कैपिटल हिल कांड दोहराने की कोशिश,लाल किले पर खालसा ध्वज

लाल किले पर किसानों का कब्जा:हजारों किसान प्राचीर पर चढ़े, खालसा पंथ और किसान संगठनों का झंडा लगाया
एक तस्वीर अमेरिका की है, जहां 6 जनवरी को ट्रम्प समर्थकों ने कैपिटल हिल पर कब्जा कर लिया था। दूसरी तस्वीर लाल किले की है, जहां आज हजारों किसान आंदोलनकारी दाखिल हो गए।
नई दिल्ली 26 जनवरी। हर साल 15 अगस्त को जिस लाल किले पर आजादी का जश्न होता है, इस साल 26 जनवरी को वहां किसान काबिज हो गए। दिल्ली में दाखिल हुए किसानों का बड़ा जत्था मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे लाल किले पर पहुंच गया। हल्ला-गुल्ला, हंगामे और भारी गहमागहमी के बीच एक युवक दौड़ता हुआ आगे बढ़ा और उस पोल पर चढ़ कर खालसा पंथ और किसान संगठन का झंडा बांध आया, जहां प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराते रहे हैं।

करीब एक घंटे तक ये उपद्रव चलता रहा। इसके बाद किसान नेताओं ने अपील की, सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग किया और तब प्रदर्शनकारियों को प्राचीर से हटाया जा सका।

06/1 और 26/1: अमेरिका जैसी तस्वीरें भारत में

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की तस्वीरें दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र से मेल खा रही हैं। जिस तरह आज लाल किले पर आंदोलनकारियों ने उपद्रव किया, ठीक उसी तरह अमेरिका में 6 जनवरी को ट्रम्प समर्थकों ने हंगामा किया था। हजारों की संख्या में ट्रंप समर्थक हथियारों के साथ कैपिटल हिल में घुस गए, यहां तोड़फोड़ की, सीनेटरों को बाहर किया और कब्जा कर लिया था। हालांकि, लंबे संघर्ष के बाद सुरक्षाबलों ने इन्हें बाहर निकाला और कैपिटल हिल को सुरक्षित किया। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी।

तस्वीरों में ट्रैक्टर परेड: किसानों का काफिला हुआ बेकाबू
तय रूट तोड़कर लाल किले की तरफ मुड़े किसान

किसानों का जो रूट पुलिस ने तय किया था,उसमें लाल किला कहीं नहीं आता। सिंघु बॉर्डर से जो किसान दिल्ली में दाखिल हुए,वही रूट तोड़कर लाल किले की ओर बढ़ गए। संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से उन्हें आउटर प्वाइंट की तरफ जाना था,लेकिन उधर ना जाकर वो लाल किले की तरफ मुड़ गए। मुबारका चौक पर कुछ किसानों को पुलिस ने रोका भी, लेकिन हाथापाई के बाद पुलिस हट गई और वहां हजारों किसान जमा हो गए। इसके बाद ये सभी लाल किले में दाखिल हुए। लाल किले के बाहर किसानों ने अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए।

लाल किले के सामने लगे बैरिकेड्स किसानों ने तोड़ दिए।
किसान संगठन बोले- ये राजनीतिक दलों के लोग,बदनाम करना चाहते हैं

लाल किले पर पुलिस प्रदर्शनकारियों को समझाती रही कि तिरंगा उतारकर अपने झंडे लगाना ठीक नहीं है,लेकिन वो नहीं माने। इस दौरान तिरंगे,किसान संगठनों के झंडों के अलावा वाम दलों का झंडा भी नजर आया।
इस हिंसक और उग्र आंदोलन पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम जानते हैं कि कौन परेशानी खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। ये उन राजनीतिक दलों के लोग हैं,जो आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं।
हजारों की संख्या में किसान तय रूट छोड़कर लाल किले की तरफ मुड़ गए
Farmer`s Tractor Rally: Delhi में Red Fort पर प्रदर्शनकारियों ने फहराया अपना झंडा
किसान प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए. आंदोलनकारियों ने लाल किले पर अपना झंडा भी फहरा दिया .पुलिस किसान आंदोलनकारियों की भीड़ को काबू करने की कोशिश करती रही.लेकिन किसान लगातार हंगामा करते रहे.
देश की राजधानी दिल्ली में किसान प्रदर्शनकारी आईटीओ के पास दिल्ली पुलिस से झड़प के बाद लाल किले (Red Fort) तक पहुंच गए.इस बीच प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर अपना झंडा फहरा दिया.झंडा खालसा पंथ का है.किसानों का हंगामा जारी रहा.किसान इंडिया गेट की तरफ बढ़ने की भी कोशिश करते रहे.पुलिस ने इंडिया गेट जाने वाले रास्ते को ब्लॉक कर दिया.

किसानों ने दिल्ली पुलिस पर किया हमला

बता दें कि आज दिल्ली में आईटीओ के पास किसान आंदोलनकारियों ने पुलिस की टीम पर तलवार और लाठी डंडे से हमला कर दिया. इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. किसानों ने पुलिस टीम पर पत्थरबाजी भी की.
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने किसानों की भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. जिसके बाद किसान प्रदर्शनकारी और ज्यादा उग्र हो गए. किसानों ने पुलिस की टीम पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश भी की.


किसानों ने तोड़ा शांतिपूर्ण ट्रैक्टर रैली निकालने का वादा

जान लें कि दिल्ली पुलिस ने किसानों को बार-बार समझाने की कोशिश की कि ट्रैक्टर रैली को शांतिपूर्ण तरीके से निकालें, लेकिन किसान नहीं माने. किसानों ने दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ दी और लाल किले की तरफ आगे बढ़ गए.


किसान आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन के दौरान डीटीसी बसों को भी निशाना बनाया है. किसानों ने कई डीटीसी बसों के शीशे तोड़ दिए. आईटीओ के पास प्रदर्शनकारियों ने एक डीटीसी बस को पलटने की कोशिश भी की.

प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया. किसान बार-बार उत्तेजित होकर हिंसा करते रहे. इस दौरान दिल्ली में आईटीओ के पास किसान लगातार डटे रहे. पुलिस किसानों को समझाने की कोशिश करती रही .

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