नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश दिवंगत,80 वर्ष आयु में दिल्ली में हृदयाघात
Indira Hridyesh Death : कांग्रेस की दिग्गज नेेता इंदिरा हृदयेश का हार्ट अटैक से निधन, पार्टी मीटिंग में भाग लेने गई थीं दिल्ली
इंटरनेट मीडिया में इंदिरा हृदयेश के निधन की खबर वायरल, नैनीताल विधायक ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि
उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता डॉॉक्टर इंदिरा हृदयेश के निधन की खबर मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है। इंटरनेट मीडिया के मुताबिक आ रही खबरों के अनुसार दिल्ली में हार्ट अटैक आने कारण उनका निधन हो गया।
नई दिल्ली 13 जून : उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता डॉक्टर इंदिरा हृदयेश का रविवार को दिल्ली में निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के उत्तराखंड भवन में अंतिम सांसें लीं। जानकारी के मुताबिक दिल्ली में हार्ट अटैक आने कारण उनका निधन हो गया। दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की बैठक में भाग लेने के लिए वह शनिवार को राजधानी पहुंची थीं। उत्तराखंड भवन के कमरा नंबर 303 में उनकी हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। उनके शव को उत्तराखंड लाने की की तैयारी हो रही है।
बता दें कि कुछ महीन पहले ही नेता प्रतिपक्ष कोरोना संक्रमित हुई थीं तो तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उन्हें इलाज को हैलीकॉप्टर से मेदांता अस्पताल गुरूग्राम भेजा था। वहां से वे स्वस्थ हो कर लौटी थी। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, कांग्रेस नेता किशोर उपाध्याय, सूर्यकांत धस्माना ने ट्वीट शोक जताते हुए उत्तराखंड के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। नेता प्रतिपक्ष के निधन से इंटरनेट मीडिया पर शोक की लहर फैल गई है। नैनीताल से भाजपा विधायक संजीव आर्य ने भी ट्वीट कर शाेक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
उत्तराखंड की वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का आज रविवार को निधन हो गया है. इंदिरा मजबूत इरादों की महिला कहीं जाती रही हैं और उन्हें उत्तराखंड की राजनीति की आयरन लेडी भी कहा जाता है। इंदिरा हृदयेश ने 80 की उम्र में दिल्ली में अंतिम सांस ली
वह 2002, 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव जीतीं
एनडी तिवारी सरकार में ‘सुपर मुख्यमंत्री’ तक कहा गया
उत्तराखंड की राजनीति में जबरदस्त धमक रखने वाली कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और प्रदेश की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश अब नहीं रहीं. आज रविवार सुबह दिल्ली में हृदय गति रुकने से उनका देहांत हो गया. सालों के अपने राजनीतिक करियर में इंदिरा हृदयेश ने उत्तराखंड की राजनीति को कई नए मुकाम दिए और प्रदेश में काफी कुछ विकास के काम किए, खासकर कुमाऊं मंडल में उनको मदद का मसीहा माना जाता रहा है.
7 अप्रैल 1941 में अयोध्या में जन्मी इंदिरा हृदयेश ने 80 की उम्र में दिल्ली में आज अंतिम सांस ली. आज सुबह उत्तराखंड सदन में नेता प्रतिपक्ष की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें संभाला नहीं जा सका और उनका निधन हो गया.
पहली बार विधान परिषद में पहुंचीं
इंदिरा हृदयेश के राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो 1974 में उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में पहली बार चुनी गईं जिसके बाद 1986, 1992 और 1998 में इंदिरा हृदयेश लगातार चार बार अविभाजित उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुनी गईं. साल 2000 में अंतरिम उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बनीं और प्रखरता से उत्तराखंड के मुद्दों को सदन में रखा.
साल 2002 में उत्तराखंड में जब पहले विधानसभा चुनाव हुए तो हल्द्वानी से विधानसभा का चुनाव जीतीं और नेता प्रतिपक्ष बन विधानसभा पहुंचीं जहां उन्हें एनडी तिवारी सरकार में संसदीय कार्य , लोक निर्माण विभाग समेत कई महत्वपूर्ण विभागों को देखने का मौका मिला.
‘सुपर मुख्यमंत्री’ का दर्जा
एनडी तिवारी सरकार में इंदिरा का इतना बोलबाला था कि कि उन्हें सुपर मुख्यमंत्री तक कहा जाता था उस समय तिवारी सरकार में ये प्रचलित था कि इंदिरा जो कह दें वह पत्थर की लकीर हुआ करती थी.
2007 से 12 के टर्न में इंदिरा हृदयेश चुनाव नहीं जीत सकीं लेकिन 2012 में एक बार फिर वह विधानसभा चुनाव जीतीं और विजय बहुगुणा तथा हरीश रावत सरकार में वित्त मंत्री व संसदीय कार्य समेत कई महत्वपूर्ण विभाग इंदिरा हृदयेश ने देखें. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा ह्रदयेश एक बार फिर हल्द्वानी से जीतकर पहुंचीं.
कांग्रेस विपक्ष में बैठी तो नेता प्रतिपक्ष के रूप में इंदिरा हृदयेश को पार्टी का नेतृत्व करने का मौका मिला. इंदिरा हृदयेश एक मजबूत इरादों की महिला कहीं जाती रही हैं और उन्हें उत्तराखंड की राजनीति की आयरन लेडी भी कहा जाता रहा.
मायावती ने भी जताया शोक
इंदिरा के निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शोक जताया. उन्होंने ट्वीट किया कि मेरी बड़ी बहन जैसी आदरणीया श्रीमती इंदिरा हृदयेश जी के निधन का दुखद समाचार मिला. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इंदिरा के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि यूपी और फिर उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय तक अति-सक्रिय व अहम भूमिका निभाने वाली उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के आज निधन की खबर अति-दुःखद. उनके परिवार व समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना. कुदरत उन सबको इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे.
विधान परिषद के लिए 4 बार चुनी गए
इंदिरा का 7 अप्रैल 1941 को अयोध्या में जन्म हुआ था. उन्होंने हिंदी और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की थी. उनके पास बीएड और पीएचडी की भी डिग्री थी. उनके 3 पुत्र हैं.
उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो 1974 में वह पहली बार विधान परिषद के लिए चुनी गईं. तब वह अविभाजित उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य (गढ़वाल कुमाऊं निर्वाचन क्षेत्र) निर्वाचित हुई थीं. इसके बाद वह 1986, 1992 और 1998 में फिर विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुई थीं.
इंदिरा 3 बार विधानसभा के लिए भी चुनी गई थीं. उन्होंने 2002, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
इंदिरा ह्रदयेश का राजनीतिक जीवन
इंदिरा ह्रदयेश पहली बार 1974 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के लिए चुनी गईं। इसके बाद 1986, 1992 और 1998 में भी उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुनी गईं और कार्यकाल पूरा किया। उत्तराखंड राज्य अलग बनने के बाद 2000 और 2002 में उत्तराखंड विधान सभा में सदस्य अंतरिम रहीं अैर नेता प्रतिपक्ष का दायित्व भी निभाया। 2002 में पहली बार विधान सभा चुनाव लड़ी और कांग्रेस की सरकार बनने पर लोक निर्माण, संसदीय मामलों की कैबिनेट मंत्री,राज्य संपत्ति, सूचना, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाई। 2012 में दूसरी बार विधानसभा जीतकर उत्तराखंड विधान सभा पहुंची और वित्त, वाणिज्यिक कर, टिकट और पंजीकरण के कैबिनेट मंत्री का मंत्रालय संभालने के अलावा अन्य जिम्मेदारियां निभाईं। 2017 में भी विधानसभा जीतकर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा रही थीं।