उप्र प्रथम चरण: राजपूतों की नाराज़ी भाजपा को भारी,रावण से होगी मदद
चंद्रशेखर रावण की मजबूत एंट्री, राजपूतों की नाराजगी…जानें वोटिंग के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर क्या कह रहे हैं राजनीतिक जानकार
शुक्रवार को पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया। पश्चिम उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान हुआ। लोगों में सुबह से ही उत्साह देखने को मिला। आठ लोकसभा सीटों पर सकुशल मतदान संपन्न हुआ है।
मेरठ 20 अप्रैल 2024। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन आठ लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को वोटिंग हुई, उन पर राजनीति की जानकारी और चुनाव पर बारीकी नजर रखने वालों की मानें तो ज्यादातर सीटों पर INDIA बनाम NDA के दिग्गजों में दंगल देख रहे हैं। हालांकि, बसपा के प्रभाव को भी इनकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन वोटरों में जातीयता और बंटवारे का घाव सभी को परेशान करता दिखाई दिया।
पहले दो चुनाव में इन सीटों पर रही दलीय स्थिति पर बात करते हैं। शुक्रवार को जिन आठ सीटों पर चुनाव हुआ हैं, उनमें सहारनपुर लोकसभा सीट, मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत शामिल है। 2014 में सभी आठ सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था। दरअसल, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे और कैराना पलायन के कारण ध्रुवीकरण का तापमान चरम पर था, लेकिन 2019 में यह तापमान कम होने के कारण इन आठ सीटों में से पांच विपक्ष ने जीती थी यानी भाजपा पांच सीट हार गई थी। इन आठ सीट में से 2019 में सपा बसपा-रालोद-गठबंधन ने पांच सीटें जीती थी, जिनमें सहारनपुर, बिजनौर, नगीना तीन बसपा, रामपुर और मुरादाबाद दो सपा ने जीती थी। रालोद अपने हिस्से की सीट हार गई थी। मुजफ्फरनगर, कैराना, पीलीभीत तीन भाजपा ने जीती थी। इस बार सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा अकेले लड़ रही। सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन (इंडिया ) में हैं। रालोद भाजपा के साथ एनडीए में हैं। बिजनौर सीट पर रालोद लड़ रही है। कांग्रेस सहारनपुर से चुनाव मैदान में है। ऐसे में भाजपा , सपा और बसपा को अपनी सीट बचाने और बढ़ाने का दबाव रहा तो वहीं कांग्रेस और रालोद पर खाता खोलने का दवाब रहा है।
राजपूतों की नाराजगी कई सीटों पर भाजपा को भारी पड़ सकती है
इस बार पश्चिम उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर घमासान तो देखने को मिला, लेकिन कहीं शांत रुख तो कहीं बंटवारे और कहीं जातिवाद वोटरों के सिर चढ़कर बोलने से समीकरण की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस बार मुस्लिम दो कैंडिडेट कांग्रेस और बसपा से होने के कारण बंटवारा बड़ी संख्या में नहीं दिखा। इंडिया और एनडीए के बीच मुकाबला होने के बाद भी बसपा मुस्लिमों में कुछ सेंध मारती दिखी। दलितों में भी यहां बसपा, भाजपा में झुकाव दिखा। भाजपा से राघव लखन पाल और कांग्रेस से इमरान मसूद के साथ बसपा से माजिद अली चुनाव को चतुष्कोणीय बनाते दिखे। मुजफ्फरनगर में राजपूत समाज की नाराजगी, जाटों में बंटवारे, बसपा कैंडिडेट के अति पिछड़ों और दलितों को साधने के कारण भाजपा के लिए यहां मुश्किलें मानी जा रही हैं। सपा इसका फायदा ले सकती है, लेकिन बसपा की मजबूत मौजदूगी से चुनाव को फंसा माना जा रहा है।
कैराना में राजपूतों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है
कैराना में भी राजपूत समाज की कुछ नाराजगी का असर, जाटों में बंटवारे से भाजपा को परेशानी हो सकती है। नए चेहरे के कारण सपा की इकरा हसन युवाओं का साथ हासिल करने में कामयाब दिखीं, जो राजनीतिक तौर पर फायदे के तौर पर देख सकती हैं। बिजनौर में जाट समाज का एक ही प्रत्याशी होने के कारण बसपा को उसका फायदा होता दिखा। मुस्लिमों और दलितों का झुकाव भी बसपा के लिए टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। भाजपा और सपा के लिए इसी वोट बैंक के छिटकने को राजनीतिक नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है।
नगीना में चंद्रशेखर रावण की मजबूत एंट्री
नगीना सुरक्षित लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर रावण ने मजबूत एंट्री की है, लेकिन इससे सपा और बसपा के लिए खतरा और भाजपा को फायदे से इनकार नहीं किया जा सकता। मुरादाबाद में आखिरकार मौजूदा सांसद एसटी हसन के टिकट कटने की नाराजगी आखिरी वक्त में कम हुई और मुस्लिमों का साथ सपा की रुचि वीरा के साथ दिखा। मुस्लिम में यहां जो भी बंटवारा होगा, उसका सीधा फायदा भाजपा को होगा।
रामपुर में आखिरी समय में बदला वातावरण, पीलीभीत में मतदाताओं की चुप्पी बढ़ा रही टेंशन
रामपुर में भी भाजपा और सपा-बसपा एक-दूसरे के वोट खींचने की कोशिश में दिखे। दो दिन पहले तक आजम खान से समर्थक बसपा के साथ दिख रहे थे, लेकिन मतदान के दिन बताया जा रहा है कि आखिरी वक्त में सपा के साथ खड़े दिखे। ऐसा होने से भाजपा के लिए राह आसान नहीं होगी। पीलीभीत में भाजपा और सपा में मुकाबला दिखा, लेकिन टिकट कटने के बाद वरुण गांधी के चुप होने से उनके समर्थक आखिरी वक्त तक चुप रहे। मतदान कहां किया कुछ नहीं बोले। उनकी यह चुप्पी भाजपा के जितिन प्रसाद को परेशान कर रही है।