डॉ. क्षमा कौशिक की 12 कविताएं
{16 फरवरी 2021,7:00AM}
[27 सितंबर 2021, 7:01 AM]
गुण अवगुण सब में मिलें
जो चाहे सरहाय,
देख विवेकी हंस को जो
क्षीर क्षीर अपनाए।
प्रातःनमन।
[28 सितंबर 2021, 6:56 AM]
यूं भी बीत जायेगी जिंदगी हर हाल में
जिएं इस तरह कि हो ज़िक्र बात – बात में
प्रातः नमन।
[29 सितंबर 2021, 6:25 AM]
उर बसी थी दामिनी चंचल चपल सी कामिनी
रह रह मचल रही थी प्रिय से उलझ
रही थी
मन भावने प्रीतम सलोने ,क्यों गरज
रहे हो
प्राणप्रिय पयोद क्यों बरबस बरस
रहे हो ?
प्रातः नमन।
[30 सितंबर 2021, 7:00 AM]
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ओस मुक्ता से सजी पंखुड़ियां गुलाब की अंजुरी में प्यार भरी पोटली बहार की ।
कंटकों में मुस्कुराती पंखुड़ियां गुलाब की
मूकभाषा बन जाती वे समर्पित प्यार की
प्रातः नमन ।
[ पहली अक्टूबर 2021, 6:21 AM]
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अंतर द्वंद मचा हुआ है वाणी और
विचारों में
बड़ी बड़ी बातें करते हैं कर्म नहीं
व्यवहारों में
करते कुछ,दिखलाते कुछ,समझ परे
यह उलझन है
कर्म वचन एक हों कैसे, एक अजब
यह उलझन है।
प्रातः नमन।
डॉक्टर क्षमा कौशिक।
[दो अक्टूबर 2021, 7:22 AM]
हे युग पुरुष तुमको प्रणाम।
हे युग प्रवर्तक युगाधार
हे युगपुरुष तुमको प्रणाम।
आजादी के समरांगन के
हे महारथी तुमको प्रणाम।
बेखौफ तेरी हुंकारों से
निःशब्द हुआ अंग्रेजी राज
निःशस्त्र तेरे प्रहारों से
विचलित भागा शत्रु कराल
सत्य अहिंसा की तुमने
दिखलाई अनुपम दिव्य राह
हे राष्ट्र पिता तेरा अभिनंदन
हे दिव्य पुरुष तुमको प्रणाम।
लालों के लाल बहादुर ……
लालों के लाल बहादुर थे
सच्चे थे सीधे सादे थे
दिखने में अति साधारण थे
पर मानव वे असाधारण थे।
जय जवान जय किसान
के सच्चे वे संवाहक थे
ताश कंद समझौते के
वे दुर्भट महानायक थे
कद छोटा था पद ऊंचा था
अप्रतिम प्रतिभा के नायक थे
लालों के लाल बहादुर थे
मानव वे असाधारण थे।
यह दिन भी असाधारण है
दो दो लालों ने जन्म लिया
दोनो को शत शत प्रणाम
धन्य हुई यह धरा ललाम।
प्रातः नमन।
[03 अक्टूबर 2021, 7:10 AM]
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देख कर रफ्तार जीवन की
,बहुत हैरान हूं
जी रहे किस मोल पर यह
सोचकर परेशान हूं
कर रहा जिसके लिए
रूठे हुए से हैं वही
किसको रिझाने के लिए
यह दांव खेला जा रहा।
प्रातः नमन।
[ पांच अक्टूबर 2021, 6:34 AM]
नटखट चंदा खेल रहा था आंख मिचौनी
चूनर तारों जड़ी ओढ़, रजनी शर्मीली
सकुंच चांदनी से पूछती,नवल नवेली
क्या तुमने देखा है प्रिय को?बता सहेली।
प्रातः नमन।
[छह अक्टूबर 2021, 8:56 AM]
पितृ देवो भवः
पितृ हुए संतुष्ट सभी
देख बढ़त निज वंश
आज पधारेंगे सभी
परम धाम सानंद ।
प्रातः नमन।
डॉक्टर क्षमा कौशिक