उत्तराखंड का अगला डीजीपी,पेंच नहीं हैं कम

MANY IPS ARE IN LINE TO BECOME DGP DUE TO THE NEW SYSTEM OF UPSC IN UTTARAKHAND
UPSC की नई व्यवस्था से DGP बनने की कतार में आए कई IPS अफसर, नवंबर में सेवानिवृत हो रहे डीजीपी अशोक कुमार
उत्तराखंड में डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत के बाद नए डीजीपी को लेकर चर्चाएं तेज है अशोक कुमार की सेवानिवृत्ति बाद कई अधिकारी कतार में हैं. चर्चा ये भी है कि डीजीपी अशोक कुमार सेवा विस्तार मिल सकता है.

देहरादून 27 अक्टूबर:उत्तराखंड में पुलिस महानिदेशक पद की कतार में कई आईपीएस अफसर शामिल हो गए हैं. यह संघ लोक सेवा आयोग की नई व्यवस्था से हो सका है. दरअसल, अब तक डीजीपी पद को यूपीएससी की गाइडलाइन में 30 साल की सेवा अनिवार्य थी.लेकिन अब व्यवस्था बदलते हुए आयोग ने इसे 25 साल करने का निर्णय लिया है. खास यह है कि उत्तराखंड में अभी 30 साल सेवा वाला कोई भी IPS अफसर मौजूद नहीं है.
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार 30 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं. हालांकि उनके सेवा विस्तार की संभावना भी बनी हुई है. इसका सबसे बड़ी कारण यह भी था कि राज्य में यूपीएससी की गाइडलाइन के अनुसार 30 साल की सेवा वाला कोई भी आईपीएस अधिकारी नहीं था. लेकिन अब यूपीएससी ने अपनी गाइडलाइन में बदल पुलिस महानिदेशक बनने को 30 साल सेवा शिथिल कर 25 साल करने का निर्णय लिया है.
इसके अलावा एडीजी यानी लेवल 15 के आईपीएस अधिकारियों को भी पुलिस महानिदेशक पद दिए जाने की व्यवस्था की है.यूपीएससी की नई व्यवस्था लागू करने के बाद भी पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के सेवा विस्तार की संभावना बनी है. हालांकि अब इसके लिए कतार में कई दूसरे अधिकारी भी शामिल हो गए हैं. इस नई व्यवस्था के लागू होने पर राज्य से बाहर के कैडर वाले किसी सीनियर आईपीएस अधिकारी को भी पुलिस महानिदेशक पद के लिए ले जाने की अटकलें लगाई जा रही थी, लेकिन अब नई व्यवस्था के बाद उत्तराखंड कैडर के ही आईपीएस अधिकारी इसके लिए एलिजिबल हो गए हैं.

पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के सेवानिवृत होने के बाद 1995 बैच के दीपम सेठ, पीवीके प्रसाद और अभिनव कुमार भी इस रेस में शामिल हो गए हैं. फिलहाल दीपम सेठ प्रतिनियुक्ति पर हैं, लेकिन रेस में सबसे आगे उन्हीं को माना जा रहा है. उधर अभिनव कुमार उत्तर प्रदेश कैडर के हैं, लेकिन लंबे समय से उत्तराखंड में ही सेवाएं दे रहे हैं.

PANEL OF THREE NAMES FOR NEW DGP OF UTTARAKHAND HAS BEEN SENT TO GOVERNMENT
उत्तराखंड के नए डीजीपी के लिए तीन नाम का पैनल बना, यूपीएससी की बैठक में तय होगा नाम
डीजीपी अशोक कुमार 30 नवंबर को सेवानिवृत होने जा रहे हैं. इसके बाद उत्तराखंड के नए डीजीपी की तलाश तेज हो गई है. नए डीजीपी की कतार में तीन अधिकारी हैं, जिनके चयन को लेकर मंथन चल रहा है. जिनके नाम का पैनल शासन को भेज दिया गया है.

उत्तराखंड में नए पुलिस महानिदेशक के चयन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है. इस सिलसिले में पुलिस महानिदेशालय के स्तर पर तीन नाम का पैनल शासन को भेज दिया गया है. खबर है कि अब जल्द ही शासन इन तीन नाम को यूपीएससी को भेजेगा, जिसके बाद नवंबर में होने वाली बैठक के दौरान राज्य को 12वां नया डीजीपी मिल जाएगा.
प्रदेश में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के नवंबर में रिटायरमेंट से पहले नए डीजीपी के चयन की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है. खास बात यह है की शासन द्वारा पुलिस महानिदेशालय से तीन नाम का पैनल मांगे जाने के बाद अब महानिदेशालय के स्तर से वरिष्ठ तीन अधिकारियों के नाम शासन को भेज दिए गए हैं. खबर है कि जिन तीन अधिकारियों के नाम भेजे गए हैं, उनमें दीपम सेठ, पीवीके प्रसाद और अभिनव कुमार का नाम शामिल है.
दरअसल दीपम सेठ फिलहाल प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि पीवीके प्रसाद और अभिनव कुमार राज्य में सेवाएं दे रहे हैं. खबर है कि जल्द ही शासन इन तीनों नाम को यूपीएससी को भेजेगा, जिसके बाद नवंबर में होने वाली यूपीएससी की बैठक के दौरान इन तीनों नाम में से एक नाम को तय किया जाएगा. नवंबर में यह बैठक यूपीएससी के अध्यक्ष के नेतृत्व में होगी जिसमें उत्तराखंड के मुख्य सचिव समेत मौजूद पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार भी मौजूद रहेंगे.अपर पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ 1995 बैच के अधिकारी हैं. फिलहाल प्रतिनियुक्ति पर है उत्तराखंड में उन्होंने कई जिलों के कप्तान के तौर पर काम किया है. साथ ही गढ़वाल रेंज भी उनके द्वारा देखी जा चुकी है. पुलिस मुख्यालय स्तर पर एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी उन्होंने संभाली है. साथ ही शासन में अपर सचिव गृह के तौर पर भी वे काम कर चुके हैं.
एडीजी पीवीके प्रसाद फिलहाल उत्तराखंड में सेवाएं दे रहे हैं. पीवीसी प्रसाद भी 1995 बैच के ही अधिकारी हैं और इस समय एडीजी पद की कमान संभाल रहे हैं. विभिन्न जिलों में उन्होंने कप्तान के तौर पर जिम्मेदारी संभाली है और एक लंबे समय तक आईजी जेल के तौर पर भी काम किया.

तीसरा नाम एडीजी अभिनव कुमार का है जो इस सरकार में काफी पावरफुल रहे हैं और यह भी 1995 बैच के ही अधिकारी हैं. मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के साथ ही फिलहाल वह इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. जिलों में कमान के तौर पर वह देहरादून और हरिद्वार जैसे बड़े जिलों के कप्तान रहे है.

Waiting For DGP: Questions Are Being Raised On Names

नए डीजीपी का काउंटडाउन… एडीजी अभिनव के नाम पर सवाल भी हैं तो जवाब भी

नियमानुसार राज्य कैडर के आईपीएस को ही डीजीपी बनाया जा सकता है। क्योंकि डीजीपी एकल पद है, इसीलिए यह बात उठ रही है। हालांकि, इस सवाल का जवाब भी एक अलग व्यवस्था से दिया जा रहा है।

उत्तराखंड के नए डीजीपी का काउंटडाउन शुरू हो गया है। तीन अधिकारियों का नाम पैनल में शासन को भेजा जा चुका है। लेकिन, एडीजी अभिनव कुमार के नाम पर उनके मूल कैडर को लेकर कुछ लोग और अधिकारी सवाल उठा रहे हैं। नियमानुसार राज्य कैडर के आईपीएस को ही डीजीपी बनाया जा सकता है। क्योंकि डीजीपी एकल पद है, इसीलिए यह बात उठ रही है। हालांकि, इस सवाल का जवाब भी एक अलग व्यवस्था से दिया जा रहा है। अभिनव कुमार सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) से यूपी जाने पर स्टे मिला हुआ है। ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि इस हिसाब से ही उनका नाम भेजा गया होगा। हालांकि, अंतिम निर्णय यूपीएससी को लेना है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इन तीनों अधिकारियों में से बाजी कौन मारता है।

दरअसल, 1996 बैच के आईपीएस अभिनव कुमार का मूल कैडर उत्तर प्रदेश है। उत्तराखंड गठन के बाद अभिनव कुमार यहां आ गए थे। यहां उन्होंने विभिन्न जिलों की कप्तानी भी संभाली। वह 2009 में डीआईजी और 2014 में आईजी बने। आईपीएस अभिनव कुमार आईटीबीपी में जम्मू कश्मीर में तैनात रहे। जिस वक्त जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई तब घाटी में कमान उन्हीं के हाथ में थी। डीजीपी के लिए निर्धारित सेवा अवधि की शर्तों को यूपीएससी ने शिथिल करते हुए 25 वर्ष कर दिया तो अभिनव भी इस दायरे में आ गए। पिछले दिनों एडीजी दीपम सेठ और पीवीके प्रसाद के साथ उनका नाम भी पैनल में भेज दिया गया।

लेकिन, सवाल उठे कि जब उनका कैडर यूपी है तो उनका नाम कैसे इस पैनल में भेजा गया। नियमानुसार उत्तराखंड कैडर के अधिकारियों का नाम ही पैनल में भेजा जाना था। हालांकि, इस सवाल का जब जवाब खोजने की कोशिश हुई तो जानकारों और विशेषज्ञों ने इसे उनके स्टे से जोड़कर बताया। जानकारों का कहना है कि अभिनव कुमार को कैट से जो स्टे मिला है उसका कभी भी राज्य सरकार ने विरोध नहीं किया। ऐसे में यह स्टे बरकरार है और निर्विरोध अभिनव कुमार के उत्तराखंड में ही तैनात रहने की संभावना है। यही सोचकर उनका नाम पैनल में भेजा गया होगा। बता दें कि एडीजी अभिनव कुमार इस वक्त मुख्यमंत्री के विशेष सचिव भी हैं।

लगभग एक महीने में होगी तस्वीर साफ

बता दें कि इस पैनल के नामों पर यूपीएससी के चेयरमैन की अध्यक्षता वाली समिति निर्णय लेगी। इसमें केंद्रीय गृह सचिव, मुख्य सचिव उत्तराखंड, एक सीएपीएफ के डीजी और उत्तराखंड के वर्तमान डीजीपी शामिल रहेंगे। यदि तीनों नाम वहां से आ जाते हैं तब भी अंतिम निर्णय सरकार को ही लेना है। सरकार जिसे चाहे डीजीपी बना सकती है। हालांकि, इसके लिए अब तकरीबन एक महीने का इंतजार और करना होगा। वर्तमान डीजीपी के सेवानिवृत्त होने से चंद दिनों पहले तक ही स्थिति साफ हो सकती है।

इसके पहले इस संबंध में सहयोगी ‘कऱट न्यूज़ यूके’ ने एक रोचक कहानी छापी थी –
……कैडर उत्तराखंड, नौकरी उत्तरप्रदेश की और अब ऐसे बिगाड़ सकते नए “डीजीपी” का गणित
देहरादून। उत्तराखंड कैडर के चार सीनियर आईपीएस अफसर राज्य कैडर आवंटित होने के बाद से ही उत्तरप्रदेश में डटे हुए हैं। इनमें दो आईपीएस तो उत्तराखंड मूल के हैं। बावजूद छोटे राज्य की अनदेखी और बड़े राज्य के मोह से वह मूल कैडर नहीं लौटे। अब जब उत्तराखंड में डीजीपी की कुर्सी खाली होने वाली और उत्तर प्रदेश में डीजीपी बनने की संभावनाएं कम दिखने पर कुछ अफसर राज्य में बनने वाले नए डीजीपी की गणित बिगाड़ सकते हैं। खासकर रिटायरमेंट नजदीक वाले अफसर उत्तराखंड के डीजीपी बनने का ख्वाब देख रहे हैं। हालांकि यूपीएससी और राज्य सरकार के निर्णय से ही नए डीजीपी की ताजपोशी होगी। इधर, उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने कहा कि इस मामले में कानूनी राय मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

उत्तराखंड बनने के बाद उत्तरप्रदेश से आईपीएस का कैडर उत्तराखंड के लिए आवंटित हुआ। कैडर आवंटित होने पर अधिकांश आईपीएस अफसरों ने यहां जॉइन किया। लेकिन चार अफसर ऐसे रहे, जो आज तक उत्तराखंड नहीं आये। जबकि डीओपीटी की सूची में आज भी वह उत्तराखंड कैडर के हैं। इनमें सीनियर आईपीएस 1989 बैच के सफी अहसान रिजवी दिल्ली के रहने वाले हैं। सफी वर्तमान में यूपी से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनडीएमए में सलाहकार हैं। सफी का रिटायरमेंट 2026 में तय है। उत्तरप्रदेश में उनका डीजीपी बनना मुश्किल है। इसी तरह उत्तराखंड यानी देहरादून निवासी अंजू गुप्ता 1990 बैच की आईपीएस है। अंजू रॉ समेत उत्तरप्रदेश में महत्त्वपूर्ण पदों पर रही हैं। वर्तमान में वह डीजी केडीएसजीपीटीएस मेरठ के पद पर तैनात हैं। अंजू भी उत्तराखंड नहीं लौटी। हालांकि आईपीएस अंजू का अगले माह रिटायरमेंट है। उत्तराखंड मूल के ही दीपेश जुनेजा 1992 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर हैं। वर्तमान में वह उत्तरप्रदेश में एडीजी प्रॉसिक्यूशन के पद पर तैनात हैं। वह भी उत्तराखंड नहीं लौटे। लेकिन अब उत्तराखंड में डीजीपी की कुर्सी खाली हो रही और उनका कार्यकाल 2026 तक यानी 3 साल की नौकरी के चलते वह डीजीपी बनने की लाइन में हैं। उत्तराखंड से नाता होने के कारण वह नए डीजीपी के दावेदार हो सकते हैं, बशर्तें सरकार की हरी झंडी मिले। इसी तरह एलवी एंटोनी देव कुमार 1994 बैच उत्तराखंड कैडर के आईपीएस हैं। लेकिन वह वर्तमान में आईजी बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। यूपीएससी की गाइडलाइंस और सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह मामले में जारी निर्देशों का पालन हुआ तो कैडर के सीनियर अफसरों को चयन सूची में शामिल कर सकते हैं। इसके बाद सबसे योग्य तीन नामों का पैनल सरकार को भेजा जाएगा। अंतिम निर्णय राज्य सरकार करती हैं। ऐसे में यदि उक्त अफसरों की रिटायरमेंट के करीब डीजीपी बनने की हसरत होगी तो वह उत्तराखंड में तैनात और डीजीपी के दावेदारों की गणित खराब कर सकते हैं। इसकी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।।

आईपीएस बीके मौर्या के नाम की भी चर्चा

उत्तराखंड में नए डीजीपी को लेकर भले ही वरिष्ठ आईपीएस दीपम सेठ, पीवीके प्रसाद और अभिनव कुमार में से किसी एक नाम पर मुहर लगने की प्रबल संभावनाएं हैं। लेकिन कुछ अड़चनों का चलते दूसरे कैडर में रिटायरमेंट के करीब वाले सीनियर आईपीएस डीजीपी की कुर्सी पर नजर लगाए हुए हैं। सूत्रों पर भरोसा करें तो उत्तरप्रदेश में 1990 बैच के आईपीएस बिजय कुमार मौर्या के नाम की चर्चाएं भी हैं। मौर्या वर्तमान में उत्तरप्रदेश में डीजी होमगार्ड हैं और रिटायरमेंट के करीब दो साल बचे हुए हैं। ऐसे में उनके नाम की चर्चाएं चल रही हैं। इसके अलावा दिल्ली और दूसरे कैडर के कुछ और नामों की चर्चा भी चल रही है। हालांकि नया डीजीपी कौंन होगा, इसका अंतिम फैसला सरकार को करना है। बहरहाल नाम फाइनल न होने तक इस तरह की कयसबाजी लगी रहेगी।

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