संघ कार्यकर्ताओं की हत्याओं से सुलगते तटीय कर्नाटक में भी क्यों हारी भाजपा?
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आरएसएस वर्कर्स की हत्याओं से सुलगते तटीय कर्नाटक में क्यों हारी भाजपा? हलाल-हिजाब नहीं, ये है वजह
Coastal karnataka: तटीय कर्नाटक की 19 सीटों में भाजपा ने पिछली बार 17 सीटें जीती थीं। इस बार यह आंकड़ा गिरकर 13 हो गया। आरएसएस के अनुसार, हार के पीछे हलाल-हिजाब नहीं बल्कि सरकार का अपने काडर के साथ खड़ा न होना है।
हाइलाइट्स
1-2018 में तटीय कर्नाटक की 19 सीटों में बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं
2-2023 के नतीजों में बीजेपी की सीटों का आंकड़ा गिरकर 13 हो गया
3-आखिर तटीय कर्नाटक में क्यों फेल हुआ बीजेपी का हिंदुत्व कार्ड?
बेंगलुरु19 म ई : कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के एक हफ्ते बाद भी भाजपा में हार का मंथन जारी है। भाजपा के साथ आरएसएस के वरिष्ठ नेता इस बात का विश्लेषण कर रहे हैं कि आखिर तटीय कर्नाटक में हिंदुत्व कार्ड कैसे फेल हो गया। वह भी तब जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले दोनों ही संघ बैकग्राउंड और मैसूर क्षेत्र से आते हैं। दोनों के बीच सुचारू कामकाजी समीकरण के बावजूद भाजपा को इस क्षेत्र में करारी हार मिलना किसी झटके से कम नहीं है।
तटीय कर्नाटक की कई सीटों पर भाजपा का कुल वोट शेयर करीब आधा रह गया है। कोस्टल कर्नाटक में भाजपा की सीटों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई। 2018 में पार्टी ने यहां 19 में से 17 सीटें जीती थीं जबकि इस बार 13 सीटें ही जीत पाई।
‘हमारे साथ खड़ी नहीं दिखाई दी सरकार’
बताया जा रहा है कि संघ कर्नाटक चुनाव के नतीजे से खासा नाराज है क्योंकि संगठन कोस्टल इलाके में सबसे ज्यादा सक्रिय है। इस क्षेत्र में संघ के कई स्वयंसेवकों की हत्या के मामले भी सामने आए हैं और यहां प्रतिबंधित पीएफआई के साथ लगातार संघर्ष भी है।
एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट से बातचीत में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि चुनाव नतीजे हिजाब-हलाल जैसे मुद्दों की विफलता नहीं है जिसे पार्टी की हार का प्राथमिक कारण बताया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हिजाब और हलाल से जुड़े मुद्दे असामान्य नहीं थे। ये प्रासंगिक थे जिन्हें उठाया गया और सवाल भी किए गए। यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारी सरकार होते हुए भी हमारे सदस्यों और स्वयंसेवकों के साथ खड़ी दिखाई नहीं दी। उन्होंने पीएफआई के कट्टरपंथियों और उग्रवादियों के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ी।’
प्रवीण नेट्टारू की हत्या पर हुआ था विरोध प्रदर्शन
आरएसएस के सदस्य और भाजयुमो नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या आरएसएस के लिए निर्णायक मोड़ थी। स्थानीय भाजपा और आरएसएस के सदस्यों ने तब बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था और तत्कालीन भाजपा सरकार पर निष्क्रियता के आरोप लगाए थे।
आरएसएस पदाधिकारी ने न्यूज वेबसाइट से कहा, ‘हमारे दर्जनभर युवा स्वयंसेवकों की निर्मम हत्या हुई, कुछ गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके परिवारों की सरकार ने सुध नहीं ली। हम संघ के लोगों और स्थानीय लोगों ने किसी तरह उनका परिवार चलाने में मदद की। हत्या के कुछ मामले दशकों से चल रहे हैं, गवाह भी मुकर गए। सरकार ने कुछ नहीं किया। हमारे युवा साथी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।’
तटीय कर्नाटक में कितना गिरा भाजपा का वोट प्रतिशत?
तटीय कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी और उत्तर कन्नड़ जिले की 19 विधानसभा सीटों से भाजपा को उत्तर कन्नड़ से दो और दक्षिण में एक सीट का नुक़सान हुआ। जिन सीटों पर भाजपा जीती है वहां भी वोट शेयर में कम से कम 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक गिरावट हुई है।
दक्षिण कन्नड़ जो कई दशक से भाजपा का किला रहा है, यहां पार्टी के वोट शेयर में भारी गिरावट दर्ज हुई। 2018 में भाजपा का वोट शेयर यहां 82 प्रतिशत था जो गिरकर 2023 में 53 प्रतिशत हो गया है।
इसी तरह मूडबिद्री में भाजपा का वोट शेयर 2018 में 76.19 प्रतिशत के मुकाबले गिरकर 56 प्रतिशत हो गया है। सुलिया में भाजपा का वोट शेयर 89 प्रतिशत से गिरकर 57 प्रतिशत पहुंच गया।
पुत्तूर में पार्टी कांग्रेस से हार गई। यहां करीब 72 प्रतिशत हिंदू वोटर हैं। भाजपा ने यहां 2018 के चुनावों में 82.47 प्रतिशत वोट शेयर दर्ज किया था, लेकिन इस साल यह घटकर 23 प्रतिशत रह गया।
उत्तर कन्नड़ की कुल 6 सीटों में भाजपा ने दो पर जीत दर्ज की। जबकि बाकी चार में कांग्रेस ने कब्जा किया। दक्षिण कन्नड़ में पार्टी ने 6 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस ने पुत्तूर और मैंगलोर में जीत दर्ज की।