डॉ. मनमोहन कब्जाने भिड़ी भाजपा-कांग्रेस : राजनीति गिरने का स्तर
मनमोहन सिंह स्मारक विवाद में केंद्र सब कुछ करके भी बैकफुट पर क्यों?
Pamulaparthi Venkata Narasimha Rao (28 June 1921 – 23 December 2004)
Chandra Shekhar (17 April 1927 – 8 July 2007),
Vishwanath Pratap Singh (25 June 1931 – 27 November 2008)
Inder Kumar Gujral (4 December 1919 – 30 November 2012
*इन चारों पूर्व प्रधान मंत्रियों के देहांत के समय मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री थे l इनमे से किसी का अंतिम संस्कार भारत सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ नहीं किया गया l इनमे से किसी का समाधि स्थल दिल्ली में नहीं बनने दिया गया l
मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि पर भाजपा का भावनात्मक प्रदर्शन बिल्कुल वैसा था जैसे पार्टी किसी कांग्रेस नेता को मरने के बाद अपने पाले में लाने को करती है. शायद इसलिए ही कांग्रेस सचेत थी. पीवी नरसिम्हा राव और प्रणव मुखर्जी से जैसा व्यवहार हुआ वैसा मनमोहन सिंह से नहीं किया गया.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समाधि स्थल को कांग्रेस-आप और भाजपा में भिड़ंत
नई दिल्ली,30 दिसंबर 2024,
आप कह सकते हैं कि राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि किसी महान व्यक्ति की मौत पर भी राजनीति हो रही है. आप भूल रहे हैं कि आज यही राजनीति है. पॉलिटिशियन का हर कदम शतरंज की चाल होती है. फिलहाल पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की मृत्यु बाद उनका अंत्येष्टि स्थल और उनके स्मारक बनाने के नाम पर कांग्रेस और भाजपा में तू डाल-डाल , मैं पात-पात वाली राजनीति जमकर हुई. पर फाइनली केंद्र की एनडीए सरकार सब कुछ करके भी बैकफुट पर दिखी. निगमबोध घाट पर डॉक्टर सिंह की अंत्येष्टि के समय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह आदि ने पहुंचकर यह संदेश देने की कोशिश की कि डॉक्टर मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व राजनीति से परे था जिनका सम्मान भारत के सभी लोग करते हैं. पर इतना सब कुछ करने पर भी भारतीय जनता पार्टी की बजाए कांग्रेस ने स्मारक बनाने की मांग पर हो हल्ला करके अपने लिए जनता की सिंपैथी हथियाने की लड़ाई लड़ी. हालांकि भारतीय जनता पार्टी अपने पत्ते इतनी जल्दी नहीं खोलती है. इसलिए इस विषय पर उसके बैकफुट पर जाने जैसी बात कहना अभी बेवकूफी ही कहा जाएगा
सरदार वल्लभभाई पटेल के बाद नरसिम्हा राव और प्रणव मुखर्जी की तरह मनमोहन पर भी कब्जा न कर ले भाजपा
दरअसल डॉक्टर मनमोहन सिंह को लेकर जिस तरह कांग्रेस आक्रामक थी उसके पीछे पार्टी को डर जरूर रहा होगा. कांग्रेस थोड़ी भी लापरवाही दिखाती तो जैसे भाजपा ने नरसिम्हा राव और प्रणव मुखर्जी को अपना बना लिया वैसे ही डॉक्टर मनमोहन सिंह के भी भाजपा का हो जाने का खतरा था. जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वरिष्ठ मंत्रियों सहित डॉक्टर मनमोहन सिंह की शवयात्रा में पीछे-पीछे चल रहे थे, वह सामान्य रूप से आवश्यक नहीं था. प्रधानमंत्री का डॉक्टर सिंह की पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित करना ही काफी था.
Dr Manmohan Singh Mortals Remain submerged in Yamuna River in Delhi
why did gandhi family not attend immersion of ashes of former pm manmohan singh congress gave reason
पूर्व PM मनमोहन सिंह के अस्थि विसर्जन में क्यों नहीं गया था गांधी परिवार? कांग्रेस ने बताई वजह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अस्थियों को रविवार को उनके परिवार के सदस्यों ने सिख रीति-रिवाजों के अनुसार मजनू का टीला गुरुद्वारे के पास यमुना नदी में विसर्जित किया।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अस्थियां सिख रीति-रिवाज से यमुना नदी में विसर्जित की गई तो कांग्रेस नेता नहीं थे। इस मामले को लेकर भी खूब राजनीति हुई। कांग्रेस ने इस पर सफाई दी है। एआईसीसी मीडिया और प्रचार विभाग चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि परिवार की निजता का सम्मान कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण डॉ मनमोहन सिंह की अस्थियां चुनने और विसर्जित करने परिवार के साथ नहीं गए।
कांग्रेस पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर लिखा, ‘देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को सरकार ने उचित सम्मान नहीं दिया। लेकिन डॉक्टर मनमोहन सिंह का अपमान करने वाले लोग उनके अस्थि विसर्जन पर भी घृणित राजनीति कर रहे हैं। परिवार की निजता के सम्मान को कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण मनमोहन सिंह की अस्थि चयन और विसर्जित करने परिवार के साथ नहीं गए।’
अंतिम संस्कार के वक्त परिवार को कोई निजता नहीं मिली- पवन खेड़ा
इस पोस्ट में आगे कहा गया, ‘हमारे दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार के बाद सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने उनके निवास पर परिवार से मुलाकात की। उनसे चर्चा करने के बाद, यह महसूस किया गया कि चूंकि अंतिम संस्कार के समय परिवार को कोई निजता नहीं मिली और परिवार के कुछ सदस्य चिता स्थल पर नहीं पहुंच पाए, इसलिए उन्हें फूल चुनना और अस्थियों के विसर्जन के लिए कुछ निजता देना उचित होगा, जो कि करीबी परिवार के सदस्यों के लिए भावनात्मक रूप से पीड़ादायक और कठिन वक्त होता है।’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अस्थियों को रविवार को उनके परिवार के सदस्यों ने सिख रीति-रिवाजों के अनुसार मजनू का टीला गुरुद्वारे के पास यमुना नदी में विसर्जित किया। सिंह की अस्थियों को रविवार सुबह निगमबोध घाट से इकट्ठा किया और विसर्जन को गुरुद्वारे के पास यमुना नदी के तट पर अस्थ घाट ले जाया गया। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी गुरशरण कौर और उनकी तीनों बेटियां उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह भी मौजूद थीं।
भाजपा ने कांग्रेस पर बोला हमला
भारतीय जनता पार्टी ने विसर्जन के दौरान गांधी परिवार के सदस्यों की गैरमौजूदगी की जमकर आलोचना की। भाजपा के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह देखकर बहुत दुख हुआ कि कांग्रेस या गांधी परिवार का एक भी सदस्य मनमोहन सिंह की अस्थियां लेने नहीं आया। मीडिया का ध्यान खींचने और राजनीति करने के लिए कांग्रेस मौजूद थी, लेकिन जब उन्हें सम्मान देने की बात आई तो वे अनुपस्थित रहे। यह वाकई शर्मनाक है।’
डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर भाजपा ने जिस तरह की भावनाएं दिखाईं वो बिल्कुल ऐसी ही थी कि एक और कांग्रेस नेता को मरने के बाद अपने पाले में लाना है. सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, पीवी नरसिम्हा राव, प्रणव मुखर्जी जैसे कांग्रेस नेताओं की पार्टी ने जिस तरह उपेक्षा की उसी का नतीजा रहा है कि भाजपा उन्हें अपना बना पाई. भाजपा तो यही दिखाना चाहती थी कि कांग्रेस में केवल गांधी परिवार के नेताओं की पूछ ही होती है.
प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने जैसे बयान दिए वो कांग्रेस की गैर गांधी नेताओं को पर्याप्त महत्व न देने का एक उदाहरण ही था. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, जब बाबा का निधन हुआ था, कांग्रेस पार्टी ने शोक जताने को वर्किंग कमेटी की बैठक तक नहीं बुलाई थी. एक वरिष्ठ नेता ने मुझे कहा कि यह राष्ट्रपतियों के लिए नहीं होता.
वो आगे लिखती हैं कि यह तर्क पूरी तरह बकवास है, क्योंकि जैसा कि बाद में मुझे बाबा की डायरी से पता चला कि केआर नारायणन के निधन के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई थी और उनका शोक संदेश बाबा ने ही तैयार किया था.
इसी बीच नरसिम्हा राव के भाई का भी बयान आ गया कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की मृत्यु के बाद उनकी अंत्येष्ठि को दिल्ली में जगह नहीं दी गई. उनकी शवयात्रा के समय कांग्रेस मुख्यालय तक नहीं खोला गया. जाहिर है कि कांग्रेस से ऐसी गलती डॉक्टर मनमोहन सिंह के लिए नहीं की गई. इसके पीछे कही न कहीं कांग्रेस का डर था कि डॉ. मनमोहन भी कहीं मरने के बाद भाजपा के खेमें में न चले जाएं. वैसे अभी भी भाजपा डॉक्टर मनमोहन सिंह का स्मारक और भारत रत्न की घोषणा करके कांग्रेस से आगे निकल सकती है।
भाजपा डॉक्टर मनमोहन सिंह को लेकर क्यों बहुत उदार दिख रही है
अब सवाल उठता है कि क्या कारण है कि भारतीय जनता पार्टी डॉ मनमोहन सिंह को लेकर इतना उदार दिख रही है. साफ है कि डॉ मनमोहन सिंह कांग्रेस नेता रहे हैं उसके साथ ही मोदी सरकार के लिए उन्होंने कई कठोर बयान दिए हैं. फिर भी मोदी सरकार की डॉक्टर मनमोहन के लिए दिखाई भावना विचारणीय है. शुक्रवार को गृह मंत्रालय ने अपनी एक प्रेस रिलीज़ में कहा था कि उसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह आवंटित करने का एक निवेदन कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से मिला था. इसमें कहा गया कि कैबिनेट मीटिंग के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार को बताया था कि सरकार स्मारक के लिए जगह देगी. इस बीच उनके अंतिम संस्कार और अन्य रस्म पूरे होंगें क्योंकि स्मारक के लिए ट्रस्ट निर्माण और जगह का आवंटन होना है.
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने अंतिम संस्कार के समय भारत सरकार के खास मंत्रियों गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आदि के साथ अंत्येष्टि स्थल निगम बोधि घाट पर पहुंचे. सरकार बार-बार कह रही है कि वो डॉक्टर मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जल्द ही जमीन आवंटित कर देगी.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी बहुत कोशिश करके भी पंजाब विजय की स्क्रिप्ट नहीं लिख पा रहे हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद पार्टी वहां चौथे नंबर से ऊपर नहीं उठ पा रही है. इसी तरह दिल्ली में बस विधानसभा चुनाव होने ही वाले हैं. दिल्ली विधानसभा की कई सीटें सिख बाहुल्य हैं. दिल्ली में लगभग 12 प्रतिशत सिख समुदाय है. इसके साथ ही दिल्ली के कई सीटों पर सिख समुदाय काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. लगभग 9 सीटों पर सिख हार जीत तय करते हैं. राजौरी गार्डन, तिलक नगर, जनकपुरी, मोती नगर, राजेंद्र नगर और ग्रेटर कैलाश जैसी सीटों पर सिखों का असर ज्यादा है. अभी इन 9 सीटों में से आठ पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है. अकाली दल का साथ छूटने के बाद से भाजपा को चिंता है कि कहीं उसके वोट इस बार के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के साथ न चले जाए.
कैसे शुरू हुआ विवाद, पूरा विपक्ष मनमोहन के स्मारक को दिखा एकजुट
डॉक्टर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार कहां होगा, इसका फैसला हुआ भी नहीं था कि कांग्रेस ने आक्रामक खेल शुरू कर दिया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि देश की जनता यह नहीं समझ पा रही है कि सरकार को उनके अंतिम संस्कार और स्मारक को जगह क्यों नहीं मिल पा रही है. ताबडतोड़ स्मारक के लिए जगह की मांग लेकर कांग्रेस के कई नेताओं के बयान आने लगे. सरकार ने तय किया कि निगम बोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री की अंत्येष्टि की जाएगी. इसके बाद तो कांग्रेस के हमले और भी तेज हो गए.
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने लिखा, एनडीए सरकार ने डॉक्टर मनमोहन सिंह जैसे महान व्यक्तित्व के अंतिम संस्कार एवं स्मारक बनाने को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया है. जिस व्यक्तित्व को दुनिया सम्मान दे रही है उनका अंतिम संस्कार भारत सरकार किसी विशेष स्थान की जगह निगम बोध घाट पर करवा रही है.
हैरानी तो तब हुई जब शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी मनमोहन सिंह के स्मारक के मुद्दे पर मोदी सरकार से नाराज़गी जताई है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, चौंकाने वाला और अविश्वसनीय! डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार ने इस प्रतिष्ठित और उत्कृष्ट नेता का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर करने का अनुरोध किया था जहां एक ऐतिहासिक स्मारक बनाया जा सके. केंद्र सरकार ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया. यह अत्यंत निंदनीय है…
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने सरकार पर हमले किए. सोशल मीडिया एक्स पर मायावती ने लिखा है, केन्द्र सरकार देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह के देहांत होने पर उनका अन्तिम संस्कार वहा कराए और उनके सम्मान में भी स्मारक आदि वहीं बनवाए जहां उनके परिवार की दिली इच्छा है.
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