गाय के गोबर से बनाते हैं ईंट, सीमेंट और पेंट डॉक्टर मलिक, वार्षिक व्यवसाय 50 लाख
आज की पॉजिटिव खबर:हरियाणा का रिसर्च स्कॉलर गाय के गोबर से बनाता है सीमेंट और ईंट; सालाना टर्नओवर 50 लाख, सैकड़ों किसानों को भी रोजगार से जोड़ा
नई दिल्ली 03जून(इंद्रभूषण मिश्र)गाय के गोबर से ईंट, सीमेंट और पेंट का निर्माण। आपको यह जानकर हो सकता है थोड़ी हैरानी हो, लेकिन अब देश में इस तरह की पहल शुरू हो गई है। गोबर से पक्के मकानों की तरह घर भी बन रहे हैं और उनकी दीवारों पर रंग भी बिखेरे जा रहे हैं। खास बात यह है कि शहरों में भी कई लोग इस तरह के इको फ्रेंडली घरों का निर्माण करवा रहे हैं। हरियाणा के रोहतक के रहने वाले डॉ. शिव दर्शन मलिक पिछले 5 साल से गोबर से सीमेंट, पेंट और ईंट बना रहे हैं। 100 से ज्यादा लोगों को उन्होंने ट्रेनिंग भी दी है। वे अभी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्लेटफॉर्म के जरिये अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। इससे सालाना 50 से 60 लाख रुपए टर्नओवर वे हासिल कर रहे हैं।
शिव दर्शन की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई। पिता जी खेती-किसानी का काम करते थे। इसके बाद उन्होंने रोहतक से ग्रेजुएशन, मास्टर्स और फिर पीएचडी की डिग्री ली। इसके बाद कुछ सालों तक उन्होंने नौकरी की। वे एक कॉलेज में पढ़ाते थे। बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और रिसर्च करने का प्लान किया। चूंकि वे ग्रामीण क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए उन्होंने तय किया कि कुछ इस तरह की जानकारी जुटाई जाए जिससे गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जा सके और यहीं पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकें।
शिव दर्शन मलिक ने पीएचडी की है। वे IIT दिल्ली, वर्ल्ड बैंक सहित कई संस्थानों के बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा रह चुके हैं।
अमेरिका और इंग्लैंड में इको फ्रेंडली घर देखा तो आया आइडिया
इसके बाद वे IIT दिल्ली के एक प्रोजेक्ट वेस्ट टू हेल्थ के साथ जुड़ गए। कुछ साल उन्होंने यहां काम किया। फिर 2004 में उन्होंने वर्ल्ड बैंक और एक साल बाद यानी 2005 में UNDP के एक प्रोजेक्ट के साथ रिन्युएबल एनर्जी को लेकर काम किया। इस दौरान शिव दर्शन को अमेरिका और इंग्लैंड जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने देखा कि पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से सम्पन्न लोग सीमेंट और कंक्रीट से बने घरों की बजाय इको फ्रेंडली घरों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि ये घर सर्दियों में अंदर से गर्म रहते हैं। ये लोग भांग की पत्तियों को चूने के साथ मिलाकर घर तैयार करते थे।
शिव दर्शन को लगा कि ये काम तो भारत में और बेहतर तरीके से हो सकता है। हमारे यहां खास करके गांवों में इस तरह के वेस्ट मटेरियल की कमी नहीं है। भारत वापस लौटने के बाद उन्होंने कुछ सालों तक इसे लेकर रिसर्च वर्क किया।
गोबर से तैयार की सीमेंट
सीमेंट तैयार करने के लिए वे गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी और नींबू पाउडर का इस्तेमाल करते हैं।
वे कहते हैं कि हमने बचपन से देखा है कि गांवों में घर की पुताई के लिए गोबर का इस्तेमाल होता है। इससे घर सर्दी और गर्मी दोनों के अनुकूल रहता है। न तो गर्मी में ज्यादा गर्मी महसूस होती है, न ठंड में ज्यादा ठंड, क्योंकि गोबर थर्मल इंसुलेटेड होता है। इसके बाद उन्हें लगा कि गाय के गोबर से सीमेंट और पेंट भी तैयार किया जा सकता है। 2015-16 में उन्होंने प्रोफेशनल लेवल पर अपने काम की शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने गोबर से सीमेंट तैयार किया। फिर खुद भी इस्तेमाल किया और गांव के लोगों को भी उपयोग के लिए दिया। सबने पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया। इसके बाद उन्होंने तय किया कि इस काम को आगे बढ़ाया जाए।
वे कहते हैं कि गांवों में भी अब लोग खाना पकाने के लिए गैस का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके चलते जो गोबर ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, उसकी भी खपत कम हो गई है। इस कारण अब गांवों में गोबर के ढेर लग जाते हैं। गौशालाओं में तो हालात और भी गम्भीर हैं। वहां गायें गोबर के ढेर में खड़ी होती हैं। साथ ही किसानों को भी इससे कुछ खास हासिल नहीं होता है। उनको भी इस ढेर को ठिकाना लगाने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो ईंट और पेंट बनाना भी शुरू किया
ईंट बनाने के लिए वे गोबर और चूने का उपयोग करते हैं। वे ईंट बनाने के लिए बाहर से पानी का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
शिव दर्शन ने गोबर से और क्या-क्या चीजें बन सकती हैं, इसको लेकर रिसर्च करना जारी रखा। 2019 में उन्होंने गोबर से पेंट और ईंट तैयार करना शुरू किया। इसको लेकर भी उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिला। जल्द ही उनसे किसान और कारोबारी जुड़ते गए। अभी वे हर साल 5 हजार टन सीमेंट की मार्केटिंग करते हैं। पेंट और ईंट की भी अच्छी-खासी बिक्री हो जाती है। बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, हिमाचल सहित कई राज्यों में लोग उनके प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
कैसे तैयार करते हैं प्रोडक्ट?
शिव दर्शन मलिक का दावा है कि वे पूरी तरह से इको फ्रेंडली प्रोडक्ट तैयार करते हैं। इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है। वे प्रोडक्ट तैयार करने का फॉर्मूला तो शेयर नहीं करना चाहते, फिर भी कहते हैं कि सीमेंट तैयार करने के लिए हम गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी और नींबू पाउडर का इस्तेमाल करते हैं।
वे इसे वैदिक प्लास्टर (Vedic Plaster) कहते हैं। इसी तरह पेंट बनाने के लिए गाय के गोबर के साथ अलग-अलग रंगों के पिगमेंट का इस्तेमाल करते हैं। जबकि ईंट बनाने के लिए वे गोबर और चूने का उपयोग करते हैं। वे ईंट बनाने के लिए बाहर से पानी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। और न ही वे भट्ठी में ईंट को पकाते हैं। धूप में सूखने के बाद ये ईंट घर बनाने के लिए तैयार हो जाती है। उन्होंने बीकानेर में इसकी फैक्ट्री लगाई है। उनके सभी प्रोडक्ट मान्यता प्राप्त लैब से सर्टिफाइड हैं।
कैसे करते हैं मार्केटिंग?
गांव के किसान और गोशाला से वे गोबर खरीदते हैं। इसके बाद उनकी फैक्ट्री में प्रोडक्ट तैयार किया जाता है। उनके यहां अभी 15 लोग काम कर रहे हैं। शिव दर्शन बताते हैं कि हम लोग हर लेवल पर मार्केटिंग करते हैं। शुरुआत में हमने सोशल मीडिया का सहारा लिया। हमने अपने प्रोडक्ट की फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू की तो लोगों के फोन आने लगे। इसके बाद कस्टमर्स जुड़ते गए।
पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम के साथ शिव दर्शन मलिक। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में डॉक्टर कलाम से मुलाकात की थी।
फिर हमने vedicplaster.com नाम से एक वेबसाइट तैयार की। इसके जरिए भी हम अपने प्रोडक्ट की बिक्री करते हैं। इसके साथ ही अलग-अलग शहरों और राज्यों में हमने डीलरशिप दे रखी हैं जिसके जरिए हम अपने सीमेंट और पेंट की मार्केटिंग करते हैं। ट्रांसपोर्टेशन की वजह से ईंट की मार्केटिंग हम फिलहाल हरियाणा से बाहर नहीं करते हैं।
ट्रेनिंग देकर लोगों को जोड़ रहे रोजगार से
शिव मलिक कहते हैं कि बीकानेर में हमने ट्रेनिंग सेंटर भी खोल रखा है जिसके लिए हम 21 हजार रुपए फीस लेते हैं। इसमें हम गोबर से तैयार होने वाले सभी प्रोडक्ट की ट्रेनिंग देते हैं और पूरी प्रोसेस समझाते हैं। इसके लिए यहां आने वाले को खाने-पीने और ठहरने की भी व्यवस्था होती है। वे गोबर से बने ईंट के मकान में ही रहते हैं और ऑर्गेनिक तरीके से तैयार किए गए फूड खाते हैं।
अब तक उन्होंने करीब 100 लोगों को ट्रेनिंग दी है। ये लोग झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में गोबर से ईंट बनाने का काम कर रहे हैं। इससे इन्हें मुनाफा तो हो ही रहा है। साथ ही गांव में गाय पालने वाले सैकड़ों लोग भी गोबर बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं।
शिव दर्शन खुद प्रोडक्ट तैयार करने के साथ ही दूसरे किसानों को भी गोबर से ईंट बनाने की ट्रेनिंग देते हैं।
शिव दर्शन कहते हैं कि हमारा एकमात्र मकसद मार्केटिंग और बिजनेस नहीं है। मेरी कोशिश है समाज में बदलाव लाने की, गांव वालों को गांव में ही रोजगार से जोड़ने की। शिव दर्शन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हरियाणा कृषि रत्न से सम्मानित कर चुके हैं। साथ ही पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम भी शिव की तारीफ कर चुके हैं। जब वे गांवों को लेकर रिसर्च कर रहे थे, तब उन्होंने कलाम से मुलाकात की थी। फिर वे राष्ट्रपति भवन भी उनसे मिलने गए थे। शिव दर्शन विदेशों में भी लेक्चर देने जाते हैं।हैंैैंैंैैैंैैंैंैैंंं