उत्तरकाशी: एस्केप सुरंग आधी ही तैयार,बैंकअप ऑगर मशीन आ रही इंदौर से
उत्तरकाशी में श्रमिकों को निकालने के लिए आधी सुरंग तैयार, 30 मीटर बिछाए गए पाइप; बैकअप के लिए आई एक और मशीन
Uttarakhand Tunnel Rescue मुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में छह दिन से फंसे 40 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए शुक्रवार रात तक आधी निकासी सुरंग (30 मीटर) तैयार कर ली गई। श्रमिक बचाने को 900 मिलीमीटर व्यास के स्टील पाइपों से करीब 60 मीटर लंबी निकासी सुरंग बननी है। इसमें लगातार चुनौती आ रही है लेकिन…
मुख्य बिंदु
उत्तरकाशी टनल में श्रमिक निकालने को आधी सुरंग तैयार,30 मीटर बिछाए गए पाइप
बैकअप के लिए इंदौर से एक और मशीन मंगाई
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से ली अभियान की जानकारी
उत्तरकाशी 17 नवंबर : यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की सुरंग में छह दिन से फंसे 40 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने को शुक्रवार रात तक आधी निकासी सुरंग (30 मीटर) तैयार कर ली गई। श्रमिक बचाने को 900 मिलीमीटर व्यास के स्टील पाइपों से 60 मीटर लंबी निकासी सुरंग बननी है। इस कार्य में लगातार चुनौती आ रही है,लेकिन त्वरित गति से उनका समाधान भी निकाला जा रहा है।
बचाव अभियान रुकने न पाए,इसके लिए बैकअप के तौर पर मध्य प्रदेश के इंदौर से एक और औगर मशीन को एयरलिफ्ट कर सिलक्यारा लाया जा रहा है,जो शनिवार तक यहां पहुंच जाएगी। साथ ही बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों ने सुरंग के अंदर पहुंचने के लिए प्लान-सी में वर्टिकल और हारिजांटल मार्ग बनाने की दिशा में भी काम शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली से लाई गई अमेरिकन ऑगर ड्रिलिंग मशीन
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग में भूस्खलन के बाद रविवार सुबह से फंसे 40 श्रमिक बचाने को नई दिल्ली से लाई गई अमेरिकन ऑगर ड्रिलिंग मशीन से गुरुवार सुबह निकासी सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था और देर रात तक 18 मीटर सुरंग तैयार हुई ।
शुक्रवार तड़के ड्रिलिंग के दौरान बोल्डर आ जाने से कार्य प्रभावित हुआ। धीरे-धीरे बोल्डर काटा गया,जिसके बाद कार्य ने फिर गति पकड़ी। शाम तक कुल 24 मीटर निकासी सुरंग तैयार कर ली गई थी,जबकि रात तक आधी सुरंग तैयार हो गई। इससे पूर्व मशीन में तकनीकी खराबी आने से कुछ देर को कार्य रोकना पड़ा।
बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहे मशीन के बेयरिंग
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खलको ने बताया कि शाम तक छह-छह मीटर लंबे चार पाइप बिछाने के बाद पांचवां पाइप जोड़ दिया गया था। इसके बाद मशीन में तकनीकी खराबी आ गई।
उन्होंने बताया कि मशीन के बेयरिंग बार-बार क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। तकनीकी टीम मशीन में आ रही गड़बड़ी लगातार ठीक कर रही है। पाइप बिछाने का कार्य लगातार चलता रहे, इसको इंदौर से दूसरी मशीन लाई जा रही है।
वर्टिकल और हारिजांटल मार्ग के विकल्प तलाशने को सर्वे
एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने बताया कि प्लान-सी में वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल मार्ग के विकल्प तलाशने को भूविज्ञानियों की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि श्रमिक जिस स्थान पर फंसे हैं,वह हिस्सा वर्टिकल विकल्प के एक स्थान से 103 मीटर की दूरी पर है। अभी बचाव अभियान औगर मशीन से ही संचालित होगा। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने बचाव अभियान की प्रगति की जानकारी अधिकारियों से ली। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में बैठक कर आपदा प्रबंधन विभाग को बचाव कार्य में तेजी के निर्देश दिए।
ट्राली स्ट्रेचर से बाहर आएंगे श्रमिक
सुरंग में फंसे श्रमिक बाहर कैसे लाये जाएंगें, इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि श्रमिकों को एक-एक कर निकाल कर ट्राली स्ट्रेचर में बाहर लाया जाएगा। इसके लिए गुरुवार देर रात और फिर शुक्रवार को एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के जवानों ने 900 मिलीमीटर व्यास के पाइप में आवाजाही व स्ट्रेचर पर व्यक्तियों को निकालने का अभ्यास किया।
6 दिनों से टनल में कैसे रह रहे मजदूर? जल्द नहीं निकालने पर बढ़ेगा खतरा, शुरू हो जाएगी नई परेशानी
पिछले 6 दिनों से उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूर अपनी जिंदगी को जंग लड़ रहे हैं. उन्हे बचाने को प्रशासन भी दिन रात एक किए हुए है.
रविवार दिवाली के दिन ये दुर्घटना हुई थी.तब से उनकी हालत कैसी होगी ये सोचने वाली बात है.राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार भी इस मुश्किल मिशन को पूरा करने में पूरा सहयोग दे रही है.फिलहाल 24 मीटर तक ड्रिल हो गया है, लेकिन फिर से मुश्किलें आने लगी हैं.टनल में लगे सरिये खुदाई करने में बाधा बन रहे हैं.
शुक्रवार को प्रशासन ने बड़ी मॉकड्रिल भी कराई जिससे हर परिस्थिति में अभियान चलाया जा सके.टनल में हैवी ड्रिलिंग मशीन से ड्रिलिंग की कार्यवाही युद्धस्तर पर चल रही है. मौके पर तैनात पुलिस व आपदामोचन बल पुरी तरीके से अलर्ट है.पुलिस,NDRF,SDRF,ITBP,मेडिकल टीमों व अन्य आपदामोचन बलों द्वारा श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने व जरुरत पड़ने पर अन्य आपातकालीन कवायदों का मॉक अभ्यास करवाया जा रहा है.
फिलहाल सभी श्रमिक सुरक्षित
अधिकारी ने बताया कि अन्दर फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं, श्रमिकों को समय-समय पर रसद, पानी व ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है,साथ ही उनका मनोबल बनाये रखने को परिजनों से लगातार बातचीत करवाई जा रही है. साइट पर पुलिस,NDRF,SDRF,ITBP व अन्य आपदामोचन बलों की टुकडियां 24 घंटे तत्पर हैं.किसी भी आपात स्थिति में त्वरित रेस्क्यू सेवाएं दी जायेंगी.प्राथमिक उपचार को साइट के बाहर ही मेडिकल सहायता केन्द्र बनाये गये हैं।
चार और पाइप लाइन डाली जानी बाकी
मजदूरों को सुरंग से बाहर निकलने को अब तक 6 पाइप लाइन डाली जा चुकी और चार और डाली जानी हैं. लगभग 10 पाइप लाइनों से इन मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश हो रही है. एक पाइप की लंबाई 6 मीटर और चौड़ाई 3 फीट है. जिस मलबे को हटाना है उसकी लंबाई 70 फीट तक बताते है. अब तक कुल 24 मीटर तक ही खुदाई हो पाई है.
कब बढ़ने लगेगी परेशानी?
अगर जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं होता है तो इन मजदूरों को अब परेशानी शुरू हो जाएगी. जैसे लगातार ऑक्सीजन की कमी से बेहोशी, खाने की कमी , अंधेरे और ठंड से हाइपोथर्मिया के लक्षण शुरू हो जाएंगे. 6 दिन से चल रहे इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक प्रशासन को सफलता नहीं मिली है।
अब क्या है डर?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में बनाई जा रही सभी सुरंगों की समीक्षा की जाएगी. 12,000 करोड़ रुपये की चल रही चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना के हिस्से के रूप में पहाड़ी राज्य में कई सुरंगें बनाई जानी हैं. सिल्क्यारा सुरंग, जिसके कुछ हिस्से रविवार की सुबह भूस्खलन के बाद ढह गए, भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है.
फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के निदेशक, इंटरनल मेडिसिन, डॉक्टर अजय अग्रवाल ने कहा, लंबे समय तक बंद स्थानों में फंसे रहने के कारण पीड़ितों को घबराहट के दौरे का अनुभव हो सकता है. अधिकारियों ने कहा कि छह बिस्तरों वाली एक अस्थायी स्वास्थ्य सुविधा स्थापित की गई है और फंसे हुए श्रमिकों को निकालने के बाद तत्काल चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए सुरंग के बाहर विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ 10 एम्बुलेंस तैनात की गई हैं.
डॉक्टर अग्रवाल ने बताया, “इसके अलावा, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की कमी से परिवेशीय स्थितियां भी उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं और ठंडे भूमिगत तापमान के लंबे समय तक संपर्क में रहने से संभवतः हाइपोथर्मिया हो सकता है और वे बेहोश हो सकते हैं.”
मलबे में 24 मीटर तक खुदाई की है और फंसे हुए श्रमिकों को भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए चार पाइप लगाए हैं. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि निर्माण स्थलों पर अक्सर कई तरह के खतरे होते हैं, जिनमें मलबा गिरना एक बड़ी चिंता का विषय है. गिरने वाली वस्तुओं के प्रभाव से फ्रैक्चर और खुले घावों सहित गंभीर चोटें लग सकती हैं. अस्वच्छ स्थितियों के कारण ये चोटें और भी जटिल हो सकती हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
हाई लेवल मीटिंग हुई
इस सबको लेकर आज शासन में बड़ी हाई लेवल की मीटिंग हुई है जिसमें अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार भी इस सब में लगातार लगी है. हमने एक्सपर्ट मौके पर भेजे हैं. जो रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं .कोशिश है कि इन्हें आज शाम या देर रात तक निकाल लिया जाए. मशीन लगातार काम पर है, हर घंटे 3 से 5 मीटर तक खुदाई हो रही है.