किसानों का नहीं रहा अब ये आंदोलन, नक्सल-वामपंथी अतिवादी चला रहे अपना एजेंडा: पीयूष गोयल
अब किसानों का नहीं रहा आंदोलन, नक्सल-वामपंथी चला रहे अपना एजेंडा: पीयूष गोयल
Farmers Protest: पीयूष गोयल ने कहा कि नक्सलियों ने ऐसा डर का माहौल बना दिया है कि कोई बात नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि विपक्ष के 18 दलों की कोशिश के बावजूद ‘भारत बंद’ नहीं हुआ. देश चलेगा और खुल कर चलेगा
पीयूष गोयल ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ा बयान दिया है.
नई दिल्ली 12 दिसंबर।. किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा, ‘भारत सरकार के द्वार 24 घंटे किसानों के लिए खुले हैं. मैं समझता हूं कि अगर ये किसान आंदोलन माओवादी और नक्सल ताकतों से मुक्त हो जाए, तो हमारे किसान भाई-बहन जरूर समझेंगे कि कृषि कानून उनके और देशहित के लिए हैं.’ उन्होंने कहा कि कभी कोई समाधान इस प्रकार नहीं निकलता की एक बात बोल कर निकल जाये. ये आंदोलन किसानों के हाथ से निकल चुका है और नक्सल और माओवादी इसे चला रहे हैं.
पीयूष गोयल ने कहा कि यहां पर कोई टॉल लीडर नहीं है जिसका दूसरे विश्वास करें. नक्सलियों ने ऐसा डर का माहौल बना दिया है कि कोई बात नहीं कर सके. उन्होंने कहा कि विपक्ष के 18 दलों की कोशिश के बावजूद ‘भारत बंद’ नहीं हुआ. देश चलेगा और खुल कर चलेगा. हमारे द्वार 24 घंटे खुले हैं. एमएसपी को लेकर हम लिखित आश्वासन देने को तैयार हैं. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी बोल चुके हैं और कृषि मंत्री भी संसद में बोल चुके हैं कि एमएसपी है और रहेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 50 साल सत्ता में थी तो क्यों नहीं कानून बनाया. हर एक चीज के लिए कानून नहीं बनता है.
नक्सल संगठनों ने हाईजैक किया आंदोलन- गोयल
पीयूष गोयल ने कहा कि महेंद्र सिंह टिकैत जी ने 27 साल पहले इसके लिये लड़ाई लड़ी थी. जिस दिन आर्डिनेस पास हुआ उनके परिवार ने कहा था कि उनका सपना पूरा हो गया. किसानों की जो मांग वर्षो से थी उसको पूरा करने का काम नरेंद्र मोदी जी ने किया है. माओवादी, नक्सल ताकतें किसानों को उनके हित से वंचित रखना चाहती हैं. माओवादी नक्सल ताकतों से इस देश को सभी राजनीतिक पार्टी को अवगत कराना चाहिये. ऐसी ताकतें हावी हो गई हैं. जब कुछ लोग आगे आना चाहते हैं तो नक्सल-माओवादी ऐसे लोगों को डरा देते हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि परसो साफ जाहिर हो गया कि नक्सल लोगों ने इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया है. आंदोलन के बीच राज्यों में हुए चुनाव हम जीत गये. राजस्थान के पंचायत चुनाव जीत गये. वहां भी किसानों ने ही वोट दिए. भारत के किसान इसे समझेंगे. ये देश हित और किसानों के हित का कानून है. किसान नक्सन और माओवाद के चंगुल से निकलें और अगर कोई शंका है तो उसपर चर्चा के लिए आगे आएं. हम बात करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि कानून करोड़ों लोगों के लिए बनता है. करोड़ों लोगों के लाभ को देखते हुए, फिर अगर उन्हें कुछ लगता है तो हम बातचीत के लिए तैयार हैं.