दून-पिथौरागढ-हिण्डन,सहस्रधारा-चिन्यालीसौड-गौचर मार्ग हवाई सेवाओं को होंगे दुबारा टेंडर
देहरादून 22फरवरी । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नागरिक उड्डयन और शहरी विकास हरदीप पुरी से भेंट की। मुख्यमंत्री रावत के आग्रह पर केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि उड़ान योजना में देहरादून-पिथौरागढ़-हिण्डन मार्ग और सहस्रधारा-चिन्यालीसौड़- गौचर मार्ग पर हवाई सेवाएं नियमित करने के लिए दुबारा टेंडर किए जाएंगे। जलजीवन मिशन में उत्तराखण्ड के सभी बड़े और छोटे शहरों को शामिल किया जाने की भी केंद्रीय मंत्री ने स्वीकृति दी।
मुख्यमंत्री के आग्रह पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पंतनगर ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाए जाने के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण से विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएगी। जनपद पिथौरागढ़ स्थित नैनीसैनी हवाई पट्टी का भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा हस्तगत किए जाने के लिए सर्वे किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने उड़ान योजना के अंतर्गत कुमाऊं और गढ़वाल मण्डल में रूट बदले जाने और पाॅइन्ट टू पाॅइन्ट किए जाने का आग्रह किया जिस पर केंद्रीय मंत्री ने सहमति व्यक्त की। साथ ही केंद्रीय मंत्री ने राजकीय वायुयान बी-200 को किसी एनएसओपी सेवा प्रदाता को ड्राई लीज पर दिए जाने पर भी अपनी स्वीकृति दी।
मुख्यमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में प्रस्तावित योजनाओं में केंद्रांश उत्तराखण्ड के लिए 90 प्रतिशत किए जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि उत्तराखण्ड के 15 गंगा नगरों में से केवल हरिद्वार ही वर्तमान में अमृत योजना के अंतर्गत शामिल है। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में शेष 14 गंगा नगरों के लिए सेप्टेज प्रबंधन की योजनाओं की स्वीकृति 90 प्रतिशत केंद्रांश के साथ स्वीकृत की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संबंधित योजना के लिए 35 प्रतिशत वायबिलिटी गैप फण्डिंग केंद्रांश के रूप में अनुमन्य है। उत्तराखण्ड की कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों को देखते हुए 90 प्रतिशत केंद्रांश अनुमन्य करने पर विचार किया जाए। साथ ही एक लाख से कम जनसंख्या के नगरों के लिगेसी वेस्ट के प्रस्तावों को भी स्वच्छ भारत मिशन 2.0 में अनुमोदित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के शहरों में निर्माण व विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन के प्लांट स्थापित किए जाने आवश्यक हैं। प्रथम चरण में राज्य के सभी जिला मुख्यालयों और नगर निगमों में स्थापित किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन 2.0 अथवा केंद्र पोषित विशेष योजना के अंतर्गत धनराशि स्वीकृत करने का अनुरोध किया।