किसान आंदोलन: दोनों पक्षों की ओर से वार्ता की प्रतिबद्धता
सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद करने का कोई सवाल नहीं: संयुक्त किसान मोर्चा
Updated: 31 Jan 2021, 12:26:00 AM
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नयी दिल्ली, 30 जनवरी । केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को कहा कि सरकार के साथ बातचीत का रास्ता बंद करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिन हुई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि किसान यूनियनों के साथ बातचीत के दौरान सरकार द्वारा की गई पेशकश अभी भी बरकरार है और उससे बस सम्पर्क करके बातचीत की जा सकती है। इस बयान के बाद ही शाम को संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत का रास्ता बंद नहीं करने की बात कही है। आंदोलन में शामिल किसान नेताओं ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर ‘सद्भावना दिवस’ मनाया और दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पूरे दिन का उपवास रखा। मोर्चा के नेता दर्शन पाल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘किसान अपनी निर्वाचित सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली के दरवाजे तक चल कर आए हैं, इसलिए किसान संगठनों द्वारा सरकार से बातचीत का दरवाजा बंद किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।’’ किसान संगठनों और केन्द्र सरकार के बीच अंतिम बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। मोर्चा ने अपने बयान में कहा है कि यूनियनें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने की अपनी मांग जारी रखेंगी। मोर्चा ने किसान आंदोलन को ‘‘कमजोर और बर्बाद करने’’ के पुलिस के कथित प्रयासों की भी आलोचना की। पाल ने एक बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि पुलिस शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमलों को बढ़ावा दे रही है। पुलिस और भाजपा के गुंड़ों द्वारा लगातार की जा हिंसा सरकार के भीतर के डर को दिखाती है।’’ बयान में कहा गया है कि दिल्ली की सभी सीमाओं सहित पूरे देश में आज एक दिन का उपवास रखा गया। किसानों ने अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रखने की शपथ ली। बयान के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और अन्य राज्यों में भी किसानों के उपवास करने की सूचना है। वहीं बिहार में मुजफ्फरपुर और नालंदा जिलों सहित अन्य जिलों में सद्भावना दिवस पर मानव श्रृंखला बनायी गई।
Kisan Andolan: सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी बोले- बातचीत से ही निकलेगा हल, किसानों से बस एक कॉल दूर
Kisan Andolan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिया गया कृषि कानूनों संबंधी केंद्र का प्रस्ताव अब भी कायम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में शनिवार को सर्वदलीय बैठक हुई. इस दौरान किसान आंदोलन (Kisan Andolan) और उनकी मांगों का मुद्दा भी उठा. आल पार्टी मीट में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद, टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, शिवसेना सांसद विनायक राउत, और एसएडी के बलविंदर सिंह भांडेर ने किसान आंदोलन पर अपनी बात रखी, जबकि जेडीयू सांसद आरसीपी सिंह ने कानूनों का समर्थन किया.
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार अब भी प्रस्ताव लेकर किसानों के समक्ष खड़ी है. सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा, ‘कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से जो कहा वह मैं फिर से दोहराना चाहता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘हम आम सहमति तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन हम आपको (किसानों को) प्रस्ताव दे रहे हैं. आप जाएं और इस पर चर्चा कर लें.’ इसके साथ ही उन्होंने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की कही बात को दोहराया कि वह किसानों से बस एक फोन कॉल की दूरी पर हैं.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सर्वदलीय बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि ‘पीएम मोदी ने बैठक में भरोसा दिलाया कि सरकार किसानों की मांगों पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने कहा सरकार और किसानों के बीच 11वीं वार्ता में जो प्रस्ताव दिया गया था वह अब भी बरकरार है. इसके साथ ही उन्होंने कृषि मंत्री की बात को दोहराया कि वह बस एक फोन कॉल पर बातचीत के लिए उपलब्ध हैं.’
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट कर सर्वदलीय बैठक में हुई बातचीत की जानकारी दी.
बजट सत्र के मद्देनजर बुलाई गई थी सर्वदलीय बैठक
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सरकार का प्रस्ताव अभी भी है. कृपया अपने समर्थकों को यह बात बताएं. बातचीत के जरिए यह समाधान निकाला जाना चाहिए. हम सभी को राष्ट्र के बारे में सोचना होगा.’ पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के मसलों को वार्ता के जरिए सुलझाने की लगातार कोशिश कर रही है
सूत्रों ने कहा कि बजट सत्र के सुचारू संचालन के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि तीन नए कृषि कानूनों पर केंद्र का प्रस्ताव अभी भी है. सरकार द्वारा राजनीतिक दलों के समक्ष अपना विधायी एजेंडा रखने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है.