303 सीट पाने वाली भाजपा को छह हजार करोड़,242 सीटों वाले विपक्ष को 14 हजार करोड़, फिर रोना किस बात का?
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इलेक्टोरल बॉन्ड पारदर्शिता के लिए आया, डर है अब राजनीति में काला धन लौट आएगा: अमित शाह
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर वन नेशन वन इलेक्शन तक हर मुद्दे पर खुलकर बोले। उन्होंने कांग्रेस पर जमकर अटैक किया। चुनावी चंदे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड का पैसा काला धन नहीं है। इसके साथ ही भाजपा के लोकसभा चुनाव में 370 सीट लक्ष्य पर भी प्रतिक्रिया दी।
नई दिल्ली 16 मार्च 2024: लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से एक दिन पहले अमित शाह ने एक बार फिर दोहराया कि भाजपा अपने 370 सीट के लक्ष्य को पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि काउंटिंग के दिन देखिएगा, क्योंकि हमने पिछले चुनाव में 300 का लक्ष्य तय किया था और 303 सीटें आई थीं। इसी तरह 2024 में भी हम अपना लक्ष्य पूरा करेंगें। अमित शाह ने ये बातें इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कही हैं। इस कार्यक्रम में उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड पर भी अपना मत दिया। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड भारतीय राजनीति से कालाधन समाप्त करने को लाया गया। पहले क्या किसी को राजनीतिक चंदा के बारे में कुछ पता चलता था? करोड़ों का चंदा लिया कैश में लिया दिया जाता था। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड आने से पहले चुनाव का खर्चा कहां से आता था? क्या वो कालाधन था या हिसाब-किताब का धन था? उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड पारदर्शिता को आया,डर है कि अब राजनीति में फिर काला धन लौट आएगा।
इलेक्टोरल बॉन्ड की लिस्ट आने के बाद क्या होगा ?
इलेक्टोरल बॉन्ड का पैसा काला धन नहीं-शाह
अमित शाह ने दो टूक कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड का पैसा काला धन नहीं है। उन कंपनियों की बैलेंस शीट में रिफ्लेक्ट होता है कि हमने चुनाव के लिए बॉन्ड दिया है। सिर्फ गोपनीयता इसलिए रखी गई थी क्योंकि अगर वो कांग्रेस को देंगे तो परेशान किया जा सकता है। या जहां कांग्रेस का शासन वो उन्हें परेशान कर सकते थे जिसे वो बॉन्ड देते। चुनावी चंदा कितना मिला ये पार्टी के बैलेंस शीट में रिफ्लेक्ट होता है। बॉन्ड कितना दिया गया ये कंपनी के बैलेंस शीट में रिफ्लेक्ट होता है। क्या गोपनीय बचा? गोपनीय तो तब होगा ना जब कैश से चंदा लिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी को गोपनीयता से कुछ लेना देना नहीं है। क्या पहले चुनावी चंदा नहीं आता था। लेकिन उसका पता नहीं चलता था। इसमें पारदर्शिता के लिए ही इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लेकर आए थे।
शाह ने भाजपा और दूसरे दलों के चंदे पर कही ये बात
अमित शाह ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में कहा कि भाजपा को लगभग 6000 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड मिले हैं। टोटल बॉन्ड 20 हजार करोड़ के हैं। ऐसे में 14000 करोड़ के बॉन्ड कहां गए। टीएमसी को 1600 करोड़ के मिले, कांग्रेस को 1400 करोड़ के मिले। बीआरएस को 1200 करोड़ के मिले, भाजपा को 775 करोड़ के मिले और डीएमके को 639 करोड़ के मिले। अब अगर 13 राज्यों में और 303 सांसद, 11 करोड़ मेंबरशिप वाली पार्टी और देश के सभी यूनिट में पार्टी का योग मिला लें। वही इन लोगों का इतना करें माने कांग्रेस के 35 सांसद हैं उनके 300 हों तो क्या हो? ऐसे अगर लगाते हैं तो टीएमसी को 20000 करोड़ के होते हैं, बीआरएस को 40 हजार करोड़ के होते हैं और कांग्रेस पार्टी को 9000 करोड़ के बनते हैं। शाह ने कहा कि मैं प्रो-डेटा की बात कर रहा। देश में भाजपा के 303 सांसद हैं हमें 6000 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड मिले। वहीं 242 सांसद जिन पार्टियों के हैं इसको 14 हजार करोड़ के बॉन्ड निकले। फिर क्यों शोर-शराबा कर रहे।
राहुल गांधी के कमेंट पर शाह का पलटवार
अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी के नाम से 1100 रुपये का चंदा लेते हैं इसमें 100 रुपये पार्टी में जमा कराते हैं और 1000 रुपये घर में रख लेते हैं। 1100 का बॉन्ड अगर लेते हैं तो पूरे 1100 रुपये पार्टी में ही जाते हैं। अमित शाह ने इस दौरान राहुल गांधी के कमेंट पर भी रिएक्ट किया। राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नाम पर दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट चला रहे थे। इस पर अमित शाह ने करारा जवाब देते हुए कहा कि आखिर राहुल गांधी को ये सब लिखकर कौन देता है। बॉन्ड आने से पहले चुनाव का खर्चा कहां से आता था। गोपनीय तो तब होगा ना जब कैश से चंदा लिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी को गोपनीयता से कुछ लेना देना नहीं है। क्या पहले चुनावी चंदा नहीं आता था। लेकिन उसका पता नहीं चलता था। इसमें पारदर्शिता के लिए ही इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लेकर आए थे। कांग्रेस पार्टी ने कई साल तक ये व्यवस्था चलाई। करोड़ों में चुनावी चंदा लेते थे, इसी चक्कर में कई नेता जेल भी गए।
वन नेशन वन इलेक्शन पर क्या बोले शाह?
वन नेशन वन इलेक्शन पर अमित शाह ने कहा कि वो भारतीय संसद तय करेगी। हालांकि, एक देश एक चुनाव के पीछे नरेंद्र मोदी और भाजपा का विचार ये है कि इस देश में बार-बार चुनाव होते रहते हैं। कभी तीन राज्य के चुनाव होते हैं, कभी चार तो कभी 6 राज्य के चुनाव होते हैं। पांच साल में एक बार संसद का चुनाव हो जाता है। जनता चुनाव में बिजी रहती है। इससे ज्यादा रिपीटेड खर्चा होता है। कोड ऑफ कंडक्ट लगने से पॉलिसी मेकिंग में भी असर पड़ता है। निरंतरता नहीं बनी रहती है। इसके साथ-साथ विकास के कार्य रुक जाते हैं। इससे देश की बहुत बड़ी हानि है। एक साथ चुनाव होने से समय बचेगा, विकास कार्य को लेकर फैसले लेने आसानी होगी। वन नेशन वन इलेक्शन होता है तो एक दिन ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे। इससे जनता को भी सरकार चुनने में खास परेशानी नहीं होगी।