कोविड वैक्सीन को ग्लोबल टेंडर के क्या होंगे भारत को फायदे?
Explainer: कोविड वैक्सीन के लिए क्या है ग्लोबल टेंडर और इससे क्या होगा फायदा?
भारत कोविड वैक्सीन के मामले में दुनिया के सबसे बड़े बाजार में से है. इसलिए यहां वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के लिए कारोबार का अच्छा मौका है. यहां के करीब 130 करोड़ जनसंख्या को टीका लगाने के लिए 260 करोड़ से ज्यादा खुराक चाहिए
स्टोरी हाइलाइट्स
कोविड 19 के टीके की है भारी किल्लत,ग्लोबल टेंडर कर विदेश से मंगाएंगे राज्य
नई दिल्ली 12मई। देश में कोविड 19 के वैक्सीन की भारी किल्लत को देखते हुए कई राज्यों ने दुनिया के दूसरे देशों से ग्लोबल टेंडर के द्वारा इसे मंगाने की तैयारी शुरू कर दी है. केंद्र सरकार भी राज्यों को इस बात के लिए प्रोत्साहित कर रही है. यूपी सरकार ने ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है और ऐसा करने वाला वह पहला राज्य हो गया है.
सात राज्य तैयार
उत्तर प्रदेश सरकार ने चार करोड़ वैक्सीन डोज मंगाने के लिए ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने सीरम और भारत बायोटेक से भी 50-50 लाख वैक्सीन खरीदने का ऑर्डर दिया है. इसके अलावा सरकार 4 से 5 करोड़ डोज वैक्सीन ग्लोबल टेंडर के माध्यम से खरीदेगी.
ओडिशा सरकार ने भी सोमवार को ऐलान किया है कि वह ग्लोबल टेंडर से वैक्सीन मंगाएगी. मंगलवार को तेलंगाना सरकार ने भी कहा है कि वह कोविड वैक्सीन की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करेगी.
महाराष्ट्र सरकार ने भी यह संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैक्सीन की खरीद करने की कोशिश की जाएगी. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी कहा कि दिल्ली सरकार कोविड वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर जारी करेगी.
कर्नाटक सरकार ने भी ऐलान किया है कि वह 2 करोड़ डोज वैक्सीन ग्लोबल टेंडर से मंगाएगी ताकि 18 से 44 साल के लोगों को टीका लगाने का काम पूरा हो सके.
भारत में अवसर ही अवसर
गौरतलब है कि भारत कोविड वैक्सीन के मामले में दुनिया के सबसे बड़े बाजार में से है. इसलिए यहां वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के लिए कारोबार का अच्छा मौका है. यहां के करीब 130 करोड़ जनसंख्या को टीका लगाने के लिए 260 करोड़ से ज्यादा डोज की जरूरत होगी. इसलिए इस बडे बाजार को हासिल करने के लिए सभी प्रमुख टीका कंपनियां काफी किफायती बोली लगाएंगी. अकेले यूपी में 18 से 44 साल के लोगों की संख्या 9 करोड़ है. इसी तरह 45 साल से उपर के लोग करीब 4.3 करोड़ हैं.
क्या होता है ग्लोबल टेंडर
ग्लोबल टेंडर असल में दुनिया भर के देशों की कंपनियों के लिए जारी किया जाने वाला टेंडर होता है. यह संबंधित विभाग अपनी वेबसाइट पर या प्रतिष्ठित राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया के द्वारा जारी करता है. इसे वैश्विक टेंडर से संबंधित कई वेबसाइट्स पर भी जारी किया जाता है. ग्लोबल टेंडर इसलिए जारी किया जाता है ताकि खरीद की प्रक्रिया पारदर्शी हो और सबको मौका दिया जाए.
इसके माध्मय से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आमंत्रित किया जाता है कि वे माल की सप्लाई के लिए बोली लगाएं. जिस कंपनी की बोली सबसे किफायती होती है उसे आपूर्ति का ठेका दे दिया जाता है.
यूपी सरकार ने पिछले हफ्ते ही ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है और ऐसा करने वाला वह पहला राज्य हो गया है. यूपी सरकार मई के अंत तक इस टेंडर के विजेता का नाम घोषित कर देगी.
कौन-कौन शामिल हो सकता है?
इन टेंडर में रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी, फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन शामिल हो सकती हैं. जानकारों का कहना है कि इन सभी कंपनियों के पास टीके का पर्याप्त स्टॉक है और वे इनकी आपूर्ति आराम से कर सकती हैं. हालांकि, अभी सिर्फ स्पुतनिक वी को ही भारत में मंजूरी मिली है.
यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी नवनीत सहगल ने हाल में एक बयान में बताया था कि सिर्फ उन्हीं कंपनियों का चयन किया जा सकता है जिनके वैक्सीन को या तो भारत में मंजूरी मिल गई हो या अगले दिनों में मिलने के आसार हों.
स्पुतनिक वी विकास रूस की गमेलिया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ऐंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा किया गया है. इसे भारत में उत्पादन और वितरण के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है. इसके अलावा केंद्र सरकार फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन के साथ टीकों के आपूर्ति आयात के बारे में बातचीत में लगी है. भारत में फिलहाल सीरम इंस्टीट्यूट के द्वारा कोविशील्ड और भारत बायोटेक के द्वारा कोवैक्सीन का उत्पादन किया जा रहा है।