फैक्ट चैक:भारत में आईआईटी नेहरू से ? वाकई?

कल पूछा था सरदार सर जोगिन्दर सिंह के बारे में … इन पर बात करते हैं …
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ये अंग्रेज़ों के द्वारा शाषित भारत में वायसरॉय के council के सदस्य थे … जब 1942 में श्री नलिनी मोहन सरकार ने भारत में IIT बनाने का प्रस्ताव वायसरॉय के सामने रखा तो वायसरॉय ने एक कमेटी बनाई जिससे IIT कौंसिल की स्थापना हुई …
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इसको बनाने के लिए सरदार सर जोगिन्दर सिंह ने एड़ी चोटी का जोर लगाया … सरदार सर जोगिन्दर सिंह जो की वायसरॉय के कौंसिल में स्वास्थ्य, शिक्षा और जमीन के मामले देखते थे और उसके Chairman थे … इनका जन्म उत्तर प्रदेश के खीरी जनपद के अयरा एस्टेट में हुआ था और इनके पूर्वज अमृतसर के रसूलपुर से थे … इनके दादा जी महाराजा रणजीत सिंह के सेना में थे … अंग्रेज़ों ने इनको खीरी में जमींदारी दिया था क्योंकि अंग्रेज़ों द्वारा पंजाब कब्जे के युद्ध में उन लोगों ने अंग्रेज़ों का साथ दिया था … बाद में ये पूरी तरह अंग्रेजों को समर्पित हो गए थे और इनको knighthood मिला था जिससे ये सर की उपाधि लगाते थे …
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वापस आते हैं IIT पर … वायसरॉय ने कमेटी बनाई जिसको IIT बनाने के सारे सुझाव देने थे तो उसमे सरदार सर जोगिन्दर सिंह को महत्वपूर्ण जमीन और वित्त का कार्य दिया था। … कमेटी ने अंग्रेजों से सरदार सर जोगिन्दर सिंह की अगुवाई में IIT बनाने की पहली किश्त Rs. 30943500.00 March 1946 में निकलवा लिया था … पहली IIT जिसको IIT Kharagpur कहा जाता है वो कलकत्ता के Esplanade स्थित एक भवन में शुरू किया गया था ... बाद में ये हिजली में शिफ्ट हुआ और इनको पहली वो बिल्डिंग अंग्रेज़ों ने allot किया … हिजली की ये बिल्डिंग अंग्रेजों द्वारा डिटेंशन कैम्प के रूप में प्रयोग किया जाता रहा था, जहाँ वो देश भर से काला पानी की सजा पाए लोगों को रखते थे और बाद में कलकत्ता होते हुए अंदमान भेज देते थे …. आज भी IIT खड़गपुर असल में हिजली में ही है जो की खड़गपुर रेलवे स्टेशन से 5 किमी दूर स्थित है … और उस पहले भवन को आज भी IIT प्रयोग करती है …
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वापस आते हैं सरदार सर जोगिन्दर सिंह के तरफ … पहली किश्त IIT को दिलाने के बाद उन्होंने प्रोजेक्ट रिपोर्ट ऐसा बनाया कि वायसरॉय ने खड़गपुर के साथ मुंबई (बॉम्बे) में भी IIT बनाने का सुझाव मान लिया … साथ ही सरदार सर जोगिन्दर सिंह जी ने वायसरॉय से भारत के अन्य प्रांतों में तीन और IIT बनाने का न केवल सुझाव माना बल्कि पैसे भी सैंक्शन करवा लिया … तो श्री एन एम सरकार और सरदार सर जोगिन्दर सिंह जी की अगुवाई में बनी कमेटी के सदस्यों ने अगस्त मार्च – जुलाई 1946 के बीच में ही पाँच IIT बनाने का प्रस्ताव और पैसा दोनों सैंक्शन करवा लिया था जिसका पहला कुल किस्त था रूपये तीस करोड़ चौरानवे लाख पैंतीस हजार (Rs. 309435000.00) … कमेटी सदस्य निम्न थे। ..

Sirdar Sir JOGENDRA SINGH, Member of the Viceroy’s Executive Council
Mr. N. R. SARKAR, ‘ Ranjani ‘ 237, Lower Circular Road, Calcutta (Chairman).
3. Dr. NAZIR AHMED, Office of the Indian Tariff Board, Ist Marine Street Kalbadevi, Bombay 2.
4. Dr. Sir S. S. BHATNAGAR, Director, Council of Scientific and Industrial Research, New Delhi.
5. Major General D. R. DUGUID, Director of Military Engineering, Master-General of Ordnance Branch,
6. Mr. P. J. EDMUNDS, Chief Engineer, Posts and Telegraphs Department, New Delhi.
7. Dr. Sir J. C. GHOSH, Director, Indian Institute of Science, Bangalore.
8. Mr. H. K. KIRPALANI, Industrial Adviser to the Government of India, Planning and Development Department,
9. Mr. W. W. LADDEN, C/o Messrs. Simpson & Co., Madras.
10. Mr. S. LALL, I.C.S., Additional Secretary, Labour Department, New Delhi.
11. Mr. G. L. MEHTA, 7, Wellesley Place, Calcutta.
12. Dr. A. H. PANDYA, 12, Raja Santosh Road, Alipore, Calcutta.
13. Dr. M. D. PAREKH, Delhi Cloth and General Mills, Ltd. Co., Delhi.
14. Mr. C. E. PRESTON, Principal, Osmania Technical College, Hyderabad (Dn.)
15. Mr. W. G. W. REID, Director, Mechanical Engineering, Railway Board, New Delhi.
16. Dr. Sir JOHN SARGENT, Educational Adviser to the Government of India, New Delhi.
17. Mr. A. D. SHROFF, Bombay House, Fort, Bombay.
18. Mr. J. K. SRIVASTAVA, The New Victoria Mills, Kanpur.
19. Sir FREDERIC TYMMS, Director of Civil Aviation in India, Posts and Air Department, New Delhi.
20. Dr. K. VENKATRAMAN, Director, Department of Chemical Technology, University of Bombay, Bombay.
21. Mr. DHARMA VIRA, I.C.S., Deputy Secretary, Department of Industries and Supplies, New Delhi.
22. Mr. W. W. WOOD, Principal, Delhi Polytechnic, Delhi.
23. Brigadier R. D. T. WOOLFE, Controller General of Inspection, M. G. O. Branch, G.H.Q., New Delhi.
24. Dr. S. R. SEN GUPTA, Assistant Educational Adviser to the Government of India, New Delhi (Secretary).

मेरे पास British Archive से मंगाई हुई इसकी प्रपोजल से लेकर फाइनेंसियल रिपोर्ट पूरी की पूरी उपलब्ध है …. इस पूरे प्रकरण में नेहरू या किसी अन्य कांग्रेसी का कोई कोई लेना देना नहीं है … नेहरू को जबरदस्ती क्रेडिट उनके चेले चपाटे जो कम्युनिस्ट कहलाते हैं , ने नेहरू के फेंके टुकड़ों को चाट के इतिहास मलीन करने का का काम शुरू किया और लोगों ने दिमाग में भर दिया कि नेहरू ही भारत का रचयिता है … झूठ का ढोल एक दिन फटता है और करारा फटता है ….
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December 1946 में सरदार सर जोगिन्दर सिंह चल बसे … वहीँ IIT के पितामह श्री एन एम सरकार को कोई जानता नहीं।

Ranjay Tripathi

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद का कांग्रेसी इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद और भारत को आजादी मिलने से पहले, वायसराय की कार्यकारी परिषद के सर अर्देशिर दलाल ने भविष्यवाणी की थी कि भारत की भविष्य की समृद्धि प्रौद्योगिकी पर निर्भर करेगी। इसलिए उन्होंने ऐसे संस्थानों की परिकल्पना की जो देश में ही ऐसे कार्यबलों को प्रशिक्षित करेंगे। इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की पहली संकल्पना माना जाता है ।

डॉक्टर हुमायूँ कबीर ने आईआईटी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री डॉक्टर बीसी रॉय को आईआईटी के लिए सर अर्देशिर के प्रस्ताव पर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। 1945 में डॉक्टर कबीर ने वाइसराय की कार्यकारी परिषद (शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि विभाग) के सर जोगेंद्र सिंह के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार करने के लिए 22 सदस्यीय समिति का गठन किया और सर नलिनी रंजन सरकार को अध्यक्ष बनाया। सरकार समिति ने 1945 में सिफारिश की कि देश के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्रों में प्रसिद्ध मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए की तर्ज पर कम से कम चार उच्च तकनीकी संस्थान स्थापित किए जाएं।

स्वतंत्रता के बाद, यह पंडित जवाहरलाल नेहरू ही थे जिन्होंने राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारी प्रदान करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना में रूचि ली, जो नए जन्मे स्वतंत्र भारत के लिए प्रौद्योगिकी में अग्रणी के रूप में कार्य करें। विज्ञान के प्रति उत्साही नेहरू स्पष्ट थे कि भारत को आधुनिक बनाने और इसकी बढ़ती आबादी की जरूरतें पूरा करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रमुख भूमिका होगी। उन्होंने कल्पना की कि आईआईटी प्रणाली समय के साथ उच्चतम क्षमता के वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् प्रदान करेगी जो राष्ट्र को उसकी तकनीकी आवश्यकताओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में मदद करने के लिए अनुसंधान, डिजाइन और विकास में संलग्न होंगे ।

संस्थानों को ज्ञान के विस्तार और आधुनिक समाज की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं में बदलाव के आलोक में आवश्यक गतिशीलता, संगठन के लचीलेपन और अनुकूलन की क्षमता के साथ डिजाइन किया जाना था। मई 1950 में, श्रृंखला में पहला आईआईटी खड़गपुर में हिजली डिटेंशन कैंप की साइट पर स्थापित किया गया था, जहां अंग्रेजों ने राजनीतिक कैदी को कैद किये थे; 18 अगस्त, 1951 को औपचारिक उद्घाटन से पहले संस्थान को “भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान” नाम दिया गया था। पहले आईआईटी के लॉन्च के एक दशक के भीतर, चार और स्थापित किए गए: आईआईटी बॉम्बे (1958), आईआईटी मद्रास (1959), आईआईटी कानपुर (1959), और आईआईटी दिल्ली (1961)। दशकों बाद, छठा आईआईटी गुवाहाटी (1994) में स्थापित हुआ। भारत का पहला तकनीकी संस्थान 1847 में स्थापित हुआ था जिसे थॉमसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और बाद में रूड़की विश्वविद्यालय बना , को सितंबर 2001 में सातवें आईआईटी की मान्यता मिली । वर्ष 2008 में, छह नए आईआईटी शुरू हुए: आईआईटी भुवनेश्वर, आईआईटी गांधीनगर , आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी पटना, आईआईटी राजस्थान, और आईआईटी रोपड़। इसके बाद 2009 में दो और आईआईटी स्थापित हुए: आईआईटी इंदौर और आईआईटी मंडी। प्रारंभिक वर्षों में आईआईटी को विकसित देशों से सामग्री सहायता और अकादमिक सहयोग से अलग-अलग डिग्री में लाभ हुआ – सोवियत संघ से आईआईटी बॉम्बे, जर्मनी से आईआईटी मद्रास, संयुक्त राज्य अमेरिका से आईआईटी कानपुर, और यूनाइटेड किंगडम से आईआईटी दिल्ली।

पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी ने उत्कृष्ट बुनियादी सुविधाओं के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अनुसंधान के माध्यम से गतिशील रूप से कायम विश्व स्तरीय शैक्षिक मंच तैयार किए । आईआईटी के संकाय और पूर्व छात्रों ने भारत और विदेश दोनों में समाज के सभी क्षेत्रों में बड़ा प्रभाव डाला है। संस्थानों को विश्व स्तर पर अकादमिक उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है, और उनसे स्नातक होने वाले छात्रों की उत्कृष्ट क्षमता के लिए प्रतिष्ठित हैं।

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