एनसीपी भतीजे अजीत की,शरद पवार के विकल्प सीमित

भतीजे अजित की हुई NCP, जानें- अब चाचा शरद पवार के पास क्या हैं विकल्प
चुनाव आयोग के इस फैसले के साथ ही अजित पवार गुट को एनसीपी का चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है. लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि आयोग के इस फैसले के बाद अब शरद पवार के पास क्या विकल्प बचता है.

नई दिल्ली,06 फरवरी 2024,महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. चुनाव आयोग ने मंगलवार को शरद पवार गुट को झटका देते हुए अजित गुट को ही असली एनसीपी बताया. आयोग ने कहा है सभी सबूतों को ध्यान में रखते हुए अजित गुट ही असली एनसीपी है.

चुनाव आयोग के इस फैसले के साथ ही अजित पवार गुट को एनसीपी का चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है. लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि आयोग के इस फैसले के बाद अब शरद पवार के पास क्या विकल्प बचता है.

चुनाव आयोग ने फैसले में क्या कहा?

अजित गुट को चुनाव आयोग ने माना असली NCP, शरद पवार को बड़ा झटका

चुनाव आयोग ने शरद पवार बनाम अजित पवार गुट मामले में 147 पेजों का आदेश दिया है. इस आदेश में आयोग ने दोनों गुटों की तमाम बातों और सबूतों का विश्लेषण किया है. आयोग ने सभी दस्तावेजी सबूतों का विश्लेषण कर कहा है कि इससे स्पष्ट है कि अजित गुट का पार्टी और पार्टी के अलावा संगठन पर वर्चस्व है. उनके गुट के लोग ज्यादा भी हैं. इस वजह से पार्टी का नाम और निशान दोनों अजित गुट को दिए जाते हैं.

महाराष्ट्र से राज्यसभा की छह सीटों के चुनाव के मद्देनजर शरद पवार गुट को चुनाव आचरण नियम 1961 के नियम 39AA का पालन करने के लिए विशेष रियायत दी. उन्हें बुधवार शाम चार बजे तक नई पार्टी गठन के लिए तीन नाम देने को कहा गया है.

शरद पवार के पास आगे क्या विकल्प हैं?

चुनाव आयोग के समक्ष दोनों गुटों की 10 से ज्यादा सुनवाई हुई. इस दौरान दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बातें आयोग के समक्ष रखीं. सबसे पहले शरद पवार गुट ने अपना पक्ष रखा और फिर अजित गुट ने उसका जवाब दिया.

आयोग के इस फैसले को अब शरद पवार गुट सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. शरद गुट के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे क्योंकि वही हमारी आखिरी उम्मीद है. यह हमारी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाएगा. हमें शरद पवार के पीछे मुस्तैदी से खड़े होना है. पार्टी के कार्यकर्ताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि शरद पवार ने जमीनी स्तर से इस पार्टी को खड़ा किया था और कई नेताओं की मदद की. कहा जा रहा है कि इस फैसले का असर महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के समक्ष अयोग्य ठहराए गए मामले की सुनवाई पर पड़ सकता है. क्योंकि इससे स्पीकर राहुल नार्वेकर का रास्ता आसान हो जाएगा.

शरद गुट के नेता क्या बोले?

अजित गुट को असली एनसीपी करार देने के चुनाव आयोग के फैसले पर शरद पवार गुट के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा कि यह चौंकाने वाला फैसला नहीं है. अजित पवार गुट के नेता लगातार कह रहे थे कि उन्हें पार्टा का नाम और चुनाव चिह्न मिलेगा. 1999 में शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना की थी. हर कोई जानता है कि एनसीपी शरद पवार की है. कुछ महीनों पहले उन्होंने (अजित गुट) पार्टी पर अपना दावा किया और चुनाव आयोग ने उन्हें वह दे दिया. शरद पवार ही एनसीपी के प्रमुख हैं, इस पार्टी की मौजूदगी 28 राज्यों में हैं, जिनमें से 25 में शरद पवार को लोगों का समर्थन हैं. अब सुप्रीम कोर्ट को सच्चाई बतानी पड़ेगी.

चुनाव आयोग के इस फैसले पर शरद गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि हमें पता था कि ऐसा ही होगा. हमें पहले से पता था. आज उन्होंने (अजित) राजनीतिक रूप से शरद पवार को गला घोंट दिया है. इसके पीछे सिर्फ अजित पवार है. इस पूरे मामले में जिसे शर्मिंदा होना चाहिए, वह चुनाव आयोग है. शरद पवार फिनिक्स हैं. वह अपनी राख से दोबारा उठ खड़े होंगे. हमारे पास अभी भी ताकत है क्योंकि हमारे पास शरद पवार हैं. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

इस मामले पर सुप्रिया सुले ने कहा कि मुझे लगता है कि जो शिवसेना के साथ हुआ, वही आज हमारे साथ हो रहा है. इसलिए ये कोई नया फरमान नहीं है. बस नाम बदले हैं लेकिन संदर्भ वही है. यह फैसला अदृश्य शक्ति की वजह से आया है. अदृश्य शक्ति इस देश में हैं, वही ये कर रही हैं. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. चुनाव आयोग का इस्तेमाल करके पार्टी तोड़ी जा रही हैं.

बुधवार शाम तक नाम नहीं देने पर क्या होगा?

चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट से बुधवार शाम चार बजे तक राज्यसभा के लिए तीन नाम मांगे हैं. अगर शरद पवार गुट तय समयसीमा तक तीन नाम देने में असफल रहता है तो उनके गुट के सदस्यों को निर्दलीय चुनाव लड़ना होगा.

चुनाव आयोग का ये फैसला बीते छह से अधिक महीनों में दोनों गुटों की 10 से अधिक सुनवाई के बाद आया है. अजित पवार गुट की लीगल टीम में मुकुल रोहतगी, नीरज कौल, अभिकल्प प्रताप सिंह, श्रीरंग वर्मा, देवांशी सिंह, आदित्य कृष्णा और यामिनी सिंह शामिल हैं.

कैसे हुई थी एनसीपी दो फाड़?

पिछले साल अजित पवार ने बगावत करते हुए एनसीपी दो फाड़ कर दी थी. उन्होंने महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था. अजित के साथ कई विधायक भी सरकार में शामिल हो गए थे. इसके बाद अजित ने पार्टी पर अधिकार का दावा किया था और अपने गुट को असली एनसीपी बताया था. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी अजिट गुट को असली एनसीपी करार दे दिया था. इस फैसले को शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. वहीं अब चुनाव आयोग ने भी अजित गुट को ही असली एनसीपी बताते हुए शरद पवार को बड़ा झटका दिया है.

कैसे तय होता है पार्टी का असली ‘बॉस’ कौन?

किसी पार्टी का असली ‘बॉस’ कौन होगा? इसका फैसला मुख्य रूप से तीन चीजों पर होता है. पहला- चुने हुए प्रतिनिधि किस गुट के पास ज्यादा हैं. दूसरा- ऑफिस के पदाधिकारी किसके पास ज्यादा हैं और तीसरा- संपत्तियां किस तरफ हैं. लेकिन किस धड़े को पार्टी माना जाएगा? इसका फैसला आमतौर पर चुने हुए प्रतिनिधियों के बहुमत के आधार पर होता है. उदाहरण को, जिस गुट के पास ज्यादा सांसद-विधायक होते हैं, उसे ही पार्टी माना जाता है. एनसीपी और शिवसेना में इसी आधार पर फैसला किया गया है.

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