पत्थरों की बरसात में भी नगरनिगम और पुलिस टीम हटा के रही अवैध मदरसा और मस्जिद
Haldwani Violence: बरसते पत्थरों के बीच भी नहीं थमा खाकी का डंडा, पुलिस ने इस वजह से नहीं रोका कार्रवाई का बुलडोजर
हिंसा के दौरान पुलिसकर्मियों संग निगम के कर्मचारियों के घायल होने की संख्या लगातार बढ़ रही थी। उसके बावजूद खाकी और निगमकर्मी डटे रहे। पुलिस और प्रशासन अगर कार्रवाई अधूरा छोड़ता तो फिर बवाल आता। इससे गलत संदेश जाता। उपद्रवियों के हौसले हमेशा के लिए बढ़ जाते। भविष्य में किसी अभियान के शुरू होने पर ये लोग ऐसा ही करते।
Haldwani Violence: बरसते पत्थरों के बीच भी नहीं थमा खाकी का डंडा, पुलिस ने इस वजह से नहीं रोका कार्रवाई का बुलडोजर
हल्द्वानी। बुलडोजर के पहुंचने से पहले मलिक के बगीचे और इस जगह के सभी रास्तों पर उपद्रवी जुटने लगे थे। कार्रवाई के शुरू होने से पहले पत्थर बरसने लग गए थे। लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि बवाल इस स्तर तक पहुंच जाएगा।
पुलिसकर्मियों और नगर निगम के कर्मचारियों को मिलाकर करीब 700 लोग होंगे। जबकि बगीचे से लेकर चारों तरफ और बाहरी गलियों संग घरों की छतों तक में उपद्रवी जुटे हुए थे। पुलिसकर्मियों संग निगम के कर्मचारियों के घायल होने की संख्या लगातार बढ़ रही थी। उसके बावजूद खाकी और निगमकर्मी डटे रहे।
इनके हौसले और हिम्मत की वजह से ही अवैध निर्माण को नेस्तनाबूद किया गया। मलिक के बगीचे में स्थित मदरसे और नमाजस्थल को तोड़ने के लिए पहले नोटिस दिया गया था। इसके बाद इमाम और मुस्लिम जनप्रतिनिधियों संग नगर निगम सभागार में वार्ता भी की गई थी।
पहले तय किया गया था कि चार फरवरी को बुलडोजर से निर्माण ध्वस्त किया जाएगा। लेकिन तीन फरवरी की देर रात अचानक दोनों जगहों को सील कर दिया गया। वहीं, गुरुवार दोपहर में पुलिस और प्रशासन की टीम यहां कार्रवाई को पहुंच गई।
अधिकारियों को उम्मीद नहीं थी कि उपद्रवियों की संख्या लगातार बढ़ती जाएगी। इसके बाद पुलिस और निगम कर्मचारियों के घायल होने का सिलसिला लगातार बढ़ता चला गया। उसके बावजूद पुलिस और निगम के जांबाजों ने हिम्मत नहीं हारी। बुलडोजर को रोकने की हरसंभव कोशिश को नाकाम किया गया। आखिर में मदरसे और नमाजस्थल को नेस्तानबूद करके ही छोड़ा।
कार्रवाई थमने पर उपद्रवियों के हौसले और बढ़ते
पुलिस और प्रशासन अगर कार्रवाई अधूरा छोड़ता तो फिर बवाल आता। इससे गलत संदेश जाता। उपद्रवियों के हौसले हमेशा के लिए बढ़ जाते। भविष्य में किसी अभियान के शुरू होने पर ये लोग ऐसा ही करते। हालांकि, अब एक-एक उपद्रवी को चिह्नित कर कार्रवाई की नजीर पेश करने की जरूरत है।
Haldwani Violence: क्या वाकई जिस मदरसे और मस्जिद को नगर निगम ने ध्वस्त किया, वो अवैध थी? पढ़िए हाई कोर्ट का फैसला
बनभूलपुरा इलाके के लिए पिछले साल रेलवे की भूमि पर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को खाली कराने का हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया था। हाई कोर्ट में मस्जिद ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका दायर की गई थी। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था।
क्या वाकई जिस मदरसे और मस्जिद को नगर निगम ने ध्वस्त किया, वो अवैध थी? पढ़िए हाई कोर्ट का फैसला
बनभूलपुरा क्षेत्र के मलिक के बगीचे में नमाज स्थल को तोड़ता बुलडोजर ।
देहरादून। उत्तराखंड के हल्द्वानी में चर्चित बनभूलपुरा में सरकारी भूमि पर बने अवैध मदरसा व मस्जिद को पुलिस ध्वस्त करने के लिए गई थी। इससे नाराज लोगों ने पुलिस, प्रशासन व नगर निगम की टीम पर पथराव कर दिया, जिसके बाद कई हिंसक तस्वीरें सामने आई हैं।
उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को भी आग के हवाले कर दिया। आग लगने पर पुलिसकर्मियों ने किसी तरह थाने से भागकर अपनी जान बचाई। हिंसा में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। बताया गया कि मीडियाकर्मियों के दर्जनों वाहन पेट्रोल बम से जला दिए गए।
यह मंजर काफी भयावाह है। लोग सहमें हुए हैं। अब एक सवाल, जो इस वक्त कई लोगों के मन में है कि क्या वाकई जिस मदरसे और मस्जिद को नगर निगम ने जेसीबी मशीन से ध्वस्त किया वो अवैध थी? आइए इस पूरे मामने में हाईकोर्ट का आदेश जानते हैं।
क्या कहता है हाई कोर्ट?
बनभूलपुरा इलाके के लिए पिछले साल रेलवे की भूमि पर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को खाली कराने का हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया था। पुलिस-प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी तैयारी भी कर ली थी। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और वर्तमान में विचाराधीन है।
अगली सुनवाई 14 फरवरी को
मस्जिद पर बुलडोजर एक्शन से पहले हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। हाई कोर्ट में मस्जिद ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका दायर की गई थी। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था।
हाईकोर्ट की तरफ से मस्जिद पक्ष को कोई राहत नहीं मिलने पर मस्जिद-मदरसे पर नगर निगम की ओर से विध्वंस की कार्रवाई शुरू हुई। इस याचिका पर अगली सुनवाई 14 फरवरी को नियत कर दी गई।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष
दायर याचिका में याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके पास 1937 की लीज है, जो मलिक परिवार से मिली है। सरकार इसमें कब्जा नहीं ले सकती। वहीं, नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में मदरसे को अवैध बताते हुए ध्वस्त करने को कहा गया है।