आचार्य पाठक को पीएम से दक्षिणा मांगने से रोका ट्रस्ट ने

भूमि पूजन कराने वाले आचार्य के मन की बात:आचार्य गंगाधर पाठक बोले- प्रधानमंत्री से दक्षिणा मांगना चाहता था कि काशी-मथुरा का झगड़ा भी खत्म हो, पर ट्रस्ट ने रोक दिया
मथुरा
यह तस्वीर अयोध्या की है। 5 अगस्त को यहां पीएम मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए शिला पूजन किया। इस दौरान समस्त पूजा मथुरा के आचार्य गंगाधर पाठक ने संपन्न कराई।
मथुरा निवासी आचार्य गंगाधर पाठक शिलापूजन कार्यक्रम के मुख्य आचार्य थे
राम मंदिर के शिलापूजन का शुभ मुहूर्त भी पाठक ने बताया था, विवाद बढ़ने पर शंकराचार्य से क्या बात की थी, ये भी बताया
मथुरा 07 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त को अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य व दिव्य मंदिर की नींव रखी। भूमि पूजन कराने वाले मुख्य आचार्य पंडित गंगाधर पाठक अपने धाम मथुरा पहुंच चुके हैं। गुरुवार को दैनिक भास्कर ने पंडित गंगाधर से बात की। उनसे यह जानने की कोशिश की कि वे प्रधानमंत्री के सामने विशिष्ट यजमान और दक्षिणा की बात दोहरा रहे थे, वह क्या थी? पंडित गंगाधर पाठक ने ही राम मंदिर के शिला पूजन का शुभ मुहूर्त निकाला था, जिसे शंकराचार्य स्वरूपानंद ने विनाशकारी बताया था। जानिए उनके मन की बात…

आचार्य गंगाधर पाठक वृंदावन में कैलाश नगर आवासीय कॉलोनी में रहते हैं।
17-18 मिनट पहले पीएम आ गए थे राम जन्मभूमि

आचार्य गंगाधर पाठक ने कहा कि राम जन्मभूमि में मंदिर के लिए शिलापूजन महज 15 मिनट में होना था। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हनुमान गढ़ी में पूजा अर्चना कर 17-18 मिनट पहले ही राम जन्मभूमि में बनी वेदी पर आ गए थे। इसलिए मैंने पूजा का विधान बढ़ा दिया था। पूजन तो तीन दिन से चल रहा था। नौ शिलाओं का पूजन हुआ। कार्यक्रम को शिलान्यास कहा जा रहा था लेकिन, शिला पूजन हुआ है। करीब 35 मिनट तक पूजा चली।
भगवान राम के मंदिर की पूजा कराना और प्रधानमंत्री का यजमान होना, यह मेरे लिए ईश्वर का आशीर्वाद है। इसीलिए मैं बार-बार विशिष्ट यजमान होने की बात दोहरा रहा था। सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा नेता अपने नाम व गोत्र का नाम लेकर कह रहा है कि मैं मंदिर बनाऊंगा।

ट्रस्ट ने मुझे प्रधानमंत्री से दक्षिणा मांगने से रोका

आचार्य पाठक बताते हैं कि इससे पहले भी मैं मोदी जी से मिल चुका है। वे मुझे नाम से जानते हैं। यही वजह थी कि बेहद हंसी-खुशी के माहौल में शिलापूजन हुआ। मैंने उनसे इशारों में दक्षिणा भी मांगी। क्योंकि ब्राह्मण का दक्षिणा मांगना अपराध नहीं है। मैंने उनसे कहा कि आप जैसे चक्रवर्ती यजमान हो जाएं तो मुझे दक्षिणा में यही चाहिए कि अभी भी भारतवर्ष में सनातनधर्मियों के लिए कई समस्याएं हैं। मैं वहां तीन बातें रखना चाहता था कि भारत में गोवंश की हत्या रुके। काशी और मथुरा का झगड़ा समाप्त हो। इस बात की चर्चा मैंने ट्रस्ट से की थी। लेकिन, मुझे ट्रस्ट ने रोक दिया कि मोदी जी के सामने यह बात न रखी जाए, नहीं तो वे बाध्य हो जाएंगे। विरोधियों को भी मुद्दा मिल जाएगा इसलिए मैं शांत रहा।

शिवभक्तों को मिले काशी,कान्हा भक्तों को मथुरा, गो हत्या पर लगे रोक

आचार्य ने बताया- अंदर से बात निकलना चाहती थी, लेकिन मैंने उसे किसी प्रकार से रोक लिया। नहीं चाहता था कि पांच अगस्त का यह शुभ मुहूर्त कुछ और कारणों से जोड़ा जाए। यह बात मैंने छिपाकर कही। लेकिन, अब यह बात देश के सामने होनी चाहिए। एक खून का कतरा यदि धरती पर गोमाता का गिरता है तो वह कलंकित होती है। इसलिए गोहत्या पर रोक लगाई जाए। मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। यह कृष्ण के भक्तों को मिले और काशी शिवभक्तों को मिले। यहां कभी किसी मुस्लिम का नाता नहीं रहा है।

शंकराचार्य का उनके चेलों ने कराया अपमान

आचार्य गंगाधर पाठक कहते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी महाराज के अनुरोध पर करीब एक माह पूर्व शास्त्र सम्मत रूप से शोध कर 5 अगस्त के मुहूर्त को मान्यता दी थी। लेकिन, उस पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने विवाद खड़ा किया। कुछ कहीं से राग द्वेष होते हैं।
शंकराचार्य भारतवर्ष के अराध्य हैं। 5 अगस्त का निर्णय हो गया था, क्योंकि मैंने ही मुहूर्त बताया था इसलिए मुझे उनकी बात का खंडन करना पड़ा। शंकराचार्य खुद चल फिर नहीं पाते। उनके कुछ चेले ने आग लगाई और किसी दूसरे चेले ने लेख लिखकर उन्हें सुना दिया और फिर शंकराचार्य को सुना दिया इसके बाद प्रकाशित कर दिया।
शंकराचार्य का उनके चेलों ने अपमान कराया है। मैंने शंकराचार्य को वॉट्सऐप भी किया था कि मुहूर्त का खंडन कर सकते हैं तो करें, लेकिन उसका खंडन नहीं किया गया। मेरे उनके साथ अच्छे संबंध हैं।

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