यूकेएसएसएससी की आठ प्रतियोगी परीक्षायें रोकी, तीन लाख+ को झटका, गिरफ्तारियां हुई 14

 

UTTARAKHAND STF ARRESTED TUSHAR CHAUHAN FROM JASPUR IN UKSSSC PAPER LEAK CASE
UKSSSC Paper Leak मामले में तुषार चौहान चढ़ा STF के हत्थे, अब तक 14 गिरफ्तारियां

UKSSSC पेपर लीक मामले में जसपुर से तुषार चौहान की गिरफ्तारी हुई है. तुषार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. एसटीएफ इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है.

देहरादून: UKSSSC पेपर लीक मामले में एसटीएफ की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. इसी कड़ी में एसटीएफ ने एक और अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. एसटीएफ ने सबूतों के आधार पर जसपुर निवासी तुषार चौहान को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया. जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. UKSSSC पेपर लीक मामले अब तक 14 की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं.

पेपर लीक के अधिकांश तार कुमाऊं के जनपदों से जुड़े

UKSSSC पेपर लीक मामले के तार लगातार कुमाऊं क्षेत्र से जुड़ रहे हैं. दो न्यायिक कर्मियों की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह के सबूत मिले हैं, उसके आधार पर कुमाऊं के सितारगंज, जसपुर, रामनगर नैनीताल से गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है.

UKSSSC Paper Leak मामले में जसपुर से तुषार चौहान गिरफ्तार

आज आयोग के तत्कालीन एग्जाम कंट्रोलर नारायण सिंह से भी एक बार फिर एसटीएफ परीक्षा प्रक्रिया से संबंधित मामलों में गहनता से पूछताछ करेगी. एसटीएफ को इस बात का अंदेशा है कि पेपर आयोजित करने की पूरी प्रक्रिया में या तो घोर लापरवाही हुई है या फिर यह एक सोची समझी साजिश है. ऐसे में एसटीएफ रिटायर्ड एग्जामनर नारायण सिंह से पूछताछ कर अहम जानकारी जुटाने का प्रयास करेगी.

 

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्नातक स्तर के पेपर लीक मामले में आयोग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. पेपर प्रिंटिंग और पैकिंग के दौरान की सीसीटीवी फुटेज आयोग के पास नहीं हैं. यह जानकारी परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी से एसटीएफ को पूछताछ में मिली है. वहीं प्रिंटिंग प्रेस की ओर से फुटेज आयोग को देने की बात कही जा रही है. ऐसे में एसटीएफ जल्द ही आयोग के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को पूछताछ को बुला सकती है.

पंचायत सदस्यों के नाम भी आए सामने

UKSSSC पेपर लीक मामले में कुछ पंचायत सदस्यों के नाम भी संदेह के घेरे में हैं. बताया जा रहा है कि संदिग्धों में से कुछ और देश के बाहर भी चले गए हैं. हालांकि, इस मामले में एसटीएफ ने साफ किया है कि जब तक किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलता है, उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. जानकारी के अनुसार, पेपर लीक केस में एक जिला पंचायत सदस्य के खिलाफ 2020 में में मुकदमा दर्ज हुआ था.

UTTARAKHAND SUBORDINATE SERVICES SELECTION COMMISSION HAS BANNED 8 RECRUITMENT EXAMINATIONS

UKSSSC ने 8 भर्ती परीक्षाओं पर लगाई रोक, 3 लाख से ज्यादा युवाओं की उम्मीदों को लगा झटका

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 8 भर्ती परीक्षाओं पर रोक लगाई है. स्नातक स्तरीय भर्ती में पेपर लीक प्रकरण के बाद आयोग ने यह कदम उठाया है. दूसरी तरफ उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पिछले 8 महीनों से परीक्षा नियंत्रक यानी एग्जाम कंट्रोलर का पद खाली है. जिसके चलते यह फैसला लिया गया है.

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) ने 8 भर्ती परीक्षाओं पर रोक लगा दी है. स्नातक स्तरीय भर्ती में पेपर लीक प्रकरण (UKSSSC PAPER LEAK) के बाद आयोग ने यह कदम उठाया है. इस एक कदम से तैयारी करने वाले हजारों युवाओं को झटका लगा है, अब उन्हें और इंतजार करना होगा. बताया जा रहा है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पिछले 8 महीनों से परीक्षा नियंत्रक यानी एग्जाम कंट्रोलर का पद खाली है. जिसके चलते यह फैसला लिया गया है.

हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक के मामले के बाद आयोग के अध्यक्ष ने आयोग में रेगुलर एग्जाम कंट्रोलर ना होने पर सख्त रुख अपनाया और अपने रिजाइन से पहले सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया कि आयोग में बिना रेगुलर एग्जाम कंट्रोलर के परीक्षाएं नहीं करवाई जाएंगी. वहीं, आयोग के अध्यक्ष राजू के इस कार्रवाई के बाद आयोग में प्रक्रिया में चल रही तकरीबन आठ भर्तियां अलग-अलग स्तर पर स्थगित हो गई हैं और अब आयोग में नियमित परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति के बाद ही इन प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जाएगा. आयोग सचिव संतोष बडोनी का कहना है कि परीक्षा नियंत्रक का पद बेहद महत्वपूर्ण है और यह पूरी तरह से स्वतंत्र होना जरूरी है, जिसके लिए लगातार शासन से मांग की जा रही है.

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में आखिरी परीक्षा नियंत्रक एनएस डांगी थे और उनका कार्यकाल 31 जनवरी 2022 को पूरा हो गया था. अब तक आयोग में एक रेगुलर एग्जाम कंट्रोलर की नियुक्ति नहीं हो पाई है. इस दौरान आयोग ने 4 भर्तियां करवाई है लेकिन हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में पेपर लीक के मामले के बाद आयोग अध्यक्ष ने आयोग में रेगुलर एग्जाम कंट्रोलर ना होने पर सख्त रुख अपनाया और अपने रिजाइन से पहले सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराया कि आयोग में बिना रेगुलर एग्जाम कंट्रोलर के परीक्षाएं नहीं करवाई जाएंगी.

जनवरी 31 को नारायण सिंह डांगी के जाने के बाद अब तक आयोग में नियमित एग्जाम कंट्रोलर नियुक्त नहीं किया गया है. उम्मीद है कि आयोग के बिना एग्जाम कंट्रोलर परीक्षा ना करवाने के फैसले के बाद उत्तराखंड शासन इस पर कुछ संज्ञान लेते हुए एग्जाम कंट्रोलर की नियुक्ति को लेकर कोई मजबूत फैसला लेगा.

जानकारी के अनुसार, पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से पहले एस राजू ने शासन को भर्तियां रोकने का पत्र भेजा. पत्र में उन्होंने कहा कि, इन भर्तियों को कराने के लिए पिछले 8 महीने से परीक्षा नियंत्रक नहीं है. जब तक शासन परीक्षा नियंत्रक तैनात नहीं करता तब तक परीक्षाएं नहीं हो पाएगी. दिसंबर में परीक्षा नियंत्रक नारायण डांगी सेवानिवृत्त होने के बाद कामचलाऊ व्यवस्था के तहत सचिव के पास परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी है. वहीं, कार्मिक विभाग का कहना है कि, परीक्षा नियंत्रक पद पर तैनाती के लिए प्रक्रिया चल रही है.UKSSSC में इन 08 भर्तियों पर लगाई रोकः आयोग (UKSSSC) द्वारा जिन भर्तियों पर रोक लगाई गई है, उनकी आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इनमें कुल 4,200 पदों पर होने वाली 8 भर्तियां हैं. इनमें फॉरेस्ट गार्ड के 894 पद, पटवारी–लेखपाल के 520 पद, पुलिस कांस्टेबल के 1521 पद, पुलिस एसआई के 272 पद, लैब असिस्टेंट भर्ती के 200 पद, सहायक लेखाकार री एग्जाम के 662 पद, उत्तराखंड जी भर्ती के 76 पद और गन्ना पर्यवेक्षक के 100 पद शामिल हैं. इन पदों के लिए युवाओं ने बड़ी संख्या में आवेदन किया है. करीब तीन लाख से ज्यादा युवाओं को इन भर्तियों का इंतजार है.

Now Women Public Representatives Of Uttarkashi On Radar

अब उत्तरकाशी की महिला जनप्रतिनिधि रडार पर, कई प्रधानों, पंचायत सदस्यों को पास कराया

उत्तरकाशी जिले का मोरी क्षेत्र इसका केंद्र बन रहा है। यहां के 80 से अधिक अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में सफलता पाई थी। बताया जा रहा कि इनमें से ज्यादातर को हल किया पेपर दिया गया था।

पेपर लीक मामले में उत्तरकाशी जिला बार-बार चर्चाओं में आ रहा है। गिरोह से महिला जनप्रतिनिधि का नाम जुड़ रहा है। एसटीएफ जल्द ही इस मामले में कार्रवाई कर सकती है। इससे पहले एक अन्य जनप्रतिनिधि का नाम सामने आया था, लेकिन अभी उसका बैंकाक से लौटने की प्रतीक्षा है। इनके अलावा बहुत से नाम ऐसे हैं, जिनके खिलाफ मौखिक साक्ष्य तो मौजूद हैं, मगर कोई ठोस सुबूत न होने से उन तक पहुंचा नहीं जा रहा है।

निगरानी के लिए नहीं थे अधिकारी, आउटसोर्स कंपनी के भरोसे छोड़ दी परीक्षा

उत्तरकाशी जिले का मोरी क्षेत्र के 80 से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में सफल हुए। इनमें से ज्यादातर को हल किया हुआ पेपर दिया गया था। इनमें से कई ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्य भी हैं। इन्होंने गांव की राजनीति छोड़कर नकल के सहारे नौकरी की राह पकड़ने की कोशिश की है।

इसके लिए मदद भी उनकी वहां के कुछ जनप्रतिनिधियों ने ही की है। इसमें अब महिला जनप्रतिनिधि का नाम भी सामने आ रहा है। एसटीएफ के अनुसार, सभी से पूछताछ की जाएगी। जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं उन्हें पूछताछ को बुलाया जा रहा, लेकिन जो नहीं आएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अभी तक इस मामले में बहुत खुलासे हो चुके हैं। कंपनी की प्रिंटिंग प्रेस में प्रिंटिंग और पैकेजिंग के समय का सीसीटीवी फुटेज नहीं मिला है। इसमें मिलीभगत होने की बात भी सामने आ रही है। जल्द ही कुछ और भी गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।

प्रिंटिंग, पैकेजिंग के वक्त के नहीं मिले सीसीटीवी फुटेज

पेपर लीक मामले में अब तक की जांच में लापरवाही ही नहीं, बल्कि अधिकारियों के षड्यंत्र का भी पता चल रहा है। लखनऊ में कंपनी की प्रिंटिंग प्रेस से पेपर की प्रिंटिंग और पैकेजिंग के समय का सीसीटीवी फुटेज भी गायब है। माना जा रहा कि आउटसोर्स कंपनी के अधिकारियों व कर्मचारियों से आयोग के किसी कारिंदे की मिलीभगत भी थी।

अब इसी दिशा में एसटीएफ ने जांच आगे बढ़ाई है। एसटीएफ इसमें जल्द कुछ और गिरफ्तारियां कर सकती है। एसटीएफ ने आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी के कर्मचारी अभिषेक वर्मा को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया था। उसे प्रिंटिंग प्रेस में ले जाकर पूछताछ की गई। वहां पर सभी सेक्शनों में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की गई, लेकिन एसटीएफ को प्रिंटिंग के दौरान और उसके बाद पेपर की पैकेजिंग के वक्त की सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं। इस संबंध में वहां के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई वाजिब जवाब नहीं दिया।

अधिकारियों के मुताबिक, केवल एक अवधि की सीसी टीवी फुटेज न मिलना एक सोचे समझे षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। परीक्षा पारदर्शिता से कराने की जिम्मेदारी परीक्षा नियंत्रक और उनकी टीम की थी। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी था कि वहां पर सीसीटीवी कैमरे हों जहां पर गोपनीय काम किया जा रहा, मगर इस बात का ध्यान नहीं दिया गया या फिर कोई अधिकारी भी इस षड्यंत्र में मिला हुआ है इस बात की जांच की जा रही है।

एक अफसर, कर्मियों से भी होगी पूछताछ

एसटीएफ ने सोमवार को तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक से कई घंटे पूछताछ की थी। शुरुआत में लग रहा था कि केवल आरएमएस कंपनी के कुछ कर्मियों ने अपने निजी लाभ के लिए पेपर लीक कराया, लेकिन अब ताजा साक्ष्यों के आधार पर आयोग के भीतर के लोगों की मिलीभगत के संदेह को बल मिलता दिख रहा। ऐसे में एसटीएफ अब परीक्षा नियंत्रक के साथ-साथ उनकी टीम के कुछ और कर्मचारियों व अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाएगी।

अभिषेक के पास से मिले लैपटॉप व पासबुक

अभिषेक वर्मा की रिमांड खत्म होने के बाद उसे जेल में दाखिल करा दिया गया है। एसटीएफ के अनुसार, उसके पास से एक लैपटॉप व बैंक पासबुक मिली है। इसके अलावा उसने पिछले दिनों जो संपत्तियां खरीदी थीं, उनके दस्तावेज भी कब्जे में लिए गए हैं। वर्मा ने कई और लोगों के बारे में भी एसटीएफ को बताया है। इनकी कड़ी जोड़ते हुए इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है।

UKSSSC: पूछताछ में धीरे-धीरे खुल रहे राज, चार और परीक्षाओं में आ रही धांधली की बात

पेपर लीक मामले में जिस दिन से गिरफ्तारियां शुरू हुई हैं, रोज नई-नई बातें सामने आई हैं। पहले करीब 27 ऐसे अभ्यर्थियों के नाम सामने आए थे, जिन्होंने नकल करके विभिन्न परीक्षाएं पास कीं और नौकरी हासिल की।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएस सी) की परीक्षा में पेपर लीक के आरोप में गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में कई और परीक्षाओं में भी नकल की बात सामने आई है। हालांकि, मामले पुराने होने के चलते पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में कार्रवाई नहीं हो पा रही है। बताया जा रहा है कि हाल में गिरफ्तार किए गए कोर्ट के कर्मचारी भी संदेह के घेरे में हैं।

दरअसल, पेपर लीक मामले में जिस दिन से गिरफ्तारियां शुरू हुई हैं, रोज नई-नई बातें सामने आई हैं। पहले करीब 27 ऐसे अभ्यर्थियों के नाम सामने आए थे, जिन्होंने नकल करके विभिन्न परीक्षाएं पास कीं और नौकरी हासिल की। सूत्रों के अनुसार, अब कोर्ट के कर्मचारियों ने भी एसटीएफ के सामने नकल की बात स्वीकारी है। बताया जा रहा है कि वह खुद परीक्षाओं में नकल से ही पास हुए हैं। यही नहीं, कई कर्मचारियों के पास पर्याप्त अर्हता भी नहीं है।

सूत्रों के अनुसार, यदि जांच हुई तो प्रदेश के कई बड़े दफ्तरों से ऐसे कर्मचारी गायब हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि इन्होंने हरिद्वार के कुछ नकल माफिया के साथ मिलकर चार परीक्षाओं में पेपर लीक कराए थे। ये परीक्षाएं बीते कुछ वर्षों में ही हुई हैं। नकल माफिया में से कुछ पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं। उनके खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाइयां भी की गई हैं। हालांकि, पूछताछ के आधार पर एसटीएफ इन आरोपियों तक पहुंच पाती है या साक्ष्य मिलते हैं या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

सेवानिवृत्त कर्मियों का भी हो सकता है हाथ

बताया जा रहा है कि यदि नकल मफिया पकड़े जाते हैं तो कई बड़े नाम और सामने आएंगे। विभाग के अंदर सेवानिवृत्त कर्मचारी और अधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत की बात सामने आ रही है। हालांकि, अभी तक इनके खिलाफ भी पर्याप्त सुबूत नहीं मिले हैं।

जनप्रतिनिधि बोला- निजी काम से आया बैंकॉक

जिस जनप्रतिनिधि का नाम इस मामले में सामने आ रहा है, उन्होंने शुक्रवार को मीडिया को बयान दिया है। उनका कहना है कि वह विदेश भागकर नहीं आए हैं बल्कि निजी काम के लिए बैंकॉक में हैं। उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। जनप्रतिनिधि ने खुद को फंसाने की बात भी कही।

मनोज जोशी से मिले कई महत्वपूर्ण प्रपत्र

पेपर लीक मामले में रिमांड पर लिए गए मनोज जोशी की निशानदेही से कई दस्तावेज हासिल किए गए हैं। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि मनोज जोशी निवासी मयोली, दनिया, जिला अल्मोड़ा को शुक्रवार को एक दिन की रिमांड पर लिया गया। जोशी आयोग में पीआरडी के जरिये काम कर चुका है। पेपर लीक के वक्त आयोग को तकनीकी सहयोग देने वाली कंपनी से जुड़ा था। पेपर आयोग के अंदर से निकालने वाले जयजीत दास से मनोज जोशी पहले से संपर्क में रहा है। मनोज जोशी से एसटीएफ ने ये तथ्य जुटाए कि पेपर कहां-कहां बेचा गया।

UKSSSC Paper Leak: छह घंटे पहले वायरल हो गए थे टॉयलेट पेपर पर लिखे 63 जवाब, सवालों का मिलान करते ही उड़े होश

स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में आयोग के पास व्हाट्सएप के स्क्रीनशॉट पहुंचे थे।
सवालों का मिलान करते ही उनके होश उड़ गए थे। जानकारी मिली है कि छह घंटे पहले टॉयलेट पेपर पर लिखे 63 जवाब वायरल हो गए थे। फिलहाल पुलिस को दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं।

यूकेएसएसएससी के चेयरमैन एस राजू

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के टॉयलेट पेपर पर लिखे हुए 63 सवालों के जवाब परीक्षा से छह घंटे पहले ही वायरल हो गए थे। व्हाट्सएप का ऐसा ही स्क्रीनशॉट आयोग के पास पहुंचा था, जिसका मिलान करने पर अधिकारियों केे होश उड़ गए थे। उन्होंने तत्काल यह स्क्रीनशॉट पुलिस को उपलब्ध कराया था, जिसकी जांच चल रही है।

चार दिसंबर और पांच दिसंबर को आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा हुई। चार दिसंबर को सुबह दस बजे से पहली पाली की परीक्षा थी। इसी दिन सुबह तीन बजकर 58 मिनट का जवाब लिखे टॉयलेट पेपर का स्क्रीनशॉट परीक्षा के कुछ दिनों बाद आयोग के पास पहुंचा। आयोग अध्यक्ष एस राजू ने इसका संज्ञान लिया और इस पर लिखे गए 63 सवालों के जवाब का मिलान किया। सभी जवाब बिल्कुल सही थे।

यह देखकर आयोग के अधिकारी भी हतप्रभ रह गए। आयोग के निवर्तमान अध्यक्ष एस राजू का कहना है कि टॉयलेट पेपर के तीन स्क्रीनशॉट उन्होंने पुलिस को उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह सॉल्यूशन वास्तव में सुबह तीन बजकर 58 मिनट का है तो पेपर के बड़े स्तर पर लीक होने की भी आशंका से इनकार नहीं है।

रिजल्ट के ट्रेंड से पकड़ में आए 82 संदिग्ध उम्मीदवार

आयोग को अप्रैल में शिकायतें मिलने के बाद इसकी गहराई से पड़ताल की गई। पुरानी परीक्षाओं के रिजल्ट से कुछ उम्मीदवारों के अंकों के ट्रेंड का मिलान हुुआ तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। आयोग ने पेपर लीक के 82 संदिग्ध उम्मीदवारों को चिह्नित करने के बाद उनकी जानकारी पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराई थी।

हमें एक टॉयलेट पेपर के तीन फोटो मिले थे। इन पर क्रम में सवालों के नंबर और उनके जवाब लिखे थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए जब हमने अपने पेपर और उनके उत्तरों से मिलान किया तो पता चला कि सभी 63 सवालों के जवाब बिल्कुल ठीक थे। हमने एसटीएफ को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए हुए हैं। अगर इन स्क्रीनशॉट का समय बिल्कुल सही निकला तो हो सकता है कि पेपर सोशल मीडिया के माध्यम से बड़े पैमाने पर वायरल हुआ हो।
-एस राजू, निवर्तमान अध्यक्ष, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

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