मलयालम फिल्म उद्योग में यौनशोषण पर रिपोर्ट सार्वजनिक

295 पन्नों की रिपोर्ट ने खोला मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का सच, एक्ट्रेसेज का होता है यौन शोषण, हीरो करते हैं मनमानी
पूरे पांच साल बाद आई 295 पन्नों की इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस रिपोर्ट ने हर किसी को हैरान कर दिया है, सोचने पर मजबूर है कि आखिर ये अब तक किसी के सामने क्यों नहीं आया था. ये वही इंडस्ट्री है जिसने देश को मोहनलाल, ममूटी, फहाद फाजिल जैसे प्रसिद्ध अभिनेता दिए हैं.

हेमा कमिटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले अनावरण
नई दिल्ली,19 अगस्त 2024,फ‍िल्मी दुनिया से शोषण की खबरें आती रहती हैं. लेकिन ये इतनी आम हो जाएं कि किसी का काम करना मुश्किल हो जाए तो बात चिंता करने वाली है. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का हाल कुछ इसी तरह है ये हम नहीं एक रिपोर्ट में सामने आया है. जस्टिस हेमा कमिटी की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक कई एक्ट्रेसेज ने अपने बयान में बताया है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में धड़ल्ले से एक्ट्रेसेज का शोषण होता है. वहां हीरो का बोलबाला है.

काले सच से उठा पर्दा!

पूरे पांच साल बाद आई 295 पन्नों की इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.इस रिपोर्ट ने हर किसी को हैरान कर दिया है,सोचने पर मजबूर है कि आखिर ये अब तक किसी के सामने क्यों नहीं आया था.ये वही इंडस्ट्री है जिसने देश को मोहनलाल,ममूटी,फहाद फाजिल जैसे नामचीन एक्टर्स दिए हैं.

रिपोर्ट में यौन शोषण से लेकर कास्टिंग काउट, हैरेसमेंट तक पर बात की गई है. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की हालत कितनी बदतर है इस पर पूरी रोशनी डाली गई है. हेमा समिति की रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म इंडस्ट्री में हीरो की मर्जी से ही कोई भी काम किया जाता है. हीरोइन की बिल्कुल नहीं सुनी जाती.इस रिपोर्ट में इंडस्ट्री के बिग शॉट्स का एक बड़ा ग्रूप शामिल है,जिसमें प्रोड्यूसर्स,डायरेक्टर्स और एक्टर्स सभी शामिल हैं.वो तय करते हैं कि किसे फिल्म में काम देना चाहिए और किसे नहीं.

इसमें कहा गया है, कि’कोई भी पुरुष या महिला ऐसा कोई शब्द बोलने की हिम्मत नहीं करता है जो शक्तिशाली ग्रुप से संबंधित किसी व्यक्ति को अपमानित कर सकता है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति को पावरफुल लॉबी इंडस्ट्री से हटा देती है.’

महिलाओं से होती है यौन प्रताड़ना

रिपोर्ट में शामिल फैक्ट्स को देखकर महिलाओं की सेफ्टी से जुड़ी चिंताएं पैदा हो गई हैं. जस्टिस हेमा समिति की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट,2019 में सरकार की नियुक्त पैनल ने विस्फोटक विवरण सामने रखे हैं.

पैनल का कहना है कि- आत्मस्वीकृतियों से सामने आया है कि सिनेमा में कुछ पुरुष जो एक्टर,डायरेक्टर-प्रोड्यूसर या फिल्म इंडस्ट्री में जो भी हो,के रूप में अपनी पावर को जाने जाते हैं और प्रतिष्ठित हैं.उन्होंने सिनेमा में कुछ महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और शारीरिक छेड़छाड़ करके उन्हें सदमे में डाल दिया है.इस रिपोर्ट की कॉपी सरकार के बाद आरटीआई एक्ट में मीडिया को भी सौंप दी गई है.

रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के प्रति एक गलत नजरिए को भी देखा गया और इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच सिंड्रोम की भी पुष्टि की गई.रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्देशक और मेकर्स अक्सर महिलाओं पर शोषणकारी स्थितियों के लिए दबाव डालते हैं.जो महिलाएं उनकी शर्तों से सहमत होती हैं,उन्हें कोड नाम से बुलाया जाता है’सहयोगी कलाकार.’रोल्स के लिए अपनी ईमानदारी से समझौता करने वाली महिलाओं के कई बयान सामने आए हैं.

सामने आए यौन उत्पीड़न के अनगिनत मामले

चौंकाने वाले और लज्जाजनक अनावरणों की श्रृंखला में कहा गया है कि महिलाओं को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री में नशे में धुत व्यक्तियों के उनके कमरों के दरवाजे खटखटाने के मामले भी शामिल हैं.इसमें कहा गया है कि यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली कई एक्ट्रेसेज डर के कारण पुलिस में शिकायत करने से हिचकिचाती हैं.

रिपोर्ट में लिखा गया है कि ये चकाचौंध से भरी दुनिया है. दूर से सब सही लगता है लेकिन अंदर से पूरी घ‍िनौनी है. रिपोर्ट की शुरुआत में ही लिखा गया है कि जो आप देखते हैं उस पर भरोसा ना करें क्योंकि दूर से नमक भी चीनी जैसा लगता है. इंडस्ट्री में सबसे बड़ी समस्या जो एक्ट्रेसेज फेस करती हैं वो यौन प्रताडना है. और इसी पर बात करने से हिचकिचाती भी हैं.

फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाले विषयों की जांच करने को ‘वुमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ की याचिका के बाद केरल सरकार ने 2017 में जस्टिस हेमा समिति की स्थापना की थी. एक्ट्रेस रंजिनी उर्फ साश सेल्वराज उन एक्ट्रेसेज में शामिल थीं जिन्होंने इस रिसर्च में समिति को बयान दिया था.

मलयालम सिनेमा इंडस्ट्री का काला सच सोमवार को जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट शूटिंग के दौरान महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले व्यापक और लगातार यौन उत्पीड़न पर प्रकाश डालती है। इस रिपोर्ट ने इंडस्ट्री की खौफनाक सच्चाई को बयां किया है।

कई महिलाओं ने आरोप लगाया है कि काम शुरू करने से पहले ही उन्हें अवांछित प्रलोभनों का सामना करना पड़ा।रिपोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा पर गहरी चिंता व्यक्त की है। जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के विस्फोटक विवरण शामिल हैं।

एक्सपर्ट पैनल ने कहा कि साक्ष्य में सामने आया है कि सिनेमा के कुछ पुरुषों ने (कलाकार, निर्देशक या फिल्म इंड्रस्टी से जुड़ी) महिलाओं को यौन उत्पीड़न से चौंका दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फीमेल एक्ट्रेसेस को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें फिल्म इंड्रस्टी में नशे में धुत व्यक्तियों द्वारा उनके कमरों के दरवाजे खटखटाने के मामले भी शामिल हैं। यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली उनमें से कई डर के कारण पुलिस में इसकी शिकायत करने से हिचकिचाती हैं।

‘जो समझौते से करती हैं इनकार, इंड्रस्टी से बाहर’
तीन सदस्यीय पैनल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, फिल्म इंड्रस्टी में महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या यौन उत्पीड़न है। सिनेमा में महिलाएं यौन उत्पीड़न के बारे में बोलने में सबसे ज्यादा असहज महसूस करती हैं, जिसका वे शिकार होती हैं। महिला कलाकार समझौता करने के लिए तैयार होती हैं, उन्हें कोड नाम दिए जाते हैं, और जो समझौता करने के लिए तैयार नहीं होती हैं, उन्हें क्षेत्र से बाहर कर दिया जाता है।

सिनेमा में काम के बदले में बनाना पड़ता है संबंध
आयोग ने कहा कि मलयालम फिल्म उद्योग में काम करने वाली महिलाओं द्वारा बताई गई यौन उत्पीड़न की कहानियों को सुनकर वह स्तब्ध रह गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिनेमा में अभिनय या कोई अन्य काम करने का प्रस्ताव महिलाओं को यौन संबंधों की मांग के साथ मिलता है। जैसा कि मैंने पहले ही बताया है, महिला को समायोजित करने और समझौता करने के लिए कहा जाता है, जिससे उसे यौन मांगों के आगे झुकने के लिए कहा जाता है।

फिल्म उद्योग में विभिन्न महिलाओं का हवाला देते हुए, हेमा समिति ने बताया कि सिनेमा में काम करने के लिए जाते समय, वे अक्सर अपने माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों के साथ जाती हैं, क्योंकि सिनेमा में मौका देने के साथ-साथ सेक्स की मांग भी की जाती है और इसलिए, वे अपने कार्यस्थल पर अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित रहती हैं।

‘पीरियड्स में तो बदतर होते हैं हालात’

इसमें कहा गया है कि महिला कलाकारों को मासिक धर्म के दौरान फिल्म सेट पर गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सैनिटरी पैड बदलने के दौरान उन्हें अक्सर काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है और उन्हें शौचालय की सुविधा के बिना घंटों सेट पर ही रहना पड़ सकता है। उचित सुविधाओं की कमी के कारण मलयालम फिल्म उद्योग में अभिनेत्रियों में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं सहित कई तरह की समस्याएं सामने आई हैं। कई मामलों में, प्रोडक्शन यूनिट महिलाओं को शौचालय का उपयोग करने की अनुमति नहीं देती हैं।

‘शूटिंग के दौरान होटलों में ठहरना, काली रात से कम नहीं’
रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि अधिकांश होटलों में, जहां वे ठहरी हुई हैं, सिनेमा में काम करने वाले पुरुषों द्वारा दरवाजे खटखटाए जाते हैं, जो ज्यादातर नशे में हो सकते हैं। कई महिलाओं ने कहा है कि खटखटाना विनम्र या सभ्य नहीं होगा, लेकिन वे बार-बार बलपूर्वक दरवाजा खटखटाते हैं। कई मौकों पर, उन्हें लगा कि दरवाजा गिर जाएगा और जबरन कमरे में घुस आएंगे। खौफ के साए में पूरी रात गुजर जाती है।

‘आवाज उठाने पर मिलती है जान से मारने की धमकी’
पैनल ने कहा कि भले ही सिनेमा में महिलाओं के खिलाफ किए गए कई यौन कृत्य आईपीसी और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम (POSH) की परिभाषा के तहत आते हैं, लेकिन अत्याचारों से पीड़ित महिलाएं चुप रहना पसंद करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक कलाकार ने कहा कि अगर वे अदालत या पुलिस के सामने मामला उठाते हैं, तो उन्हें जान से मारने की धमकी सहित और भी बुरे परिणाम भुगतने होंगे। कलाकार ने कहा कि जान को खतरा न केवल पीड़ितों के खिलाफ होगा, बल्कि उनके करीबी परिवार के सदस्यों को भी खतरा होगा।
जस्टिस हेमा कमेटी का गठन और इसकी वजह:
जस्टिस हेमा कमेटी का गठन 2017 में केरल सरकार द्वारा किया गया था। इस कमेटी का उद्देश्य मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न और असमानता की समस्याओं की जांच करना था। यह कमेटी न्यायमूर्ति के. हेमा की अध्यक्षता में बनाई गई थी, जिनके साथ दो अन्य सदस्य भी थे।

इस कमेटी की रिपोर्ट में यह पाया गया कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को अक्सर यौन उत्पीड़न, असमान वेतन, और कार्यस्थल पर शोषण का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में यह भी अनावरण हुआ कि इंडस्ट्री में महिलाओं के प्रति असम्मानजनक व्यवहार और भेदभाव सामान्य बात है। आपको बता दें कि मलयालम सिनेमा में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करने के लिए अभिनेता दिलीप से जुड़े 2017 के अभिनेत्री हमला मामले के बाद पैनल का गठन हुआ।

बॉलीवुड इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच जैसी चीजें एकदम आम हैं। अकसर कोई न कोई एक्ट्रेस इससे जुड़ा ऐसा खुलासा कर ही देती है, जो बेहद हैरत भरा होता है। मगर क्या आप जानते हैं कि महिला असुरक्षा के मामले में मलयालम इंडस्ट्री बहुत आगे है। जी हां! ये हम नहीं कह रहे, बल्कि जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

बताते चलें कि केरल सरकार ने हाल ही में हेमा समिति की एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रही महिलाओं की स्थिति को लेकर ऐसे-ऐसे खुलासे हुए, जिसे जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।

295 पन्नों के प्रारंभिक मसौदे से 63 पन्ने हटाए जाने के बाद आरटीआई अधिनियम के तहत ये रिपोर्ट जारी हुई है, जिसमें एक मेल ग्रुप का पता लगा है, जो डायरेक्टर्स, एक्टर्स सहित 15 बड़े शॉट्स से जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि यही ग्रुप तय करता है कि किसे इंडस्ट्री में एंट्री देनी है औऱ किसे फिल्मों में रखा जाना है।

चलिये कुछ बिंदुओं से इस बात को समझते हैं कि कमेटी द्वारा जारी इस रिपोर्ट में महिलाओं को लेकर कौन से शॉकिंग खुलासे हुए हैं। हेमा समिति की रिपोर्ट में कुछ खुलासे हुए हैं…

समिति के ध्यान में इस बात को लाया गया है कि मलयालम सिनेमा के ही एक फेमस एक्टर ने फिल्म इंडस्ट्री में मौजूद शक्तिशाली लॉबी को माफिया कहा है।
इसमें कहा गया है कि ये लोग अपनी चॉइस के हिसाब से कुछ भी कर सकते हैं। इनका बस चले तो किसी पर बैन भी लगा सकते हैं।
इनके खिलाफ कोई भी पुरुष हो या महिला, बोलने की हिम्मत नहीं कर सकता।
इ्ंडस्ट्री में कास्टिंग काउच सिंड्रोम की पुष्टि हुई है।
रिपोर्ट में ये बात कही गई है कि निर्देशक और मेकर्स अकसर महिलाओं पर दबाव बनाते हैं।
जो भी महिलाएँ इन लोगों की शर्तों से सहमत होती हैं, उन्हें कोड नाम से बुलाया जाता है।मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक्टर्स (पुरुष) ही राज कर रहे हैं।
बात ना मानने वाली एक्ट्रेस को अकसर बार-बार शॉट्स देने पर मजबूर किया जाता है।
एक्ट्रेस को जो बोला जाए वो करें, ऐसी एक्टर्स की सोच होती है।
एक्ट्रेस धमकी से बचने और परिवार की सुरक्षा के लिए शिकायत करने से डरती हैं।
दूर से ग्लैमरस दिखने वाली ये इंडस्ट्री असल में नर्क है।
सेक्शुएल फेवर्स से मना करने वाली एक्ट्रेस को प्रोजेक्ट से बाहर कर दिया गया।

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