आंदोलनकारियों का सुको कमेटी को मानने से इंकार,नहीं करेंगे बात, आंदोलन रहेगा जारी
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SC Committee on Kisan Andolan : किसान संगठनों ने कहा- कमिटी के सभी सदस्य सरकार के ही लोग, कांग्रेस का भी यही आरोप
राकेश टिकैत ने एक निजी न्यूज चैनल पर बातचीत के दौरान कमिटी के सदस्यों के नाम लेते हुए कहा कि ये सभी बाजारवाद और पूंजीवाद के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि इन्होंने ही तो कृषि सुधार के लिए इस तरह के कानून लाने की सिफराशि सरकार से की थी तो इनसे किसानों के हित में सोचने की क्या उम्मीद की जा सकती है।
हाइलाइट्स:
कृषि कानूनों पर सरकार को आंदोलनकारी किसानों के बीच ठनी रार खत्म होने की गुंजाइश नहीं
किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की कमिटी की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर दिया
आंदोलनकारी किसान नेताओं का आरोप है कि कमिटी के सारे सदस्य नए कानूनों के पक्षधर है
नई दिल्ली 12 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाकर किसानों से बातचीत के लिए कमिटी गठित कर दी है, लेकिन सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच गतिरोध खत्म होने की अब भी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी ने भी कमिटी की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया 2 महीने का वक्त
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दोटूक अंदाज में कहा कि कमिटी के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के ही लोग हैं, इसलिए उनकी सिफारिश भी सरकार के पक्ष में ही आएगी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कमिटी को 2 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी होगी और उसे अपनी पहली बैठक 10 दिनों के अंदर ही करनी होगी।
राकेश टिकैत ने कमिटी के सदस्यों पर उठाए सवाल
टिकैत ने एक निजी न्यूज चैनल पर बातचीत के दौरान कमिटी के सदस्यों के नाम लेते हुए कहा कि ये सभी बाजारवाद और पूंजीवाद के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि इन्होंने ही तो कृषि सुधार के लिए इस तरह के कानून लाने की सिफराशि सरकार से की थी तो इनसे किसानों के हित में सोचने की क्या उम्मीद की जा सकती है। बीकेयू प्रवक्ता ने कहा, “अशोक गुलाटी कौन हैं? बिलों (कृषि विधेयकों) की सिफारिश इन्होंने ही कही थी। भूपेंदर सिंह मान पंजाब से हैं। अमेरिकन मल्टिनैशनल जो है, शरद जोशी तो उन्हीं के साथ काम करते थे। महाराष्ट्र शेतकारी संगठन के लोग हैं, एक ही तो विचारधार है जो बाजार के, पूंजीवाद के पक्षधर हैं।”
टिकैत यहीं नहीं रुके और साफ-साफ कहा कि कमिटी सरकार के पक्ष में ही फैसला देगी। उन्होंने कहा, “जो कमिटी बनी है, वो सरकार के पक्ष में ही फैसला देगी। इनसे आज बुलवा लो या 10 दिन के बाद रिपोर्ट दे दें, फैसला तो सरकार के पक्ष में ही देंगे। कौन सा किसान है इसमें।” टिकैत के इस आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि खुद राकेश टिकैत कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने जून 2020 में प्रकाशित एक खबर का हवाला देकर कहा कि राकेश टिकैत ने नए कृषि कानूनों का स्वागत करते हुए इन्हें किसान हितैषी बताया था।
अन्य किसान संगठनों ने भी जताया संदेह
उधर, किसान नेता बलबीर सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट की कमिटी पर अविश्वास जताते हुए कहा कि वो इसे नहीं मानते हैं।
कांग्रेस ने भी मिलायी हां में हां
किसान नेताओं ने ही नहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट की कमिटी पर सवाल खड़ा किया। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कमिटी के चारों सदस्यों की राय से सबलोग पहले सी ही वाकिफ हैं।
सरकार की क्या राय?
उधर, सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी इच्छा के खिलाफ कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है। उन्होंने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली की योजना को भी देश की छवि के लिए ठीक नहीं बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति बनाने को कहा है, जिसमें ज्यादातर किसान शामिल होंगे, जो कानूनों के खिलाफ किसान यूनियनों की शिकायतों को सुनेंगे। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को अगले आदेश तक स्थगित करने जा रहे हैं।” प्रधान न्यायाधीश ने कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, डॉक्टर प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवत और बीएस मान को समिति में शामिल किया है, जो नए कृषि कानूनों के संबंध में किसानों के मुद्दों को सुनेंगे। शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस के आवेदन पर नोटिस भी जारी किया, जिसमें किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने से रोकने की मांग की गई है।