FSSAI ने चेताया A1, A2 दूध पर, कंपनियों को टैगिंग से रोका

आप भी खरीदते हैं A1 और A2 के नाम से बिकने वाला दूध-घी? FSSAI ने किया आगाह
हाल ही में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने A1 या A2 लेबलिंग के साथ दूध, घी और बटर बेच रही कंपनियों को ऐसा करने से मना किया है. FSSAI का कहना है कि इस तरह की लेबलिंग के साथ उपभोक्ताओं को सामान बेचना काफी भ्रामक है. आइए जानते हैं FSSAI ने ऐसा क्यों कहा.

नई दिल्ली,23 अगस्त 2024,आजकल अधिकतर डेयरी उत्पाद बेचने वाली कंपनियां A1 या A2 लेबलिंग के साथ दूध, घी और बटर बेच रही हैं. इन्हीं चीजों को देखते हुए ‘फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया’ (FSSAI) ने कंपनियों को इस तरह की लेबलिंग के साथ दूध, घी और बटर बेचने के लिए मना किया है. FSSAI का कहना है कि इस तरह की लेबलिंग के साथ चीजों को बेचना काफी भ्रामक है.

कई फूड बिजनेस ऑपरेटर (FBO) FSSAI लाइसेंस संख्या के तहत ए1 और ए2 के नाम पर दूध और दूध उत्पादों जैसे घी, मक्खन, दही आदि बेच रहे हैं. ऐसे में संज्ञान में आते ही, FSSAI ने इस तरह की बिक्री को रोकने के लिए यह स्टेटमेंट जारी किया है.

FSSI ने बताया कि दूध या उससे बने उत्पादों को A1 या A2 लेबलिंग के साथ बेचना ना केवल भ्रामक है, बल्कि FSS अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित किए गए प्रावधानों के अनुरूप भी नहीं है. FSSAI ने स्पष्ट करते हुए कहा कि ए1 और ए2 दूध के बीच अंतर बीटा-कैसिइन नामक प्रोटीन की संरचना पर आधारित है, जो उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकता है. ऐसे में कंपनियों को अपने उत्पादों से ऐसे दावों को हटा देना चाहिए.

Fssai ने कंपनियों को A1 और A2 लेबल वाले अपने मौजूदा उत्पादों को खत्म करने के लिए 6 महीने का समय दिया है. उसके बाद, उत्पादों पर Fssai लाइसेंस नंबर के साथ ऐसी लेबलिंग नहीं होनी चाहिए. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने कहा, उपभोक्ताओं को खाद्य और डेयरी कंपनियों के वैज्ञानिक दावों से बचाने के लिए Fssai ने यह ऐतिहासिक नोटिफिकेशन जारी की है.

पराग मिल्क फूड्स के चेयरमेन देवेंद्र शाह ने कहा कि A1 और A2 मार्केटिंग की एक नौटंकी है. जरूरी है कि लोग मार्केटिंग के इस जाल में ना फंसें.

A1 और A2 क्या मतलब है?

आजकल मार्केट में A1 और A2 लेबलिंग के साथ बहुत से मिल्क प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैं, जिससे इस बात पर बहस छिड़ गई है कि A1 या A2 मिल्क प्रोडक्ट्स खाने का क्या मतलब है. A1 और A2 एक खास प्रोटीन होते हैं जो गाय के दूध में पाए जाते हैं, हालांकि, गाय की नस्ल के आधार पर यह अलग-अलग अनुपात में होते हैं.

हेल्थलाइन के मुताबिक, कुछ स्टडीज में यह बात कही गई है कि A2 हेल्दी हो सकता है, लेकिन इस पर अभी और रिचर्स चल रही हैं. हालांकि, सेहत पर प्रभाव गाय की नस्ल पर निर्भर करता है.

कैसिइन दूध में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है, इसके अलावा दूध में अलग-अलग टाइप के कैसिइन मौजूद होते हैं, जिनमें बीटा-कैसिइन दूसरा सबसे आम है. यह प्रोटीन कम से कम 13 अलग-अलग रूपों में मौजूद होता है.

A1 बीटा- कैसिइन: यह मुख्य रूप से उत्तरी यूरोप में पाई जाने वाली गाय की नस्लों जैसे हॉल्स्टीन, फ़्रीशियन, आयरशायर और ब्रिटिश शोरथॉर्न के दूध में पाया जाता है.

A2 बीटा- कैसिइन: यह मुख्य रूप से ग्वेर्नसे, जर्सी, चारोलिस और लिमोसिन नस्ल वाली गाय के दूध में पाया जाता है.

रेगुलर मिलने वाले दूध में A1 और A2 बीटा- कैसिइन मौजूद होता है, वहीं, A2 दूध में खासतौर पर A2 वेरिएंट ही मौजूद होता है.

क्या इससे सेहत को कोई फायदा मिलता है?

कुछ स्टडीज की मानें तो A1 की तुलना में A2 ज्यादा हेल्दी होता है , लेकिन यह अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है. चीनी वयस्कों पर की गई एक स्टडी यह बात सामने आई कि रेगुलर दूध पीने से उनके पेट में दिक्कत हुई, जबकि A2 दूध पीने के बाद ऐसे कोई लक्षण नहीं देखे गए. A1 बीटा- कैसिइन के पाचन के दौरान बीटा- कासोमॉर्फिन-7 नाम का एक पैपटाइड रिलीज होता है. यही कारण है कि लोगों को लगता है कि रेगुलर दूध A2 दूध से कम हेल्दी है. वहीं, कई रिसर्च ग्रुप्स को यह भी लगता है कि बीटा- कासोमॉर्फिन-7 की वजह से डायबिटीज, हार्ट डिजीज, शिशु मृत्यु दर, ऑटिज्म और डाइजेस्टिव दिक्कतें होती है. हालांकि इस पर रिसर्च अभी भी जारी हैं.

2005 में, शोधकर्ता स्टीवर्ट ट्रूसवेल ने नेचर जर्नल में A1 और A2 को लेकर एक जांच पब्लिश की. उन्होंने पाया कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन A1 बीटा- कैसिइन से टाइप 1 डायबिटीज और हार्ट डिजीज का खतरा होता है.

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