किसान बंद का उत्तराखंड में मामूली असर, बसें दोपहर तक बंद

उत्तराखंड में भारत बंद रहा बेअसर, ऊधमसिंहनगर में दिखा आंशिक असर

देहरादून 08 दिसंबर। कृषि कानून के विरोध में मंगलवार को किसानों का भारत बंद उत्तराखंड में बेअसर रहा। पहाड़ से लेकर मैदान तक जनजीवन सामान्य रहा। बाजार पूरी तरह से खुले रहे और चहल-पहल भी रही। देहरादून, रुड़की और हरिद्वार में प्रदर्शनकारियों ने सांकेतिक जाम लगाया। हालांकि इसका भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। कांग्रेस एवं आप कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह धरना, प्रदर्शन, पुतला दहन एवं मौन यात्रा निकाली। कुमाऊं के ऊधमसिंहनगर में बंद का आंशिक असर रहा।

मंगलवार को आहूत भारत बंद को कांग्रेस के साथ ही कुछ व्यापारिक संगठनों, इंटक और एटक ने समर्थन दिया था। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक ज्यादातर जिलों में कांग्रेसियों और कुछ संगठनों ने प्रदर्शन कर सक्षम अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे। बंद के मद्देनजर परिवहन निगम ने एहतियातन दोपहर तक बसों का संचालन नहीं किया, लेकिन शहर में सिटी बस, विक्रम और ऑटो रोज की तरह चले। हरिद्वार में जिले में कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने दुकानें बंद कराने का प्रयास किया, इस पर व्यापारियों ने जुलूस के सामने शटर गिराए, लेकिन उनके गुजरते ही दुकानें खुल गईं।
कृषि बिलों को वापस लेने की मांग को लेकर उत्तराखंड में किसानों के बंद को समर्थन मिला। विभिन्न किसान संगठनों ने धरना दिया। कहीं ट्रैक्टर रैली निकाली गई तो कहीं किसान धरने पर बैठ गए। वहीं पुतला दहन भी किया गया। राजधानी देहरादून में कांग्रेस ने रैली निकालकर विरोध दर्ज कराया। बहरहाल राज्य में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला।

देहरादून में भारत बंद को सफल बनाने के लिए कांग्रेसी सड़कों पर निकले

राजधानी देहरादून में भारत बंद को सफल बनाने के लिए कांग्रेसी सड़कों पर निकले। महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने पलटन बाजार में घूमकर व्यापारियों से सहयोग मांगा। दुकानें बंद करने की अपील की । इस दौरान उनके साथ भारी पुलिस फोर्स तैनात रही। किसान बंद के समर्थन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली। घण्टाघर पर जाम लगाकर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

किसानों के भारत बंद आंदोलन में रैली, प्रदर्शन और सड़क जाम करने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत 60-70 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इससे पहले उन्हें शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसमें कांग्रेस के कुल 34 नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी। सभी को मजिस्ट्रेट के आदेश पर निजी मुचलकों पर रिहा कर दिया गया।

बंद का दून में आंशिक असर

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का दून में आंशिक असर रहा। लगभग सभी बाजार खुले रहे। केवल कुछ व्यापारियों ने समर्थन में सांकेतिक रूप से अपनी दुकानें बंद रही। कांग्रेस, भाकियू तोमर गुट, सपा, शिवसेना, ट्रेड यूनियन सहित विभिन्न संगठनों ने समर्थन में जगह-जगह प्रदर्शन, पुतला दहन किया। कांग्रेस ने घंटाघर जबकि भाकियू ने आशारोडी चैक पोस्ट पर जाम लगाने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने सफल नहीं होने दिया।

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के भारत बंद के चलते देहरादून से दिल्ली, यूपी, टनकपुर और हल्द्वानी की बस सेवा दोपहर ढाई बजे तक बंद रही। केवल लोकल और पर्वतीय रूटों के लिए ही बसें रवाना की गई। दोपहर बाद बाकी सभी जगहों के लिए बसें चलाई गई। देश में कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए भारत बंद की वजह से देहरादून में भी करीब दो हजार ट्रकों के पहिये थमे रहे।

कांग्रेसियों और व्यापारियों में नोंकझोंक

बंद को लेकर पलटन बाजार में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और व्यापारियों में नोंकझोंक हुई। पूर्व विधायक राजकुमार और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा के नेतृत्व में कार्यकर्ता पलटन बाजार पहुंचे। यहां दुकानें बंद करने को लेकर उनकी व्यापारियों से बहस हुई। कुछ कार्यकर्ता दुकान बंद करने के लिए जोर जबरदस्ती करने लगे। इस पर व्यापारी ने विरोध किया। राजकुमार और लालचंद शर्मा ने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर शांत कराया।

किसानों के भारत बंद के समर्थन में शिव सेना ने शव यात्रा निकालकर केंद्र सरकार का पुतला दहन किया। इस दौरान शिव सैनिकों ने कहा कि केंद्र सरकार के नीतियों के खिलाफ आज अन्नदाता सड़कों पर है। कहा कि केंद्र सरकार अपनी हिटलर शाही और तानाशाही को छोड़ दें।

काली फीती बांधकर बैंककर्मियों का समर्थन

ऑल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के आह्वान पर शहर के विभिन्न बैंकों में कर्मचारी भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं। इसके लिए हाथों में काली फीती बांधकर कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है।

हालांकि, बैंककर्मियों ने कार्य का बहिष्कार नहीं किया है। वहीं, उत्तरांचल बैंक इम्प्लाइज यूनियन के सदस्य भी किसान आंदोलन के समर्थन व कृषि कानूनों के विरोध में हाथों में काली फीती बांधकर कार्य कर रहे हैं।

हरिद्वार के देहात क्षेत्रों में दिखा भारत बंद का असर


भारत बंद के आह्वान पर शहर और देहात क्षेत्रों में किसानों ने सड़कों पर उतरकर चक्का जाम किया। कहीं ज्ञापन सौंपे तो कहीं पुतले जलाकर कृषि कानूनों का विरोध किया। वहीं बाजारों में इसका मिलाजुला असर देखने को मिला। व्यापारियों के समर्थन के चलते नारसन में बंद का पूरा असर रहा। कस्बे के अलावा आसपास के गांवों के बाजार भी बंद रहे।

खानपुर में भी अधिकांश दुकानें बंद रही। वहीं,लालढांग क्षेत्र में करीब 600 खनन कारोबारियों ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में काम पूरी तरह से बंद रखा। तो रुड़की तहसील के अधिवक्ता भी कार्य विरत पर रहे। पथरी क्षेत्र के पदार्था में दुकानें बंद रहीं। हरिद्वार और रुड़की शहर में सभी बाजार खुले रहे। मंगलौर में किसानों के साथ आम आदमी पार्टी व भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी पहुंचे और बंद का समर्थन किया। लक्सर, मंगलौर, नारसन, भगवानपुर में किसानों के प्रदर्शन से दोपहर करीब 12 बजे से दो बजे तक हाईवे जाम हो गया।

प्रशासन ने वाहनों का डायवर्ट कर यातायात सुचारु कराया। शाम करीब तीन बजे तक सभी किसान संगठन प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने के बाद लौट गए। इसके के बाद सभी जगहों पर यातायात बहाल हो गया। इस दौरान भाकियू (टिकैत), भाकियू (तोमर), उत्तराखंड किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन रोड़ गुट, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन सोसायटी के बैनर तले किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर प्रदर्शन किया।

भारत बंद के चलते मंगलवार को हरिद्वार रोडवेज डिपो से 40 फीसदी बसों का संचालन नहीं हुआ। बसें नहीं चलने से यात्रियों को कई घंटे तक फजीहत झेलनी पड़ी। शाम को चार बजे बाद कुछ बसों को दिल्ली के लिए भेजा गया।

किसानों ने गन्नों से लदे ट्रक लगाकर हाईवे जाम कर दिया

रुड़की में नारसन और लक्सर पुरकाजी में किसानों ने गन्नों से लदे ट्रक लगाकर हाईवे जाम कर दिया। पुलिस प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास कर रही है। वहीं लक्सर कृषि मंडी में किसान नहीं पहुंचे। खानपुर क्षेत्र के गोवर्धनपुर में बाजार बंद रहा। विधायक ममता राकेश के समर्थन में भगवानपुर में किसान यूनियन के लोगों ने पुतला दहन किया और बाजार बंद कराया। कलियर के बेड़पुर चौक पर विधायक फुरकान अहमद के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया।

कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर रहा बंद

कुमाऊं में किसान बहुल इलाके ऊधमसिंह नगर जिले में कृषि कानूनों के विरोध भारत बंद का व्यापक असर नजर आया। उधर, पिथौरागढ़ में मिलाजुला असर देखने को मिला। व्यापार संगठन के बंद के समर्थन के बावजूद बाजार में अधिकतर लोगों ने दुकानें खोलीं। अन्य जिलों में बंद का कुछ खास असर देखने को नहीं मिला। कांग्रेस समेत कुछ अन्य राजनीतिक दलों ने बंद के समर्थन में धरना प्रदर्शन किया। ऊधमसिंह नगर में जिन्होंने दुकानें खोली थी व्यापारियों शांतिपूर्ण तरीके से उनकी दुकानें बंद करा दीं।

किसानों के आह्वान पर मंगलवार को भारत बंद के समर्थन का सबसे ज्यादा असर उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में देखने को मिला। यहां भारत बंद के समर्थन में सुबह से ही सभी दुकानें बंद रखी गईं। मुख्य चौराहों पर पुलिस बल तैनात रहा। भारत बंद और किसान आंदोलन को रुद्रपुर के व्यापारियों, मजदूरों, सिख संगठन और पेट्रोलियम एसोसिएशन ने अपना समर्थन दिया है।

साथ ही पेट्रोल पंप सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक बंद रहेंगे। रुद्रपुर रोडवेज डिपो से दिल्ली के लिए बसें संचालित नहीं हुई। रुद्रपुर मुख्य बाजार में खुली कुछ दुकानों को व्यापारियों ने बंद कराया। काशीपुर में भारत बंद को लेकर मुख्य बाजार बंद रहा।

काशीपुर में किसान धरने पर बैठे और यहां सुरक्षा के लिए पुलिस फोर्स मौजूद है। रुद्रपुर में बाटा चौक में किसानों के समर्थन में कांग्रेसियों ने केंद्र सरकार का पुतला फूंका। बाजपुर में भारत बंद के आह्वान पर बाजार बंद कराया। यहां भी पुलिस तैनात है। जसपुर में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना प्रदर्शन कर मार्ग को जाम कर दिया। पुलिस प्रशासन ने यहां ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया।

हल्द्वानी में बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला। यहां ट्रांसपोर्ट की दुकानें बंद रहीं। पुरानी सब्जी मंडी खुली रही। पिथौरागढ़ में भारत बंद का मिलाजुला असर देखने को मिला। लोहाघाट, चंपावत में बाजार पूरी तरह खुला।

बातचीत से ही समाधान, जल्द भ्रम के बादल छंट जाएंगे : त्रिवेंद्र

कृषि कानूनों पर भारत बंद को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि केंद्र सरकार कानून वापस नहीं लेगी। अगर कोई सुधार की गुंजाइश है तो उसके लिए केंद्र ने बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं। देश के किसानों को मजबूत करना है तो पुराने कानूनों की तिलांजलि देनी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान बातचीत से ही होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कांग्रेस व अन्य दलों ने जो कृषि कानूनों को लेकर भ्रम के बादल पैदा किए हैं, वह जल्द छंट जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड का किसान आंदोलन में शामिल नहीं है। कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दल किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक समझौतों का कोई कानूनी महत्व नहीं होता। यह विश्वास की बातें होती हैं। सरकार और किसानों का विश्वास बहुत जरूरी है। किसानों को सरकार की मंशा को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों की हितैषी है।

पिछले छह सालों में केंद्र सरकार ने किसानों के बजट को 12 हजार करोड़ रुपये से 1.34 लाख करोड़ तक बढ़ा दिया। किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना तक बढ़ाया। किसानों के मंडी के अलावा बाजार खोल दिए। किसानों के लिए तमाम तरह के विकल्प दिए गए हैं।

कृषि कानून में जो भी सुधार किए गए हैं, उन्हें कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था। पंजाब आज आंदोलन का लीडर बना हुआ है, लेकिन वहां कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में भी ये सारी बातें शामिल हैं। इसलिए इन दोहरे चरित्र वाले लोगों से किसानों को बचने की आवश्यकता है। कांग्रेस डूब चुकी है और अब वह किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर केंद्र सरकार पर निशाना साधना चाहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ही किसानों की सबसे हितैषी पार्टी है।

नैनीताल जिले में बंद का बाजार पर असर नहीं दिखा। नैनीताल शहर में पर्यटकों की आवाजाही बनी रही। रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में भी नजारा कुछ ऐसा ही रहा।

भाकियू नेताओं का हुड़दंग, दुकानें हुई बंद

हरिद्वार में कांग्रेसियों और भाकियू नेताओं का जुलूस कोतवाली की बगल से बाजार में दाखिल हो गया है। कांग्रेस नेता हाथ जोड़ दुकान बंद करने का आग्रह करते रहे , जबकि भारतीय किसान यूनियन के युवा नेताओं ने जबरन दुकानें बंद कराने की कोशिश की, लेकिन मौके पर मुस्तैद पुलिस ने उन्हें रोक दिया। भाकियू कार्यकर्ताओं का हुड़दंग देख कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें थोड़ी देर के लिए बंद कर ली। बाद में फिर शटर उठा लिए गए।

रायवाला में हर रोज की तरह खुली दुकानें

रायवाला और आसपास ग्रामीण क्षेत्र के बाजार पर कोई असर नहीं दिखा। सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान रोजाना की तरह लगभग 10:30 बजे खुले। सड़क पर ट्रैफिक भी सामान्य है। अभी तक किसी बंद समर्थक किसी दल के द्वारा दुकानों को बन्द करवाने की कोशिश भी नहीं की गई।
हालांकि आम आदमी पार्टी ने दुकानें बंद करवाने की घोषणा की थी, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं देखा जा रहा है। वहीं, शांति व सुरक्षा के मद्देनजर प्रमुख जगहों पर पुलिस भी तैनात हैं। पुलिस की गश्ती टीम भी लगातार राउंड पर है।

कोटद्वार में दिखा बंद का मिलाजुला असर

कोटद्वार में कांग्रेस की ओर से कराए गए बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला है। सुबह सामान्य दिनों के समान दुकानें खोलने का सिलसिला शुरू हुआ। इस बीच करीब आठ बजे कांग्रेसी जुलूस की शक्ल में बाजार में उतरे और व्यापारियों से दुकाने बंद करने की गुजारिश की, जिसके बाद व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए। हालांकि मुख्य बाजार से लगे क्षेत्रों में दुकानें सामान्य दिनों की तरह खुली रही। बस-जीप टैक्सी सेवाएं सामान्य दिनों की तरह चली। पिछले कई दिनों से भारत बंद की चर्चा के चलते बाजार में आमजन कम नजर आया।
दरअसल, सोमवार को कांग्रेस ने व्यापारियों से अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का आह्वान किया था, लेकिन सुबह से ही व्यापारियों ने दुकानें खोलने शुरू कर दी। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बाजार में सुबह से ही पुलिस बल तैनात हो गया था। बताना जरूरी है कि व्यापार मंडल की ओर से बंद का कोई आह्वान नहीं किया गया है। प्रशासन की ओर से भी स्पष्ट कर दिया गया था कि जबरन बाजार बंद नहीं करवाया जाएगा।

रुड़की में भी नजर नहीं आया असर

हरिद्वार जिले के रुड़की में किसानों के आंदोलन का अभी तक कोई असर नजर नहीं आया है। झबरेड़ा कस्बे में सामान्य दिनों की तुलना में ही बाजार खुला है किसान गन्ना लेकर कोल्हू और शुगर मिल में जा रहे हैं। मंगलौर, नारसन, लंढौरा और भगवानपुर में सामान्य दिनों की भांति कामकाज हो रहा है।

वहीं, विकासनगर के कुल्हाल में किसानों के भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिला है। ग्राम पंचायत के आह्वान पर बाजार पूरी तरह बंद रहा।

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