डॉ. उमर के 10 दिन में 70 वीडियो,अब 11 सुसाइड बॉम्बर्स की ढूँढ

Delhi Blast: 70 वीडियो और 11 सुसाइड बॉम्बर… 10 दिनों बंद कमरे में क्या कर रहा था उमर? आतंकी हमले की

दिल्ली में लाल किले के पास हुए आत्मघाती हमले की जांच एनआईए कर रही है। जांच में ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ का खुलासा हुआ है, जिसके तहत धमाकों की साजिश रची गई। आतंकी उमर नबी ने फरीदाबाद में कमरा किराए पर लेकर युवाओं को ब्रेनवॉश करने के लिए जहरीले वीडियो बनाए। उसने 10 दिनों में 70 वीडियो बनाकर 11 युवाओं को भेजे, जिनकी तलाश जारी है।

दिल्ली आतंकी हमले की इनसाइड स्टोरी।

एनआईए की जांच में धमाके से जुड़े आतंकियों के बारे में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिसके आधार पर कई लोगों की गिरफ्तारी हुई है और कई से पूछताछ की जा रही है। जांच में सामने आया है कि कार में आत्मघाती हमला करने वाले आतंकवादी डॉक्टर उमर नबी ने फरीदाबाद में एक कमरा किराए पर लिया था और धमाके से पहले उसने खुद को उस कमरे में 10 दिन के लिए बंद कर रखा था।

11 लोग, 70 जहरीले वीडियो और खौफनाक प्लान… दिल्ली धमाके से पहले बंद कमरे में 10 दिन तक क्यों रहा उमर नबी?
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की साजिश रचने और उसे अंजाम देने वाले आतंकी डॉक्टर उमर नबी के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. धमाके से पहले वो फरीदाबाद के एक कमरे में 10 दिन बंद रहा. इस दौरान 70 जहरीले वीडियो बनाए. उन वीडियो को 11 युवाओं को भेजा. वो लोग अब लापता हैं. उनकी तलाश की जा रही है.

दिल्ली के दहलाने वाले आतंकी उमर नबी के बारे में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं.
नई दिल्ली,20 नवंबर 2025,दिल्ली के लाल किले के करीब हुए 10 नवंबर के आत्मघाती धमाके की वजह से सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ी हुई है. एनआईए इस केस की जांच कर रही है. जांच के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. इस सामने आया है कि ‘व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल’ सीरियल ब्लास्ट की तैयारी की थी. इसके लिए ब्रेनवॉश करके कई युवाओं को सुसाइड बॉम्बर बनाने की कोशिश की गई थी.

लाला किले के पास कार में धमाका करने वाले आतंकी डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी ने फरीदाबाद में एक कमरा किराए पर लिया था. धमाके से पहले उसने खुद को उस कमरे में 10 दिन तक के लिए बंद कर रखा था. इस तरह वो न तो कहीं आता-जाता, न ही किसी से मिलता था. उसने बंद कमरे में युवाओं को ब्रेनवॉश करने के लिए 70 जहरीले वीडियो बनाए और उनको 11 युवाओं तक भेजा.

फरीदाबाद के इस डॉक्टर मॉड्यूल का विस्फोटक खुलासा तब हुआ, जब पता चला कि उमर नबी ने हरियाणा के नूंह में हिदायत कॉलोनी में एक कमरा लिया था. उस कमरे से वो बाहर नहीं निकला. न नहाया, न कपड़े बदले. वो टॉयलेट तक के लिए भी बाहर नहीं गया. कमरे के अंदर ही गंदगी फैलाता रहा. वो खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर ‘फिदायीन मोड’ में ढाल रहा था.

केवल रात के अंधेरे में कभी-कभार खाने के लिए बाहर जाता था. इसके बाद गायब हो जाता था. सूत्रों के मुताबिक, इन 10 दिनों में उसने सिर्फ खुद को नहीं, बल्कि अन्य युवाओं को भी तैयार करने का काम किया. उसके मोबाइल फोन से 70 वीडियो मिले हैं. इनमें से 12 वीडियो खुद उमर ने कमरे के अंदर शूट किए थे. ये वीडियो उसने 11 युवाओं को भेजे थे, जिसमें से 7 कश्मीरी मूल के हैं.

सभी का अल-फलाह यूनिवर्सिटी से लिंक मिला है. चार युवा उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक के रहने वाले हैं. यही सबसे बड़ा खतरा है कि कहीं उमर की तरह ये 11 लोग भी सुसाइड बॉम्बर न बन गए हों. इनकी तलाश में चार राज्यों में ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सूत्रों का दावा है कि उमर के फोन से मिले वीडियो वही पैटर्न फॉलो करते हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकी ब्रेनवॉश के लिए करते हैं.

उसमें ‘जिहाद’, ‘शहादत’, ‘इनाम’ और ‘मिशन’ जैसे विचारों को लगातार दोहराया गया है. सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि जिस शख्स ने उमर को I-20 कार दिलवाई, वहो सुसाइड बॉम्बर बनने को तैयार नहीं था. इसके बाद उमर उसे भी वीडियो भेजकर ब्रेनवॉश करने की कोशिश कर रहा था.शायद उमर एक पूरी टीम बनाना चाहता था, जो कई राज्यों में फैले युवाओं को टारगेट कर रही थी.

उमर नबी दिल्ली धमाके से दो हफ्ते पहले अपने घर गया था.उसने अपने दो मोबाइल फोन में से एक अपने भाई जहूर इलाही को सौंप दिया.उससे कहा कि यदि उसकी कोई खबर आए तो फोन पानी में फेंक देना.यही फोन बाद में इस केस का बड़ा सबूत बना.जहूर ने बताया कि फोन 26 से 29 अक्टूबर के बीच लिया था.9 नवंबर को उमर के साथियों की गिरफ्तारी के बाद तालाब में फेंक दिया.

एनआईए ने जब ये दोनों मोबाइल फोन ढूंढे, तो बंद मिले. एक की आखिरी लोकेशन दिल्ली बताई गई, दूसरी पुलवामा, जो तालाब से बरामद हुआ. फोन पानी में डूबकर खराब हो चुका था, लेकिन फॉरेंसिक टीम एक वीडियो रिकवर करने में सफल हुई. उस वीडियो में उमर खुद को शहादत पर जाने की घोषणा करता दिखता है. यह वीडियो बताता है कि उमर जानता था कि वो मरने जा रहा है.

जांच में सीसीटीवी फुटेज विश्लेषण में उमर नबी का पूरा रूट सामने आया है. 29 अक्टूबर को वो i-20 कार के साथ अल-फलाह यूनिवर्सिटी में दिखाई देता है. इसके बाद उसकी कार 9 और 10 नवंबर की रात खलीलपुर टोल प्लाजा पर आते-जाते दिखती है. 10 नवंबर की सुबह वो एक्सप्रेस-वे से दिल्ली में एंट्री करता है. इसके बाद दिल्ली में अलग-अलग जगहों से होकर गुजरता है.

उमर नबी दिल्ली के बदरपुर बॉर्डर,आश्रम चौक,मयूर विहार, निजामुद्दीन,इंडिया गेट,कर्तव्य पथ,रेल भवन,सुनहरी बाग रोड, तुगलक रोड,लोधी रोड,अरबिंदो मार्ग,कनॉट प्लेस,दिल्ली गेट होते हुए लाल किला पहुंच गया.इसके बाद जो हुआ,वो पूरे देश के सामने है.उसने विस्फोटक से लदी अपनी i20 कार उड़ा दी.इस धमाके में 15 लोगों की मौत हुई और 20 से ज्यादा घायल हो गए.

10 दिनों तक एक ही कपड़े पहने रहा, किसी से बात तक नहीं की

दोनों i20 कार में आए। शोएब ने कहा- ये कुछ दिन यहीं ठहरेंगे। अफसाना ने एक-दो दिन तो उमर को चाय-नाश्ता भी दिया था, लेकिन जब उसकी हरकतें संदिग्ध लगीं तो ज्यादा संपर्क नहीं रखा।

अफसाना की नाबालिग बेटी बताती हैं- हमारा मेहमान कमरे से बाहर नहीं निकलता था। वह केवल रात में ही कभी बाहर जाता था। उसके पास दो मोबाइल थे। अंधेरा होने पर वह सड़क किनारे दुकानों पर खाना खाने जाता था। 10 दिनों तक एक ही कपड़े पहने रहा और किसी से कोई बात नहीं की। 10 दिन में केवल चार दिन ही अपनी गाड़ी को हमारे घर के सामने खड़ा किया था। बाकी वह गाड़ी को कहीं बाहर खड़ी करता था।

उमर ने अफसाना के फोन का किया इस्तेमाल

अफसाना के पास 2 फोन हैं। एक वह अपने साथ आंगनवाड़ी में लेकर जाती थी, जबकि दूसरा घर पर छोटे बच्चों के पास छोड़ जाती थी। अफसाना की बेटी ने बताया कि डॉक्टर ने उनके छोटे भाई से फोन ले लिया और अपने फोन से कनेक्ट कर किसी से बात
करता था। संभवतः हॉटस्पॉट के जरिए इंटरनेट कॉल की। अफसाना के सबसे छोटे बेटे ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह आतंकी डॉक्टर उमर को पहचानता है।

कमरे के फर्श से टॉयलेट बहकर बाहर आने लगा तो मां से शिकायत की

अफसाना की बेटी ने बताया- वो मेहमान (डॉ. उमर) कमरे में ही टॉयलेट करता था। दो पॉलिथीन उसने शौच से भर दी थीं। जिसके बाद वह दीवारों पर टॉयलेट करने लगा। 7 नवंबर को सुबह के समय जब मैं कमरे के बाहर झाड़ू लगा रही थी, तो टॉयलेट बाहर बह रहा था और काफी बदबू आ रही थी। मेरा पैर भी गंदा हो गया, तो मैंने मां से शिकायत की।

अफसाना ने अपने जीजा शोएब को डॉक्टर की करतूत बताई

अफसाना की बेटी ने बताया कि इसकी जानकारी उन्होंने अपनी मां को दी। इसके बाद अफसाना ने अपने जीजा शोएब को डॉक्टर की हरकत के बारे में बताया। इसके बाद 9 नवंबर की रात करीब 11 बजे वो मेहमान कमरे से चला गया था। रात के समय उन्होंने कमरा देखा तो कमरे से काफी बदबू आ रही थी। हम डर गए थे। अगले दिन दिल्ली में बम धमाके की खबर सुनी। पुलिस हमारे घर आई, लेकिन तब तक मां (अफसाना) डरकर घर से निकल चुकी थी। जिसके बाद टीम ने बेटी से भी काफी पूछताछ की।
आधी रात को CCTV में डॉ. उमर एटीएम में दिखा आतंकी डॉक्टर उमर की 120 कार 9 नवंबर की रात 01:01 मिनट पर फिरोजपुर झिरका के एटीएम मशीन के बाहर रुकी थी।। जिसका सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया था। उमर गाड़ी से उतरकर पहले चेहरे को मास्क से ढकता है और बाद में एटीएम मशीन के अंदर पैसे निकालने का प्रयास करता है। करीब 4 मिनट तक उमर एटीएम मशीन के अंदर ही रहता है और पैसे निकालने का प्रयास करता है।

करीब 20 मिनट बाद यानी 1:24 मिनट पर आतंकी उमर फिर से अपनी 120 कार लेकर एटीएम मशीन पर आया और गाड़ी में सवार गार्ड को वहीं छोड़ दिया। जिसके बाद वह दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे से होते हुए दिल्ली की ओर निकल गया। फिर करीब 10 मिनट बाद उसकी गाड़ी टोल प्लाजा से गुजरती हुई दिखाई दी। 10 नवंबर शाम को डॉ. उमर ने दिल्ली में ब्लास्ट किया।

चार दिन पहले शोएब ने फोन पर बात की परिजन ने बताया कि 27 या 28 अक्टूबर को शोएब ने अपनी साली अफसाना से फोन पर बात की थी। उसने कहा था कि उसका कोई मेहमान है, जो कुछ दिन रुकेगा तो घर में एक कमरा तैयार रखना। हालांकि फिर 2-3 दिन कोई नहीं आया।

इसी कमरे में 10 दिन उमर ठहरा था। जांच एजेंसियों ने कमरे को लॉक कर रखा है।

31 अक्टूबर को शोएब खुद डॉ. उमर को लेकर आया अफसाना के परिवार के लोगों ने बताया कि 31 अक्टूबर को शोएब खुद डॉ. उमर को लेकर आया।

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दोनों i20 कार में आए। शोएब ने कहा- ये कुछ दिन यहीं ठहरेंगे। अफसाना ने एक-दो दिन तो उमर को चाय-नाश्ता भी दिया था, लेकिन जब उसकी हरकतें संदिग्ध लगीं तो ज्यादा संपर्क नहीं रखा।

10 दिनों तक एक ही कपड़े पहने रहा, किसी से बात तक नहीं की

अफसाना की नाबालिग बेटी बताती हैं- हमारा मेहमान कमरे से बाहर नहीं निकलता था। वह केवल रात में ही कभी बाहर जाता था। उसके पास दो मोबाइल थे। अंधेरा होने पर वह सड़क किनारे दुकानों पर खाना खाने जाता था। 10 दिनों तक एक ही कपड़े पहने रहा और किसी से कोई बात नहीं की। 10 दिन में केवल चार दिन ही अपनी गाड़ी को हमारे घर के सामने खड़ा किया था। बाकी वह गाड़ी को कहीं बाहर खड़ी करता था।

उमर ने अफसाना के फोन का किया इस्तेमाल

अफसाना के पास 2 फोन हैं। एक वह अपने साथ आंगनवाड़ी में लेकर जाती थी, जबकि दूसरा घर पर छोटे बच्चों के पास छोड़ जाती थी। अफसाना की बेटी ने बताया कि वो डॉक्टर ने उनके छोटे भाई से फोन ले लिया और अपने फोन से कनेक्ट कर किसी से बात

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जिस कमरे में रहा, उसके कुछ दूरी पर CCTV कैमरे सूत्रों की मानें तो जिस कमरे में डॉ. उमर 10 दिन रहा, उससे कुछ दूरी पर जांच एजेंसियों को एक अल्ट्रासाउंड सेंटर में लगे डिजिटल कैमरों में डॉ. उमर की मूवमेंट दिखी है। कमरे से निकलकर वह कब खाना खाने के लिए बाहर जाता था, इन सभी के सबूत एजेंसियों ने जुटा लिए हैं ।

अफसाना के परिजन ने यह भी बताया है कि डॉक्टर उमर ने सोने के लिए उनकी चारपाई और बिस्तरों का इस्तेमाल किया था। वह अपने साथ कुछ नहीं लेकर आया। जब तक वह कमरे में रहा, तब तक डरा और घबराया हुआ था।

अफसाना का एक भाई आर्मी में, दूसरा तैयारी कर रहा

अफसाना शादी से पहले ही अपने गांव गोलपुरी में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बन गई थी। इसके बाद वह ज्यादातर अपने मायके में ही रहने लगी। अफसाना का पति ट्रक ड्राइवर है, जो 3 से 4 महीने में घर आता है। अफसाना का पिता फौज से रिटायर्ड है। जो अभी एनडीपीएस एक्ट में जेल में बंद है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी में डॉ. उमर की दो दिन की मूवमेंट

29 अक्टूबर -सुबह 6:34 बजे:

उमर की 120 कार विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करती है।

सुबह 6:36 बजे:- उमर ने अपनी 120 कार कॉमन पार्किंग एरिया में पार्क की।

साथियों के पकड़े जाने के बाद घबरा गया था डॉ. उमर

जांच एजेंसियों के मुताबिक जब इस आतंकी मॉड्यूल का खुलासा हुआ तो डॉ. उमर गिरफ्तारी से बचने के लिए नूंह के मकान में छिपा था। पकड़े जाने के डर से उसने अपने सिम कार्ड इस्तेमाल नहीं किए बल्कि मकान मालकिन के मोबाइल का हॉट स्पॉट इस्तेमाल किया। किसी को भनक न लगे इसके लिए वह कमरे से बाहर भी नहीं निकलता था।

पुलिस ने उमर के साथियों से जुड़े ठिकानों से करीब 3 हजार किलो अमोनियम नाइट्रेट, डेटोनेटर और हथियार बरामद किए। घबराहट में उमर ने कार में विस्फोटक सामग्री लादकर दिल्ली की ओर रुख किया। शायद वह सबूत मिटाने या छिपाने की कोशिश कर रहा था। सूत्र बताते हैं- वह दबाव में था, क्योंकि उसके साथी पकड़े जा रहे थे।

 

 

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