कांग्रेस की मिट्टी पलीद कराकर सैम पित्रोदा ने छोड़ा पद
नई दिल्ली 08 मई 2024 : इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने नस्लीय टिप्पणी को लेकर विवाद बढ़ने के बाद अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। कांग्रेस ने सैम पित्रोदा का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश ने पित्रोदा के त्यागपत्र की जानकारी दी। जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा, सैम पित्रोदा ने अपनी इच्छा से इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है।
पूर्वोत्तर भारत के लोगों की चीन से तुलना
सैम पित्रोदा ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया था। उन्होंने भारतीयों की विविधता का जिक्र करते हुए टिप्पणी की थी। वह भारत के विविधतापूर्ण संस्कृति पर अपने विचार रख रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यह विवादित बयान दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि उत्तर भारत के लोग तो सफेद गोरे जैसे नजर आते हैं,जबकि पूर्वी भारत के लोग चाइनीज जैसे दिखते हैं। इस बयान में आगे पित्रोदा ने कहा कि दक्षिण भारतीय लोग अफ्रीकी जैसे और पश्चिम भारत के लोग अरब के लोगों जैसे दिखते हैं। उन्होंने आगे कहा था कि भारत जैसे विविधता वाले देश में फिर भी सभी एक साथ रहते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने साधा था निशाना
अब भाजपा पित्रोदा के इसी नस्लीय बयान पर हमलावर हो गई थी। भाजपा का कहना है कि ये शब्द भले सैम पित्रोदा के हों लेकिन सोच राहुल गांधी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पित्रोदा के बयान को लेकर निशाना साधा था। प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना के वारंगल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि शहजादे के फिलॉस्फर और गाइड अंकल ने बड़ा रहस्य खोला है। उन्होंने कहा कि जिनकी चमड़ी का रंग काला होता है, वो सब अफ्रीका के हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसका मतलब देश के अनेक लोगों को चमड़ी के रंग के आधार पर उन्होंने इतनी बड़ी गाली दे दी।
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सैम पित्रोदा की नस्लीय टिप्पणी को प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति मुर्मू से जोड़ा
लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के नस्लीय टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस पर जोरदार तरीके से हमला किया। प्रधानमंत्री मोदी ने तो सैम पित्रोदा की टिप्पणी को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के त्वचा के रंग से जोड़ दिया। हालांकि, विवाद के बाद सैम पित्रोदा को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है। चौथे चरण के चुनाव से पहले बुधवार को कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के नस्लीय बयान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी समेत भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस को निशाने पर लिया। विवाद बढ़ता देख सैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन पद से खुद ही त्यागपत्र दे दिया। दूसरी तरफ पहले सैम के बयान से किनारा करने वाली कांग्रेस ने तुरंत सैम का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया। इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए सैम की नस्लीय टिप्पणी को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के त्वचा के रंग से जोड़ दिया।
राष्ट्रपति से जोड़ दिया नस्लीय बयान
प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना के वारंगल में एक रैली में कहा कि शहजादे के फिलॉस्फर और गाइड अंकल ने बड़ा रहस्य खोला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के अनेक लोगों को चमड़ी के रंग के आधार पर बड़ी गाली दी है। सैम पित्रोदा ने देश की विविधता के संदर्भ में उपमा के रूप में कहा था कि हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं। जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं,पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं,उत्तर के लोग गोरों और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं बहुत सोच रहा था,द्रौपदी मुर्मू की अच्छी प्रतिष्ठा है,वनवासी समाज की प्रतिष्ठित बेटी हैं। उन्हें हम राष्ट्रपति बना रहे हैं। कांग्रेस उन्हें हराने को इतनी मेहनत क्यों कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब जाकर मुझे समझ में आया है कि चमड़ी का रंग देखकर के उन्होंने मान लिया द्रौपदी मुर्मू भी अफ्रीकन हैं और इसलिए उनकी चमड़ी का रंग काला है तो उनको हराना चाहिए।
मैं बहुत गुस्से में हूं: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने रैली में कहा कि मैं बहुत गुस्से में हूं। उन्होंने कहा कि मुझे कोई गाली दे, गुस्सा नहीं आता है। मैं सहन कर लेता हूं लेकिन आज शहजादे के फिलॉस्फर ने इतनी बड़ी गाली दी है, जिसने मुझमें गुस्सा भर दिया है। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या हमारे देश में चमड़ी के रंग के आधार पर लोगों की योग्यता तय होगी? उन्होंने कहा कि संविधान के सिर पर नाचने वाले लोग चमड़ी के रंग के आधार पर देशवासियों का अपमान कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि शहजादे आपको जवाब देना पड़ेगा। चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान देश सहन नहीं करेगा और मोदी बिल्कुल नहीं करेगा।
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सैम पित्रोदा बार-बार क्यों कांग्रेस की कर रहे हैं मिट्टी पलीद, चुनाव के बीच ऐसे बयान का क्या मतलब?
लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की नस्ली टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। यह पहली बार नहीं है जब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन के बयान ने पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी की है। हालांकि, पार्टी ने सैम पित्रोदा के बयान से किनारा कर विवाद से बचने की कोशिश की है।
पहली बार नहीं
सैम जाने अनजाने कांग्रेस के लिए अपने बयानों से आत्मघाती गोल कर दे रहे हैं। अभी विरासत कर का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ था कि अब सैम पित्रोदा ने देश में पूर्वोत्तर के लोगों की तुलना चीन से कर दी। बयान पर हंगामा मचने के बाद आखिरकार उन्होंने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे कांग्रेस आलाकमान ने स्वीकार भी कर लिया है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब सैम ने इस तरह का विवादित बयान दिया है। इस नस्ली टिप्पणी से पहले सैम पित्रोदा विरासत कर, राम मंदिर निर्माण के अलावा 2019 के चुनावों में सिखों के नरसंहार की घटना पर भी विवादित बयान दे चुके हैं। आइए नजर डालते हैं सैम ने कब-कब पार्टी के लिए अपने बयानों से परेशानी खड़ी की है।
विरासत कर का किया था समर्थन
सैम पित्रोदा ने पिछले महीने विरासत कर का जिक्र करते हुए उसका समर्थन किया था। पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका में 55 प्रतिशत विरासत टैक्स लगता है। सरकार 55 प्रतिशत हिस्सा ले लेती है। उन्होंने कहा था कि संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद 45 प्रतिशत संपत्ति उसके बच्चों को और 55 प्रतिशत पर सरकार का अधिकार होता है। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा कानून नहीं है। ऐसे मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। इस बयान को लेकर भाजपा ने फिर से कांग्रेस को निशाने पर लिया था। कांग्रेस का कहना था कि सरकार लोगों की संपत्ति लेकर उसे अल्पसंख्यकों में बांटना चाहती है। बयान पर विवाद बढ़ा तो कांग्रेस ने इस बयान से भी किनारा कर लिया था। पित्रोदा के विरासत कर यानी संपत्ति के बंटवारे वाले विवाद पर जयराम रमेश की सफाई आई थी। जयराम रमेश ने साफ कहा था कि पित्रोदा के विचार हमेशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विचार को नहीं दर्शाते हैं। कई बार उनके जो विचार होते हैं वह कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं होते हैं।
मंदिरों से नौकरियां नहीं पैदा होंगी
सैम पित्रोदा ने पिछले साल राम मंदिर को लेकर भी बयान दिया था। सैम के इस बयान पर भी विवाद हुआ था। सैम पित्रोदा ने कहा था कि बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दे को छोड़कर धार्मिक मामलों को तरजीह दी जा रही है। उन्होंने कहा था कि मुझे किसी भी धर्म से कोई परेशानी नहीं है। कभी-कभार मंदिर जाना ठीक है लेकिन आप उसे मुख्य मंच नहीं बना सकते हैं। पित्रोदा ने कहा था कि मंदिरों से नौकरियां पैदा नहीं होंगी। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि पिछले नौ वर्षों में हमारे समाज का ध्रुवीकरण हुआ है। धर्म पर ध्यान केंद्रित कर ध्रुवीकरण किया गया है। एक तरफ हिंदू हैं और दूसरी तरफ बाकी सब। पित्रोदा ने आरोप लगाया कि आज जिन लोगों को पूजा जा रहा है, वे भ्रष्ट, तानाशाही और दुराचारी प्रवृत्ति के हैं। बीजेपी ने इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस की आलोचना की थी।
सिख दंगे: हुआ तो हुआ… पर मचा था बवाल
सैम पित्रोदा ने साल 2019 में सिख दंगों को लेकर बयान दिया था। पित्रोदा से जब 1984 के सिख दंगों को लेकर सवाल पूछा गया था। सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने कहा था कि हुआ तो हुआ। पित्रोदा के इस बयान पर काफी बवाल मचा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बयान को लेकर कांग्रेस की आलोचना की थी। मध्य प्रदेश में एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि भाइयो एवं बहनो, कांग्रेस वालों की क्या सचाई है ये भी जान लीजिये। 1984 में सिखों के साथ अत्याचार हुआ, कत्लेआम हुआ। ये कहते हैं-‘हुआ तो हुआ’। लोग मरे तो मरे, इनको कोई लेना देना नहीं। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के बारे में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी के खिलाफ उनका पूतला भी फूंका था। कथित तौर पर विवादित बयाद देने के स्पष्टीकरण के साथ ही और सिख समुदाय से तत्काल बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा था। हालांकि, कांग्रेस ने बीजेपी पर पित्रोदा के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया था।
मिडिल क्लास को स्वार्थी नहीं होना चाहिए
साल 2019 में ही सैम पित्रोदा ने देश में मध्यम वर्ग को स्वार्थी करार दिया था। एक टीवी इंटरव्यू के दौरान सैम कांग्रेस की न्याय योजना के संदर्भ में अपनी बात रख रहे थे। सैम का कहना था कि देश में अगर न्यूनतम आय योजना लागू की जाती है तो इससे थोड़ा टैक्स बढ़ जाएगा। ऐसे में मिडिल क्लास को स्वार्थी नहीं होना चाहिए और उन्हें बड़ा दिल दिखाना चाहिए। न्याय योजना में गरीबों के लिए निश्चित राशि देने की बात कही गई थी। सैम की इस टिप्पणी को लेकर पीएम मोदी ने सीधे-सीधे कांग्रेस को निशाना बनाया था। जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। पित्रोदा की टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए प्रतिक्रिया दी। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा था कि मिडिल क्लास पर टैक्स में कोई वृद्धि नहीं होगी। राहुल गांधी ने भी स्पष्ट किया था कि न्याय योजना लोगों के टैक्स से नहीं आएगी।
संविधान में नेहरू का अधिक योगदान
जनवरी 2024 में पित्रोदा ने संविधान में बीआर अंबेडकर से अधिक नेहरू के योगदान की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू ने संविधान के निर्माण में बीआर अंबेडकर से ज्यादा योगदान दिया था। इसके बाद बीजेपी ने कांग्रेस को ‘दलित विरोधी’ पार्टी कहा था। पित्रोदा ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व करीबी सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी का एक लेख साझा किया था। इस लेख में दावा किया गया था कि भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संविधान के निर्माण में बीआर अंबेडकर से अधिक योगदान दिया था।