पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध, कांग्रेस-लालू बोले-संघ भी हो बैन

PFI पर 5 साल का बैन:सरकार बोली- इनकी गतिविधियों से सुरक्षा को खतरा, कांग्रेस सांसद बोले- RSS भी बैन हो

नई दिल्ली 28 सितंबर। केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया( PFI) को पांच साल को बैन कर दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। केंद्र सरकार ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA में लिया है। सरकार ने कहा, PFI और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा को बड़ा खतरा हैं।

सरकार के कदम पर केंद्रीय पंचायती राज मंत्री गिरिराज ने सिंह ने ट्वीट किया- बाय-बाय PFI… इसके बाद केरल के कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा कि RSS पर भी PFI की तरह बैन लगना चाहिए, क्योंकि दोनों संगठनों का काम तो एक जैसा है। इसी तरह का बयान बाद में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी दिया है।

PFI जुड़े इन संगठनों पर भी प्रतिबंध

1. रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF)

2. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)

3. ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)

4. नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)

5. नेशनल विमेन्स फ्रंट

6. जूनियर फ्रंट

7. एम्पावर इंडिया फाउंडेशन

8. रिहैब फाउंडेशन

PFI पर बैन: आतंकवाद, फंडिंग, सीक्रेट एजेंडा जैसे 7 पॉइंट में समझिए

1. बैन लगाने का बेस और आरोप

केंद्र सरकार UAPA में PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध लगा रही है। ये कदम एजेंसियों की जांच के बाद उठाया जा रहा है। PFI और इससे जुड़े संगठन देश में आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।

2. PFI से खतरा

PFI और इससे जुड़े संगठन गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ये गतिविधियां देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इनकी गतिविधियां भी देश की शांति और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकती हैं। ये संगठन चुपके-चुपके देश के एक तबके में यह भावना जगा रहा था कि देश में असुरक्षा है और इसके जरिए वो कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा था।

3. PFI का सीक्रेट एजेंडा


क्रिमिनल और टेरर केसेस से जाहिर है कि इस संगठन ने देश की संवैधानिक शक्ति के प्रति असम्मान दिखाया है। बाहर से मिल रही फंडिंग और वैचारिक समर्थन के चलते यह देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। PFI खुले तौर पर तो सोशियो-इकोनॉमिक, एजुकेशनल और पॉलिटिकल ऑर्गनाइजेशन है पर ये समाज के खास वर्ग को कट्टरपंथी बनाने के अपने सीक्रेट एजेंडा पर काम कर रहा है। ये देश के लोकतंत्र को दरकिनार कर रहा है। ये संवैधानिक ढांचे का सम्मान नहीं कर रहा है।

4. PFI की मजबूती की वजह

PFI ने अपने सहयोगी और फ्रंट बनाए, इसका मकसद समाज में युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों और कमजोर वर्गों के बीच पैठ बढ़ाना था। इस पैठ बढ़ाने के पीछे PFI का एकमात्र लक्ष्य अपनी मेंबरशिप, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता को बढ़ाना था। इन संगठनों की बड़े पैमाने पर पहुंच और फंड जुटाने की क्षमता का इस्तेमाल PFI ने अपनी गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ाने में किया। यही सहयोगी संगठन और फ्रंट्स PFI की जड़ों को मजबूत करते रहे।

5. PFI की फंडिंग और उस पर एक्शन

बैंकिंग चैनल्स, हवाला और डोनेशन आदि के जरिए PFI और इससे जुड़े संगठनों के लोगों ने भारत और विदेशों से फंड इकट्ठा किया। यह उनके सुनियोजित आपराधिक षडयंत्र का ही एक हिस्सा था। इस फंड के छोटे-छोटे हिस्सों को कई एकाउंट्स में ट्रांसफर किया गया और ऐसा दिखलाया गया कि यह लीगल फंड है। लेकिन, इसका इस्तेमाल आपराधिक, गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों में किया गया।

PFI की ओर से जिन जरियों से बैंक अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया गया, वह अकाउंट होल्डर के प्रोफाइल से भी मैच नहीं करता। इस फंड के जरिए PFI जिन गतिविधियों को अंजाम देने का दावा करता है, वह भी नहीं किया गया। इसके बाद इनकम टैक्स ने PFI और रेहाब इंडिया फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया। उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी PFI को बैन करने की सिफारिश की थी।

6. PFI का इंटरनेशनल कनेक्शन

कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सबूत मिला है कि PFI के मेंबर्स के संबंध ग्लोबल टेररिस्ट ग्रुप्स से हैं। संगठन के मेंबर्स ने ईराक, सीरिया और अफगानिस्तान में ISIS जॉइन किया। कई मुठभेड़ों में मारे गए। कई मेंबर्स की गिरफ्तारी हुई। देश में भी राज्यों की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मेंबर्स को अरेस्ट किया। PFI के कुछ फाउंडिंग मेंबर्स SIMI के लीडर्स थे। इसके संबंध जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से थे। ये दोनों प्रतिबंधित संगठन हैं।

7. PFI की क्रिमिनल और टेरर एक्टिविटी

कई केसों की जांच में सामने आ है कि PFI और इसके काडर बार-बार हिंसक और विनाशकारी गतिविधियों को दोहराते रहे। PFI द्वारा किए गए अपराधों में प्रोफेसर का हाथ काटना, दूसरे धर्मों को मानने वाले लोगों की हत्याएं, बड़ी हस्तियों और जगहों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक जुटाना और पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान करना शामिल हैं।
संजीत (2012 केरल), वी रामलिंगम (2019 तमिलनाडु), नंदू (2021 केरल), अभिमन्यु (2018 केरल), बिबिन (2017 केरल), शरथ (2017 कर्नाटक), आर रुद्रेश (2016 कर्नाटक), प्रवीण पुयारी (2016 कर्नाटक), शशि कुमार (2016 तमिलनाडु) और प्रवीण नेट्टारू (2022 कर्नाटक)…. PFI इन सभी के मर्डर में शामिल रहा।

भारत सरकार ने PFI पर एक्शन का जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसमें इस बात का जिक्र है कि संगठन ने फंडिंग का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में किया है।
भारत सरकार ने PFI पर एक्शन का जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसमें इस बात का जिक्र है कि संगठन ने फंडिंग का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में किया है।

जांच एजेंसियों ने दो राउंड में ताबड़तोड़ छापे मारे थे,2 दिन में 278-356 गिरफ्तारियां हुईं

NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने 22 और 27 सितंबर को PFI और उससे जुड़े संगठनों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। 2 दिन के भीतर 278 गिरफ्तारियां हुईं। जांच एजेंसियों को PFI के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले। इसके बाद यह कार्रवाई की गई।​​​​

16 साल पहले बना, 23 राज्यों में फैला

साल 2006 में मनिथा नीति पसाराई (MNP) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 23 राज्यों में फैल चुका है।

1. मोदी थे PFI के निशाने पर,केरल में बनी प्लानिंग:कोर्ट में ED बोली-बिहार में मारने की साजिश थी

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 15 राज्यों के 93 ठिकानों पर 22 सितंबर को NIA-ED ने ऑपरेशन ऑक्टोपस में छापेमारी की थी। इस मामले में जांच एजेंसी ने बड़ा दावा किया था। कोझिकोड से गिरफ्तार PFI वर्कर शफीक पायथे के रिमांड नोट में ED ने कहा- पटना में 12 जुलाई को प्रधानमंत्री की रैली में हमले का षड्यंत्र था,जिसकी फंडिंग में शफीक पायथे भी शामिल था।

2. PFI ने सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स में लिखा- 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) एक ऐसा संगठन जिस पर सालों में आतंक की कई घटनाओं में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। इस दौरान इसके कई कार्यकर्ता पकड़े गए जिनसे कई दस्तावेज मिले। इसमें लिखा था, 2047 में जब देश आजादी के 100 साल मना रहा होगा, तब तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। 10% मुस्लिम भी साथ दें,तो कायरों को घुटनों पर ला देंगे।

3. दंगों से हत्या तक में PFI का नाम,15 साल में 20 राज्यों में पहुंचा संगठन

PFI की जड़ें 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद मुसलमानों की हित रक्षा को खड़े हुए आंदोलनों से जुड़ती हैं। 1994 में केरल में मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड (NDF) स्थापना किया। इसके बाद इसका नाम दंगों से हत्या तक में जुड़ा। संगठन 15 साल में 20 राज्यों तक पहुंच गया।

4. सलमान रुश्दी से ज्यादा खतरनाक था प्रोफेसर पर हमला;दायां हाथ काटा,शरीर पर कई जख्म दिए

न्यूयॉर्क में सलमान रुश्दी पर हमला हुआ था। रुश्दी की 1988 में एक किताब आई थी ‘सैटेनिक वर्सेज’। किताब से इस्लामिक कट्टरपंथी भड़क गए। ईरान के सर्वोच्च नेता ने रुश्दी की हत्या का फतवा जारी कर दिया। इसके 34 साल बाद 24 साल के एक नौजवान ने रुश्दी की जान लेने की कोशिश की। इसी तरह का वाकया केरल में 12 साल पहले हुआ था। प्रोफेसर टीजे जोसेफ पर 4 हमले हुए थे। दायां हाथ काट दिया था। शरीर पर कई जख्म दिए थे।

5. PFI पर एक्शन का प्लान, केंद्र ने 4 अगस्त को लिया था कार्रवाई का फैसला

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने गुरुवार आधी रात के बाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों पर छापा मारा था। केंद्र सरकार PFI पर एक्शन की तैयारी कर रही है, इस बारे में 9 अगस्त को संकेत मिले थे। प्लान 4 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह के बेंगलुरु दौरे में बना था। यहां अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसव राज बोम्मई और राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र में मीटिंग हुई थी। इसी में PFI के खात्मे के प्लान पर फैसला हुआ था।

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