सही नीतियों से बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था, बड़ी जनसंख्या से नहीं जैसा कहते हैं पी चिदंबरम

Sanjeev Sanyal On India Growth Story Said India Is Growing Faster Because It Is Poor Is Utter Rubbish
क्‍या सिर्फ बड़ी आबादी भारत की ग्रोथ की वजह? दिग्‍गज अर्थशास्‍त्री संजीव सान्‍याल ने धो डाला
अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने एक पॉडकास्ट में कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का कारण सही नीतियां हैं, न कि केवल बड़ी आबादी और गरीबी। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में सुधार के बाद से ही वास्तविक विकास शुरू हुआ है। सान्‍याल ने तर्क द‍िया कई देश ऐसे हैं जहां बड़ी आबादी है, लेक‍िन वे गरीब हैं।

जाने-माने अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने हाल ही में एक आम धारणा को कर दिया खारिज
यह कहना बिलकुल गलत है कि भारत सिर्फ बड़ी आबादी की वजह से आगे बढ़ रहा है
उनका तर्क था कि 1960-70 के दशक में भी भारत की आबादी काफी ज्‍यादा थी

sanjeev sanyal on india growth story said india is growing faster because it is poor is utter rubbish
क्‍या सिर्फ बड़ी आबादी भारत की ग्रोथ की वजह? दिग्‍गज अर्थशास्‍त्री संजीव सान्‍याल ने धो डाला

नई दिल्‍ली: जाने-माने अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने हाल ही में एक आम धारणा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह कहना बिलकुल गलत है कि भारत सिर्फ अपनी बड़ी आबादी की वजह से तेजी से आगे बढ़ रहा है। उनका तर्क था कि 1960-70 के दशक में भी भारत की आबादी काफी ज्‍यादा थी। देश उस समय भी गरीब था। लेकिन, तब विकास की गति इतनी तेज नहीं थी।

थिंक स्कूल पॉडकास्ट में उन्होंने कहा, कि’हम 90 के दशक में ही विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़े। क्यों? क्योंकि हमने सही नीतियां अपनानी शुरू कर दी थीं।’ 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला था,उस समय भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। 10 सालों में भारत 3.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ अमेरिका (26.8 ट्रिलियन डॉलर), चीन (19.3 ट्रिलियन डॉलर), जापान (4.4 ट्रिलियन डॉलर) और जर्मनी (4.3 ट्रिलियन डॉलर) के बाद पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। पीएम मोदी ने कई बार कहा है कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

हालांकि, कांग्रेस का तर्क है कि ऐसा होना तो तय था,चाहे प्रधानमंत्री कोई भी हो। इस साल अप्रैल में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा था कि भारत अपनी विशाल जनसंख्या से यह उपलब्धि हासिल कर ही लेगा। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, कि’नरेंद्र मोदी अतिशयोक्ति कुशल हैं। वह एक साधारण गणितीय निश्चितता को गारंटी में बदल रहे हैं। यह तो होना ही था कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा।’

सिर्फ आबादी से ही विकास नहीं हो जाता
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सान्याल ने इस तर्क को निरस्त करते हुए कहा कि सिर्फ जनसंख्या से ही विकास नहीं हो जाता। उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में कहा कि दुनिया में कई गरीब देश हैं लेकिन वे आगे नहीं बढ़ रहे हैं। सही नीतियां अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ जनसंख्या से कुछ नहीं होता। सिर्फ गरीब होने और इसलिए तेजी से आगे बढ़ने की आशा करना, सही नहीं है।

उन्होंने कहा, कि ‘भारत के अपने इतिहास को भूल जाइए जब हम बहुत गरीब थे। दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो हमसे भी ज्‍यादा गरीब हैं। जैसे की अफ्रीका के कई देश। पाकिस्तान है,अफगानिस्तान है। वे हमसे तेजी से आगे क्यों नहीं बढ़ रहे हैं? इसलिए यह कहना कि हम गरीब हैं इसलिए तेजी से बढ़ रहे हैं, बिलकुल बकवास है। हम पहले और भी गरीब थे और तब हम आगे नहीं बढ़े थे।’

चक्रवृद्धि की ताकत की द‍िलाई याद
अर्थशास्त्री ने आगे बताया कि कैसे पिछले 10 वर्षों में भारत 10वीं से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना। उन्होंने कहा कि यह चक्रवृद्धि शक्ति के कारण हुआ। जब हमने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण शुरू किया था,तब हमारी अर्थव्यवस्था केवल 270 बिलियन डॉलर की थी। हम इतने छोटे थे। फिर हमें 2007-08 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में 16-17 साल लग गए। वहां से हमें 2014-15 में 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सात साल लग गए। अब वहां से यह तेज होना चाहिए था। लेकिन फिर हमें लगभग सात साल और लग गए। आंशिक रूप से कोविड के कारण 2021-22 में 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में। इस साल हम 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब होंगे। तो तीन साल से भी कम समय में एक और ट्रिलियन डॉलर जुड़ रहे हैं। लोग चक्रवृद्धि की शक्ति भूल जाते हैं।

चीन की अर्थव्‍यवस्‍था का क‍िया ज‍िक्र
सान्याल ने कहा कि हर कोई चीन की बात करता है। उसकी अर्थव्यवस्था अब 19 ट्रिलियन डॉलर की है। याद रखें कि वे भी चक्रवृद्धि माध्यम से यहां तक पहुंचे हैं। लोग स्कूलों में चक्रवृद्धि ब्याज दरों के बारे में सीखते हैं,लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि यह कितना शक्तिशाली होता है। शुरुआत में यह ज्‍यादा फर्क नहीं डालता है और फिर कुछ साल बाद यह अचानक से बढ़ जाता है। तो यह महत्वपूर्ण बात है। हम चक्रवृद्धि की इसी शक्ति का लाभ उठा रहे हैं।

हालांकि,अर्थशास्त्री ने यह भी कहा कि यह संख्या वास्तविक संख्या नहीं बल्कि नाममात्र की संख्या है। हमारी अर्थव्यवस्था पिछले साल 8.2% की दर से बढ़ी। यह नाममात्र डॉलर कीमतों में दहाई अंक में बढ़ रही है। इस साल फिर से वास्तविक रूप से 7% और संभवतः नाममात्र डॉलर कीमतों में 10% से अधिक बढ़ेगी। यह 10 प्रतिशत की चक्रवृद्धि बहुत ज्‍यादा शक्तिशाली है। इसलिए अब हम 4 ट्रिलियन डॉलर पर हैं। हमें 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में बस दो साल से थोड़ा ज्‍यादा समय लगेगा। इस रास्ते में हम जापान से आगे निकल जाएंगे,जो हमें इस साल या अगले साल की शुरुआत में ही कर लेना चाहिए। फिर वहां से दो साल बाद जर्मनी को पार करके दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। यह मूल रूप से चक्रवृद्धि की प्रक्रिया है।

आय का स्‍तर व‍िकस‍ित देशों की तुलना में कम
जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ रहा है, सान्याल मानते हैं कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश अपेक्षाकृत गरीब बना हुआ है। आय का स्तर विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। अब निश्चित रूप से लोग कहेंगे कि जब हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे, तब भी हम प्रति व्यक्ति आय के मामले में गरीब होंगे। इसमें कोई शक नहीं है। हम अब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। फिर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे।

सान्‍याल ने कहा कि हम एक गरीब अर्थव्यवस्था हैं लेकिन उतनी गरीब नहीं जितनी हम पहले हुआ करते थे। 1991 में हमारे पास प्रति व्यक्ति मुश्किल से $330 या कुछ ज्यादा हुआ करता था। तो वहां से हम 10 गुना से थोड़ा ही कम बढ़े हैं। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम पहले की तुलना में बहुत कम गरीब हैं।

अर्थशास्त्री सान्याल ने कहा कि उस तरह की भयानक गरीबी अब बहुत कम क्षेत्रों और समाज के बहुत छोटे हिस्से तक सीमित है। लेकिन हां, हम अभी भी बहुत गरीब हैं। इसका उपाय यह है कि इस चक्रवृद्धि प्रक्रिया को जारी रखा जाए। हर कोई चक्रवृद्धि के माध्यम से यहां तक पहुंचा है। हम कोई अपवाद नहीं बन रहे हैं। चीन इससे गुजरा है। पश्चिम इस चक्रवृद्धि प्रक्रिया से गुजरा है। आप इस बारे में कैसे भी सोचें, यह चक्रवृद्धि के बारे में है और अब हम एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुके हैं जहां यह चक्रवृद्धि वास्तव में अर्थपूर्ण हो गई है।

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