दिल्ली दंगे षड्यंत्र का परिणाम: हाको; मौ. इब्राहीम को जमानत से इंकार
दिल्ली दंगे षड्यंत्रपूर्वक हुए:दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- राजधानी में किसी घटना के बाद हिंसा अचानक नहीं भड़की, सब कुछ प्री-प्लान्ड था
नई दिल्ली 28 सितंबर।दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 2020 में राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगे की पहले से योजना बनाई गई थी। यहां हिंसा किसी घटना के बाद अचानक से नहीं भड़की। कोर्ट ने इस मामले के एक आरोपित को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। मालूम हो कि दिल्ली दंगे में 42 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 200 घायल हुए।
कोर्ट ने कहा कि जो वीडियो फुटेज अदालत में पेश किए गए, उनमें प्रदर्शनकारियों का उद्दंड आचरण साफ दिखाई देता है। सरकार के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए दंगे सुनियोजित ढंग से कराए गए। अदालत ने कहा कि CCTV कैमरों को नष्ट करना भी शहर में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए एक पहले से किये गए षड्यंत्र की पुष्टि करता है।
23 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर शुरू हुई हिंसा 24, 25 और 26 को विकराल हो गई थी
कोर्ट ने दंंगे के आरोपित मोहम्मद इब्राहिम को जमानत नहीं दी
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपित मोहम्मद इब्राहिम के जमानत की अपील खारिज कर दी, जिसे दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का इस्तेमाल सभ्य समाज के ताने-बाने को खतरे में डालने के लिए नहीं किया जा सकता है। इब्राहिम को CCTV क्लिप में भीड़ को तलवार से धमकाते हुए देखा गया।
चांद बाग में पुलिसकर्मियों पर हमले से जुड़ा मामला
यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग में दंगे के दौरान पुलिसकर्मियों पर भीड़ के हमले से जुड़ा हुआ है। हिंसा के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल के सिर में चोट लगने से मौत हो गई थी और एक अन्य अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गया था।
दिल्ली में भड़की हिंसा के दौरान दंगाइयों ने सार्वजनिक और निजी वाहनों को आग के हवाले कर दिया था।
कोर्ट ने इसी महीने पुलिस को फटकार लगाई थी
दिल्ली दंगे को लेकर इसी महीने दिल्ली की एक कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि बंटवारे के बाद के सबसे बुरे दंगे की जैसी जांच दिल्ली पुलिस ने की है, यह दुखदाई है। यह जांच संवेदनहीन और निष्क्रिय साबित हुई है।
दंगे के निशान अभी भी दिखते हैं
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के चांद बाग, खजूरी खास, बाबरपुर, जाफराबाद, सीलमपुर, मुख्य वजीराबाद रोड, करावल नगर, शिव विहार और ब्रह्मपुरी में ज्यादा हिंसा हुई। दंगे के बीच हुए दो समुदायों के बीच उपद्रव, आगजनी, तोड़फोड़ के निशान अभी भी मौजूद हैं। दंगे के बाद कुछ लोग तो सरकारी और गैर सरकारी सहायता से फिर से दोबारा पटरी पर लौट आएं हैं। लेकिन कुछ लोग अभी भी अपने काम को पूरी तरह शुरू नहीं कर पाए हैं।