रूड़की में रेलवे भूमि से हटाया अतिक्रमण,ऋषभ पंत की कोठी के आगे लगे खंभे
PILLARS ERECTED OUTSIDE CRICKETER RISHABH PANT HOUSE ON ENCROACHMENT IN RAILWAY LAND IN ROORKEE
रुड़की में क्रिकेटर ऋषभ पंत के घर के बाहर गाड़े गए पिलर, जानें क्या है मामला
रुड़की में लंबे समय से अतिक्रमण हुए अपनी जमीन को रेलवे ने कब्जा मुक्त कराया. इस दौरान टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. वहीं, टीम ने ऋषभ पंत के घर के बाहर भी रेलवे की जमीन बताते हुए पिलर गाड़ दिए हैं.
जानकारी देते अधिकारी.
रुड़की14 दिसंबर ।ढंढेरा क्षेत्र के अशोक नगर में पिछले लंबे समय से रेलवे की जमीन पर लोगों ने कब्जा किया हुआ था, जिसको आज रेलवे की टीम कब्जा मुक्त करते हुए, वहां सीमेंट के पिलर लगा दिए. इस दौरान रेलवे टीम ने क्रिकेटर ऋषभ पंत के दरवाजे के समीप भी पिलर लगा दिया. जिसका कुछ व्यक्तियों ने विरोध भी किया. लेकिन रेलवे के अधिकारियों ने सख्ती दिखाते हुए जमीन पर पिलर लगा दिया.
बता दें कि ढंढेरा रेलवे स्टेशन के दक्षिणी हिस्से में रेलवे की बेशकीमती जमीन पड़ी हुई है. पूर्व में भी रेलवे की ओर से यहां पर पिलर लगाकर अपनी भूमि को सुरक्षित किया गया था, लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही यहां पर रेलवे की भूमि पर भी लगातार अतिक्रमण होने लगा. कुछ संस्थाओं की ओर से रेलवे की भूमि पर पार्किंग बना दी गई है. इसके अलावा यहां पर कुछ व्यक्तियों द्वारा रेलवे की जमीन पर गोबर और कूड़ा डाला जा रहा है. इतना ही नहीं कई व्यक्तियों ने रेलवे की भूमि की ओर अपने गेट लगा दिए हैं, जिससे उनका आवागमन इस ओर हो रहा है.भूमि पर अतिक्रमण को लेकर रेलवे की ओर से कई बार कोशिश की गई, लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका. पिछले माह भी अतिक्रमण हटाया जाना था, लेकिन हरिद्वार में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम होने के चलते पुलिस बल नहीं मिल पाया था. आज रेलवे के वरिष्ठ खंड अभियंता ब्रजमोहन सिंह के नेतृत्व में रेलवे सुरक्षा बल, सिविल लाइन कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची. इसके बाद भूमि पर अतिक्रमण को चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू की गई. जब रेलवे के अधिकारियों ने इस संबंध में प्रक्रिया शुरू की तो कुछ व्यक्तियों ने हंगामा शुरु कर दिया, लेकिन रेलवे की सख्ती के आगे उनकी एक ना चली.
इसके बाद टीम ने भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत के घर के दरवाजे और स्कूल के बाहर भी करीब आधा दर्जन से अधिक पिलर लगा दिए. रेलवे के अधिकारियों ने सभी को चेतावनी दी कि यदि किसी ने पिलर को हटाने की कोशिश की तो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं रेलवे की ओर से यहां पर कर्मचारियों को भी निगरानी पर लगा दिया गया है.
रेलवे के वरिष्ठ खंड अभियंता ब्रजमोहन सिंह ने कहा कई बार नोटिस भेजने के बाद भी लोगों ने रेलवे की जमीन को कब्जा मुक्त नहीं किया. जिसके बाद आज रेलवे की टीम ने जमीन को कब्जा मुक्त कराया, ताकि कोई भी अनाधिकृत रूप से रेलवे की जमीन पर कब्जा न कर सके.
हल्द्वानी की रेलवे भूमि पर एक तिरपाल के छप्पर से शुरू हुआ अतिक्रमण 29 एकड़ में फैला
Haldwani railway land Encroachment बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसले को सुरक्षित रखा है। अतिक्रमण का यह मामला एक-दो नहीं बल्कि 15 साल का है।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला फिर सुर्खियों में है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर फैसले को सुरक्षित रखा है। अतिक्रमण का यह मामला एक-दो नहीं, बल्कि 15 साल का है। एक तिरपाल के छप्पर से शुरू हुआ अतिक्रमण 29 एकड़ जमीन में फैला गया। कोठियां और इमारतें आसमां छूनें लगीं।
बनभूलपुरा के पास करीब 29 एकड़ भूमि है, जिसे रेलवे अतिक्रमण का बता रहा है। ये इलाके वार्ड एक, 18, 20, 22, 24, गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती, नई बस्ती हैं। इन इलाकों में धर्म विशेष की आबादी की बहुलता है। 2020 और 2021 में रेलवे ने इन इलाकों में 15 दिन में कब्जा खाली करने का नोटिस भी दिया था, फिर भी अवैध कब्जे नहीं हटाए जा सके।
रेलवे व अतिक्रमणकारियों के बीच कागजबाजी 2016 से जारी है। जमीन का सीमांकन कर पिलर भी लगा दिए थे। गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने अतिक्रमण के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा है।
हाईकोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकीं हुई हैं। हल्द्वानी के एक बुजुर्ग बताते हैं कि रेलवे की जमीन चारों तरफ जंगल से घिरी थी। बाहरी राज्यों से आए लोग यहां तिरपाल के छप्पर डालकर रहने लगे। उनकी आंखों के सामने धीरे-धीरे छप्परों ने पक्के भवनों का रूप लिया। भवन कोठी व दोमंजिला तथा तिमंजिला इमारतों में बदल गई।
4365 वादों की हुई सुनवाई
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य संपदा अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल में करीब चार साल पहले सुनवाई शुरू हुई थी। रेलवे की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिक्रमण की जद में आए 4365 वादों की सुनवाई हुई। जिसमें सभी वादों का निस्तारण हो चुका है। मगर कोई भी अतिक्रमणकारी कब्जे को लेकर ठोस सबूत नहीं दिखा पाया। किसी के पास भी जमीन संबंधित कागजात नहीं मिले।
सरकारी योजनाओं से लाभांवित अतिक्रमणकारी
यहां रह रहे लोग सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। राशन कार्ड, आधार कार्ड के साथ ही उनके स्थायी निवास प्रमाणपत्र बने हैं। प्रधानमंत्री पीएम आवास योजना से भी लोग लाभांवित हो चुके हैं। लोगों का दावा है कि वे नगर निगम को टैक्स भी देते हैं। हर घर में बिजली-पानी के कनेक्शन हैं। 23 करोड़ खर्च होने का अनुमान
पूर्व में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने को लेकर रेलवे से मास्टर प्लान मांगा था। इसके बाद जिला प्रशासन व रेलवे अतिक्रमण हटाने की तैयारियों में जुट गया था। जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने में करीब 23 करोड़ रुपये लगने का अनुमान जताया था। 15 मई को प्रशासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने तैयारियां करते हुए बुलडोजर व पोकलैंड के लिए टेंडर भी जारी कर दिए थे। पीपी एक्ट में दिया गया था नोटिस
राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, रेलवे इज्जतनगर मंडल ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर अतिक्रमणकारियों को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया था। इनकी सुनवाई रेलवे ने पूरी कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास भूमि के वैध कागजात नहीं पाए गए थे।
EncroachmentHaldwani railway landHigh Court UttarakhandNainital