बलूचों ने एक ‘सडक’ को दुश्मनी मोल ली शक्तिशाली चीन से
Explained: क्या बलूच विद्रोही पाकिस्तान में China का काम तमाम कर देंगे?
चीन कर्ज देकर घुसपैठ का अपना पुराना नुस्खा अपनाते हुए पाकिस्तान में बड़ी पैठ बना चुका है.
पाकिस्तान से अलगाव की मांग कर रहे बलूच ( Baloch nationalists in Pakistan) अब अपनी बात मनवाने के लिए चीन पर हमला कर रहे हैं. इधर पाकिस्तान में खरबों डॉलर लगा चुका चीन (Chinese investment in Pakistan) चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा
चीन कर्ज देकर घुसपैठ का अपना पुराना नुस्खा अपनाते हुए पाकिस्तान में बड़ी पैठ बना चुका है. ये भारत के लिए दोहरा झटका है क्योंकि दोनों ही देश भारत से खराब संबंध रखते हैं. इधर पाक में निवेश के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे चीन को एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ा रहा है, वो है बलूच विद्रोहियों की हिंसा.
क्या हो रहा पाकिस्तान मेें
पाकिस्तान को आएदिन अपने ही हिस्से के लोगों का विद्रोह झेलना पड़ रहा है. यहां तक कि अब चीन का पाकिस्तान में खरबों डॉलर का निवेश खतरे में आ चुका है. इसका आखिरकार खामियाजा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ सकता है. दरअसल हो ये रहा है कि दशकों से पाकिस्तान से अलग खुद को आजाद देश के तौर पर बनाए जाने की मांग कर रहे बलूच विद्रोहियों की मांग अब हिंसक हो चुकी है.
बलूच विद्रोहियों की मांग अब हिंसक हो चुकी है ,अपना रहे अलग रणनीति
हिंसा के लिए भी बलूच सीधे पाकिस्तानी सेना पर ही हमला नहीं कर रहे, बल्कि छांट-छांटकर उन हिस्सों पर हमला कर रहे हैं, जहां चीन का कोई बड़ा निवेश हुआ है और कोई सड़क या पुल तैयार हो रहा है. बलूच निर्माण स्थल पर सामान पहुंचने में भी रुकावट डाल रहे हैं. साल 2020 में ऐसी कई घटनाएं हुईं और दिसंबर में पाकिस्तानी सेना को एक भीषण हमले में अपने 7 जवान गंवाने पड़े थे. कहना न होगा कि ये जवान चीन के इकनॉमिक कॉरिडोर की सुरक्षा में लगे थे.
चीन के पैसे खतरे में
इस घटना के बाद चीन और पाकिस्तान की आंतरिक बातचीत भले ही सामने नहीं आई लेकिन पैसों को दांत से पकड़ते चीन के गुस्से के बारे में अनुमान लगाना खास मुश्किल नहीं. हमले के बाद एक बार फिर से चीन का बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट और फ्री ट्रेड जोन में अरबों डॉलर का निवेश संकट में आ चुका है. बता दें कि पाक में चीन 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुका है और जो गुप्त ढंग से उसने पाक को भारी भरकम कर्ज दिए हैं, वो अलग हैं.
पाकिस्तान इस समय भारी दबाव में है. इधर दुनिया के सामने पाक से गलबहियां करता चीन चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रहा. वजह, बलूच विद्रोह पाकिस्तान का एकदम आंतरिक मुद्दा है.
बलूच शिक्षा, रोजगार और हेल्थ तक में काफी पीछे रहे,बलूचिस्ताान इसीलिए अलग होना चाहता है?
बलूच लोगों का मानना है कि भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान ने सिंध और पंजाब प्रातों का तो विकास किया लेकिन बलूचिस्तान पर कभी ध्यान नहीं दिया. नतीजा ये रहा कि बलूच शिक्षा, रोजगार और हेल्थ तक में काफी पीछे रहे. यही देखते हुए सत्तर के दशक में बलूच आजादी की मांग काफी तेज हो गई.
बलूचों के साथ हुई थी हिंसा
इसे दबाने के लिए पाकिस्तान की तत्कालीन भुट्टो सरकार ने आक्रामक तरीका अपनाया. पाक सेना वहां आम बलूच नागरिकों को भी मारने लगी. अनुमान है कि सेना और बलूच लड़ाकों के बीच हुए संघर्ष में साल 1973 में लगभग 8 हजार बलूच नागरिक-लड़ाकों की मौत हो गई थी. वहीं पाकिस्तान के करीब 500 सैनिक मारे गए. इसके बाद मामला खुले तौर पर तो ठंडा पड़ गया लेकिन बलूच लोगों के भीतर गुस्सा भड़कता गया.
बलूच लड़ाके अब क्या कर रहे हैं
अब आजादी के लिए वहां गुरिल्ला हमले का रास्ता अपनाया जा रहा है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) बलोच अलगाववादियों का सबसे बड़ा संगठन है. ये लगातार पाक पर बलूचिस्तान को अलग करने की मांग करता आया है. इसके अलावा कई और भी अलगाववादी संगठन हैं जो बलूच आजादी के लिए लोगों को एकजुट कर रहे हैं. वे पाकिस्तान से आजादी के लिए चीन को टारगेट कर रहे हैं.
साल 2019 में ग्वादर के एकमात्र पांच-सितारा होटल पर्ल कॉन्टिनेंट पर बलूच विद्रोहियों ने हमला किया- सांकेतिक फोटो
चीनियों के ठहरने की जगह तक बनी टारगेट
साल 2019 में ग्वादर के एकमात्र पांच-सितारा होटल पर्ल कॉन्टिनेंट पर बलूच विद्रोहियों ने हमला किया. बता दें कि इस होटल में चीन से इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम के लिए आए अधिकारी ही ठहरते आए हैं. साथ ही उन्होंने धमकी दी कि वे CPEC प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने देंगे. इससे ये समझ आता है कि पाकिस्तान में चीनी सुरक्षित नहीं. यही यकीन दिलाना दशकों से आजादी मांग रहे विद्रोहियों का मकसद है ताकि वे किसी भी तरह से पाक सरकार पर अपनी आजादी के लिए दबाव बना सकें.
मानवाधिकारों को लेकर कशमकश
इमरान सरकार पहले से ही भारी कर्ज में दबी हुई है. ऐसे में वो किसी हाल में चीन का साथ नहीं छोड़ना चाहती. जिनपिंग को खुश करने के लिए वो अपने ही लोगों यानी बलूच विद्रोहियों और साथ ही बलूचिस्तान प्रांत के आम लोगों पर भी हिंसा कर रही है. मानवाधिकारों के मामले में पहले ही उइगरों पर हिंसा को लेकर चीन घेरे में है. ऐसे में वो हरगिज नहीं चाहेगा कि किसी दूसरे मामले में वो वजह बने. यही कारण है कि वो बलूचिस्तान के लोगों पर सीधी कोई कार्रवाई नहीं करेगा, बल्कि कूटनीति के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाएगा कि वो समस्या का हल निकाले, वरना कर्ज वापस मांगने का रास्ता तो चीन के पास है ही.
Pakistan: आखिर पाकिस्तान में चीनी नागरिकों से किस बात का बदला ले रहा BLA? एक ‘सड़क’ के लिए ड्रैगन से मोल ली दुश्मनी!
Why BLA is against CPEC: बीएलए शुरुआत से ही सीपीईसी का विरोध कर रहा है। उनका आरोप है कि चीन उनके संसाधनों की चोरी कर रहा है। न सिर्फ बीएलए बल्कि बलूचिस्तान के कई अलगाववादी समूह पाकिस्तान में प्रांत के शामिल होने का विरोध करते रहते हैं।
हाइलाइट्स
1-बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली कराची हमले की जिम्मेदारी
2-पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को निशाना बनाता रहता है बीएलए
3-सीपीईसी के विरोध में बीएलए, पाकिस्तानी सेना को भी बनाता है निशाना
इस्लामाबाद : पाकिस्तान में मंगलवार का दिन बेहद साधारण तरीके से शुरू हुआ। लेकिन शाम होते-होते सिंध प्रांत की राजधानी कराची में अफरा-तफरी मच गई। कराची यूनिवर्सिटी के भीतर ब्लास्ट हो गया जिसमें एक वैन को निशाना बनाया गया। फिलहाल जानकारी के अनुसार इस धमाके में चार लोगों की मौत हो गई है जिसमें एक पाकिस्तानी ड्राइवर और तीन चीनी नागरिक शामिल हैं। दो लोग घायल भी हुए हैं जिसमें से एक चीन का नागरिक है। धमाका यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट के पास हुआ। कराची पुलिस प्रमुख गुलाम नबी मेमन ने कहा कि पहली नजर में यह हमला ‘सुसाइड ब्लास्ट’ प्रतीत हो रहा है। दोपहर 2:30 बजे ब्लास्ट हुआ और कुछ ही देर बाद BLA ने इसकी जिम्मेदारी ले ली।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने चीनी नागरिकों पर हमले की जिम्मेदारी ली है। एक लिखित बयान में बीएलए के प्रवक्ता ने कहा कि बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड कराची में चीनियों पर हमले की जिम्मेदारी लेती है। बयान में कहा गया, ‘ब्रिगेड की पहली महिला फिदायी ने इस हमले को अंजाम दिया। फिदायी शारी बलूच ने आज बलूच विद्रोह के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया।’ चीन न सिर्फ पाकिस्तान का दोस्त है बल्कि आर्थिक रूप से उसका मददगार और बड़ा निवेशक भी है इसलिए पाकिस्तानी जमीन पर चीनी नागरिकों की मौत दोनों के बीच तनाव पैदा कर सकती है।
क्यों चीनी नागरिकों को निशाना बना रहा बीएलए?
चीन के प्रति बीएलए का गुस्सा नया नहीं है। दरअसल विद्रोही समूह पाकिस्तान में चीनी परियोजना सीपीईसी (China Pakistan Economic Corridor) का विरोध कर रहा है और इसलिए चीनी नागरिकों और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले कर रहा है। इस आर्थिक गलियारे का रूट बलूचिस्तान से होकर गुजरता है। इसलिए उग्रवादी सीपीईसी मार्ग और सीमा रेखा क्षेत्रों के आसपास संवेदनशील सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बना रहे हैं। 28 जनवरी को पाकिस्तान-ईरान सीमा के पास केच इलाके में एक सुरक्षा जांच चौकी पर हमले में 10 सैनिकों की मौत हो गई थी। इस घातक हमले की जिम्मेदारी भी बीएलए ने ही ली थी।
सीपीईसी ने बलूचिस्तान में बढ़ाई अशांति
चीन की 64 अरब डॉलर की परियोजना के चलते विद्रोहियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं जिससे बलूचिस्तान में अशांति बनी हुई है। अब ये हमले कराची तक जा पहुंचे हैं जिसमें चीन के प्रति विद्रोहियों के गुस्से को देखा जा सकता है। बीएलए शुरुआत से ही सीपीईसी का विरोध कर रहा है। उनका आरोप है कि चीन उनके संसाधनों की चोरी कर रहा है। बलूचिस्तान के कई अलगाववादी समूह पाकिस्तान में प्रांत के शामिल होने का भी विरोध करते रहते हैं। उनका दावा है कि 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत के दौरान इसे जबरन पाकिस्तान में शामिल किया गया था।
पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर लगातार हो रहे हमले
चीन सीपीईसी में बलूचिस्तान के ग्वादर शहर में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। पिछले साल सितंबर में बीलएए ने ग्वादर में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मूर्ति को उड़ा दिया था। इससे पहले सीपीईसी से जुड़े दासू डैम बम विस्फोट में 9 चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई थी। इसके कुछ दिनों बाद ही बीएलए ने कराची में एक चीनी नागरिक को उसकी कार के अंदर घुसकर गोली मार दी थी। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कुल जमीन के आधार देखें तो बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और जातीय बलूच लोग पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 9 फीसदी हैं।
बीएलए के हमले का चीन-पाक रिश्ते पर क्या असर होगा?
चीनी नागरिकों के साथ-साथ बीएलए पाकिस्तानी सेना को भी निशाना बनाती है। फरवरी में बीएलए ने पाकिस्तानी सेना पर बड़े हमले का दावा किया था। बलूच विद्रोहियों ने दावा किया कि बलूचिस्तान प्रांत में पांजगुर और नूशकी इलाके में फ्रंटियर कोर और सेना के एक ठिकाने पर भीषण हमले में 100 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। हालांकि पाकिस्तानी सेना ने इन दावों को खारिज किया था।
बलूच विद्रोही पिछले कई दशकों से सक्रिय हैं। इनका आपस में विभाजन बढ़ता जा रहा है और पश्तूनों के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा रहती है। अक्सर पंजाबियों से भी बलूचों का संघर्ष होता रहता है। पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की हत्या का यह ‘एक और’ मामला है। देखने वाली बात यह होगी कि चीन इस पर किस तरह प्रतिक्रिया करता है और यह हमला चीन-पाकिस्तान संबंधों को किस तरह प्रभावित करता हैै.