किसान आंदोलन: चार दिन में तीन की मौत
किसान आंदोलन में मौत:टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले जत्थे में पंजाब के एक और किसान की जान गई, पानी की बौछार के बाद 3 दिन से बीमार थे
टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले जत्थे में पंजाब के एक और किसान की जान गई, पानी की बौछार के बाद 3 दिन से बीमार थे
मृतक की पहचान लुधियाना के भगवानपुरा के रहने वाले 50 साल के गज्जन सिंह के रूप में हुई
राज्य में अब तक 3 किसानों की मौत, दो दिन पहले भिवानी में तो रविवार को बहादुरगढ़ में दुर्घटनाओं में एक-एक जान गई
बहादुरगढ़ 30 नवंबर।कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग लेकर यहां के टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले जत्थे में शामिल पंजाब के एक किसान की रविवार रात मौत हो गई। इसका कारण हार्टअटैक माना जा रहा है, लेकिन एक कारण ठंड भी हो सकता है। परिचितों की तरफ से बताया जा रहा है कि जुलाना में हुई पानी की बौछार के कारण वह 3 दिन से बीमार थे। सूचना मिलते ही पुलिस पहुंची और कार्रवाई शुरू की गई। शव को सिविल अस्पताल में रखवाया गया है। बता दें कि तीसरे आंदोलनकारी किसान की मौत है, वहीं पिछले 24 घंटे में दूसरी जान चली गई।
मृतक की पहचान लुधियाना का भगवानपुरा के रहने वाले 50 साल के गज्जन सिंह के रूप में हुई है। गज्जन सिंह बहादुरगढ़ बाईपास पर नए बस स्टैंड के पास ही था। रात को लघुशंका के लिए सड़क से कुछ कदम दूर गए थे, वहीं पर गिर गए। आसपास मौजूद किसानों ने उन्हें संभाला और अचेत अवस्था में शहर के जीवन ज्योति अस्पताल में लेकर गए। अस्पताल में डॉक्टर्स ने किसान गज्जन सिंह को मृत घोषित कर दिया। इस घटना की सूचना के बाद सेक्टर-9 चौकी से पुलिस टीम पहुंची।
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर पुलिस से बात करते मृत किसान के परिजन।
भाकियू नेताओं ने पोस्टमार्टम करवाने से पहले सरकार के सामने चार मांग रखी हुई हैं। ये पूरी होने के बाद ही पोस्टमॉर्टम करवाने और शव लेने की बात कही थी। अब जत्थे में एक और मौत से पुलिस-प्रशासन पशोपेश में है। पुलिस का कहना है कि दोनों ही मौत इत्तफाक से हुई हैं, इसमें किसी का दोष नहीं है।
उधर, गज्जन सिंह के भतीजे और परिवार के अन्य लोगों ने सरकार से मुआवजे की मांग व किसान की हत्या के आरोप में मुख्यमंत्री, हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी में हरियाणा के DGP तीनों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है परिवार के लोगों ने गुंजन सिंह के शव को लेने से भी मना कर दिया। उनका कहना है कि जब तक सरकार हमारी यह मांग नहीं मानती, हम गज्जन सिंह के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। चौकी प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि परिजनों के बयान के बाद पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।
चार दिन में तीसरी मौत
बता दें कि राज्य में अब तक आंदोलनरत 3 किसानों की जान जा चुकी है। दो दिन पहले भिवानी में एक जत्थे में शामिल किसान की सड़क हादसे में मौत हो गई थी, वहीं शनिवार रात को बहादुरगढ़ में बाईपास पर सर्विस लेन में खड़ी मैकेनिक की गाड़ी में आग लग गई थी। इससे उसके अंदर सो रहे मैकेनिक के सहायक जनकराज की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। अब रविवार देर रात पंजाब के किसान गज्जन सिंह की सांसें थम गई।
उधर,टिकरी बॉर्डर पर किसानों के विरोध में शामिल होने के लिए जा रहे एक 65 वर्षीय व्यक्ति की शनिवार रात उसकी कार में आग लगने से मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि मृतक जनक राज एक मैकेनिक था और दिल्ली जाने के लिए अपने किसान मित्रों में शामिल हो गया था।
मृतक पंजाब के बरनाला जिले के धनोला गांव का रहने वाला था। आग लगने के दौरान वह अपनी कार में सो रहा था। यह घटना बहादुरगढ़ के नजफगढ़ रोड फ्लाईओवर पर हुई जहां राज और उनके दोस्त रात में आराम कर रहे थे। आग की लपटें इतनी विकराल थी कि कार को आग का गोला बनते देर नहीं लगी।
पुलिस अधीक्षक (झज्जर) राजेश दुग्गल ने कहा, “किसानों ने हमें बताया कि वे रात 11:30 बजे बहादुरगढ़ में रुक गए क्योंकि उनके एक ट्रैक्टर की मरम्मत की जरूरत थी। कुछ समय बाद, राज अपनी स्विफ्ट कार के अंदर सोने चला गया। लगभग 1:30 बजे, कार में आग लग गई और उसकी कार में ही मौत हो गई”
राज के दोस्त – हरप्रीत, गुरप्रीत और गुरजंत ने आग बुझाने की कोशिश की और पुलिस को भी फोन किया लेकिन उनके दोस्त की कार के अंदर ही मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है।
झज्जर पुलिस ने रविवार को एक ट्वीट किया, जिसमें कहा गया कि कार के अंदर शॉर्ट सर्किट था, जिससे आग लगी। हमने किसानों से बात की, उन्होंने कहा कि वे अपने ट्रैक्टर में सो रहे थे जब कार में आग लग गई। उन्होंने आग बुझाने में मदद करने की भी कोशिश की। ”
स्थानीय अपराध टीम ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और नमूने एकत्र किए हैं। पुलिस ने कहा कि वे इस मामले को देखेंगे। मृतक के परिवार को सूचित कर दिया गया है, वे बहादुरगढ़ के रास्ते में हैं
बेटे ने बताई घर से निकलते वक्त उससे कही आखिरी बात
बरनाला का जनकराज और विलाप करते परिजन।
पंजाब के बरनाला के ट्रैक्टर मिस्त्री जनकराज 27 नवंबर को घर से निकले थे, तब उनके परिवार को अंदाजा नहीं था कि वे उन्हें दोबारा कभी देख नहीं पाएंगे। किसान आंदोलन में हिस्सा लेने जा रहे जनकराज शनिवार को दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ में कार में आग लगने से जिंदा जल गए थे।
बरनाला में विलाप करते जनकराज के परिजन।
बरनाला के धनौला के रहने वाले जनकराज दो महीने से किसान आंदोलन में सक्रिय थे। वह पंजाब से किसान आंदोलन में हिस्सा लेने गए एक किसान का ट्रैक्टर ठीक करने के लिए स्विफ्ट कार से दिल्ली रवाना हुए थे। अचानक कार में आग लगने से उनकी मौत हो गई। ग्रामीणों के मुताबिक जनकराज किसान आंदोलन में दो माह से सक्रिय थे। वहीं पति की मौत की खबर मिलने के बाद से ही उनकी पत्नी उर्मिला सदमे में हैं। वह बार-बार यही कह रही हैं कि कोई मुझे मेरे पति का चेहरा दिखा दे।
हरियाणा के बहादुरगढ़ में जली कार।
जनकराज के बेटे साहिल ने बताया कि जाने से पहले पिता ने कहा था कि बेटा अगर पंजाब खत्म हो गया तो पंजाबियत मर जाएगी। उसके पिता क्रांतिकारी सोच रखते थे। किसी के साथ धक्का बर्दाश्त नहीं करते थे। दो माह से वह किसान आंदोलन में डटे हुए थे। अक्सर कहा करते थे कि अगर पंजाब के साथ कुछ गलत हो गया, तो पंजाब रुल जाएगा, लोग रुल जाएंगे। साहिल ने बताया कि परिवार में उनके पिता ही कमाने वाले थे।
मौत की खबर मिलते ही किसान जनकराज के घर पहुंचे किसानों ने परिवार से संवेदना जताई। किसान नेताओं ने सरकार से जनकराज के परिवार को 20 लाख मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती, मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।