दिगंबर जैन मंदिर अजमेर में है दुनिया की एकमात्र स्वर्णिम अयोध्या नगरी

अत्यन्त दुखद है कि हम अजमेर को सिर्फ दरगाह के लिये जानते हैं जबकि वहाँ विश्व को आश्चर्यचकित करने वाले कलात्मक मन्दिर हैं ….

जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ यानि भगवान ऋषभदेव (Tirthankara Of Jainism) के युग में भारतवर्ष में स्थापित अयोध्यानगरी (Golden Temple Ayodhya Nagari) के अद्भुत व स्वर्णिम दृश्य देखने हैं तो धार्मिक शहर अजमेर ही ऐसी जगह है, जहां हम उस काल के स्वर्णयुग की सैर कर सकते हैं।

जी हां, अजमेर स्थित सोनी जी नसियां स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में देश की एकमात्र स्वर्णिम अयोध्या नगरी का निर्माण कर रखा है। जैन धर्म के किसी भी मंदिर में इस तरह की अद्भुत अयोध्यानगरी (Golden Temple Ayodhya Nagari ) की रचना नहीं है। इसलिए देश-दुनिया के लाखों लोग हर वर्ष अजमेर के सोनीजी की नसियां के जैन मंदिर (Ajmer Jain Temple ) में दर्शन करने के लिए आते हैं और यहां स्वर्णिम अयोध्या नगरी का दर्शन कर गौरवांवित महसूस करते हैं।

नसियां ​​जैन मंदिर अजमेर
नसियां ​​दिगंबर जैन मंदिर अजमेर (राजस्थान) में पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित है। स्थानीय परिवहन प्रणाली के साथ शहर के विभिन्न हिस्सों से मंदिर तक पहुँच आसान है। नसियां ​​जैन मंदिर को लाल मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। रणकपुर और माउंट आबू के मंदिरों के बाद नसियां ​​मंदिर राजस्थान के बेहतरीन जैन मंदिरों में से एक है। मुख्य कक्ष में एक दो मंजिला हॉल है जिसमें जैन पौराणिक कथाओं को दर्शाती बड़ी लकड़ी की आकृतियाँ रखी गई हैं। कलाकृति जैन धर्म की धारणा के साथ प्राचीन दुनिया को दर्शाती है। हॉल को कीमती रत्नों, सोने और चांदी से भव्य रूप से सजाया गया है। मुख्य कक्ष में एक दो मंजिला हॉल है जिसमें दुनिया की जैन अवधारणा को दर्शाती बड़ी लकड़ी की आकृतियाँ रखी गई हैं

नसियां ​​जैन मंदिर का निर्माण 1864 ई. में शुरू हुआ था और यह 1895 ई. तक चलता रहा। इसे 1895 ई. में आम लोगों के लिए खोल दिया गया। मंदिर के साथ एक संग्रहालय भी है

यह मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभ को समर्पित है। स्वर्ण नगरी (सोने का शहर) हॉल के नाम से मशहूर मंदिर की पहली मंजिल पर जैन धर्म के संस्करण में ब्रह्मांड की सबसे आश्चर्यजनक वास्तुकला कृतियों में से एक है, जिसमें देश के हर जैन मंदिर की सोने की प्लेट की प्रतिकृतियां भी शामिल हैं। जैन पौराणिक कथाओं और अयोध्या और प्रयाग के प्राचीन शहरों के पैनोरमा को दर्शाने वाले इस चमत्कार के निर्माण में अनुमानित 1000 किलोग्राम सोने का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के अंदरूनी हिस्से को आंतरिक कक्ष से सजाया गया है, जिसकी छत से चांदी की गेंदें लटकी हुई हैं और एक विमान (शिखर) है। अंदरूनी हिस्से को चांदी की परत और कीमती पत्थरों से भी सजाया गया है।

नसियां ​​जैन मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों में है। मंदिर सुबह 8:30 बजे खुलता है और शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है

स्वर्णिम अयोध्या नगरी की रचना इतनी सुन्दर व कलात्मक तरीके से की गई हैं कि घंटों तक इसको देखने की इच्छा रहती है। लकड़ी व कांच पर सोने की अनूठी कारीगिरी हर किसी को आकर्षित करती है। नसिया में एक बड़े हिस्से में बनी इस अयोध्यानगरी को संत-महात्मा ही अंदर जाकर देख सकते हैं। शेष दर्शक व पर्यटक इस अयोध्या नगरी का दर्शन पारदर्शी कांच की दीवारों व खिड़कियों से ही कर सकते हैं।

सेठ मूलचंद नेमीचंद सोनी ने इसका निर्माण 1864 में शुरू कराया था, जिसे पूरा होने में २५ वर्ष लगे। सेठ भागचंद सोनी ने इसका निर्माण पूर्ण किया था। इसे श्री सिद्धकूट चैत्यालय एवं करौली के लाल पत्थरों से निर्मित होने के कारण लाल मंदिर भी कहा जाता है। नसियां में स्वर्णिम अयोध्या नगरी सर्वाधिक दर्शनीय है।

भगवान ऋषभदेव के पंच कल्याणक का दृश्यांकन किया गया है। अयोध्या नगरी में सुमेरू पर्वत का निर्माण जयपुर में कराया गया था। आचार्य जिनसेन द्वारा रचित आदिपुराण पर आधारित है। मूर्तियों में स्वर्ण की परत का प्रयोग किया गया है।

#यह_हैं_स्वर्णिम_अयोध्या_के_पंच_कल्याणक :

#गर्भ_कल्याणक :

माता मरुदेवी के रात्रि में 16 स्वप्न देखे थे, जिसके फलानुसार भावी तीर्थंकर का अवतरण अयोध्या में हुआ। इसमें देवविमान और माता के स्वप्न दर्शाए गए हैं।

#जन्म_कल्याणक :

ऋषभदेव (Bhagwan Adinath ) के जन्म पर इंद्र के आसन कंपायमान होने, ऐरावत हाथी पर बालक ऋषभवदेव को सुमेरू पर्वत ले जाने, पांडुकशिला पर अभिषेक और देवों की शोभायात्रा को दर्शाया गया है।

#तप_कल्याणक :

महाराज ऋषभदेव के दरबार में अप्सरा नीलांजना का नृत्य, ऋषभदेव के संसार त्याग कर दिगंबर मुनि बनने और केशलौंचन को दर्शाया गया है।

#केवलज्ञान_कल्याणक :

हजार वर्ष की तपस्या में लीन ऋषभदेव, कैलाश पर्वत पर केवल ज्ञान प्राप्ति, राजा श्रेयांस द्वारा मुनि ऋषभवदेव को प्रथम आहार को दर्शाया गया है।

#मोक्ष_कल्याणक :

भगवान ऋषभदेव (Tirthankara Of Jainism ) का कैलाश पर्वत से निर्वाण का स्वर्ण कमल दृश्य, पुत्र भरत द्वारा 72 स्वर्णिम मंदिर को दर्शाया गया है।

जय ऋषभदेव 🙏

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