Atoz:हर तरफ शव ही शव,मक्का में मृतक 1000 पार, इनमें 100 भारतीय
Hajj 2024 Who Is Responsible For Thousands Haji Deaths In Saudi Arabia
मक्का में हर तरफ लाशें… हज में मृतक संख्या 1150 , आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन?
इस साल हज को मक्का गए 98 भारतीयों की भी मौत हो चुकी है। रीति रिवाजों और कानूनों के चलते हज में मरने वाले लोगों की लाशें उनके मूल स्थान पर वापस नहीं लायी जाती। लाशें संबंधित अधिकारी वहीं दफना देते हैं।
मुख्य बिंदु
1-इस साल सऊदी में 1,150 हाजियों की मौत
2-भीषण गर्मी के चलते जा रही यात्रियों की जान
3-भारत से हज के लिए गए 100+ लोगों की हुई मौत
रियाद 22 जून 2024 : इस साल की हज यात्रा पर सऊदी अरब की भीषण गर्मी के कारण हाजियों के लिए मुश्किल भरी रही है। इस साल हज यात्रा में मौतों का आंकड़ा 1150 हो गया है। जैसे-जैसे मरने वालों की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही ये सवाल भी उठ रहा है कि सऊदी अरब में हुई इन मौतों के लिए खराब इंतजाम, भीषण गर्मी मौसम या फिर हाजियों की भीड़, किसे जिम्मेदार माना जाए। सऊदी अरब में सोशल मीडिया पर ऐसी सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो शेयर हो रहे हैं, जिनमें हाजी सड़क के किनारे बेहोश या मृत पड़े दिख रहे हैं। कई तस्वीरों में इन्हें देखकर लगता है कि लाशें वहीं छोड़ दी गई हैं।
हज के दौरान पूरे रास्ते पर जगह-जगह सड़क किनारे लोग बेहोश पड़े थे। चश्मदीदों के मुताबिक, सड़कों पर लगातार एंबुलेंस आती-जाती दिख रही थीं।
सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान अब तक 1150 हज यात्रियों की मौत हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा मिस्र के 658 हैं। इसके बाद इंडोनेशिया के 199 और भारत के 98 हैं। वहीं जॉर्डन से 75, ट्यूनीशिया से 49 पाकिस्तान से 35 और ईरान से 11 हज यात्रियों की मौत की खबर है।
सऊदी अरब ने अभी तक अपने नागरिकों की कुल मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया है, इसलिए आशंका है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ेगी। मिस्र के मारे गए 658 हज यात्रियों में से 630 बिना वीजा के हज को गए थे। इस भयावह समस्या से निपटने के लिए मिस्र ने क्राइसिस सेंटर का गठन किया है।
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, हज यात्रा के दौरान मारे गए यात्रियों के शव सड़कों पर पड़े हुए थे। इन्हीं के बीच से बाकी यात्री हज करने जा रहे थे। इस साल बड़ी संख्या में हज यात्रियों के मरने के पीछे की बड़ी वजह भीषण गर्मी का होना है।
मक्का में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से 50 डिग्री तक पहुंचने के कारण कई हज यात्रियों की लू के चलते मौत हो गई। सऊदी सरकार के मुताबिक, अब तक 2,700 से ज्यादा हज यात्री हीट स्ट्रोक की चपेट में आ चुके
टूर ऑपरेटरों ने गलत पैकेज का वादा किया, मौके पर सुविधा नहीं
हज पर जाने के लिए हज यात्री टूर ऑपरेटर का भी सहारा लेते हैं। इसके लिए ऑपरेटर पैकेज लेकर उचित सुविधा जैसे रहने, खाने और ट्रांसपोर्ट जैसी तमाम जरूरी चीजें मुहैया कराने का वादा करते हैं।
हालांकि मिस्र के सांसद महमूद कासिम ने टूर ऑपरेटरों पर हज यात्रियों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कई हज यात्रियों को टूर ऑपरेटरों ने उचित सुविधाएं नहीं दी, जिससे उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और इससे उनकी मौत हो गई।
मिस्र में 16 कंपनियों के लाइसेंस रद्द तो ट्यूनीशिया में मंत्री बर्खास्त
मिस्र ने हज यात्रियों से धोखाधड़ी करने वाली टूर ऑपरेटर कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पीएम मुस्तफा ने 16 कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया है। इसके अलावा इन कंपनियों पर मुकदमा चलाने और जुर्माना लगाने का भी आदेश दिया है।
जुर्माने से जब्त राशि को हज यात्रा के दौरान हादसे का शिकार हुए लोगों में बांटने काे कहा गया है। दूसरी तरफ, बड़ी संख्या में मौतों के कारण ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ने धार्मिक मामलों के मंत्री को बर्खास्त कर दिया।
बिना रजिस्ट्रेशन के हज पर आने से समस्या ज्यादा बढ़ गई
हज यात्रा के लिए विशेष हज वीजा की जरूरत होती है। हालांकि कुछ लोग इसके बजाय टूरिस्ट वीजा लेकर सऊदी आते हैं और हज पर चले जाते हैं। सऊदी अधिकारी के मुताबिक बिना रजिस्ट्रेशन के हज पर आने से इस बार भीड़ बढ़ गई।
दूसरी तरफ, बिना वीजा हज के लिए आने वाले लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने पर भी प्रशासन से बचने की कोशिश करते हैं। इन कारणों से भी इस साल मौत की संख्या में इजाफा हुआ है। दरअसल, हज यात्रियों की पहचान के लिए नुसुक कार्ड जारी होता है। हालांकि, इनकी संख्या ज्यादा होने के कारण बिना हज वीजा के आए लोगों की पहचान करना मुश्किल होता है, जिस कारण टूरिस्ट भी हज करने में सफल हो जाते हैं।
हज क्या है…
इस्लाम धर्म में 5 फर्ज में से एक फर्ज हज है। मान्यताओं के मुताबिक, हर मुस्लिम व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक बार इस फर्ज को पूरा करना होता है। BBC न्यूज के मुताबिक साल 628 में पैगंबर मोहम्मद ने अपने 1400 शिष्यों के साथ एक यात्रा शुरू की थी। ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैगंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया। इसी को हज कहा जाता है।
हर साल दुनियाभर के मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुंचते हैं। हज में पांच दिन लगते हैं और ये ईद उल अजहा यानी बकरीद के साथ पूरी होती है। सऊदी अरब हर देश के हिसाब से हज का कोटा तैयार करता है।
इनमें इंडोनेशिया का कोटा सबसे ज्यादा है। इसके बाद पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया का नंबर आता है। इसके अलावा ईरान, तुर्किये, मिस्र, इथियोपिया समेत कई देशों से हज यात्री आते हैं। हज यात्री पहले सऊदी अरब के जेद्दाह शहर पहुंचते हैं। वहां से वो बस के जरिए मक्का शहर जाते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी के पवित्र शहर मक्का में हज अवधि में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। भीषण गर्मी में आश्रय और पानी की कमी ने हजारों हाजियों की जानें ली। सऊदी अरब में इस साल दुनिया भर से करीब 18 लाख मुसलमान हज करने पहुंचे थे। हाजियों की बड़ी संख्या ने भी चीजों को बद से बदतर किया। सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मौतों के आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं। अलग-अलग रिपोर्ट के हिसाब से मरने वालों की संख्या 1,000 से ऊपर हो गई है। मिस्र, इंडोनेशिया, सेनेगल, जॉर्डन, ईरान, इराक, भारत और ट्यूनीशिया के हाजियों की मौतें बड़ी संख्या में हुई है।
सऊदी की कोशिशें रहीं नाकाफी
सऊदी अधिकारियों ने मिस्टिंग स्टेशन और पानी के डिस्पेंसर जैसी सुविधाओं के जरिए गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए उपाय किए लेकिन ये नाकाफी साबित हुए और ज्यादातर मौतें गर्मी से हुईं। मरने वालों की संख्या में आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि कई लोगों की तलाश अभी भी जारी है, जो मक्का पहुंचे थे लेकिन अब लापता हैं। सऊदी ही नहीं, हाजियों के गृह देशों में भी इस बात पर तीखी बहस हो रही है कि इस सबका का जिम्मेदार कौन है। हज करने को हाजियों को सऊदी अरब से आधिकारिक अनुमति की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए की जगह की तुलना में अधिक मुसलमान हज के लिए आना चाहते हैं और सभी को बुलाना संभव नहीं है। सऊदी अरब हर साल एक कोटा प्रणाली चलाता है, जिससे व्यवस्था में सभी काम हो सकें।
सऊदी अरब में हाजियों का सहारा आमतौर पर ट्रैवल एजेंसियां बनती हैं, ये एजेंसियां ही मक्का में आवास,भोजन और परिवहन की व्यवस्था करते हैं। इस साल कई हाजियों ने अपने देश के अधिकारियों पर ठहरने और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था ना करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं एक पक्ष उन लोगों को दोषी ठहराया है जो बिना पंजीकरण के मक्का पहुंचे थे। ऐसे हाजियों को एयर कंडीशनिंग, पानी और दूसरी सुविधाएं नहीं मिल सकीं।
इस साल पर्याप्त टेंट भी नहीं थे!
डीडब्ल्यू ने मिस्र की एक निजी टूर कंपनी के मैनेजर से बात की, जो कई वर्षों से मिस्र के हाजियों को मक्का ला रहे है और इस सप्ताह सऊदी अरब में थे। मैनेजर ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि इस साल तापमान बहुत अधिक था और लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। हाजी इस बात को भी नहीं समझ रहे थे कि गर्मी कितनी खतरनाक हो सकती है। हर किसी ने वही किया जो वे करना चाहते थे। पहले से खराब व्यवस्था को इसने और बिगाड़ दिया। हाजी तो गर्मी का ध्यान रख ही नहीं रहे थे लेकिन इसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि सभी के लिए पर्याप्त टेंट तक नहीं थे।
हाजियों के अराफात पर जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सूरज बहुत तेज था और लोगों को बहुत शीर्ष पर जाने से बचना चाहिए था लेकिन हाजी ऊपर तक गए। हाजियों को भी बेहतर शिक्षित और अधिक जागरूक होने की जरूरत है। ऐसा तो नहीं हो सकता है कि माउंट अराफात की चोटी पर सनशेड लगा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन हज को आने वाले वर्षों में और अधिक खतरनाक बनाने जा रहा है।
सवाल है कि क्या मक्का में भारतीय हजयात्रियों की मौत के बाद उनकी डेडबॉडी को भारत लाया जाएगा? मक्का में कैसे पुष्टि की जाती है कि मरने वाला हजयात्री किस देश का निवासी है?
सबसे ज्यादा मौत का आंकड़ा मिस्र के जायरीनों का है. मक्का में मिस्र के 658 से ज्यादा और जॉर्डन के 100+ हज यात्रियों की मौत हुई है. मौत की वजह गर्मी बताई गई है. तापमान 52 डिग्री तक पहुंचने के बाद ये हालात बने. हालांकि, बिना रजिस्ट्रेशन हज यात्रियों का पहुंचना भी हालात बिगड़ने की एक बड़ी वजह बताई गई है.
सवाल है कि क्या मक्का में भारतीय हज यात्रियों की मौत के बाद उनकी डेडबॉडी को भारत लाया जाएगा? मक्का में कैसे पुष्टि की जाती है कि मरने वाला हज यात्री किस देश का निवासी है?
क्या भारत आएगी हज यात्रियों की डेडबॉडी?
दिल्ली हज कमेटी की चेयरमैन कौसर जहां ने बताया , मक्का में जिन भारतीय हज यात्रियों का देहांत हुआ है, उन्हें भारत नहीं लाया जाएगा. अंतिम संस्कार वहीं होगा. प्रक्रिया को उनके साथ गए परिजनों से कंसेंट फॉर्म भरवाया जाएगा. तब अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होगी.
आखिर मक्का की हज यात्रा में कैसे मर गए 1000 से ज्यादा जायरीन?
बॉडी को भारत क्यों नहीं लाया जाएगा, इसके जवाब में वह कहती हैं, मक्का सबसे पवित्र स्थान है. मुस्लिमों में मक्का और मदीना को लेकर मान्यता है कि यहां की मिट्टी में दफन होना उनका सौभाग्य है. कई लोग जब हज पर जाते हैं तो इस बात की ख्वाहिश भी करते हैं कि मौत आए तो इस यात्रा में आ जाए, ताकि मौत बाद उनकी आत्मा को शांति मिले.
क्या कोई उनके अंतिम संस्कार में शामिल होगा?
दिल्ली हज कमेटी के डिप्टी एक्जीक्यूटिव ऑफिसर मोहसिन अली कहते हैं, हज यात्री के देहांत बाद उनके साथ गए परिजन को मक्का में ही डेड सर्टिफिकेट मिल जाता है. हज यात्रियों के देहांत के बाद वहां उनके परिजन पहुंचाना हज कमेटी का कोई प्रावधान नहीं है. इसको उन्हें खुद व्यवस्था करनी होगी.
मक्का में हुई इतनी मौतों कौन हज यात्री किस देश का, कैसे पता चलेगा?
मोहसिन अली कहते हैं, हज यात्रियों को सऊदी अरब से जारी कार्ड मिलते हैं, जिसे यात्रा के दौरान वो गले में पहने रहते हैं. इसके अलावा उन्हें एक ब्रेसलेट (कड़ा) दिया जाता है, जिसे वो हाथ में पहनते हैं. इसमें उनसे जुड़ी जानकारी होती है. आपातस्थिति में उनके कार्ड या ब्रेसलेट से उनका नाम और देश की जानकारी मिल जाती है. 90 के दशक में अग्निकांड के बाद से कड़े यानी ब्रेसलेट दिए जाने लगे ताकि इमरजेंसी में उनकी पहचान करना आसान हो जाए. इसमें हज यात्री के देश का नाम और रेफरेंस नम्बर होता है.
मक्का में सबसे ज्यादा मौतें मिस्र के हज यात्रियों की क्यों हुईं? भारत और जॉर्डन भी लिस्ट म
मक्का में सबसे ज्यादा मौतें मिस्र के हज यात्रियों की क्यों हुईं? भारत और जॉर्डन भी लिस्ट में
मक्का में सबसे ज्यादा मृतक मिस्र, भारत और जॉर्डन के हैं. पिछले साल हज के दौरान 240 यात्रियों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर इंडोनेशियाई थे.
सवाल यह है कि आखिर इन्हीं देशों के यात्रियों पर मक्का में कहर क्यों बरप रहा है? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
हज यात्रियों की इतनी मौतों ने चौंकाई पूरी दुनिया
सऊदी अरब में इस बार इतनी बड़ी संख्या में हज यात्रियों की मौत ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. भीषण गर्मी से 2700 से ज्यादा तीर्थयात्री बीमार हैं. इसकी जानकारी सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी है. मृतकों में मिस्र के सबसे ज्यादा 658 नागरिक हैं. सऊदी अरब सरकार का दावा है कि मिस्र के सभी तीर्थयात्रियों की मौत गर्मी से ही हुई है. एक यात्री भीड़ की टक्कर में घायल हुआ . वहीं, भारत के और जॉर्डन के 100-100 हज यात्रियों की मौत हुई. भीषण गर्मी के बावजूद इस साल 18 लाख हाजी हज यात्रा में शामिल हुए, जिनमें 16 लाख विदेशी थे. सऊदी अरब सरकार के छाते का इस्तेमाल और हमेशा हाइड्रेट रहने की सलाह के बावजूद हालात बिगड़े और पूरी दुनिया में उसकी किरकिरी हुई.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ रहा सऊदी में धार्मिक स्थलों का तापमान
विशेषज्ञों की मानें तो मक्का में मौतों के लिए इंसान सीधे नहीं तो अप्रत्यक्ष तौर पर खुद जिम्मेदार है. ग्लोबल वार्मिंग से मौसमी बदलाव का ही असर सऊदी में हज यात्रा पर पड़ा. बढ़ते तापमान की बड़ी वजहों में इंसानी गतिविधियां भी शामिल हैं.
सऊदी अरब में हुए एक अध्ययन में हाल ही में खुलासा हुआ है कि वहां के धार्मिक स्थलों पर हर दशक में तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ रहा है. इस बार हज यात्रा में मक्का की ग्रैंड मस्जिद का तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है.
इसलिए मिस्र के लोगों की मौत ज्यादा
इसी ज्यादा तापमान का ज्यादा असर मिस्र, जॉर्डन और इंडोनेशिया के लोगों पर पड़ा, क्योंकि वे इतनी गर्मी झेलने के आदी नहीं हैं. जॉर्डन घाटी में गर्मियों में अधिकतम पारा 38-39 डिग्री सेल्सियस तक ही जाता है. देश के रेगिस्तानी इलाकों में अधिकतम तापमान 26-29 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है. मिस्र के तटीय क्षेत्रों में तो सर्दियों में औसत तापमान न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस और गर्मियों में अधिकतम औसत तापमान 30 डिग्री सेल्सियस रहता है. इंडोनेशिया में पूरे साल औसत तापमान 27-28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. शुष्क गर्मी पड़ने पर भी यह 33-34 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं रहता.
भारतीय मौसम विज्ञानी डॉक्टर आनंद शर्मा कहते हैं कि हर इंसान की अपनी क्षमता और इम्यून सिस्टम होता है. जो अधिकतम 34-35 डिग्री सेल्सियस के स्थायी निवासी हैं, और अचानक उन्हें 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में भेज दिया जाए तो भी वे बेचैन हो सकते हैं. जैसे दिल्ली में मौसम 42-44 डिग्री आम बात है लेकिन जैसे ही पारा 46-47 पहुंचा, चारो ओर शोर होने लगा. ठीक वैसे ही सामान्य तापमान में रहने वाले लोगों को अचानक 12-15 डिग्री ज्यादा तापमान में भेज दिया जाएगा तो सेहत खराब होने की आशंका से इनकार नहीं कर सकते. सऊदी अरब में मौतों के पीछे यह एक बड़ा कारण हो सकता है.
तीनों देशों से बड़ी संख्या में पहुंचते हैं हज यात्री
सऊदी अरब का नियम है कि मुस्लिम देशों की हर एक हजार आबादी पर एक व्यक्ति हज यात्रा पर जा सकता है. दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इंडोनेशिया में है, इसलिए वहां के सबसे ज्यादा यात्री हज पर जाते हैं. ऐसे ही मिस्र और जॉर्डन से भी अधिक यात्री हज पर पहुंचते हैं. ऐसे में मक्का में घटनाओं-दुर्घटनाओं की चपेट में भी यही लोग ज्यादा आते हैं.
बिना पंजीकरण ही मक्का पहुंच जाते हैं जायरीन
एक वजह यह है कि हज की आधिकारिक प्रक्रियाओं में बहुत पैसा लगता है. इससे बचने को बड़ी संख्या में यात्री बिना पंजीकरण कराए मक्का पहुंच जाते हैं. पंजीकरण न होने से इन यात्रियों को सऊदी अरब सरकार की सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है. पंजीकरण वाले यात्रियों को वातानुकूलित स्थान पर रहने आदि की सुविधा मिलती है.
बिना पंजीकरण वाले जायरीनों से मक्का के शिविरों में हालात बिगड़ गए. इससे कई सेवाएं तो पूरी तरह से ठप हो गईं. कई लोगों को खाना-पानी तक नहीं मिला. एयरकंडीशनर की सुविधा भी नहीं मिल पाई. इससे गर्मी की चपेट में आने से लोगों की मौत हो गई.
मिस्र के एक राजनयिक ने कहा है कि बिना पंजीकरण वाले जायरीनों से मृत्यु दर बढ़ी है. ऐसे ही इंडोनेशिया और दूसरे देशों ने भी मौतों की सूचना दी है.
हज पर गए सैकड़ों हाजियों की मौत की वजह भीषण गर्मी या कुछ और?
सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हो गई है. इनमें से ज्यादातर लोगों की मौत का कारण अत्यधिक गर्मी बनी है, क्योंकि लोगों को 51 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान का सामना करना पड़ा.
इसके अलावा पाकिस्तान, मलेशिया, जॉर्डन, ईरान, सेनेगल, ट्यूनीशिया, सूडान और इराक से स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र ने भी मौतों की पुष्टि की है. हज यात्रा में कई अमेरिकी भी मारे गए हैं.
हालात ये हैं कि दोस्त और रिश्तेदार अस्पतालों में लापता हुए अपने लोग तलाश रहे हैं और जानकारी को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मैसेज पोस्ट कर रहे हैं.
हज मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन और इस्लाम की पांच मौलिक बुनियादों में से एक है. यह शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुसलमान को फ़र्ज़ या ज़रूरी है. इसीि से हर साल एक तय समय पर दुनिया भर से मुस्लिम देशों के लाखों पुरुष और महिलाएं हज करने सऊदी अरब के शहर मक्का में जुटते हैं.
सऊदी अरब के अनुसार इस साल करीब 18 लाख लोगों ने हज यात्रा की है। मृतकों में आधे ज्यादा लोगों ने हज की तरह रजिस्ट्रेशन नहीं किया था, जिससे उन्हें वातानुकूलित टेंट और बसों जैसी सुविधाएं नहीं मिल पाईं.
शुक्रवार को जॉर्डन ने कहा कि मुस्लिम तीर्थयात्रियों को मक्का की अनौपचारिक यात्रा में मदद करने वाले कई ट्रैवल एजेंट उसने हिरासत में लिये है. मिस्र भी इसी तरह जांच कर रहा है.
सऊदी अरब ने हाल के सालों में हज को लेकर सुविधाएं बढ़ाई हैं, लेकिन अभी भी वे काफी नहीं हैं, जिससे उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. खासकर उन हज यात्रियों के लिए जिन्होंने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था.
सऊदी अरब ने हज यात्रा में मौतों पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. अब बात करते हैं कि उन कारणों की जिसकी वजह से हज यात्रियों की मौत हुई.
हज यात्रा के अलग-अलग पड़ाव
सऊदी अरब में इस बार बहुत ज्यादा गर्मी पड़ रही है. वहां चल रही हीटवेव के कारण इतनी बड़ी संख्या में हज यात्रियों की मौत हुई है.सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्मी से बचने के लिए पानी पीते रहने की अपील जारी की थी, फिर भी हज यात्री हीट स्ट्रोक का शिकार हो गए.
नाइजीरियाई हज यात्री आयशा इदरीस ने कहा, “ये सिर्फ खुदा का रहम है कि मैं बच गई, क्योंकि वहां बहुत ज्यादा गर्मी थी. मुझे छतरी इस्तेमाल करनी पड़ी. मैं लगातार खुद को ठंडा रखने को जमजम पानी (पवित्र जल) अपने ऊपर डाल रही थी.”
एक अन्य हज यात्री नईम की हीट स्ट्रोक से मौत हो गई. उनके बेटे ने कहा, “मेरी मां से अचानक संपर्क टूट गया. हमने कई दिन खोजा, तब पता चला कि हज में उनकी मौत हो गई. मक्का में दफनाए जाने की उनकी इच्छा का हम सम्मान करेंगे.”
हज यात्रियों को अत्यधिक गर्मी में शारीरिक श्रम भी करना पड़ता है. बड़ी-बड़ी खुली जगहों में रुकना पड़ता है जिसमें गर्मी ज्यादा लगती है. हज यात्रियों में कई बुजुर्ग और अस्वस्थ भी होते हैं.हालांकि हज में गर्मी से मौतें कोई नई बात नहीं है. ऐसा 1400 साल से होता आ रहा है.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग से स्थितियां और खराब होंगी.
क्लाइमेट एनालिटिक्स के कार्ल-फ्रेडरिक श्लूसनर ने कहा, “पिछले हजार साल से हज यात्रा गर्मी में हो रही है, लेकिन जलवायु संकट स्थितियां और ज्यादा खराब कर रहा है.” शोध से पता चलता है कि साल 1850 से 1900 के बीच के तापमान के मुकाबले आज वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, हज में हीट स्ट्रोक का खतरा पांच गुना तक बढ़ सकता है.
भीड़भाड़ और सफ़ाई का मुद्दा
कई रिपोर्ट्स हैं कि जिसमें कहा गया है कि सऊदी अधिकारियों के कुप्रबंधन ने स्थिति और खराब कर दी.
स्थिति यह है कि तीर्थयात्रियों को पहले से तय जगहों पर भी यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक रहने की व्यवस्था ठीक नहीं थी. टेंटों में ज़रूरत से ज्यादा लोग रखे गये, जहां गर्मी से बचने को ठीक इंतजाम नहीं थे. साफ-सफाई को लेकर भी लोगों को परेशानी हुई.
38 साल की अमीना (बदला हुआ नाम) पाकिस्तान में इस्लामाबाद निवासी हैं. वह कहती हैं, “मक्का में जिन टेंटों में हम रुके हुए थे, वे एयर कंडीशंड नहीं थे. कूलर में ज्यादातर समय पानी होता ही नहीं था.तंबुओं में इतनी घुटन थी कि हम पसीने से सराबोर रहते और बुरा हश्र रहता था.”
आमना के अनुसार, सऊदी सरकार की व्यवस्था नाकाफ़ी थी और शिकायत करने पर अधिकारी सुनते ही नहीं थे.उनसे बात करना ऐसा है, जैसे दीवार से सर टकराना.”
अमीना ने हज में अव्यवस्था पर कहा कि मुज़्दलफ़ा एक अंधेरी कोठरी की तरह था जहां न बिजली थी, ना पानी। इतनी बदइंतज़ामी थी कि अरबों का जब दिल चाहता दरवाज़े बंद कर देते, जब दिल चाहते दरवाज़े खोल देते.वहां पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश के लोगों को जो जगह दी गई थी वह पहाड़ों के बीच गहराई में थी और वहां लोग घुटन का शिकार हुए. इतनी गर्मी में कुछ लोग वॉशरूम के बाहर सोने पर भी मजबूर हुए.
वह ख़ुद मुज़्दलफ़ा में दम घुटने का शिकार हुईं और उनकी हालत बहुत ख़राब हो गई.
वो कहती हैं, “पूरी रात मैंने कैसे गुज़ारी, यह मैं या मेरा रब जानता है. पूरी रात मेरे शौहर मुझे पंखे से हवा देते रहे. मैं केवल यह दुआ करती रही कि अल्लाह मियां बस फ़जर (सूरज निकलने से पहले) की नमाज़ पढ़ कर मैं यहां से निकल जाऊं.”
जकार्ता से हज पर आये फौजियाह कहते हैं कि टेंटों में भीड़ और गर्मी से कई लोग बेहोश गए .
हालांकि सऊदी स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि हज यात्रियों के लिए पूरी व्यवस्था की हुई है. सरकारी बयान में कहा गया कि हज यात्रियों के लिए 189 अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और मोबाइल क्लीनिक हैं, जिसमें कुल 6500 बेड हैं. इसके अलावा 40 हजार से ज्यादा मेडिकल, टेक्निकल, प्रशासनिक कर्मचारी और वालंटियर हज यात्रियों के लिए काम कर रहे हैं.
सऊदी में परिवहन
हज यात्रियों को अक्सर भीषण गर्मी में लंबी-लंबी पैदल यात्रा करनी पड़ती थी, जिसको यात्री रोड ब्लॉक और खराब व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हैं.
प्राइवेट ग्रुप के लिए हज यात्रा का आयोजन करने वाले मोहम्मद आचा का कहना है कि गर्मियों में एक सामान्य हज यात्री को दिन में करीब 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. इससे उन्हें हीट स्ट्रोक, थकान और पानी की कमी की सामना करना पड़ता है.यह मेरी 18वीं हज है और मेरे अनुभव में सऊदी वाले सुविधा नहीं देते बल्कि उसे नियंत्रित करते हैं. वे मदद के नाम पर कुछ नहीं करते.इससे पहले टेंट तक पहुंचने को यू-टर्न खुले रहते थे, लेकिन अब वे सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं. नतीजा यह कि एक साधारण हज यात्री जो भले ए श्रेणी के टेंट में रह रहा हो, लेकिन उसे अपने टेंट पहुंचने को गर्मी में 2.5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.अगर रास्ते में कोई इमरजेंसी आ जाए तो अगले 30 मिनट तक कोई भी मदद आप तक नहीं पहुंच पाती है. वहां जान बचाने को कोई व्यवस्था नहीं है और न ही रास्तों पर पानी का कोई इंतजाम किया गया है.”
बिना दस्तावेज़ हज यात्रा
हज को व्यक्ति को विशेष हज वीजा आवेदन करना होता है.लेकिन सऊदी सख्ती के बावजूद कुछ लोग बिना वैध दस्तावेज हज यात्रा की कोशिश करते हैं.ऐसे में मुश्किल पड़ने पर हज यात्री, सऊदी अधिकारियों से मदद मांगने की बजाय उनसे बचते हैं.टेंटों पर भीड़ और ज्यादा मौतों को अधिकारी ऐसे बिना रजिस्ट्रेशन हज करने वालों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
बिना रजिस्ट्रेशन हज करने के कारण ज्यादा मौतें हुई हैं.
इंडोनेशिया के राष्ट्रीय हज एवं उमराह आयोग अध्यक्ष मुस्तौलिह सिरादज का कहना है, “शक है कि बिना हज वीज़ा के लोग हज क्षेत्रों में घुस गए हैं.”
हज और उमराह को राष्ट्रीय समिति के सलाहकार साद अल-कुरैशी ने बताया, “जिसके पास हज वीज़ा नहीं है, वह बर्दाश्त नहीं और उसे अपने देश वापस लौटना होगा। ऐसे हज यात्रियों की पहचान नुसुक कार्ड से होती है. ये कार्ड हज वीजा प्राप्त व्यक्ति को मिलता है. इस कार्ड में एक बारकोड होता है जिससे हज यात्री पवित्र स्थलों में एंट्री पाता है.
बुजुर्ग, कमजोर और बीमार हज यात्री
हर साल हज में मौतों का एक कारण यह है कि कई यात्री जीवन भर की बचत कर जीवन के अंतिम समय हज पर जाते हैं.कई मुसलमान इस उम्मीद में भी मक्का जाते हैं कि अगर उनकी मौत हुई तो वह हज में होगी, क्योंकि पवित्र शहर में मरना और वहां दफन होना, किसी आशीर्वाद से कम नहीं माना जाता.
कोई हज करते मर जाए तो क्या होगा?
सऊदी अरब में हर साल हज यात्री भारी गर्मी, भीड़ से रौंदे जाने, बीमार होने या सड़क दुघर्टनाओं समेत अलग-अलग वजहों से जान गंवाते हैं. ऐसे में मरने वालों की पहचान और उन्हें दफ़्न करने जैसे दूसरे मामलों की ज़िम्मेदारी सऊदी अरब सरकार उठाती है.
सऊदी अरब हज क़ानून में साफ़ कहा गया है कि अगर कोई शख़्श हज करते जान गंवाता है तो उसकी लाश उसके देश नहीं भेजी जाएगी बल्कि उनको सऊदी अरब में ही दफ़्न किया जाएगा.
हर हज यात्री अपने हज आवेदन फ़ॉर्म में वह इस बात की घोषणा करता/करती है कि अगर वह सऊदी अरब की धरती या हवा में जान गंवाता/गंवाती है तो उसकी लाश उसके देश नहीं भेजी जाएगी बल्कि सऊदी अरब में ही दफ़्न किया जाएगा. इसके बारे में परिवार की आपत्ति नहीं मानी जाएगी.
सऊदी अरब में हज जाने वाले अपने कैंप या सड़क पर या अस्पताल में किसी दुर्घटना में मरते हैं तो उसकी ख़बर सबसे पहले सऊदी अरब में संबंधित देश के हज मिशन को मिलती है.
कई बार अस्पताल के अधिकारी या आम लोग सीधे हज मिशन को यह जानकारी देते हैं. यह इस पर भी निर्भर है कि मौत कहां और कैसे हुई है.
कुछ ज़रूरी जानकारी जैसे मरने वाले का नाम, उम्र, एजेंसी, देश, पहचान कार्ड नंबर और कलाई या गर्दन पर पहचान बैंड से मिल सकती है जो हज आए सभी लोगों को पहनना ज़रूरी होता है.
इन ज़रूरी जानकारी से लाश की पहचान होती है. अगर मरने वाले हाजी के साथ कोई रिश्तेदार या जानने वाला व्यक्ति हो तो वह भी उसकी पहचान करते हैं. मरने वाले के परिवार वाले सऊदी अरब जाकर मरने वाले का आख़िरी दीदार करना चाहे तो ऐसा संभव नहीं होता लेकिन अगर वह मक्का में मौजूद होते हैं तो उन्हें लाश का अंतिम दर्शन करने और जनाज़े में शामिल होने का मौक़ा मिल जाता है.
लाश की पहचान के बाद किसी मान्यता प्राप्त डॉक्टर का सर्टिफ़िकेट या मौत का सर्टिफ़िकेट पास के अस्पताल, हज ऑफ़िस या मेडिकल सेंटर से लिया जा सकता है.लाश की पहचान और मौत का सर्टिफ़िकेट जारी होने के बाद उसे नहलाने और दफ़न करने का काम शुरू हो जाता है.
अगर कोई हाजी मक्का, मिना और मुज़्दलफ़ा में ठहरने के दौरान जान गंवा बैठे तो उसकी नमाज़-ए-जनाज़ा मस्जिद अल-हराम या काबा शरीफ़ में अदा होती है.
और अगर किसी की मदीना में मौत हो जाए तो मस्जिद-ए-नबवी में नमाज़-ए-जनाज़ा अदा होती है. इसके अलावा कोई हाजी जद्दा या किसी और जगह जान गंवाए तो उसकी नमाज़-ए-जनाज़ा स्थानीय मस्जिद में होती है.