चौपट: मोदी विरोध में कांग्रेस जा खड़ी हुई मालदीव के साथ!!
संपादकीय:मोदी विरोध में डूबी कांग्रेस ने समर्थन कर डाला ‘इंडिया आउट’ का नारा देने वाली मालदीव सरकार का !
मालदीव के मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री और भारतीयों को लेकर जो टिप्पणियां की हैं उसके बाद कांग्रेस का रवैया समझ से परे लग रहा है. हर बात में मोदी का विरोध करते- करते भारत विरोध करने के अभ्यस्त हो चुके कांग्रेस नेताओं की गलतियों का सिलसिला रुक क्यों नहीं रहा है?
मालदीव के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे क्यों कर बैठे प्रधानमंत्री मोदी को टार्गेट
नई दिल्ली,09 जनवरी 2024। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौर से उठे तूफान ने मालदीव की राजनीति में भूचाल ला दिया है.चीन के इशारे पर चलने वाले राष्ट्रपति मोइज्जू के लिए इसे झेल पाना कठिन हो रहा है.ऐसे में कांग्रेस ने मालदीव नेतृत्व के समर्थन और मोदी के विरोधी बयान देकर सब चौपट कर दिया.लक्षद्वीप दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी और भारत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले तीन मंत्रियों को राष्ट्रपति मोहम्मद माइज्जू को हटाना पड़ा.ये वही मोइज्जू हैं,जिन्होंने चुनाव ही भारत विरोधी एजेंडे और ‘इंडिया आउट’ के नारे से जीता था.अब मालदीव की घरेलू राजनीति में मोइज्जू घिर गए हैं. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है.यहां तक सब ठीक चल रहा था.चीनी इशारे पर चल रहे मोइज्जू को भारत ने ठीक से सबक सिखा दिया था.लेकिन,अचानक कांग्रेस पार्टी ने अपना मुंह खोल दिया.पिछले चार दिनों से चल रही भारत की कूटनीति एक तरह से भारत-विरोधी मोइज्जू के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की तरह काम कर रही थी कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कह दिया कि सारी गलती मोदी की है.मोदी की आदत है कि वे हर बात पर्सनली ले लेते हैं.हर बात में मोदी विरोध करते -करते भारत विरोध के अभ्यस्त कांग्रेस नेताओं की गलतियों का सिलसिला रुक नहीं रहा ।
आखिर मालदीव पर मोदी विरोध करके क्या प्राप्त कर लेगी कांग्रेस?
कांग्रेस लगातार मोदी की विदेश नीति का विरोध करती रही है.कांग्रेस का कहना रहा है कि भारतीय नीतियों से बारी-बारी सारे पड़ोसी आज भारत से दूर हो रहे हैं. अब मालदीव से भारत के दूर होने पर कांग्रेस को अपनी बात पर मुहर लगाने को जैसे एक उदाहरण मिल गया हो. यही कारण है कि कांग्रेस इस मौके को गंवाना नहीं चाहती. कांग्रेस समर्थक सभी ट्वीटर हैंडल लगातार यही टार्गेट कर रहे हैं कि मोदी राज में नेपाल और श्रीलंका जैसे देश भारत को आंख दिखाने लगे थे अब मालदीव ने भी भारत से किनारा कर लिया. कांग्रेस नेता तो इस तरह बयान दे रहे थे पर कांग्रेस इस आधिकारिक स्टैंड पर आ जाएगी ये किसी ने नहीं सोचा था. फिलहाल जैसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मालदीव मुद्दे को नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस इस मुद्दे को सामान्य जन के बीच भी ले जायेगी. कांग्रेस मालदीव के बहाने यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि मोदी सरकार पड़ोसियों तक से ठीक ढंग से व्यवहार नहीं कर रही है.कांग्रेस इस तरह जनअदालत में मोदी सरकार की विदेश नीति कठघरे में लाना चाहती है.
मालदीव के मंत्रियों की भारत विरोधी टिप्पणी नजरअंदाज क्यों कर गए खरगे?
लक्षद्वीप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो शूट के बाद घरेलू टूरिज्म को बढ़ावा देने वाले बयान से आखिर किसी दूसरे देश के नेताओं को मिर्ची क्यों लगी? आखिर भारतीय प्रधानमंत्री ने मालदीव या किसी भी देश का नाम नहीं लिया. हर देश को अधिकार है कि वह अपने क्षेत्राधिकार वाली जगह अपने हिसाब से विकसित करे. मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू ने तो इंडिया आउट का नारा खुलेआम लगाया. तब भी भारत ने आपत्ति नहीं की.न ही कभी कांग्रेस पार्टी ने यह आपत्ति जताई कि इंडिया आउट के कैंपेन पर भारत अपना विरोध दर्शाये. उसके बाद जब मालदीव सरकार के मंत्री भारत के प्रधानमंत्री और भारतीयों के बारे में अनर्गल लिखने लगे तो भी कांग्रेस को अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ में आई. मालदीव का एक मंत्री अगर भारतीय प्रधानमंत्री और भारतीयों को गंदा और बदबूदार कहने का साहस करता है तो उसे सबक सिखाने के बजाय अपनी ही सरकार पर दोषारोपण को क्या कहा जाएगा? क्या इसमें भी कांग्रेस को वोटबैंक नजर आ रहा है?कांग्रेस अगर इस तरह मालदीव का समर्थन करती नजर आएगी तो निश्चित है कि भाजपा इसे मुस्लिम तुष्टिकरण से जोड़कर प्रचारित-प्रसारित करेगी. चूंकि मालदीव की जनसंख्या मुस्लिमबहुल है इसलिए कांग्रेस को अतिरिक्त सावधानी बरतनी थी।
जब मालदीव में ही मोइज्जू का विरोध हो रहा है तो कांग्रेस समर्थन में क्यों आई?
एक तरफ मालदीव में मोइज्जू भारत विरोध करके अपने देश में ही फंस चुके हैं. उन पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है. उनकी सरकार भी जा सकती है.पर भारत में उल्टा हो रहा है. भारत में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी ही अपने देश की सरकार को इस विवाद का उत्तरदायी ठहरा रही है. कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष खरगे कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई भी बात पर्सनल ले लेते हैं.
मालदीव में पूरा विपक्ष आज भारत के साथ खड़ा नजर आ रहा है. राजनीतिक दल ही नहीं , टूरिज्म इंडस्ट्री के लोग भी भारत की तरफदारी कर रहे हैं और अपने राष्ट्रपति का विरोध कर रहे हैं. मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां मालदीव सरकार की ‘अदूरदर्शिता’ दिखाती हैं. मारिया ने कहा कि भारत मालदीव के लिए ‘911 कॉल’ है जिसे किसी भी मुसीबत के समय मालदीव डायल करता है. पूर्व मंत्री ने कहा कि भारत एक विश्वसनीय सहयोगी रहा है जिसने मालदीव को रक्षा समेत कई क्षेत्रों में मदद की है. उन्होंने लंबे समय से चले रहे आ रहे रिश्ते कमजोर करने की कोशिश की निंदा की.
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भी मंत्री मरियम शिउना की टिप्पणी की निंदा करते हुए देश की सुरक्षा और समृद्धि को भारत को एक प्रमुख सहयोगी बताया है. मोहम्मद नशीद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट की, ‘ मालदीव सरकार की अधिकारी मरियम शिउना ने एक प्रमुख सहयोगी के नेता को लेकर कितनी भयावह भाषा बोली है, जो मालदीव की सुरक्षा और समृद्धि को महत्वपूर्ण है.’
मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने भी अपनी मंत्री की टिप्पणी से खुद को अलग करते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगें।
संसदीय अल्पसंख्यक नेता अली अजीम ने मालदीव के नेताओं से मुइज्जू को कुर्सी से बेदखल करने में मदद करने की गुजारिश की है. अली अजीम ने कहा है कि हमारी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) मालदीव की विदेश नीति में स्थिरता बनाए रखने को प्रतिबद्ध है. हम किसी भी पड़ोसी देश को विदेश नीति से अलग-थलग नहीं करने देंगे. उन्होंने अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं से पूछा है कि क्या वे राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को तैयार हैं.
मालदीव में विरोध का लेवल इतना बड़ा हो गया है फिर भी कांग्रेस अगर अपने मोदी विरोध की नीति पर आंख बंद करके चलती है तो यह निश्चित है कि पार्टी में दूरदर्शी नेताओं का अभाव हो गया है. और यह विरोध उसे भविष्य में भारी पड़ेगा.
चीन समर्थक मोइज्जू का समर्थन कहीं कांग्रेस को भारी न पड़ जाए?
दरअसल मोहम्मद मोइज्जू चीन के इशारे पर काम करते हैं. चीन भारत को घेरने को श्रीलंका से लेकर ,नेपाल, बांग्लादेश ,भूटान,मालदीव,पाकिस्तान में अपनी कठपुतली सरकार चाहता है. नेपाल में उसकी कोशिश सफल नहीं हुई. श्रीलंका चीन के कर्ज के चलते चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा तो है पर वहां की जनता चीनी चाल समझ चुकी इसलिए वहां की सरकार भारत के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से हिचकिचाती है. चीन के झांसे में फंसा श्रीलंका जब आर्थिक रूप से दिवालिया हुआ तब उसे भी भारत का महत्व समझ आया. पाकिस्तान में चीन ने बहुत पैसा लगाया है पर वहां भी चीन विरोधी आंदोलन चल रहे हैं. कई चीनी जन आक्रोश का शिकार हो चुके हैं. मालदीव में भी ऐसा ही होने वाला है. मालदीव का सामान्य जन समझ चुका और बहुत जल्दी ही मोइज्जू का खेल खत्म होने वाला है.
जब इन देशों के लोग चीन की चाल को समझ चुके हैं तो भारत के लोग क्यों नहीं समझेंगें. कांग्रेस पार्टी का मालदीव को दिया गया समर्थन सामान्य भारतीय चीन का ही समर्थन समझेंगे. और ये सही भी है. ये कौन नहीं जानता कि चीन मालदीव में अपना बेस बनाना चाहता है ताकि हिंद महासागर पर भारत के एकाधिकार को तोड़ सके.यही कारण है कि चीन ने बहुत पैसे खर्च कर श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह अपने कब्जे में लिया. मालदीव का समर्थन करके कांग्रेस ने आ बैल मार वाली हरकत की है. जनता तक यह विषय जाएगा तो कांग्रेस भद ही पिटने वाली है.