जलस्रोत,धारा और नदी पुनर्जीवन एक्शन प्लान को सप्ताहभर की डेडलाइन
*उत्तराखण्ड में जलस्रोतों, धाराओं व नदियों के पुनर्जीवीकरण के सम्बन्ध में जिलों से एक्शन प्लान प्राप्त ना होने पर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी नाराज़, जिलाधिकारियों को एक सप्ताह की डेडलाइन *
देहरादून 01 मई 2024.उत्तराखण्ड में जलस्रोतों, धाराओं व नदियों के पुनर्जीवीकरण के सम्बन्ध में जिलों से एक्शन प्लान प्राप्त ना होने पर रूष्ट मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने इस सम्बन्ध में जिलाधिकारियों को एक सप्ताह की डेडलाइन दी है। विषय की गम्भीरता को देख मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को इसको जिलें में तत्काल एक पूर्णकालिक समर्पित जलागम नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को तत्काल तीन दिन में जिला स्तरीय Spring and river rejuvenation authority (SARRA) की बैठक लेने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारियों को इस अभियान से प्रमुखता से जोड़ने को कहा हैं। मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव वित्त को निर्देश दिए कि विभिन्न माध्यमों जैसे मनेरगा, नाबार्ड, कैम्पा, पीएमकेएसवाई से जलस्रोतों व नदियों के पुनर्जीवीकरण हेतु फण्डिंग यूटिलाइजेशन के सम्बन्ध में बैठक को पत्र जारी किया जाए। मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में सम्बन्धित अधिकारियों को राज्य के जलस्रोतों, नदियों, सहायक नदियों, धाराओं के पुनर्जीवीकरण हेतु जिलावार योजना के स्थान पर Holistic and Integrated कार्य के निर्देश दिए हैं।
राज्य में जल संरक्षण के सम्बन्ध में आज की महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को जल संरक्षण अभियान 2024 में प्रत्येक ब्लॉक में 10 Critical सूख रहे स्प्रिंग तथा जिलें में 20 Critical सूख रहे जलधाराओं/सहायक नदियों के चिन्हीकरण के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने प्रत्येक जिले में दीर्घावधि योजना में एक नदी के पुनर्जीवीकरण की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने मैदानी जिलों में सूख चुके तालाबों के चिन्हीकरण एवं पुनर्जीवीकरण के एक्शन प्लान पर भी कार्य के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि जल संरक्षण अभियान 2024 में ग्राम स्तर पर जल संरक्षण कार्य हेतु लक्ष्यों के अंतर्गत बताया गया है कि प्रायः पर्वतीय ग्रामों में 2 से 3 जल स्रोत रहते हैं। इन जल स्रोतों के पुनरोद्धार को लक्षित कर स्रोतों के जल संभरण क्षेत्रों में कन्टूर ट्रेचेंज एवं रिचार्ज पिट्स निर्मित किये जा सकते हैं।
मैदानी ग्रामों में कच्चे तालाब, चैक डैम एवं रिचार्ज पिट्स के माध्यम से भू-जल रिचार्ज किया जा सकता है। ग्रामों के समीप वन क्षेत्रों एवं चारागाह क्षेत्रों में चाल-खाल का निर्माण किया जा सकता है।
इसके साथ ही जल संरक्षण अभियान 2024 में विकासखंड स्तर पर critical जल स्रोतों के उपचार के लक्ष्यों में बताया गया है कि Critical जल स्रोतों के चिन्हीकरण हेतु पेयजल विभाग एवं जल संस्थान से चिन्हित ऐसी पेयजल योजनाएं जिसमें जल प्रवाह अत्यधिक कम दिख रहा है, के उपचार की योजना निर्माण कर क्रियान्वयन की कार्यवाही प्रांरभ की जा सकती है।
केन्द्रीय भू-जल बोर्ड से चिन्हित 4 मैदानी जनपदों मे चिन्हित Aquifer के रिचार्ज क्षेत्रों में योजना निर्माण कर क्रियान्वयन प्रांरभ किया जा सकता है।पेयजल विभाग एवं जल संस्थान विभाग ने 145 Critical जल स्रोत उपचार हेतु चिन्हित किये हैं।
जल संरक्षण अभियान 2024 में जनपद स्तर पर सहायक नदियों और धाराओं के उपचार के लक्ष्यों में बताया गया है कि पेयजल एवं जल संस्थान विभाग से निर्मित कई पेयजल योजनाएं जोकि वर्षा आधारित सहायक नदियों/गधेरों पर निर्भर है, के जीर्णोद्धार की योजना प्राथमिकता के आधार पर निर्मित कर गतिविधियां प्रांरभ की जा सकती हैं।
सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की निर्मित विभिन्न सिंचाई योजनाएं सहायक नदियों / धाराओं पर आधारित संभरण क्षेत्रों को चिन्हित कर योजना बनाकर गतिविधियां प्रांरभ की जा सकती हैं। इन योजनाओं का संभरण क्षेत्र यदि आरक्षित वन में हैं, तो वन विभाग से अन्तर-विभागीय समन्वय स्थापित कर कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है । पेयजल विभाग/जल संस्थान विभाग ने 412 सहायक नदियां/धाराएं एवं 6 नदियां उपचार हेतु चिन्हित की गई हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंदवर्धन, प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव शैलेश बगौली सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी मौजूद रहे।