जरूरत कांग्रेस को जोड़ने की है,भारत जोड़ने की नहीं
संपादकीय : भारत जोड़ने की जरूरत क्यों पड़ गई? अपनी राजनीतिक लड़ाई को भारत का नाम भुनाना बंद कीजिए
विदेशी भूमि पर भारत को एक राष्ट्र की बजाय राज्यों का संघ बताने वाले राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के रूप में एक राष्ट्रव्यापी यात्रा निकाल रही है
हाइलाइट्स
1-पार्टी की मजबूती के लिए कांग्रेस निकाल रही भारत जोड़ो यात्रा
2-घटते जनाधार और 2024 के लिए कांग्रेस खेल रही है बड़ा दांव
3-यात्रा के दौरान केंद्र सरकार के साथ मोदी होंगे निशाने पर
क्या देश वास्तव में टूट रहा है। स्थितियां ऐसी बन गई हैं कि भारत को जोड़ने की जरूरत है। देश को मौजूदा परिस्थितियों में सचमुच भारत जोड़ो यात्रा की जरूरत है जिसकी बात कांग्रेस कर रही है। देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंच गई है। रक्षा क्षेत्र में हम पहले अधिक आत्मनिर्भर हो रहे हैं। आतंरिक सुरक्षा की स्थिति यह है कि लगभग एक दशक के दौरान कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है। नक्सली घटनाओं में कमी आई है। फिर देश को भारत जोड़ो यात्रा की क्या जरूरत पड़ गई है। राहुल गांधी आप देश की सबसे पुराने दल के बड़े नेता हैं। चूंकि अभी विपक्ष में हैं तो सत्ताधारी दल की जन विरोधी नीतियों का विरोध करना उनका कर्त्तव्य भी है और जनता के हितों के लिए लड़ाई लड़ना दायित्व भी है। वें प्रधानमंत्री पर, भाजपा पर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर देश में नफरत फैलाने का आरोप लगा सकते हैं। देश में नफरत और क्रोध के वातावरण बताते हुए चीन, पाकिस्तान का डर दिखा सकते हैं। टूट उनकी पार्टी में हो रही। जनाधार उनकी पार्टी का खो चुका है। देश की जनता से सीधा संवाद करना उनकी राजनीति और उनकी पार्टी की जरूरत है। ऐसे में भारत कहां टूट रहा है कि उसको जोड़ने की जरूरत पड़ गई है? वे अपनी राजनीतिक लड़ाई को देश टूटने से क्यों जोड़ रहे हैं? राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा’ इसलिए निकाली जा रही है, क्योंकि मीडिया हमारे साथ नहीं है। अन्य संस्थान सरकार के दबाव में हैं। इसलिए विपक्ष के पास सीधे लोगों के पास जाने और उन्हें सरकार के बारे में सच्चाई बताने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। ये बातें अपनी जगह हैं लेकिन इसमें देश टूटने जैसी बात कहां हैं।
दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
देश ने हाल ही में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गौरव हासिल किया है। पिछले साल हम छठे स्थान पर थे। भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार इस साल पहली तिमाही में विकास दर 13.5% रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF) कहना है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से बहुत पीछे नहीं है। देश मौजूदा विकास दर पर भारत 2027 में जर्मनी और 2029 में जापान से आगे निकलकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 10वें स्थान पर थी। ये भारत टूटने की स्थिति में हो रहा।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ कदम
भारत ने पिछले कुछ साल में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ाया है। भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 में रक्षा मंत्रालय ने देशी कंपनियों से 64 प्रतिशत खरीद का लक्ष्य तय किया था। मंत्रालय ने इस लक्ष्य को न सिर्फ पूरा किया है बल्कि उससे ज्यादा खरीद की। वित्त वर्ष 2022 के दौरान भारतीय रक्षा निर्यात का कुल मूल्य 12,815 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह वित्त वर्ष 2021 में 8,435 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 9,116 करोड़ रुपये था। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक वित्त वर्ष की समाप्ति पर कुल बजट के 65.50 प्रतिशत खरीद भारतीय उद्योगों से हुई। रक्षा क्षेत्र की भारतीय कंपनियां स्वदेशी जरूरतें तो पूरी करने की कोशिश कर ही रही हैं, साथ ही दूसरे देशों में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। इसे तो भारत का टूटना तो नहीं ही कहेंगे।
आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर मजबूती
पिछले आठ साल में देश में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है। नक्सलवाद से लेकर कश्मीर में आतंकवाद पर चीजों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पिछले एक दशक में नक्सली हमलों में लगातार कमी आई है। पूर्वोत्तर में नशीले पदार्थों की तस्करी हो या फिर हथियारबंद समूहों की सक्रियता, इन मुद्दों पर भी नकेल कसी गई है। सीमाओं पर निगरानी में सुधार के साथ ही नकली नोट के खिलाफ अभियान लगातार चल रहा है। इस साल केंद्रीय बजट में गृह मंत्रालय को 1.85 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए। यह रकम पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 20,000 करोड़ रुपये या लगभग 11.5 प्रतिशत अधिक है। सीआरपीएफ, बीएसएफ जैसे पुलिस संगठन और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए ये रकम खर्च की जा रही है।
केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता तो दिखती है
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि देश में इस समय सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां अधिक सक्रिय हुई है। यह भी सच है कि इन जांच एजेंसियों के निशाने पर अधिकतर विपक्ष के ही नेता है। इस बात के लिए कांग्रेस सरकार को निशाना बना सकती हैं। उनकी आलोचना कर सकते हैं। इन सबके बावजूद देश टूटने जैसी बात तो नहीं नजर आती। स्थिति तो ऐसी बिल्कुल नहीं है कि आपको भारत बचाओ यात्रा निकालने की जरूरत पड़ जाए।
इसे भारत जोड़ो कैसे कहेंगे?
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करे। बड़े पैमाने पर मोदी सरकार को घेरने के लिए एकजुट हो। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर यात्रा निकाले। कांग्रेस 12 राज्यों से गुजर सकते हैं, 3,500 किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। इस यात्रा से मोदी सरकार, प्रधानमंत्री , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साध सकते हैं। भाजपा की आलोचना भी कर सकते हैं। सिविल सोसायटी के लोगों का साथ लीजिए। इन सबके बावजूद भारत जोड़ने की जरूरत तो कहीं से भी नजर नहीं आ रही है। यह यात्रा पूरी तरह से कांग्रेस के पुनर्जिवित करने की कवायद है। इसे भारत जोड़ो यात्रा का नाम तो मत दीजिए। बेहतर हो कि आप अपनी राजनीतिक लड़ाई के लिए देश का नाम भुनाना बंद करें।
What Is Wrong In India So Congress Bharat Jodo Yatra Is Needed Rahul Gandhi Must Answer About It