अपने पिताओं की हार का बदला ले लिया बेटियों ने
Uttarakhand Vidhansabha Election Result 2022: दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियों ने लिया हार का बदला, पिता को हराने वालों को हराया
विधानसभा चुनाव के परिणाम कुछ खास रहे। यहां दो पूर्व सीएम की बेटियों ने पिता की हार का बदला लिया। उन्होंने इस बार चुनाव में पिता को हराने वालें प्रत्याशियों को हराया। हम बात करें रहें अनुपमा रावत और ऋतु खंडूड़ी के बारे में। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियों ने लिया हार का बदला, पिता को हराने वालों को हराया
पूर्व मुख्यमंत्री जनरल बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत।
देहरादून। इस बार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों की बेटियों ने अपने पिता की हार का बदला ले लिया। इस बार चुनाव में उन्होंने पिता को हराने वाले प्रत्याशियों को हराया। जी हां, हम बात कर रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत के बारे में।
इस विधानसभा चुनाव में ऋतु खंडूड़ी कोटद्वार विधानसभा सीट से विजय रहीं जबकि उन्हें उनकी सीट यमकेश्वर कमजोर मानकर इस सीट पर लाया गया था कि संभवतः जनरल खंडूड़ी की हार से पछताये लोग प्रायश्चित की भावना में उन्हें जिता दें। भाजपा का यह दांव कामयाब भी हो गया। उन्हें 31455 वोट पड़े। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी को हराया। सरेंद्र सिंह नेगी को 27969 वोट पड़े। वहीं, अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट से विजय रहीं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी यतीश्वरानंद को हराया। अनुपमा को 50028 वोट पड़े। जबकि यतीश्वरानंद को 45556 वोट मिले। बता दें कि 2012 में कोटद्वर सीट से सरेंद्र सिंह नेगी ने बीसी खंडूड़ी और 2017 में हरिद्वार ग्रामीण सीट से यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को हराया था।
2012 में सुरेंद्र सिंह रावत ने हराया था बीसी खंडूड़ी को
वर्ष 2012 में कोटद्वार विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी को 4,623 वोटों से हराया था। इस चुनाव में बीसी खंडूड़ी को 27174 वोट मिले थे। वहीं, सुरेंद्र सिंह नेगी को 31,797 वोट मिले थे। वहीं, इसी सीट पर वर्ष 2017 में हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हरक सिंह रावत विजयी रहे थे।
2017 में यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को था हराया
हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर 2017 में हुए चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को भाजपा के प्रत्याशी यतीश्वरानंद ने 12,278 वोटों से हराया था। इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को 32,686 वोट मिले थे, जबकि यतीश्वरानंद को 44,964 वोट मिले थे। इस बार चुनाव में हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत ने भाजपा प्रत्याशी यतीश्वरानंद को हरा दिया है।
बड़ा नेता बनने की इच्छा ले डूबी यतिश्वरानंद को ले डूबी
बड़ा नेता बनने की कोशिश स्वामी यतिश्वरानंद को ले डूबी। स्वामी यतिश्वरानंद को वर्ष 2017 में 44 हजार 319 मत मिले थे जबकि 2022 में वह 40 हजार पर ही सिमट कर रह गए।
वर्ष 2017 में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता हरीश रावत को 12 हजार से अधिक मतों से हराकर जो साख बनायी थी,वह उन्होंने वर्ष 2022 में हरीश रावत की बेटी कांग्रेस नेत्री अनुपमा रावत से साढ़े छह हजार से अधिक मतों से हार के साथ गंवा दी।
40 हजार पर ही सिमट कर रह गए यतिश्वरानंद
स्वामी यतिश्वरानंद को वर्ष 2017 में 44 हजार 319 मत मिले थे, जबकि 2022 में वह 40 हजार पर ही सिमट कर रह गए। हालांकि स्वामी यतिश्वरानंद ने 2017 में विधायक बनने के बाद क्षेत्र के विकास के लिए काफी कुछ किया था। पर, जबसे वह भाजपा सरकार में मंत्री बनें, पहले तीरथ सिंह रावत की सरकार में राज्यमंत्री और बाद में पुष्कर सिंह धामी सरकार में कबीना मंत्री, उनके आचार, विचार और व्यवहार में परिर्वतन आने का आरोप लगना शुरू हो गया।
क्षेत्रीय जनता के साथ उनकी दूरी बनने लगी थी और वह और उनके लोग आम जनता के साथ बड़े नेताओं सा व्यवहार करने लगे थे। उनसे मिलने आने वालों को उनसे मिलने में दिक्कत होने लगी और उनका क्षेत्र में रहना कम हो गया था। यहीं से उनके खिलाफ माहौल बनने लगा था, हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपनी नजदीकी दिखा उन्होंने इसकी भरपाई करने की कोशिश की पर, इसमें वह कामयाब नहीं हो सके।
2017 में कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत हिंदू-मुस्लिम वोट बैंक का खेल रचा चुनावी गणित को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर जो गलती की थी। उसी गलती को स्वामी यतिश्वरानंद ने इस बार दोहरायी। उन्होंने बहुसंख्यक हिंदू वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश की पर, कामयाब नहीं हो सके। इसके विपरीत कांग्रेस ने अपनी गलती में सुधार करते हुए मतदाताओं को हिंदू-मुस्लिम वोट बैंक बदलने की अपनी गलती को दोहराया नहीं। बल्कि कांग्रेस और पार्टी उम्मीदवार अनुपमा रावत ने पहले ही दिन से सबको साथ लेकर चलने की नीति अपनायी और अंत तक उसे कायम रखा। स्वामी यतिश्वरानंद कांग्रेस के इस चक्रव्यूह में उलझ कर रह गए और जीत उनके हाथ से फिसल गयी।
ये रहे हार के प्रमुख कारण कारण
-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और क्षेत्रीय जनता से दूरी
-चुनावी वर्ष में क्षेत्र में सक्रियता की कमी
-स्थानीय कार्यकर्ताओं की जगह हरियाणा से होने के कारण वहां के लोगों को तरजीह देना
-उनके व्यवहार से स्थानीय स्तर पर अपने और खास कार्यकर्ताओं का किनारा कर जाना
-खनन माफियाओं का हावी होना
यह हैं हरिद्वार की 11 विधानसभा सीट
जिले में हरिद्वार, बीएचईएल रानीपुर, ज्वालापुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरानकलियर, रुड़की, खानपुर, मंगलौर, लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण सीट शामिल हैं।