जानलेवा गंगा-जमजमी फ़ैशन: दीपक और सुनील के बाद बैंक मैनेजर सुरभि भी चढ़ गई बलि

“पति नफरत करता है” आत्महत्या नोट में लिखकर जीवन किया समाप्त? छठवी वापस शाहिद और एमबीए पास सुरभि कुमावत की कहानी, पर क्या मात्र लडकियां ही शिकार हैं?

सोनाली मिश्र

यह कहानी एकदम फ़िल्मी होने के साथ साथ सेक्युलर एजेंडे पर खरी उतरने वाली है, जहाँ न धर्म की दीवार है और न ही तालीम की, जहाँ पर हर तरह के बंधन तोड़कर सुरभि कुमावत और शाहिद शादी के बंधन में बंध गए थे। प्यार में किसी बंधन का क्या काम, यह गाने न जाने कब से गाए जा रहे हैं, एवं इन्हीं गानों का दुष्परिणाम न जाने कितनी लड़कियों के जीवन के अंत के रूप में सामने आता है, वह नहीं पता चलता है।

नया और ताजा मामला है राजस्थान की सुरभि कुमावत ने, जो खुद तो पीएनबी में मार्केटिंग मैनेजर थी, परन्तु उसने शादी की थी छठी पास शाहिद अली से! यदि इसका विरोध किया जाता तो सारा मीडिया इस बात पर जोर देता कि हिन्दू समाज असहिष्णु है, वह मुस्लिम से शादी नहीं करने दे रहा है। जबकि यह बात सच है कि ऐसी शादियों को ग्लैमराइज़ तो बहुत किया जाता है कि हिन्दू लड़की ने प्रेम में पड़कर मुस्लिम युवक से शादी कर ली, मगर उसके बाद क्या होता है? उसके लिए कोई भी उत्तरदायी नहीं होता?

सुरभि ने वर्ष 2016 में गलता गेट इलाके के बासबदनपुरा निवासी शाहिद अली से गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में लव मैरिज की थी। शाहिद अली केवल छठवीं पास था। जबकि सुरभि बीएससी, एमबीए कर चुकी थी। सुरभि की भेंट शाहिद से कोचिंग के दौरान हुई थी। शाहिद का पानी सप्लाई का काम था।

सुरभि की वर्ष 2015 में नौकरी लगी थी। और उसके बाद दोनों ने गाजियाबाद जाकर आर्यसमाज संस्थान में शादी कर ली थी। उनकी एक बेटी भी है। जिसका नाम मसायरा है। सुरभि जहां नौकरी करके घर चलाती थी, तो वहीं बच्ची के पालनपोषण के लिए घर पर रहता था।

इसी बीच सुरभि ने एक फ़्लैट खरीदा था और दोनों उस फ़्लैट में रहने चले गए थे। इस मामले में यह भी देखना दुखद है कि इसमें आर्थिक शोषण भी हो रहा था। और कहीं न कहीं वह अपने शौक नहीं पूरे कर पा रही थी क्योंकि उसे बुलेट बाइक का शौक था, जिसे वह कुछ दिन पहले देखकर आई थी। मगर बाइक खरीदने से पहले ही उसने आत्महत्या कर ली थी

सुरभि को कुछ तो ऐसी समस्या थी, जिसे वह साझा नहीं कर सकती थी। और यह छटपटाहट उसके सुसाइड नोट में भी दिखती है। उसने लिखा कि

“‘मुझे कोई नहीं समझता है, हर कोई आहत करना चाहता है। मैं सिर्फ खुश रहना चाहती हूं और मैं किसी की जिंदगी में परेशानी भी नहीं बनना चाहती। मेरा खुद का पति मुझसे नफरत करता है और मुझे छोड़ने की धमकी देता है। मेरा इस्तेमाल स्वार्थ के लिए किया गया। मैं जा रही हूं सब छोड़कर।।।मुझे दुख है कि बेटी।।।मैं तुझे नहीं देख पाउंगी।’

सोशल मीडिया पर लोग इस की चर्चा कर रहे हैं। और कह रहे हैं कि कुछ तो संदिग्ध है, क्योंकि पुलिस के आने से पहले ही शाहिद ने उसकी लाश को नीचे उतार लिया था। इस बात को लेकर परिजनों ने हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस ने घटना स्थल की फोटोग्राफी की और फिर शव को अस्पताल भिजवा दिया। वहीं शाहिद के अनुसार “शनिवार की रात को सोसायटी के कार्यक्रम में वह पत्नी के साथ गया था। इसके बाद रात को सुरभि हॉल में बैठक टीवी देख रही थी। ऐसे में वह बेटी के साथ सोने चला गया। रविवार सुबह देखा तो गेस्ट रूम में सुरभि की लाश फंदे से लटकी मिली।“

हिन्दू लड़कों के साथ भी ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिनमें मुस्लिम बीवियां धोखा दे रही हैं, या मुस्लिम लड़की के परिजब हिन्दू लड़कों को मार रहे हैं

ऐसा नहीं है कि हिन्दू लड़कियां ही मात्र इस प्रकार के धोखे और छल का शिकार हो रही हैं, बल्कि देखा जाए तो यह एक वृहद षड्यंत्र है और हमने देखा था कि कैसे मेरठ में अभी दीपक त्यागी की हत्या हुई थी और उसका सिर पांच दिनों के बाद आज मिला है और उसकी हत्या फहमीद ने इस कारण की थी क्योंकि दीपक उसकी शादीशुदा बेटी से प्यार करता था।

दीपक त्यागी की हत्या एकदम तालिबानी तरीके से की गयी थी। 27 सितम्बर 2022 को खेत में एक सिरकटी लाश मिली थी, जिसकी पहचान दीपक त्यागी के रूप में हुई थी। दीपक की हत्या के आरोप में पुलिस ने फहमीद और आसिफ को गिरफ्तार किया।

पुलिस के अनुसार “पूछताछ में फहमीद ने खुलासा किया कि दीपक के संबंध उसकी शादीशुदा बेटी के साथ थे और उसने कई बार दोनों को साथ भी देखा था। इसके बाद अपनी बेटी को समझाया लेकिन वो मना करने के बाद भी दीपक से लगातार मिल रही थी, इसी वजह से उसने अपने दोस्त आसिफ के साथ मिलकर दीपक मार दिया”

वहीं दीपक से पहले बरेली से भी ऐसी ही एक घटना सामने आई थी, जिसमें मजदूरी करने वाले सुनील की पेड़ पर लटकाकर प्रताड़ित करने के बाद हत्या कर दी थी। सुनील के मुंह में कपडा ठूंस दिया था, जिससे वह आवाज न निकाल सके। मीडिया के अनुसार मजदूरी करने वाले सुनील को एक मुस्लिम युवती से “प्यार” हो गया था!

जब सुनील और मुस्लिम युवती के प्रेम प्रसंग की जानकारी दोनों के परिवार वालों को हुई थी तो यह पंचायत में यह निर्णय लिया गया था कि सुनील और वह युवती एक दूसरे से बात नहीं करेंगे। मगर फिर भी सुनील की हत्या कर दी गयी थी।

जैसे ही किसी लड़की के लव जिहाद में फंसने का समाचार आता है, एक बड़ा वर्ग इसके लिए लडकियों को ही दोषी ठहरा देता है

एक और नया चलन देखा गया है, कि जैसे ही ऐसा समाचार आता है कि किसी लड़की की जिहाद द्वारा हत्या की गयी या फिर लड़की ने जाल में फंसकर आत्महत्या कर ली तो एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करता है कि ठीक हुआ! परन्तु मूल विषय पर ध्यान देने का प्रयास नहीं करता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

आखिर ऐसा क्या है जिसके चलते हिन्दू लड़के और लडकियां उस खतरे के प्रति उदासीन हो गए हैं, जो इस कथित गंगा-जमजमी शादी से उपजता है? इसके लिए बहुत सारे कारक उत्तरदायी हैं, एक ही नहीं, विमर्श उन पर होना चाहिए, क्योंकि जब तक मूल बातों पर विमर्श नहीं होगा कि आखिर क्या कारण है कि हिन्दू लड़के और हिन्दू लडकियां इस “प्यार दीवाना होता है” के जाल में फंस जाते है और फिर इन जिहादियों का शिकार बनते हैं!

जब कोई दीपक त्यागी किसी फहमीद का शिकार बनता है, तो क्या उस असमय हिन्दू युवक की हत्या पर आक्रोश से भरना चाहिए या फिर उसे यह कहकर ठीक ठहराया जाएगा कि सही हुआ उसके साथ? यही मापदंड लव जिहाद के जाल में फंसी उस लड़की के लिए होना चाहिए, जो वोक नहीं थी और जो बस उनके जाल में फंस गयी है और अब वापस आना चाहती है! क्योंकि कट्टरपंथियों का लक्ष्य स्पष्ट है!

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