कोरोना पर जागरूक करते-करते हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ.केके अग्रवाल खुद सो गए

अब क्रूर कोरोना वायरस ने छीना देश के मशहूर डॉक्टर को, पद्मश्री केके अग्रवाल का एम्स में निधन
देश के मशहूर डॉक्टर पद्मश्री केके अग्रवाल का निधन, कोरोना वायरस संक्रमण से गई जान
कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए देश के मशहूर डॉक्टर पद्मश्री केके अग्रवाल का निधन सोमवार देर रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। उनका निधन चिकित्सा जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
नई दिल्ली 18 मई । देश की राजधानी दिल्ली से एक बेहद बुरी खबर आई है। कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए देश के मशहूर डॉक्टर पद्मश्री केके अग्रवाल का निधन सोमवार देर रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। उनका निधन चिकित्सा जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। केके अग्रवाल को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) के पूर्व निदेशक और पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल पिछले कई दिनों से कोरोन संक्रमण से जूझ रहे थे। उनकी हालत लगाातर गंभीर बनी हुई थी, इसलिए संक्रमण के चलते हालत बिगड़ने के बाद डॉक्टर केके अग्रवाल को दिल्ली स्थित एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख डॉक्टर केके अग्रवाल (62 वर्ष) ने सोमवार रात करीब 11.30 बजे एम्स के ट्रामा सेंटर में अंतिम सांस ली। यह भी बताया गया है कि 2 महीने पहले ही केके अग्रवाल ने वैक्सीन की दोनों खुराक भी ली थीं, लेकिन बीते माह वह संक्रमण की चपेट में आ गए।
डॉक्टर केके अग्रवाल को कोरोना संक्रमण के बाद एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। केके अग्रवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर बीते 28 अप्रैल को जानकारी दी थी कि वह कोरोना संक्रमित हैं।

इस बारे में आधिकारिक रूप से जानकारी देते हुए कहा गया, काफी दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि डॉक्टर केके अग्रवाल का 17 मई की रात 11.30 बजे के करीब कोरोना वायरस से निधन हो गया है। जब से वह डॉक्टर बने थे, उन्होंने अपना जीवन लोगों और स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर समर्पित कर दिया था।
बता दें कि डॉक्टर के के अग्रवाल ने स्वयं ही पिछले दिनों पहले अपने ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी थी कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं।

बता दें कि देशभर में चिकित्सा के लिए मशहूर डॉक्टर केके अग्रवाल के निधन की जानकारी उनके ट्विटर हैंडल से ही साझा की गई। उनके ट्विटर हैंडल पर किए गए ट्वीट में लिखा गया है- ‘काफी दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि डॉक्टर केके अग्रवाल का 17 मई की रात 11.30 बजे के करीब कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ते हुए निधन हो गया। जब से वह डॉक्टर बने थे, उन्होंने अपना जीवन लोगों और स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर समर्पित कर दिया था।’
गौरतलब है कि पद्मश्री सम्मानित और वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केके अग्रवाल ने पिछले दिनों एक वीडियो भी शेयर किया था। इसमें उन्होंने इस बात की जानकारी दी है कि कोरोना का संक्रमण किन-किन लोगों को परेशान नहीं करता है और किन्हें इसका सबसे ज्यादा खतरा है।

वैक्‍सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी क्‍यों हुई डॉ केके अग्रवाल की मौत, एक्‍सपर्ट ने समझाया

(Deepak Verma) देशभर से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां कोविड-19 वैक्‍सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद संक्रमण हुआ और मौत हो गई। एक्‍सपर्ट्स ने इसके पीछे की संभाव‍ित वजहें ग‍िनाई हैं।

हाइलाइट्स:
कोरोना वायरस से जिंदगी की जंग हार गए डॉ केके अग्रवाल
उन्‍हें लग चुकी थीं वैक्‍सीन की दोनों डोज, फिर भी संक्रमण
मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अरविंद ने बताई मौत की वजह
कहा- रिसर्च होनी चाहिए, मगर तीन संभावनाए हैं

मशहूर डॉक्‍टर केके अग्रवाल का कोविड-19 से निधन हो गया। लोगों को जो बात हैरान कर रही है, वह यह कि उन्‍हें वैक्‍सीन की दोनों डोज लग चुकी थीं। इसपर मेदांता अस्‍पताल के डॉक्‍टर अरविंद कुमार ने कहा कि कई वजहें हो सकती है जिनसे पूरी तरह टीकाकरण के बाद भी ऐसा हो सकता है। उन्‍होंने एक न्‍यूज चैनल से बातचीत में कहा कि इस पर और रिसर्च की जरूरत है। हालांकि उन्‍होंने तीन ऐसी संभावनाएं जरूर गिनाईं जो दोनों डोज लगवा चुके लोगों में संक्रमण/मौत की वजह हो सकती हैं।

क्‍या दोनों डोज लगने के बावजूद प्रोटेक्‍शन नहीं?

डॉक्टर कुमार ने कहा कि हाल-फिलहाल में वैक्‍सीन लगवा चुके लोगों की जो मौतें हुई हैं, उनकी पिछले साल से तुलना करें तो एक बात तो साफ है कि इस बार मृतकों की संख्‍या कम है। हमने फेज 3 ट्रायल्‍स में डेथ रेट 0% माना था मगर जमीन पर हालात अलग नजर आ रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टर कुमार ने इशारा क‍िया कि ऐसा हो सकता है कि दोनों डोज लगने के बाद जिनकी मौत हुई, उनमें पर्याप्‍त ऐंटीबॉडीज न बनीं हो या फिर इन स्‍ट्रेन्‍स के खिलाफ वैक्‍सीन असरदार न हो।

यह रिसर्च का विषय है कि क्‍या इन लोगों में दोनों डोज लगने के बाद भी ऐंटीबॉडीज नहीं बनीं। अगर ऐंटीबॉडीज बनीं तो पर्याप्‍त मात्रा में नहीं बनीं या जिस तरह की न्‍यूट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज चाहिए थीं, वो नहीं बनीं। तीसरी संभावना ये है कि जो ऐंटीबॉडीज थीं, वे वायरस के इस स्‍ट्रेन के खिलाफ कारगर नहीं हैं।
डॉक्‍टर अरविंद कुमार, मेदांता अस्‍पताल, गुरुग्राम

मेदांता के एक्‍सपर्ट ने जनता से अपील करते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि वैक्‍सीन बेकार है। 100% प्रोटेक्‍शन नहीं है, लेकिन फिर भी मौत, गंभीर बीमारी से बचाने में काफी कारगर है। आज की तारीख में यह हमारा सबसे मजबूत हथियार है।

वैक्‍सीनेशन के बाद भी पॉजिटिव आ सकती है रिपोर्ट
आंध्र प्रदेश में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डॉक्टर नरेला सुब्रमण्‍यम ने कहा कि WHO ने बार-बार कहा है कि वैक्‍सीन आपको कोविड-19 पॉजिटिव नहीं बना सकतीं। उन्‍होंने यह भी कहा कि अगर कोई व्‍यक्ति कोविड बीमारी के इनक्‍यूबेशन पीरियड में वैक्‍सीन लेता है तो टेस्‍ट पॉजिटिव आ सकता है। यह भी हो सकता है कि वैक्‍सीनेशन सेंटर से आपको इन्‍फेक्‍शन हो या टीका लगने के ठीक बाद, उस स्थिति में भी पॉजिटिव रिजल्‍ट आ सकता है।

ट्रायल में नहीं हुई थी किसी की मौत

इससे पहले डॉक्टर कुमार ने कहा कि जब पिछले साल कोरोना वैक्सीन के फेज तीन के ट्रायल हुए थे, तो उसमें यह देखा गया था कि वैक्सीन लगाने के बाद भी 25-30 पर्सेंट लोग संक्रमित हो गए थे। हालांकि उस दौरान इस ट्रायल में सभी वॉलंटियर्स में इन्फेक्शन माइल्ड वैरायटी का था। किसी को भी अस्पताल में भर्ती होने या फिर वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी थी। उस ग्रुप में किसी की मौत नहीं हुई थी।

उन्‍होंने कहा कि आज से करीब एक-डेढ़ महीने पहले तक, जब देश में कोरोना की दूसरी लहर नहीं आई थी, तब तक भी यही माना जा रहा था कि वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के बाद वेंटिलेटर पर जाने, आईसीयू में भर्ती होने या फिर जान जाने की नौबत नहीं आती है। लेकिन यह धारणा अब बदल गई है। पिछले कुछ हफ्तों में देखा जा रहा है कि कई डॉक्टर, पत्रकार या फिर फ्रंट लाइन वर्कर्स जो वैक्सिनेटेड थे, उनकी स्थिति गंभीर हुई या फिर जान चली गई।

देशभर में 269 डॉक्‍टर्स की कोरोना से मौत

कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में 250 से ज्‍यादा डॉक्‍टर्स की मौत हो चुकी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार, कुल 269 डॉक्टरों ने अपनी जान कोरोना क दूसरी लहर में गवाई है। इन सभी डॉक्टरों में सबसे ज्यादा जान गवाने वाले युवा डॉक्टर हैं। जिनकी उम्र 30 से 55 साल तक के बीच की थी।
IMA के मुताबिक, दूसरी लहर में सबसे अधिक डॉक्टरों की जान बिहार में गई है। बिहार में अब तक कुल 78 डॉक्टरों की मृत्यु हुई है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश में कुल 37 डॉक्टर तो दिल्ली में 28 डॉक्टरों की जान गई है। साथ ही आंध्र प्रदेश में भी 22 डॉक्टर, तेलंगाना में 19 डॉक्टर, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में 14 डॉक्टरों की जान कोरोना संक्रमण के कारण गई है।

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