पर वह दो-तीन दिन में ही रिकवर कर गई. छोटे बेटे को रिकवर करने में आठ 10 दिन लग गया, लेकिन मै पहले से ही ज्यादा इम्यूनिटी कंप्रोमाइज था, मुझे ज्यादा समय लगा*
*मुझे परेशानी चार पांच दिनों बाद बढ़ी जब खांसी के वक़्त सीने में दर्द शुरू हुआ और गला में भी दर्द सा रहने लगा.जब भी खांसते थे दर्द होता है.गला बैठ गया था. बोल नहीं पा रहे थे.वीकनेस इतनी ज्यादा कि चलना मुश्किल हो गया था.भूख का तो कोई नामोनिशान नहीं था*.फ्रूट जूस ही आहार था.घर के लोग चिंतित थे*.

*भले मै गंभीर स्वास्थ्य के दौर से गुजर रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी.फोन पर बात करना आसान नहीं था मेरे लिए.मुश्किल हो गया था.मैसेज करता रहा.लोगों से मैसेज के द्वारा बातें होती रही.मैंने अपने आप को व्यस्त रखा. कुछ लिखता रहा. फेसबुक व्हाट्सएप पर जुड़ा रहा लोगों से. मैंने आयुर्वेद का भी सहारा लिया चाहे वो काढा हो या गिलोय तुलसी अश्वगंधा लेने की बात.साथ साथ हल्दी भी चलता रहा.मैंने हल्दी का भी सेवन किया जो मुझे लगता है कि कारगर साबित हुआ.एलोपैथिक दवाइयों को 15 दिन बाद मैंने धीरे धीरे कम किया और आयुर्वेद विशेष ध्यान जारी रहा.गर्म पानी पीने पर मैंने विशेष जोर दिया और अपने मन में खौफ तो बैठने ही नहीं दिया.मैं लगातार फेसबुक पर लोगों से बात करता रहा.व्हाट्सएप से जुड़ा रहा.लोगों के संदेश से एक अदृश्य ऊर्जा जागृत होती है ऐसा मैंने महसूस किया.*
*2 सप्ताह के बाद बुखार में कमी आई और 15- 16 दिन के बाद बुखार आना बंद हो गया. सूखी खांसी जो था बहुत कम हुआ और ढीली खांसी कफ में बदलने लग गया था. खांसी अब भी भी है पर कफ निकलने लग गया है,.गला में जो दर्द हो रहा था वह भी ठीक हो गया है पूरी तरह.जूस सलाद पर ज्यादा निर्भर रहा उन दिनों.*
*अनुलोम विलोम और फेफड़ों के लिए बताएं जाने वाले कुछ अभ्यास मैंने शुरू से ही करना शुरू कर दिया था और मुझे यकीन था कि मैं जल्दी स्वस्थ हो जाऊंगा, लेकिन थोड़ा समय लगा.शुरू में संतरा का जूस नारियल पानी तीन दिन लिए थे . वैसे खांसी अब भी है लेकिन अब कफ निकलने लग गया है.सीने में दर्द भी अब बिल्कुल मामूली सा कभी-कभी होता है खांसी के साथ*
*इन 3 सप्ताह के दौरान कई बार निराशा भी व्याप्त होने लगा था, लेकिन तभी आप मित्रों के संदेश ने मुझे शक्ति दी और मैं खुद को संभाल पाया*

🙏🏻 *दिल की अतल गहराइयों से आप सबके प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूं,धन्यवाद व्यक्त करता हूं,शुक्रिया अदा करता हूं*
*स्थितियां-परिस्थितियां कैसी भी हो हमें घबराना नहीं चाहिए.बेहतर चिकित्सा घर पर रहकर भी संभव है यदि हम शुरू से ध्यान दें.सांस संबंधी उपचार में सिर्फ सोने का तरीका बदलने से फायदा मिलता है.प्रोन वेंटिलेशन कहते हैं उसे .आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ हमें आयुर्वेद योग को भी शामिल करना चाहिए.शुरू में यदि सही समय से इलाज शुरू कर दिया जाए तो सर्दी खांसी से ज्यादा कुछ नहीं है यह.ऐसा मैंने महसूस किया.मैं डॉक्टर विश्वरूप राय चौधरी,जादूगर राय,डॉक्टर के के अग्रवाल, डॉक्टर शशि सैनी,स्वतंत्र पत्रकार अनुज मिश्रा,डॉक्टर विश्वास और आप सभी मित्रों,जादूगरों,कलाकारों और सभी मित्रो का पुनः पुनः दिल की अतल गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं.मेरे ख्याल से गिलोय,तुलसी,अश्वगंधा और हल्दी सभी को नियमित रूप से लेना चाहिए और आयुष काढ़ा- दालचीनी, काली मिर्च, अदरक, तुलसी का घर पर ही आप बना सकते हैं.मार्केट में डाबर,zandu आदि का भी उपलब्ध है,इसे भी अपने रूटीन में शामिल करें.चाय की जगह काढ़ा लिया जा सकता है .अमेजॉन फ्लिपकार्ट पर electric kattle मिल जाता है जिसमें पानी गर्म करना, चाय या काढा बनाना आसान होता है.पानी को गर्म रखने वाले बॉटल्स भी मिलते हैं.तुलसी ड्रॉप,अश्वगंधा रूट, गिलोय रूट और उसके टैबलेट कैप्सूल उपलब्ध है.आप मंगवा सकते है.पंसारी की दुकान पर भी मिलता है ये सब. इलेक्ट्रिक केटली प्रेस्टिज कंपनी का 700-800 मैं मिल जाता है वहीं लोकल brand 400 से ₹600 में ऑनलाइन मंगवा लीजिए या बर्तन की किसी दुकान से ले लीजिए.केटली ना लेना हो तो गर्म पानी वाला स्टील बॉटल ले सकते हैं.पल्स ऑक्सीमीटर नकली भी बहुत आ रहा है जिसमें पहले से ऑक्सीजन लिमिट सेट रहता है,वैसा ना ले.. रही बात गिलोय की तो गांव में हर जगह उपलब्ध है.यदि आप जानते हैं कि आपके गांव में हैं तो उसकी टहनियों का निशुल्क वितरण भी कर सकते हैं या कोरियर चार्ज लेकर भेज सकते हैं अपने शहरी मित्रो को.यह एक अच्छी सहायता होगी , क्योंकि मार्केट में गिलोय काफी महंगा बिक रहा है*. गिलोय के बारे में बहुत सारे वीडियो यूट्यूब पर है जिसके लिंक मेरे फेसबुक पर भी मिल जाएगा.*
*अंत में मैं आप सब से अपील करना चाहूंगा कि यदि सर्दी खांसी बुखार हो तो तुरंत चिकित्सा प्रारंभ कर दें. घर पर ही.शुरू में ही ब्रेक लगाइए. घबराए नहीं,सर्दी खांसी बुखार जैसी सामान्य बीमारी की तरह यह ठीक हो जाता है. बीमारी बढ़ने पर फिर आधुनिक चिकित्सा का सहारा जरूरी हो जाता है.कोई विकल्प नहीं बचता.आपातकालीन चिकित्सा तब आवश्यक होता है. इसलिए प्रारंभ से ही आयुर्वेद का सहारा ले.आप सभी स्वस्थ रहें ,इस बीमारी से बचे रहें. यदि हो भी जाए तो घबराएं नहीं उपचार संभव है. नेगेटिव समाचार कम से कम देखें.बाकी जो नियम है, covid के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो निर्देश है उसका पालन करे,परमेश्वर का स्मरण करें.covid की राजनीति से,अफवाहों से बचे. धन्यवाद.
.🙏🏻🙏🏻 मदन भारती*

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