मत:भारत के बालकेनाइजेशन को जुटे हैं ईसाई
राष्ट्रीय सुरक्षा और ईसाईयत की रणनीति
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युद्ध कभी अकस्मात नहीं होते। कई छोटी-छोटी झड़प लड़ाईयां, कूटनीतिक असफलताएँ धीरे-धीरे वृहद् एवं विनाशकारी युद्ध का स्वरूप धर लेती हैं। इतिहासकारों ने जब प्रथम विश्व युद्ध के कारणों तथा कारकों का विश्लेषण करना आरंभ किया तो कई घटनाएं सामने आयीं। कुछ इतिहासकारों ने उन घटनाओं में से 1912-13 के दौरान हुए बाल्कन युद्धों को प्रमुख कारण माना। दरसअल बुल्गारिया स्थित ‘बाल्कन’ पर्वतों के आसपास के देशों ने स्वयं को ‘बाल्कन लीग’ घोषित कर दिया था और तुर्की पर आक्रमण कर दिया था जिसके फलस्वरूप प्रथम बाल्कन युद्ध हुआ। 1913 में हुए द्वितीय बाल्कन युद्ध के उपरांत 1914 में आर्कड्यूक फ्रांज़ फर्डीनांड की हत्या हुई और प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। भयंकर विनाश और त्रासदी के बाद युद्ध का सारा दोष जर्मनी के मत्थे मढ़ दिया गया और द्वितीय विश्व युद्ध की पटकथा भी लिख दी गयी। द्वितीय विश्व युद्ध तक किसी भी देश पर सबसे बड़ा खतरा बाह्य आक्रमण को ही माना जाता था इसलिए हर देश अपनी सशस्त्र सेनाओं (जल-थल-नभ) को शक्तिशाली बनाने पर ज़ोर देता था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व में दो महाशक्तियों का उदय हुआ- संयुक्त राज्य अमरीका और सोवियत संघ (रूस)। शक्ति सन्तुलन की इस जंग में रूसियों ने कम्युनिस्ट विचारधारा से लैस आतंकवादी गुप्त रूप से अमरीका में भेजने शुरू किये। तब अमरीका की एजेंसियों ने बोल्शेविकों को राष्ट्रीय सांस्कृतिक परिवेश के विरुद्ध कार्य करने वाला माना और उनका निर्ममता से दमन किया। इस तरह एक नया विचार उभर कर आया जिसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ कहा जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा का अर्थ है किसी भी राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक, खाद्य, सांस्कृतिक एवं सीमाओं की सामूहिक सुरक्षा। राष्ट्र की एकता, अखण्डता तथा प्रगति में योगदान देने वाले हर कारक की सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा कहलाती है चाहे वह शिक्षा हो या राजनीतिक व्यवस्था। इनमें से किसी भी कारक पर खतरा हो तो उसे राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा माना जायेगा।
प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप कई छोटे-छोटे राष्ट्रों में विभाजित हो गया था। चूंकि ये सब बाल्कन पर्वतीय देशों के बीच झगड़े से प्रारंभ हुआ था अतः किसी भौगोलिक क्षेत्र का कई राष्ट्रीय अस्मिताओं में बंट जाना ‘Balkanization’ कहलाता है। जैसा कि आज हम पाकिस्तान के सन्दर्भ में देखते हैं कि बलोचिस्तान सिंध सभी इस्लामाबाद-रावलपिंडी के नियंत्रण से मुक्त होना चाहते हैं। यूरोप और अमरीका के चिंतन में एक विशेषता है कि वे इतिहास से सीखना जानते हैं। अपनी सत्ता का प्रभाव दूसरे देशों पर कायम रखने के लिए इन्होंने कई रणनीतियाँ अपनाईं जो प्रत्यक्ष युद्ध से भिन्न हैं। जैसा कि जनरल क्लॉज़्विट्ज़ ने ‘On War’ में लिखा है कि “War is the continuation of politics by other means.” अर्थात् युद्ध भिन्न माध्यमों से राजनीति का विस्तार है। वैश्विक राजनीति में दबदबा रखने के लिए यूरोप-अमरीका युद्ध के कई परोक्ष तरीके अपनाते हैं। कभी जलवायु परिवर्तन का मुद्दा उठा कर तो कभी आर्थिक प्रतिबंध लगा कर। इन्हीं तरीकों में से एक है ईसाईयत का प्रचार व प्रसार जो भारत में ब्रिटेन से आये मिशनरी कई वर्षों से करते रहे हैं। ब्रिटिश शासन के आरंभ में अधिकारी क्रिकेट की टीमों का नामकरण ‘हिन्दू टीम’, ‘पारसी टीम’ इस तरह किया करते थे और हिन्दू मुसलमान इन दोनों को भिन्न समुदाय नहीं बल्कि ‘Nationalities’ अर्थात् दो अलग राष्ट्रीय अस्मिताएं कहा करते थे। भारत खण्ड के Balkanization में अंग्रेजों ने महती भूमिका निभाई और पाकिस्तान बनाने में सफलता पाई।
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद जब कम्युनिस्ट रूस का खतरा नहीं रहा तब अमरीका के स्टेट डिपार्टमेंट यानि विदेश मंत्रालय ने एक शोध पत्र प्रकाशित किया। उसमें एक विचित्र प्रकार की चिंता प्रकट की गयी थी। उस दस्तावेज में लिखा गया था कि दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का समाज अपने मौलिक स्वरूप में सांस्कृतिक रूप से एक है। हिन्दू दर्शन से निकले विभिन्न मत सम्प्रदाय अफगानिस्तान में बामियान की बौद्ध मूर्तियों से लेकर कम्बोडिया में रामायण के मंचन तक फैले हुए हैं। यदि भविष्य में कभी ये सभी सांस्कृतिक समुदाय एक हो गए तो अत्यधिक शक्तिशाली हो जाएंगे जिससे अमरीका के सामरिक तथा भूराजनैतिक हितों पर आँच आना लाजमी हो जायेगा। मूल रूप से यह विचार रूसी चिंतक एंटोनियो ग्रामस्की का है जिसे Cultural Hegemony कहा जाता है जिसका अर्थ है किसी विशेष सांस्कृतिक समुदाय का दूसरे समुदाय के लोगों पर एकाधिकार स्थापित हो जाना। ऐसा दक्षिण एशिया में न हो इसीलिए यूरोप और अमरीका अपने ईसाई मिशनरियों को भारत में भेजकर ‘faultlines’ तलाशते हैं। समाज में उन्हें जहाँ भी आर्थिक असमानता की थोड़ी बहुत दरार भी दिखाई देती है वहाँ प्रहार करने से ये नहीं चूकते। हमारे शूद्र (कार्यकुशीलव) भाई बहनों को भड़का कर कथित ब्राह्मणवाद का डर दिखा कर उनका मतांतरण करते हैं। इस प्रकार एक हिन्दू शूद्र के गले में क्रॉस लटकाकर भारत की सामाजिक सांस्कृतिक एकता को क्षति पहुँचाकर ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को भेदने का कुत्सित प्रयास करते हैं। भारत का Balkanization इनका अंतिम मिशन है। यही काम एक समय में कम्युनिस्ट प्रचारक अमरीका में किया करते थे। अंतर यही है कि उनका तरीका थोड़ा हिंसक हुआ करता था तथा मत नहीं अपितु एक खास विचारधारा से प्रेरित था इसलिए बोल्शेविकों को पकड़ना आसान था। आज स्थिति यह है कि ‘एवांजलिस्ट’ मत प्रचारक अमरीकी प्रशासन में इतनी पैठ रखते हैं कि उन्होंने 1998 में The International Religious Freedom Act पास करवाया जिसके अनुसार यदि अमरीका को लगता है कि कोई देश अपने यहाँ किसी एक पंथिक समुदाय को प्राथमिकता दे रहा है या प्रोत्साहित कर रहा है तो उस पर पंथनिरपेक्षता को खतरा बताते हुए आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे।
भारतीय प्रबुद्ध समाज को ईसाईयत के खतरों के बारे में कुछ बातें स्पष्ट रूप से समझनी चाहिये। जो भी अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला सेंट मैरी, जॉन अथवा जोसेफ नामक कॉन्वेंट स्कूलों में करवाते हैं वे इस बात से सर्वथा अनभिज्ञ हैं कि अनजाने में वे अपनी गाढ़ी कमाई ईसाई मिशनरियों को दे रहे हैं। वे इस पर विचार करें कि कोई स्कूल अपना नाम महर्षि भारद्वाज, चरक या भास्कराचार्य के नाम पर क्यों नहीं रखता जबकि ये विद्वान तो वैज्ञानिक हुआ करते थे। ईसाई मत में तो चमत्कार देख कर सन्त की उपाधि दी जाती है। कुछ ICSE बोर्ड के स्कूल संस्कृत को अंग्रेजी में पढ़ाते हैं ताकि बच्चों में संस्कृत साहित्य के प्रति रुचि उत्पन्न ही न हो। भारत में अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता को जन्म देने वाले सईद नक़वी साहब आज भले ही यह कहते हों कि भारत का मुसलमान खतरे में है लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने यह स्वीकार किया है कि भारत की एकता को अक्षुण्ण रखने में साड़ी के साथ संस्कृत का भी महत्व है। इस पर विचार करें क्योंकि संस्कृत वह भाषा है जो पूजा पाठ के साथ उत्तर भारत से दक्षिण तक चली जाती है। राजीव मल्होत्रा ने Battle for Sanskrit में लिखा है कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने संस्कृत को राष्ट्रीय भाषा बनाने पर ज़ोर दिया था। वामपंथी इतिहासकारों पर तो हंसी आती है जब वे लिखते हैं कि भारत में शूद्रों पर ब्राह्मणों ने बड़ा अत्याचार किया। परन्तु वे यह तथ्य गोल कर जाते हैं कि हजार साल राज तो मुसलमानों ने किया। और मुसलमान शासकों ने हिन्दू कट्टरपंथियों को मनमानी करने तो नहीं ही दिया होगा। तब ब्राह्मण अत्याचारी कैसे हो गया?
अमरीका के विश्वविद्यालयों में बैठे कथित ‘इंडोलॉजिस्ट’ प्रोफेसर लिखते हैं कि चाणक्य के समय भारत में “Brahmanism” नामक रिलिजन था। वर्तनी पर ध्यान दीजियेगा Brahminism और Brahmanism में केवल ‘i’ और ‘a’ का फर्क है। Brahmanism को ये सब पूर्व वैदिक काल का रिलिजन कहते हैं उसको ‘ब्रह्म’ से जोड़ते हैं और लिखते ‘ब्रह्मन्’ हैं। बाद में Brahminism को ये ब्राह्मणवाद और ब्राह्मण जाति से जोड़ते हैं। वस्तुतः ये फर्ज़ी इतिहासकार और इंडोलॉजिस्ट ब्रह्म, ब्रह्मा, ब्रह्मन्, ब्राह्मण किसी भी शब्द का सही अर्थ नहीं जानते वरना i और a के अंतर से जाति को रिलिजन नहीं बनाते। भारत विखण्डन शक्तियों का ये सब प्रोपेगैंडा हमारी सांस्कृतिक एकता को चुनौती देता है। वेंडी डोनिगर और शेल्डन पॉलक जैसे प्रोफेसर इस षड्यंत्र में अहर्निश लगे हैं कि किसी भी तरह भारतीयों का संस्कृत से मोहभंग किया जाये। कई साल पहले एक ईसाई मत प्रचारक तरुण विजय से एनडीटीवी पर इस पर बहस कर रहा था कि गीता में कहा गया है कि सभी धर्मों को छोड़ कर मेरे पास आओ। इसका अर्थ उसने यह निकाला कि हिंदुओं के भगवान यह कहते हैं कि अपना मत परिवर्तन करा लो। कुछ सप्ताह पहले हमारे एक मित्र अमरीका से आये थे उन्होंने एक किस्सा सुनाया कि वहाँ उन्हें एक ट्रक ड्राईवर ने गीता भेंट की और कहा कि यदि आप हिन्दू न होते तो शायद इसे लेने से मना कर देते। अमेरिका के उस ट्रक ड्राईवर ने अपना मतांतरण नहीं करवाया था बल्कि स्वेच्छा से गीता की ओर आकृष्ट हुआ था। हाल ही में हेनरी किसिंजर ने अपनी किताब World Order में गीता से प्रभावित होकर नैतिकता और शक्ति के बीच सम्बंध को दर्शाने के लिए उद्धृत किया है।
आज क्रिसमस का त्योहार है। लेकिन दुःख इस बात का है कि हम हिन्दू ईसाई मिशनरियों की चालों को न समझते हुए स्कूल कॉलेज में क्रिसमस कैरोल गाते गाते कई शहरों के गिरजाघरों के आसपास चाट पकौड़ी खाने पहुँच जाते हैं। हमारे इसी उत्सव मनाने के स्वभाव का फायदा ईसाई मिशनरी उठाते हैं। गाँव के भोले भाले लोगों से जादू टोने के ज़रिये ईसाईयत का प्रचार करने को कहते हैं। आज भारत के दक्षिणी भूभाग के कई हिस्से और पूर्वोत्तर राज्य अपनी मौलिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से कट गए हैं। आप क्रिसमस मनाइये लेकिन साथ ही अपने शूद्र और मतांतरित भाई बहनों को genesis और ऋग्वेद की ऋचाओं में अंतर भी बताइये। हिंडोल सेनगुप्ता ने लिखा है कि जेनेसिस के अनुसार ईश्वर ने कहा और धरती आसमान सूरज चांद सब बन गया। यहाँ प्रश्न की गुंजाइश ही नहीं है। जबकि ऋग्वेद 10.129 में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति पर ही प्रश्न किया गया है। हिन्दू धर्म है रिलिजन नहीं। हिन्दू प्रश्न कर सकता है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि क्या आप राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सजग हैं? क्या आप भारत का Balkanization होने देंगे?
✍🏻यशार्क पाण्डेय
Balkanization
AI जवाब
Balkanization is the process of a region, country, or area breaking up into smaller, hostile units. It’s often caused by differences in culture, ethnicity, religion, or geopolitical interests. The term has a negative connotation and is often associated with violence and atrocities.
The term was first used in the late 19th century to describe the Russian Empire’s foreign policy towards the Balkan region of Europe. It was used again in the 1990s after the breakup of Yugoslavia.
Here are some examples of Balkanization:
The Ottoman Empire
The breakup of the Ottoman Empire after World War I led to ethnic and political fragmentation, particularly in the Balkans.
Yugoslavia
The disintegration of Yugoslavia in the early 1990s led to the emergence of several new states, many of which were unstable and ethnically mixed. This led to violence between the new states.
Africa
In the 1950s and 1960s, Africa experienced Balkanization after the dissolution of the British and French colonial empires.
The term “Balkanization” can also be used to describe the division of a multinational state into smaller ethnically homogeneous entities. It can also refer to ethnic conflict within multiethnic states.
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Balkanization | Definition, History & Examples – Lesson – Study.com
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What Is Balkanization?
बाल्कनीकरण एक भू-राजनीतिक उपकरण या पदनाम है जो मूल रूप से एक क्षेत्र या देश को अलग-अलग क्षेत्रों या देशों में बदलने के लिए उपयोग किया जाता था, अक्सर एक दूसरे के प्रतिकूल या शत्रुतापूर्ण अर्थ में। ऐसा उन देशों के साथ होता है, जो एक-साथ शांतिपूर्ण ढंग से रहने में असमर्थ होते हैं।
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Balkanization or Balkanisation is the process involving the fragmentation of an area, country, or region into multiple … ·
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Balkanize Definition & Meaning
The meaning of BALKANIZE is to break up (a region, a group, etc.) into smaller and often hostile units. How to use balkanize in a sentence. Did you know? ·
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BALKANIZATION definition and meaning | Collins English Dictionary
1. the process of dividing a region or territory into smaller, often hostile, units or factions based on ethnic, religious, or political differences.
Study.com
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Balkanization | Definition, History & Examples – Lesson
Balkanization is the breakup of a larger state into smaller states. Usually, these smaller states have antagonistic feelings towards each other. ·
Dictionary.com
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BALKANIZATION Definition & Meaning
Division of a place or country into several small political units, often unfriendly to one another. The term balkanization comes from the name of the Balkan … ·
Oxford English Dictionary
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balkanization, n. meanings, etymology and more
The earliest known use of the noun balkanization is in the 1910s. OED’s earliest evidence for balkanization is from 1914, in the writing of E. H. Bradford. ·