देहरादून का डिजिटल मास्टर प्लान जारी, आपत्तियां देने को एक महीना
DEHRADUN/MDDA RELEASED DEHRADUNS DIGITAL MASTER PLAN
MDDA ने जारी किया देहरादून का डिजिटल मास्टर प्लान, एक माह तक आपत्ति दर्ज करा सकते हैं दूनवासी
एमडीडीए ने राजधानी देहरादून के लिए जीआईएस आधारित डिजिटल मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. इस मानचित्र को एमडीडीए, जिलाधिकारी कार्यालय और नगर निगम में लगाए गए हैं. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को इस मैप को लेकर आपत्ति और सुझाव है, तो वह एक माह के बीच में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते है
देहरादून 01 मार्च: मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने साल 2041 तक के लिए जीआईएस आधारित डिजिटल मास्टर प्लान तैयार कर लिया है. पिछले लंबे समय से इसके लिए कवायद चल रही थी. ऐसे में मास्टर प्लान को तैयार कर आम लोगों के लिए मास्टर प्लान के मानचित्र को सार्वजनिक किया गया है. जिसके चलते आम लोग अगले 1 महीने तक मास्टर प्लान को लेकर आपत्ति दर्ज करा सकेंगे.
राजधानी देहरादून में अनियोजित विकास को रोकने और आम लोगों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की तरफ से साल 2041 तक के लिए बनाए गए डिजिटल मास्टर प्लान को सार्वजनिक कर दिया गया है. इस मास्टर प्लान पर अब दूनवासी अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे.बता दें कि लंबे समय से नए मास्टर प्लान को लेकर कसरत चल रही थी. एमडीडीए की तरफ से तैयार किए गए इस मास्टर प्लान को सेटेलाइट के जरिए तैयार किया गया है. यह मास्टर प्लान साल 2018-19 से ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम के जरिए तैयार किया जा रहा था.
इससे पहले लागू मास्टर प्लान के चलते लोगों को कई तरह की दिक्कतें आ रही थी. इसकी वजह यह थी कि मास्टर प्लान में जो स्थितियां दर्शायी गई थी, उससे उलट धरातल पर निर्माण दिखाई दे रहे थे. ऐसे में अब जो नया मास्टर प्लान तैयार किया गया है. वह सेटेलाइट आधारित है और सैटेलाइट मैपिंग के साथ ही धरातलीय सर्वे के बाद इसे मौजूदा रूप दिया गया है.
हालांकि, अभी मास्टर प्लान के लिए लोगों से सुझाव और आपत्तियां मांगी गई है. 30 अप्रैल तक लोग इसको लेकर अपने सुझाव और आपत्तियां दे सकते हैं. इसके बाद मास्टर प्लान में इन आपत्तियों को समाहित करते हुए इसे फाइनल रूप दिया जाएगा. बड़ी बात यह है कि मास्टर प्लान के लागू होने के बाद देहरादून में जमीनों की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों पर भी काफी हद तक रोक लग सकेगी. इसके जरिए एक क्लिक में ही अपने खसरा नंबर के जरिए उपयोग की जानकारी भी ली जा सकेगी.देहरादून में आम लोगों के लिए तीन जगहों पर आज मास्टर प्लान का मानचित्र लगाया गया है. इसमें एमडीडीए, जिलाधिकारी कार्यालय और नगर निगम में इस मानचित्र को देखकर लोग मास्टर प्लान की स्थिति को जान सकते हैं और उसके बाद अपनी आपत्ति भी दर्ज करा सकते हैं.
देहरादून नगर निगम में मास्टर प्लान का मानचित्र लगने की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने बताया उनके क्षेत्र में कुछ लोगों को अवैध जमीन और नक्शे पास किए गए हैं. ऐसे में वह मास्टर प्लान में देखने आए हैं कि उनकी कॉलोनी में जिस जगह पर मैदान दिखाया गया है,उसकी स्थिति क्या है।
डिजिटल मास्टर प्लान से कैसे संवरेगा नया दून? ये रहे आपके सवालों के जवाब
अब तक दून में खामियों से भरा वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू चल रहा है। इसकी कमियों के चलते हाईकोर्ट इसे निरस्त कर चुका है और यह सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर चल रहा है।
वर्ष 2018-19 से जीआइएस (जियोग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम) आधारित जिस मास्टर प्लान पर एमडीडीए व मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक की टीम माथा-पच्ची कर रही थी, उसे धरातल पर उतारने की तैयारी कर ली गई है।
वर्ष 2041 तक के लिए जीआइएस आधारित डिजिटल मास्टर प्लान को तैयार कर एमडीडीए ने इस पर आपत्तियां मांगने को जनता के लिए सार्वजनिक कर रहा है।
वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू
अब तक दून में खामियों से भरा वर्ष 2005-2025 तक का मास्टर प्लान लागू चल रहा है। इसकी खामियों के चलते हाईकोर्ट इसे निरस्त कर चुका है और यह सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर चल रहा है। हालांकि, अब बहुत जल्द पुराने मास्टर प्लान से जनता को निजात मिल जाएगी। क्योंकि, पुराने मास्टर प्लान में जैसी स्थिति दर्शाई गई है, धरातल उससे अलग है।
इसके चलते शहर अनियोजित निर्माण की भेंट चढ़ गया है। हालांकि, मास्टर प्लान व धरातलीय स्थिति में समान स्थिति दर्शाने की दिशा में डिजिटल मास्टर प्लान मील का पत्थर शामिल होगा।
मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक एसएम श्रीवास्तव के मुताबिक, नया मास्टर प्लान सेटेलाइट आधारित है और इसमें सेटेलाइट मैपिंग के साथ ही धरातलीय सर्वे कर सटीक जानकारी एकत्रित की गई है। अब इसे एमडीडीए के माध्यम से जनता के सम्मुख रखकर आपत्तियां मांगी गई हैं। आपत्तियों के निस्तारण के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
लैंडयूज की धोखाधड़ी होगी दूर, एक क्लिक पर मिलेगी जानकारी
दून में अवैध निर्माण के लिए आमजन को मजबूर भी किया जाता रहा है क्योंकि प्रापर्टी डीलर भोलेभाले नागरिकों को आवासीय से भिन्न कृषि व अन्य उपयोग की भूमि भी बेच देते हैं। इसका पता तब चलता है, जब लोग नक्शा पास कराने पहुंचते हैं। भिन्न भू-उपयोग होने पर नक्शा पास न होने की दशा में लोग अवैध निर्माण को मजबूर रहते हैं।
यदि कोई भू-उपयोग पता भी करना चाहे तो आरटीआई में जानकारी मांगनी पड़ती है। इसके लिए जमीन की खतौनी लगानी पड़ती है और आर्किटेक्ट से की-प्लान भी बनवाना पड़ता है। नए मास्टर प्लान में खसरा नंबर सेटेलाइट मैप में सुपरइंपोज किया गया है जिससे एक क्लिक पर खसरा नंबर के माध्यम से भू-उपयोग पता किया जा सकेगा। साथ ही संबंधित भूमि पर खड़े होकर भी भू-उपयोग की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।
70 प्रतिशत से अधिक भाग पर आवास, रखा गया ध्यान
पुराना मास्टर प्लान भले ही वर्ष 2005 से लागू माना जाता है, लेकिन इसे 2008 में लागू किया जा सका। तब दून में आवासीय क्षेत्र 40 प्रतिशत तक फैला था। हालांकि, मास्टर प्लान के वृहद रूप जोनल प्लान को वर्ष 2018 में लागू किया जा सका। इसके चलते धरातलीय स्थिति मास्टर प्लान से भिन्न होती चली गई। क्योंकि, तब तक आवासीय क्षेत्र का विस्तार 70 प्रतिशत को पार कर गया था।
इसके दुष्परिणाम यह हुए कि मास्टर प्लान में अंकित कृषि क्षेत्र में आवास खड़े हो गए और ऐसे लोग चालान, सीलिंग व ध्वस्तीकरण के रूप में एमडीडीए के उत्पीड़न का शिकार होते रहे। वर्तमान मास्टर प्लान में भू-उपयोग धरातल के अनुरूप तय किए गए हैं। लिहाजा, तमाम अवैध निर्माण भी अब वैध हो सकेंगे।
जोनल प्लान की कमियां की गई दूर
मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक एसएम श्रीवास्तव का कहना है कि जोनल प्लान में तमाम खामियां थीं। मास्टर प्लान में इन खामियों को दूर कर दिया गया है। विशेषकर सड़कों और वन क्षेत्रों का स्पष्ट सीमांकन मौके पर जाकर किया गया है।
नदी आधारित है डिजिटल मास्टर प्लान
नए मास्टर प्लान में नदी, नालों और नहरों को संरक्षण करने की दिशा में स्पष्ट सीमांकन किया गया है। सभी नदी नालों का उल्लेख मास्टर प्लान में है और इन पर कब्जे रोकने के लिए बफर जोन भी चिह्नित किए गए हैं। इस लिहाज से नए मास्टर प्लान को नदी आधारित मास्टर प्लान भी कहा जा रहा है।
मास्टर प्लान में 50 प्रतिशत तक क्षेत्र आवास के लिए आरक्षित
मुख्य ग्राम एवं नगर नियोजक श्रीवास्तव के मुताबकि वर्ष 2041 तक की अनुमानित आबादी 25 लाख को ध्यान में रखते हुए 50 प्रतिशत तक भू-उपयोग आवास श्रेणी में आरक्षित रखा गया है। इसके अलावा अन्य स्थापनाओं के लिए भी मानक के मुताबिक भू-उपयोग तय किए गए हैं।
इस तरह तय किए गए भू-उपयोग
आवासीय, 40 से 50 प्रतिशत हरित/ग्रीन एरिया, 10 प्रतिशत व्यावसायिक, 5 से 7 प्रतिशत पब्लिक सेक्टर, 5 से 7 प्रतिशत औद्योगिक, 2 से 5 प्रतिशत शेष, अन्य क्षेत्र
दूसरे चरण में मसूरी क्षेत्र का प्लान बनेगा
प्रथम चरण में अभी देहरादून के 37432.96 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है। अगले चरण में मसूरी के 17891 हेक्टेयर क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा। धीरे-धीरे डिजिटल मास्टर प्लान को पूर्व के साडा (विकासनगर) व एचआरडीए के ऋषिकेश क्षेत्र में भी लागू कराया जाएगा।
मास्टर प्लान में यह भी होगी खूबी
वेब पोर्टल बनेगा सुगम प्रयोग के लिए एप्लिकेशन बनेगी समय-समय पर रिव्यू की व्यवस्था रहेगी।
जीआइएस आधारित मास्टर प्लान का परीक्षण कराया जा रहा है। जल्द इसे आपत्तियों के लिए विधिवत रूप में जनता के सम्मुख रखा जाएगा। इसके बाद शीघ्र आपत्तियों का निस्तारण कर नए मास्टर प्लान को अंगीकार किया जाएगा।
– बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष,मदेविप्रा